Sunday 21 December 2014

गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा एवं मूल्यांकन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


पहला दिन 
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन में शनिवार को आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा एवं मूल्यांकन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के पूर्व कुलपति प्रख्यात शिक्षाविद प्रो0 एस0पी0 गौतम ने कहा कि उच्चशिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता का मूल्यांकन समय-समय पर होता रहे इसके लिए संस्थानों को सक्रिय होना होगा। शिक्षकों को शोध कार्यो की मौलिकता एवं गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। विद्यार्थियों के कौशल विकास को निखारने की दिशा में अनवरत प्रयास करने की जरूरत है।प्रो0 गौतम ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को समाज में अपना सर्वोच्च योगदान देने के लिए नित्यप्रति आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। कालेज उसके कर्मचारी समाज को जोड़ते जागरूक करते है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय सदैव नया कुछ करते एवं सोचते रहते हैं। हमें उनका क्रमवार अभिलेखी करण करने की जरूरत है। शिक्षा के क्षेत्र में जो भी हमारी उपलब्धियाॅ है उसकी प्रस्तुति महत्वपूर्ण ढंग से करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि छात्रों की संतुष्टि, रोजगार के अवसर, व्यक्तित्व विकास एवं कौशल उन्नयन के लिए के प्रयास हम सभी का पहला अंतिम उद्देश्य होना चाहिए। कुलपति ने विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में सतत् अकादमिक कार्यों के संचालन पर बल दिया।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन से की गयी। मुख्य अतिथि को कुलपति द्वारा स्मृति चिन्ह भेट किया गया। स्वागत कार्यक्रम संयोजक डा0 मानस पाण्डेय एवं आभार संकायाध्यक्ष प्रो0 बी0बी0 तिवारी किया गया। संचालन डा0 एच0सी0 पुरोहित ने किया।
कार्यशाला में उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम तकनीकी सत्र को डा0 अरूण कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए नैक मूल्यांकन के विभिन्न प्रपत्रों एवं प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो0 बी0बी0 तिवारी ने विश्वविद्यालय द्वारा नैक मूल्यांकन के बारें में किये गये कार्यों पर प्रकाश डाला।  इस अवसर पर प्रो0 डी0डी0 दूबे, प्रो0 वी.के. सिंह, डा0 लालजी त्रिपाठी, डा0 मनोज कुमार सिंह, डा0 प्रमोद तिवारी, डा0 कौशलेन्द्र मिश्र, डा0 ज्योतिष यादव, डा0 विजय प्रताप तिवारी, डा0 सुनीता गुप्ता, डा0 वन्दना राय, डा0 प्रदीप कुमार, डा0 0के0 श्रीवास्तव, डा0 अजय प्रताप सिंह, डा0 मनोज मिश्र, डा0 आशुतोष सिंह, डा0 दिग्विजय सिंह राठौर, डा0 अवध विहारी सिंह, सहित  महाविद्यालयों के प्रतिभागी मौजूद रहे।  
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(दूसरा दिन )
महाविद्यालयों  विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन करवाने के लिए कार्यविधि  औपचारिकताओं का भलिभांति ख्याल रखना चाहिए जिससे नैक कराने के बाद महाविद्यालय उच्च शिक्षा के मापदंड को पूरा कर सकें। यह बातें पूर्व कुलपति रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली प्रो.एसपी गौतम ने रविवार को पूर्वाचल विश्वविद्यालय में गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा एवं नैक मूल्यांकन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला के समापन पर कही। उन्होंने नैक द्वारा प्रदत्त समस्त मापदंडों  उनके अंर्तगत आने वाले विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान शैक्षणिक कैलेंडरशिक्षण प्रविधिछात्र सहभागितासामाजिक सरोकारछात्र उन्नयनशोध आंतरिक गुणवत्ताप्रकोष्ठ की भूमिकाबिन्दुओं का उच्च शिक्षा गुणवत्ता संवर्धन में भूमिका पर प्रकाश डाला। इस मौके पर उपस्थित डा.रविशंकरडा.राजकुमार गुप्ताडा.बीके त्रिपाठीडा.अवधेश कुमार ने अपने महाविद्यालयों की विशेष परिस्थितियों  समस्याओं के संभावित निस्तारण की जानकारी दी। इस मौके पर वीके सिंहडा.एचसी पुरोहितडा.आशुतोष सिंहडा.मनोज मिश्रडा.अवध बिहारी सिंहडा.सुरजीत यादवनीरज कुमारविनोद तिवारीडीपी घिल्डियालअनुपम कुमारडा.मनोज मिश्र आदि मौजूद रहे। संचालन आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ सेल के प्रभारी डा.मानस पांडेय  आभार डा.अजय द्विवेदी ने व्यक्त किया।
(जागरण )

Wednesday 10 December 2014

विश्वविद्यालय में मानवाधिकार दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

                                                -एसपी ने मानवाधिकार दिवस पर दिलायी शपथ
- भाषण प्रतियोगिता में अनम बेग प्रथम
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को संगोष्ठी भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने कहा कि पृथ्वी पर सभी मानवों को अधिकार मिला हुआ है। इसकी रक्षा करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य होना चाहिए। किसी मानव से जाति, धर्म, लिंग के कारण भेदभाव करना मानवाधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की सोच थी कि हमें ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो हमें नहीं पसंद है। अगर इस बात का अमल हम अपने जीवन में करें तो निश्चित तौर पर हर मानव के सम्मान की रक्षा होगी। उन्होंने मानवाधिकार दिवस पर छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों को शपथ भी दिलाया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता विधि विशेषज्ञ डा. पीसी विश्वकर्मा ने कहा कि किसी मानव की संवेदनाओं,
संचेतनाओं को ठेस पहुंचाना ही मानवाधिकारों का उलंघन है। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से अगर आम आदमी वंचित होता है तो वह भी मानवाधिकार के उलंघन की श्रेणी में आता है। सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उनके मानवाधिकारों की रक्षा करें और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संकायाध्यक्ष डा. इश्यिाक अहमद ने कहा कि आज एक तरफ हमारा देश प्रतिदिन विकास के नये पथ पर आगे बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ संवेदनशीलता में कमी आ रही है, यह चिंताजनक है। सड़क पर दुर्घटना के बाद तड़पते व्यक्ति से मुंह फेरना भी आज समाज का एक सच है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए 

पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि मानव के जीवन में हस्तक्षेप होने पर उसके जीवन का आनंद समाप्त हो जाता है। आज उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों को बनाने की आवश्यकता है। अगर हम किसी को किसी भी प्रकार से पीड़ा पहुंचाते है तो वह उसके मानवाधिकारों के हनन का मामला बनता है। इसके पूर्व परिसर के विद्यार्थियों के लिए मानवाधिकार  भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। प्रतिभागियों ने मानवाधिकार के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। 

भाषण प्रतियोगिता में प्रथम अनम बेग, द्वितीय नीतिश श्रीवास्तव एवं तृतीय मेधाश्री रही।
 धन्यवाद ज्ञापन डा. अजय प्रताप सिंह एवं संचालन डा. एचसी पुरोहित ने किया। इस अवसर पर डा. मानस पाण्डेय, डा. एसके सिन्हा, डा. अजय द्विवेदी, डा. प्रदीप कुमार, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. एसपी तिवारी, डा. सुशील कुमार, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. आशुतोष सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुशील सिंह, डा. आलोक सिंह, अंशुमान समेत परिसर के विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

बाल संरक्षण के लिए यूनिसेफ और विश्वविद्यालय ने की नई शुरुआत

                                       प्रशिक्षकों के लिए शुरू हुआ प्रशिक्षण शिविर 
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल  ने कहा कि एक जागरूक अभिभावक ही बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी अशिक्षा का माहौल है। ऐसे में बच्चों की बेहतर देखभाल कर पाना संभव नहीं है। बच्चों के साथ सहानुभूति रखने की जरूरत है। वह मंगलवार को एचआरडी विभाग और यूनीसेफ की ओर से आयोजित प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे।
पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि बचपन एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है। बच्चों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चों से उनका बचपन छीनना नहीं चाहिए। यदि उनका बचपन छिना तो बच्चों का विकास नहीं हो पाता है। बालश्रम और बाल विकास दोनों ही बहुत जरूरी है। 

यूनिसेफ की चीफ प्रोटेक्शन आफिसर नूपुर पांडेय ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में अभियान चलाकर बच्चों के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है। बाल संरक्षण एक संवेदनशील विषय है। इसे बाल संरक्षण समितियों के माध्यम से प्रभावशाली बना सकते हैं। जिम्मेदार लोगों को जोड़कर बाल संरक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है। प्रोजेक्ट निदेशक डा, संगीता साहू ने प्रशिक्षकों का स्वागत किया। कार्यक्रम पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर डा. ऋषिकेश. डा. एचसी पुरोहित, डा. आशुतोष सिंह, डा. मानस पांडेय, डा. एसके सिन्हा, डा. प्रदीप कुमार, डा. अमित वत्स आदि मौजूद थे। संचालन डा. अविनाश पार्थीडकर ने किया।अमर उजाला 


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         व्यक्तिगत एवं तकनीकी निपुणता का संवर्धन विषयक व्याख्यान (९ दिसंबर,संगोष्ठी भवन  )

भारत शुरूआत से ही अध्यात्म, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में गुरु रहा है। बदलते दौर में आज पुन: युवाओं को जागृत होने की जरूरत है। भारत को विश्व गुरु के रूप में युवा ही खड़ा कर सकता है। 
                                                      
                                - पूर्व प्रो.आईसी अग्रवाल 
                                  मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान

                                     


Tuesday 25 November 2014

ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट सेल द्वारा २४ नवम्बर को संगोष्ठी भवन में नैनो टेक्नालाजी विषयक गोष्ठी आयोजित


''वर्तमान में किसी भी विषयवस्तु की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता है। समाज में सूचना तकनीकी, जैव तकनीक और कंप्यूटर तकनीक के होते हुए अब नैनो टेक्नालाजी का दौर आ गया है। भविष्य में उद्योग, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था नैनो टेक्नालाजी पर आधारित होगी। उद्योग टेक्सटाइल्स, आटोमोबाइल्स और कंप्यूटर के बाद अब सारी व्यवस्थाएं नैनो तकनीक पर आधारित होती जा रहीं हैं।''

                                                                - प्रो. अविनाश चंद्र पांडेय (कुलपति )बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी  



Wednesday 19 November 2014

पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता

जाैनपुर के एकलव्य स्टेडियम में बुधवार को बल्लेबाजी कर पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता का शुभारंभ प्रो.डीडी दूबे ने किया।


Click here to enlarge imageमगध विश्वविद्यालय ने बुधवार को पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता के उद्घाटन मैच में विनोवा भावे विवि को सात विकेट से पराजित कर दिया। पूर्वाचल विश्वविद्यालय के एकलव्य स्टेडियम में विनोवा भावे की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया और टीम 34.3 ओवर में 130 रन बना कर ऑल आउट हो गई। मगध विश्वविद्यालय की टीम ने 24.3 ओवर में तीन विकेट खोकर जीत दर्ज कर ली। विनोवा भावे विश्वविद्यालय की ओर से गौरव बनर्जी ने 49 गेंद पर पांच चौकों की मदद से 39 और दीपक कुमार ने 55 गेंद पर 25 रन बनाए। मगध विश्वविद्यालय की ओर से कुंदन शर्मा ने 70 गेंद पर चार चौके और एक छक्के की मदद से 51 और सागर सिंह ने तीन छक्के और पांच चौकों की मदद से 49 रन बनाए। दूसरा मैच इंदिरा गांधी स्टेडियम के मैदान पर गुरुघासी दास विश्वविद्यालय बिलासपुर और बिलासपुर विश्वविद्यालय के बीच खेला जाना था लेकिन गुरुघासी दास विश्वविद्यालय की टीम के आने से से बिलासपुर विश्वविद्यालय को वाकओवर मिल गया। टीडी पीजी कालेज में खेले गए तीसरे मैच में उत्कल विश्वविद्यालय ने भागलपुर विश्वविद्यालय को आठ विकेट से शिकस्त दी। पहले खेलते हुए भागलपुर विश्वविद्यालय ने नौ विकेट खोकर 132 रन बनाए। जवाब में उतरी उत्कल विश्वविद्यालय की टीम ने 23.2 ओवर में दो विकेट खोकर विजय लक्ष्य प्राप्त कर लिया। प्रतियोगिता का उद्घाटन पूर्वाचल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो.डीडी दूबे ने किया। इस मौके पर खेलकूद परिषद के अध्यक्ष प्राचार्य लालजी त्रिपाठी और सहायक कुलसचिव वीएन त्रिपाठी भी मौजूद थे। खेल सचिव देवेंद्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।(जागरण )

Sunday 16 November 2014

यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का दो दिवसीय अधिवेशन सम्पन्न




वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का रविवार को समापन हुआ। इसमें तकनीकी सत्रों में इतिहासकारों ने क्षेत्रीय इतिहास लेखन मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की।
जेएनयू दिल्ली के वरिष्ठ प्रोफेसर यूपी अरोड़ा ने कहा कि कई ऐसे इतिहास के नायक है जिन्हें समय की प्रवृत्तियों ने दर किनार कर दिया। रूहेलखण्ड विवि बरेली के प्रो. अतुल सिन्हा ने इतिहास शोध के नए आयामों पर प्रकाश डाला। डाॅ. गामा यादव ने इतिहास निर्माण में स्थानीय सिक्कों की भूमिका पर बड़े रोचक तरीके से अपनी बात रखी। डाॅ. श्याम बिहारी लाल ने ‘ब्रह्मा की मूर्ति’ विषयक शोध पत्र प्रस्तुत किया।
डाॅ. सुधाकर श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आधुनिक इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा हुई। इसमें महिला सशक्तिकरण, दलित विमर्श, नमक सत्याग्रह में महिलाओं की भूमिका पर विशेष मंथन हुआ। ‘जौनपुर’ पर केन्द्रित शोध पत्र जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डाॅ. मनोज मिश्र ने प्रस्तुत किया जिसे लोगों ने खूब सराहा।
सचिव प्रो. एसएनआर फारूकी ने कांग्रेस से जुड़े कई पहलुओं पर विचार रखा। आयोजन सचिव प्रवीण प्रकाश ने वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। विभिन्न गतिविधियों में मुख्य रूप से प्रो. वीके सिंह, प्रो. एमपी सिंह, डाॅ. एके श्रीवास्तव, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. एसएनआर रिजवी, डाॅ. अविनाश पाथर्डिकर, डाॅ. रामविलास, डाॅ. राजकुमार सोनी, डाॅ. नुपुर तिवारी, डाॅ. संतोष कुमार, डाॅ. रजनीश भाष्कर, डाॅ. अमरेंद्र सिंह, डाॅ. सरिता सिंह, श्याम त्रिपाठी, आकांक्षा श्रीवास्तव समेत तमाम शिक्षक एवं शोधार्थी मौजूद रहे।




उ.प्र. हिस्ट्री कांग्रेस के रजत जयंती अधिवेशन पर विवि सांस्कृतिक परिषद की ओर से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन


उ.प्र. हिस्ट्री कांग्रेस के रजत जयंती अधिवेशन पर शनिवार की रात संगोष्ठी भवन में विवि सांस्कृतिक परिषद की ओर से सांस्कृतिक संध्या का  आयोजन किया गया। 



सकी शुरूआत पूर्व कुलपति डाॅ. पीसी पातंजलि ने दीप प्रज्जवलित करके की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा मां तुझे सलाम और ओ री चिरैय्या.. गीत पर प्रस्तुत नृत्य को लोगों ने खूब सराहा। साथ ही कृष्ण सुदामा, अनपढ़ बेटी नाटक के प्रसंगों को उपस्थित लोगों को भाव विह्वल कर दिया। मूक अभिव्यक्ति के माध्यम से कलाकारों ने हेलमेट के प्रयोग से जीवन रक्षा का संदेश दिया।
इस अवसर पर पूर्व कुलपति पीसी पातंजलि ने कहा कि जहां एक ओर सांस्कृतिक कार्यक्रम विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में सहायक होते है वहीं दूसरी ओर हमारी संस्कृति से परिचित कराते है। संचालन डाॅ. एचसी पुरोहित ने किया। इस अवसर पर प्रो. रामजी लाल, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. वीके सिंह, डा. एके श्रीवास्तव, प्रो. एमपी सिंह, डा. एसके सिन्हा, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. मनोज मिश्र, डा. प्रदीप कुमार, डा. प्रवीण प्रकाश, डा. रजनीश भाष्कर आदि लोग मौजूद रहे।


Saturday 15 November 2014

यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के रजत जयंती सत्र का उदघाटन



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में शनिवार को यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के रजत जयंती सत्र के उदघाटन   सत्र का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आठ प्रमुख इतिहासकारों प्रो. ओमप्रकाश यादव, प्रो. ओमप्रकाश श्रीवास्तव, प्रो. यूपी अरोरा, प्रो. एनआर फारूकी, प्रो. एसजेड जाफरी, प्रो. अतुल कुमार सिन्हा, प्रो. एसएनआर रिजवी एवं डा. महेंद्र प्रताप को अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। समारोह में मुमताज अहमद स्मृति पुरस्कार दो शोध छात्राओं डा. सना अजीज तथा डा. शबाना जफर को प्रमाण-पत्र एवं 2500 रुपये नगद धनराशि प्रदान की गयी।


उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनआर फारूकी ने कहा कि जौनपुर सूफी संतों


का केन्द्र रहा है। मध्यकालीन भारत में सूफी आंदोलन अपने उत्कर्ष पर था। उन्होंने मध्यकालीन भारतीय सूफी ग्रंथों में उधृत कहानियों के स्वरूप और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यकालीन सूफी संत प्रकांड विद्वान थे और इन संतों के द्वारा अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की गयी। सूफी संतों के उद्देश्यों के संकलन भी आज उपलब्ध है। इन कृतियों में सूफी संतों ने अपने शिष्यों तक समुचित रूप से अपनी बात पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रकार की कहानियों या घटनाओं का वर्णन किया। इन कथाओं में मुख्य रूप से नैतिक और सामाजिक मूल्यों को प्रकाशमान किया जाता था। इन कथाओं के माध्यम से सूफी संतों की अध्यात्म शक्ति एवं विद्वता का परिचय मिलता है। यह कथाएं इतनी रोचक और सुंदर है कि वह सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर लेती थी। इन कथाओं के माध्यम से उस समय की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक दशाओं पर प्रकाश डाला जाता है। इन कथाओं की रोचकता तथ उनके माध्यम से प्रस्तुत किये गये सामाजिक नैतिक मूल्यों के कारण मध्यकालीन सूफी साहित्य को काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई। 

मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि किसी भी नगर, कस्बे, देश अथवा विदेश में यात्रा के दौरान वहां के पुराने भवन एवं अवशेषों को देखकर कदाचित मन वर्तमान से पीछे जाकर अतीत की सभ्यता, वीरता एवं बलिदान को ढ़ूढ़ने लगता है। सर्वप्रथम द्वार पर लिखे गये विवरण अथवा उपलब्ध प्रालेखों को पढ़कर, चाहे ऐतिहासिक स्मारक हों अथवा पवित्र स्थान, वर्तमान सभ्यता के निर्माण का रास्ता वर्तमान स्वरूप में किस प्रकार प्रशस्त हो पाया, का आभास स्वमेव होने लगता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक दृष्टि से भारत जैसे देश को 24 वर्ष पूर्व अपनी अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए भूमण्डलीकरण की ओर बढ़ने का एक जोखिम, सफलतापूर्वक उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आज का यह ऐतिहासिक यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का रजत जयंती अधिवेशन नये परिवेश, नई भावनाओं एवं नयी तकनीकी के युग में कालान्तर को वर्तमान से जोड़ने की चेष्टा कर रहा है। मुझे आशा है कि समस्त इतिहासकार एवं बुद्धिजीवी वर्ग, अपनी उपस्थिति से इस अधिवेशन को सार्थक स्वरूप दे पाएंगे।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. आरएन मिश्र की अनुपस्थिति में उनके उद्बोधन को बरेली विश्वविद्यालय के प्रो. अतुल कुमार सिन्हा ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में स्थित भरहुत के अभिलेख एवं कला का निदर्शन जहां शुंगकालीन समाज की झांकी प्रस्तुत करता है वहीं उसकी कला ने तत्कालीन समाज की पृष्ठभूमि एवं पुरोगामिता को प्रस्तुत कर इतिहास को एक नई दिशा दी है। उन्होंने दान से संबंधित समस्त अभिलेखों के बारे में भी ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा. प्रवीण प्रकाश ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। समारोह के पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि एवं कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित सोवनियर एवं यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का आब्सट्रैक्ट (सारांश) का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के महासचिव प्रो. एसएनआर रिजवी एवं डा. एचसी पुरोहित ने किया। प्राचार्य डा. अब्दुल कादिर खां ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र के बाद समानान्तर चल रहे तीन तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये सौ से अधिक इतिहास के विद्वानों एवं प्रतिभागियों द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।
इस अवसर पर प्रो. एसजेडएच जाफरी, प्रो. डीडी दूबे, कुलसचिव बीके पाण्डेय, वित्त अधिकारी अमरचंद्र, प्रो. वीके सिंह, प्रो. रामजी लाल, प्रो. बीबी तिवारी, डा. एके श्रीवास्तव, डा. एचसी पुरोहित, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. संगीता साहू, डा. एसके सिन्हा, डा. सरिता सिंह, शुभ्रा मल्ल, डा. वंदना राय, डा. प्रदीप कुमार, डा. मनोज मिश्र, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. संदीप सिंह, डा. संतोष कुमार, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. विवेक पाण्डेय, डा. केएस तोमर, श्याम त्रिपाठी सहित समस्त प्रतिभागी उपस्थित रहे।