Saturday 30 May 2020

हिंदी पत्रकारिता दिवस पर ऑनलाइन संगोष्ठी का हुआ आयोजन

विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात यात्रा लेखिका, ब्लॉगर एवं फोटोग्राफर डॉ कायनात काजी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हिंदी के पत्रकारों ने सामाजिक घटनाओं का सजीव चित्रण किया है। हिंदी पत्रकारिता ने मजदूरों के पलायन के  मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ उठाकर सरकारों को जगाया है। उन्होंने कहा कि यह लॉकडाउन का दौर आत्म विश्लेषण का है। देश के तमाम हिस्सों में पत्रकार कोरोना वायरस  से संक्रमित हो रहे हैं फिर भी उनके मनोबल में कहीं कोई कमी नहीं हो रही है। आने वाला समय तमाम तरह की चुनौतियों को लेकर आएगा इनसे निपटने के लिए हमें तैयार रहने की जरूरत है।
विभागाध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता हमारी मातृभाषा से जुड़ी हुई है। यह हिंदी के प्रख्यात साहित्यकारों के संरक्षण में पली बढ़ी है। आज की पीढ़ी को इसे समृद्ध करने में अपना योगदान देना चाहिए।
विभाग के शिक्षक डॉ अवध बिहारी सिंह ने हिंदी भाषा के पहले समाचार पत्र उदंत मार्तंड पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता आज जनता की आवाज बन चुकी है। डॉक्टर सुनील कुमार ने कहा कि आज पत्रकारों को विभिन्न तकनीकों के ज्ञान की आवश्यकता पढ़ रही है प्रिंट मीडिया से जुड़ा पत्रकार डिजिटल पत्रकारिता भी कर रहा है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ दिग्विजय सिंह राठौर एवं तकनीकी सहयोग छात्र वीर बहादुर सिंह ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन  डॉ चंदन सिंह ने दिया। इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थीगण मौजूद रहे।

Friday 29 May 2020

मनोवैज्ञानिक समस्याओं के समाधान की नवीन तकनीकी पर हुई चर्चा


तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन सेमिनार का हुआ समापन

विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा " उन्नत मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य: मनोचिकित्सा के क्षेत्र में नवीन प्रगति" विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का समापन हुआ। 

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा के वरिष्ठ नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ राकेश जैन द्वारा आज अंतरराष्ट्रीय बेविनार के तीसरे दिन कॉग्निटिव ड्रिल थेरेपी पर अपना व्याख्यान दिया|  डॉ राकेश जैन द्वारा इसे स्वयं विकसित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस चिकित्सा पद्धति में रोगी को अपने संवेगों को शब्दों के रूप में अभिव्यक्त करना होता है जिसके द्वारा उसके संज्ञानात्मक क्षमता को परखा जाता है। रोगी जब शब्दों को बार-बार दोहराता है तो वह अपने भय का सामना करने के लिए अपने आपको तैयार पाता है। कहा कि संज्ञानात्मक ड्रिल थेरेपी   से फोबिया, मनोग्रस्तता बाध्यता के रोगियों को ठीक किया जा रहा है।

सेमिनार में गौतम बुद्धा विश्वविद्यालय नोएडा के मनोविज्ञान एवं मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ आनंद प्रताप सिंह ने न्यूरोफीडबैक थेरेपी के लाभों पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा पद्धति बिना किसी साइड इफेक्ट के मरीजों में घबराहट की बीमारी को दूर करने में कारगर साबित हो रही है। घबराहट की बीमारी को दूर करने के लिए दवाइयों का सेवन या अन्य चिकित्सा पद्धति में साइड इफेक्ट का खतरा रहता है और समय भी अधिक लगता है जबकि न्यूरोफीडबैक थेरेपी कम समय में मरीज को पूरी तरह ठीक कर रही है।

एमिटी विश्वविद्यालय, दुबई की डॉ अनुमेहा रॉय ने वर्तमान परिवेश में तनाव प्रबंधन की युक्तियों पर चर्चा की| डॉ राय  ने बताया कि हम हास्य को एक चिकित्सा पद्धति की तरह प्रयोग कर सकते हैं| कहा कि तनाव प्रबंधन की बहुत सारी मनोवैज्ञानिक युक्तियां हैं जो मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित हैं। इनमें मुख्य रूप से डिसोसिएशन  तकनीक, ध्यान एवं योग, योग निद्रा, समय प्रबंधन आदि प्रमुख हैं कोई भी व्यक्ति इन तकनीकों का प्रयोग करके अपने तनाव का बेहतर तरीके से समाधान कर सकता है|

सेमिनार की संयोजक व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर अन्नू त्यागी ने संचालन एवं ज्योत्सना गुलाटी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सेमिनार के आयोजन समिति में डॉ मनोज मिश्र, प्रो अजय प्रताप सिंह, डॉ जान्हवी श्रीवास्तव,डॉ मनोज पांडे शामिल रहे।

Thursday 28 May 2020

सेमिनार में बायोफीड बैक और रिअटैच थेरेपी पर हुई चर्चा

अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन सेमिनार में मानसिक स्वास्थ्य पर वक्ताओं ने रखी बात

विश्वविद्यालय  के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा " उन्नत मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य: मनोचिकित्सा के क्षेत्र में नवीन प्रगति" विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार के दूसरे दिन मनोवैज्ञानिकों ने विस्तार से विषय पर चर्चा की।
गुरुवार को आयोजित सत्र में भारतीय काउंसलिंग साइकोलॉजी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आशुतोष श्रीवास्तव ने रिअटैच थिरेपी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह थिरेपी मानसिक स्वास्थ्य समस्या में विकासात्मक समस्याओं और आत्मकेंद्रिता में मदद करता है। आज लोगों के जीवन में नीरसता देखने को मिलती है और उनका जुड़ाव कम होने लगता है इस थिरेपी से पुनः जुड़ाव आ जाता है।
उन्होंने कहा कि यह थिरेपी मानसिक रोगियों के अतिरिक्त ऐसे लोगों पर भी कारगर है जो तनावग्रस्त हैं।
इसी क्रम में समाधान केंद्र मेरठ की निदेशक नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर सीमा शर्मा ने कहा कि मनुष्य के सोचने के तरीके को बायोफीड बैक के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है।इससे तनाव व घबराहट को भी दूर किया जा सकता है।
 संचालन सेमिनार की संयोजक व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर अन्नू त्यागी एवं तकनीकी सहयोग नैदानिक मनोवैज्ञानिक ज्योत्सना गुलाटी ने दिया| सेमिनार में  शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं मनोवैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया।


Wednesday 27 May 2020

पूर्वांचल विश्वविद्यालय तीन दिवसीय ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार शुरू


मनोवैज्ञानिकों ने की चर्चा, खुश रहने के तरीके भी बताए

मनोचिकित्सा से लोगों के जीवन में आई खुशी

व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा " उन्नत मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य: मनोचिकित्सा के क्षेत्र में नवीन प्रगति" विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयेजन किया गया। यह वेबिनार 29 मई तक चलेगा।
बुद्धवार को उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि
महात्मा गांधी  विद्यापीठ वाराणसी के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जी पी ठाकुर ने कहा कि मनोचिकित्सा अनंत मन का उपचार करती है। मनोचिकित्सा लोगों के जीवन में खुशहाली आ रही है इसका उद्देश्य व्यक्ति को नकारात्मक से सकारात्मक करना है।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय  के  पूर्व प्रोफेसर रामजी लाल श्रीवास्तव ने विपासना पर विस्तार से अपनी बात रखी। 
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अल्पना अग्रवाल ने कहा कि  देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोवैज्ञानिक तौर पर सबको जोड़ने के लिए ताली बजाने से लेकर दिया जलाने की बात की थी। इससे  कोई अपने को अकेला महसूस ना करें और मुसीबत में एकजुट होकर लड़े।
पुणे की सैंडी डायस ने माइंडफुलनेस एवं वर्तमान में कैसे जिए पर अभ्यास कराया। साथी ध्यान केंद्रित करने के तरीकों को भी बताया। उन्होंने कहा कि अवसाद ग्रस्त व्यक्तियों को अपने भविष्य व भूत की बातों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि वर्तमान में जीना चाहिए इससे ही समस्या का समाधान होता है।
इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में प्रतिदिन विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा  व्याख्यान प्रस्तुत किए जाएंगे। संचालन सेमिनार की संयोजक व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर अन्नू त्यागी एवं तकनीकी सहयोग नैदानिक मनोवैज्ञानिक ज्योत्सना गुलाटी ने दिया| सेमिनार में  शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं मनोवैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया।

Sunday 24 May 2020

टेलीविजन एंकरिंग और रिपोर्टिंग स्किल पर राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ आयोजन


कोविड 19 के दौर पर केंद्रित रहा  वेबिनार

विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं पीआर नीति के संयुक्त तत्वावधान में 24 मई को कोविड 19 के दौर में टेलीविजन एंकरिंग एवं रिपोर्टिंग स्किल पर ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया  गया. संगोष्ठी में वक्ताओं में इस महामारी के दौर में पत्रकारों के समक्ष चुनौतियों और आवश्यक स्किल पर अपने विचार रखें. संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से मीडिया शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं पत्रकारों ने प्रतिभाग किया.

बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं डीडी न्यूज़ के एंकर अशोक  श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य या केंद्र सरकार की तरफ से  फ्रंट लाइन पर काम करने वालों की तरह ही पत्रकारों का भी बीमा करना चाहिए.आज  कोरोना महामारी के दौर में चुनौती के साथ पत्रकार फील्ड में काम किया है इस दौर ने पत्रकारों को बहुत कुछ सीखा  है और बेहतर कौशल की जरुरत है. पत्रकारोंने  खुद को खतरे में डाल कर काम किया है.उन्होंने कहा कि इस तरह के महामारी के दौर में पत्रकारों को विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए.

वेबीनार में आज तक एवं न्यूज़ 18 जैसे प्रतिष्ठित चैनलों की  पूर्व पत्रकार  एवं एंकर नवजोत ने कहा कि पत्रकारों को इन्डिपेंडेंट वाइस बन कर सामने आना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के पहले भी बहुत आपदाएं  आई है . पत्रकारों ने इस दौर में   खबरों को पहुंचाने में कभी कोई कमी नहीं  की है. कहा कि महामारी से जुडी  ख़बरें सही, स्पष्ट और सच्ची होनी चाहिए. पत्रकारों के लिए यह एक बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि चैनल में जल्दी के चक्कर में  आज गलतियाँ हो रही है और फेक न्यूज़ सामने आ जाती है. उन्होंने एंकरिंग और रिपोर्टिंग के करने के टिप्स दिए . एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि      एंकर और रिपोर्टर बनने के लिए गहन अध्ययन , संवेदना ,समझदारी जरूरी है. दून विश्वविद्यालय के प्रो एच सी पुरोहित ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

 पीआर नीति की निदेशक विभा सिंह आभार एवं स्वागत संगोष्ठी के निदेशक विभागाध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने किया. वेबिनार का संचालन संयोजक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया.वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ अवध बिहारी सिंह एवं सह  संयोजक डॉ सुनील कुमार एवं डॉ चंदन सिंह रहे. 

Saturday 23 May 2020

पेटेंट का व्यवसायिक फायदा किसानों तक पहुंचे:राजीव कपूर



जौनपुर के उत्पाद में महत्त्वपूर्ण भूमिका ‌निभाए पीयू

विश्वविद्यालय  के बौद्धिक सम्पदा अधिकार प्रकोष्ठ (आईपीआर सेल) द्वारा आयोजित वेबिनार के दूसरे दिन शनिवार को तीन व्याख्यान हुए । इसमें प्रथम सत्र में डॉ आयुषी झा , वैज्ञानिक टाईफैक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार के विभिन्न आयामों जैसे कॉपीराइट, पेटेंट, ज्योग्राफिकल इंडिकेटर, इंडस्ट्रियल डिजाइन, ट्रेडमार्क, एवं उसकी आवश्यकताओं  के जागरूकता पर जोर दिया | दूसरे सत्र में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय हरियाणा के डॉ राजीव कुमार कपूर ने पेटेंट आवेदन कि प्रक्रिया को विस्तृत रूप से बताया | उन्होंने पूर्वांचल क्षेत्र विशेषकर जौनपुर के प्रमुख उत्पादों के पेटेंट के माध्यम से पंजीकृत करके उसका व्यवसायिक फायदा आर्थिक रूप में किसानों को पहुंचाने का सुझाव दिया | डॉ कपूर ने इस कार्य को करने के लिए पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण भूमिका की भी चर्चा की | उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का आईपीआर सेल कालेज तथा विश्वविद्यालय के शोध छात्रों और शिक्षकों को पेटेंट हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है  | तीसरे सत्र में केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के डॉ सर्वेश कुमार ने जेनेटिक संवर्धित फसलों और  आईपीआर से सम्बंधित चुनौतियों पर प्रकाश डाला |
प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से प्रश्नोत्तरी के माध्यम से अपनी जिज्ञासा का निराकरण किया | डॉ राजकुमार व डॉ रामनरेश ने अतिथियों का स्वागत किया |  कार्यक्रम का संचालन डॉ नितेश जायसवाल ने किया |  वेबिनार के संयोजक डॉ मनीष कुमार गुप्ता ने विशेषज्ञों व प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया तथा उमीद जताई कि आने वाले समय ने विश्वविद्यालय का आईपीआर सेल पेटेंट और उससे सम्बंधित क्षेत्रो में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा |
इस दौरान आईपीआर प्रकोष्ठ के सदस्य प्रो. रामनारायन, प्रो. रंजना प्रकाश, डॉ मुराद अली, डॉ सुनील कुमार, डॉ पुनीत धवन , श्री आशीष कुमार गुप्ता सभी ने ऑनलाइन ही आभार व्यक्त किए | 

Thursday 21 May 2020

टेलीविजन एंकरिंग और रिपोर्टिंग स्किल पर वेबिनार 24 मई को




कोविड 19 के दौर पर केंद्रित है वेबिनार


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं पीआर नीति के संयुक्त तत्वावधान में 24 मई को कोविड 19 के दौर में टेलीविजन एंकरिंग एवं रिपोर्टिंग स्किल पर वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है।वेबिनार  के निदेशक एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि इस दौर में पत्रकारिता करने वालों ने नए कौशल के साथ काम किया है आने वाली पीढ़ी को इस कौशल से पूर्ण रूप से परिचित होना होगा। इसी को दृष्टिगत रखते हुए विभाग द्वारा इस वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है।


वेबिनार के संयोजक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने बताया कि वेबीनार में आज तक एवं न्यूज़ 18 जैसे प्रतिष्ठित चैनलों की  पत्रकार  एवं पूर्व एंकर नवजोत एवं डीडी न्यूज़ के एंकर आलोक श्रीवास्तव आमंत्रित वक्ता के रूप में शिरकत करेंगे।वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ अवध बिहारी सिंह एवं सह  संयोजक डॉ सुनील कुमार एवं डॉ चंदन सिंह है।

प्रतिभाग करने के लिए लिंक पर क्लिक करें।

https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfjb1u4YADB3gEZyK2JAXOpOfxwlrjEmjvFoZl8DGSDExozrQ/viewform?usp=sf_link

Sunday 17 May 2020

कोविड १९ के दौर में मीडिया की भूमिका विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन


मीडिया ने जन आस्था और मनोबल को बढाया है- प्रो भानावत
मीडिया उद्योग को  सरकार पैकेज दे –सतीश के सिंह

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं पी आर नीति के संयुक्त तत्वावधान में कोविड १९ के दौर में मीडिया की भूमिका के विविध आयामों पर चर्चा के लिए रविवार को ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया . संगोष्ठी को  देश के विभिन्न भागों से फेसबुक और ज़ूम के माध्यम से लोग जुड़े. 
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जयपुर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ संजीव भानावत  ने कहा कि मीडिया ने ख़ास तौर से समाचार पत्रों ने  कोरोनो के दौर में जन  जागरूकता में बड़ी भूमिका अदा की है. जन को वास्तविकता से परिचित कराया है और विश्लेष्णात्मक खबरों को उपलब्ध कराया है.
उन्होंने कहा कि मीडिया ने जन आस्था और मनोबल को बढाया है. कहा कि सोशल मीडिया ने भ्रामक ख़बरों के बावजूद आवश्यक सूचनाओं को राष्ट्रव्यापी स्तरतक पहुचाया है.
संगोष्ठी में विशिष्ठ अतिथि के रूप में दिल्ली के जाने माने पत्रकार  सतीश के सिंह ने कहा कि इस दौर में सरकार ने  हर सेक्टर को आर्थिक मदद देने का निर्णय लिया है ऐसे में मीडिया उद्योग के लिए भी सरकार को एक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए.  
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव ने कहा कि इस दौर में मीडिया के काम से समाज में उसकी अनिवार्यता सिद्ध हो गई है. आज देश के तमाम मीडियाकर्मी कोरोनो से जुडी खबरों को कवरेज  करने के दौरान संक्रमित हुए और अपनी जान भी गवाई. यह समय  पत्रकारिता करने वालों के लिए  बहुत ही  चुनौती भरा है. लेकिन कैसे भी हालत रहे हो पत्रकारों ने ख़बरों को पहुचाने में कोई कमी नहीं की है.
मुख्य वक्ता सूचना और प्रचार निदेशालय दिल्ली  के  उप निदेशक  नलिन चौहान ने कहा कि आज हम एक अदृश्य आपदा का सामना कर रहे है ऐसे सूचना का स्वरुप और भी महत्वपूर्ण हो गया है. सरकारों के विभाग सूचनाओं को उपलब्ध कराने में आगे आए है.
 गुरु गोविन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ  विश्वविद्यालयदिल्ली के डॉ सर्वेश त्रिपाठी द्वारा विषय प्रवर्तन किया गया . संगोष्ठी के संयोजक डॉ मनोज मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया. एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा  की सहायक आचार्य डॉ आशिमा सिंह ने  संगोष्ठी का संचालन किया. तकनीकी समन्वय आतुर शर्मा ने किया.  आयोजन सचिव डॉ दिग्विजय सिंह राठौर एवं पी आर नीति की निदेशक विभा सिंह में धन्यवाद् ज्ञापन किया.  संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में शिक्षकशोधार्थीविद्यार्थीपत्रकार प्रतिभाग किये. संगोष्ठी के सह संयोजक डॉ सुनील कुमार एवं सदस्य डॉ अवध बिहारी सिंह एवं डॉ चन्दन सिंह रहे. 

Saturday 16 May 2020

वेबिनार को लाइव देखने के लिए इस लिंक को क्लिक करें 


https://www.facebook.com/prnitiofficial/posts/124918902536843

                               17.05. 2020, समय 12  बजे अपराह्न से 






महान भौतिक विज्ञानी पदम भूषण प्रो एस के जोशी के निधन पर विश्वविद्यालय में शोक की लहर


जाने-माने भौतिक वैज्ञानिक पद्मभूषण के निधन पर विश्वविद्यालय में शोक की लहर दौड़ गयी। विदित हो कि  औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक तथा राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, नई दिल्ली के निदेशक रहे.  डॉ जोशी ने कई वैज्ञानिक व तकनीकी संस्थानों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  प्रो जोशी का पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर से गहरा सम्बंध रहा है। प्रो जोशी 2018 के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्वांचल विश्वविद्यालय आये थे तथा अपने सम्बोधन से सबका मन मोह लिया था। नवम्बर 2019 में पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के  मुख्य अतिथि थे तथा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित आर्यभट्ट सभागार का उदघाटन भी किया था । रज्जू भइया संस्थान के आर्यभट्ट सभागार में विश्वविद्यालय कुलपति व शिक्षकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव  ने प्रो एस के जोशी के साथ के अपने संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि प्रोफ़ेसर जोशी बहुत सरल व सहज व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जाना विज्ञान जगत और विशेषकर भौतिक विज्ञान के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है। इस अवसर पर  प्रो बीबी तिवारी ने उनके साथ अपने विद्यार्थी जीवन के संस्मरणों को याद किया। इस अवसर पर कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, परीक्षा नियंत्रक वी एन सिंह, डॉ राजकुमार व अन्य शिक्षको ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

Friday 15 May 2020

कोविड १९ के दौर में मीडिया की भूमिका पर होगी चर्चा
पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 17 मई को

जौनपुर. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं पी आर नीति के संयुक्त तत्वावधान में कोविड १९ के दौर में मीडिया की भूमिका के विविध आयामों पर चर्चा के लिए रविवार को ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. संगोष्ठी के संयोजक डॉ मनोज मिश्र ने बताया कि संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जयपुर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ संजीव भानावत  है . संगोष्ठी में विशिष्ठ अतिथि के रूप में दिल्ली के जाने माने पत्रकार  सतीश के सिंह अपनी बात रखेंगे. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव भी अपने विचार व्यक्त करेंगे.  
दिल्ली के  सूचना और प्रचार निदेशालय के  उप निदेशक  नलिन चौहान मुख्य वक्ता होंगे. गुरु गोविन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ  विश्वविद्यालय, दिल्ली के डॉ सर्वेश त्रिपाठी द्वारा विषय प्रवर्तन किया जायेगा. एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा  की सहायक आचार्य डॉ आशिमा सिंह संगोष्ठी का संचालन करेंगी. संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी, पत्रकार भाग लेंगें. संगोष्ठी के आयोजन सचिव डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, सह संयोजक डॉ सुनील कुमार एवं सदस्य डॉ अवध बिहारी सिंह एवं डॉ चन्दन सिंह है.  

Thursday 14 May 2020

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने बनाया घरेलू वस्तुओं से कोरोना वायरस को खत्म करने की डिवाइस



घरेलू सामानों पर 10 मिनट में कोरोना वायरस होगा खत्म  

पीयू के कुलपति ने उपकरण का किया अनावरण

देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने व जनमानस को कोरोना के प्रकोप से सुरक्षित रखने के लिए  सेंटर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी, प्रो० राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) संस्थान, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक व सहायक आचार्य डॉ. धीरेन्द्र कुमार चौधरी द्वारा एक  उपकरण अल्ट्रावायलेट सरफेस डिसइंफेक्टेंट बनाया गया है । इस उपकरण से  वस्तुओं पर मौजूद कोरोना वायरस को १० मिनट  में खत्म किया जा सकेगा ।
इस उपकरण का अनावरण  कुलपति प्रो० डॉ० राजाराम यादव ने रज्जू भइया संस्थान में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया । उन्होंने  कहा कि यह डिवाइस पूर्ण रूप से ऑटोमेटिक है व बहार से लाये गए किराने के सामानों, फल, सब्जियों, फाइल्स व करेंसी  इत्यादि के ऊपर स्थित कोरोना वायरस को प्रभावी रूप से समाप्त करने में कारगर है । उन्होंने डॉ. चौधरी को बधाई देते हुये कहा कि इस डिवाइस को और संख्या में बनाये जिससे विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यालयों एवं मूल्यांकन कार्यों में भविष्य में कोरोना महामारी से लड़ने में उपयोग किया जा सके।

डॉ. धीरेन्द्र कुमार चौधरी ने देश के  प्रधानमंत्री जी के समस्या को अवसर में बदलने के मंत्र, स्थानीय उत्त्पादों को बढ़ावा देने एवं आत्म निर्भर भारत अभियान के आह्वान को दृष्टिगत रखते हुए, बहुत ही कम लागत में अल्ट्रावायलेट जर्मीसाइडल इररेडिएशन रेंज का प्रयोग करते हुए अल्ट्रावायलेट सरफेस डिसइंफेक्टेंट को बनाया है । इस तरंग दैर्ध्य पर कीटाणुनाशक गतिविधि अधिकतम होती है, अतः यह युक्ति कोरोना को वस्तुओं के ऊपर से नष्ट करने हेतु बहुत ही उपयोगी है । यह डिवाइस अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) तथा इंटरनेशनल अल्ट्रावायलेट एसोसिएशन (IUVA) के मानकों के अनुरूप निर्मित की गई है । साथ ही साथ डिवाइस मोशन सेंसर से संचालित होने के कारण बहुत ही कम बिजली ख़पत पर संचालित होती  है ।   इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी श्री एम० के० सिंह, डॉ० सौरभ पाल एवं रज्जू भइया संस्थान के अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे ।

Sunday 3 May 2020

कम लागत में होगी बीमारियों की जांच और पहचान


गांव और रिमोट एरिया में की जाएगी फोटोनिक सेंसर से जांच

सेंटर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी, रज्जू भैया संस्थान द्वारा चल रहे व्याख्यान श्रृंखला का समापन

जौनपुर । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया भौतिकी विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के द्वारा निशुल्क ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला के समापन सत्र में रविवार को सीएसआईआर- राष्ट्रीय विज्ञान संचार और सूचना स्रोत संस्थान नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ० मेहरवान ने छात्रों को फोटोनिक सेंसर्स के उपयोगिता और कार्यविधि के बारे में बताया।
डॉ.मेहरवान ने कहा कि फोटोनिक सेंसर्स का उपयोग कर हम गांव और रिमोट एरिया में कम लागत पर बीमारियों की पहचान और जांच कर सकते हैं। यह अन्य डाइग्नोसिस में भी उपयोगी साबित हो सकती है। 
ताइवान के वैज्ञानिक डॉ. अनिमा घोष ने चालकोजेन मैटेरियल्स का सोलर में उपयोगिता के बारे में बताया। डॉ. घोष ने कहा कि चालकोजेन मैटेरियल्स नॉन टॉक्सिक मैटेरियल होते है जो की उच्च गुणवत्ता के सोलर सेल बनाने में  प्रयोग किये जा सकते है । सेंटर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी, रज्जू भैया संस्थान द्वारा चल रहे व्याख्यान श्रृंखला "लेक्चर सीरीज ऑन रीसेंट एडवान्सेस इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी" का समापन संस्थान के निदेशक प्रो. देवराज सिंह ने किया। बताते चले की इस व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 13 वेबिनार का आयोजन हुआ, जिसमे पूर्वांचल विश्वविद्यालय के साथ-साथ देश अन्य शैक्षणिक व शोध संस्थानों के छात्रों और शोधार्थियों ने  बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। व्याख्यान श्रृंखला में कोरिया व ताइवान के वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश के अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने अपना शोध कार्य छात्रों के साथ साझा किया।  अंतिम वेबिनार उमा नाथ सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डॉ० राम नरेश यादव द्वारा डोमिनोज़ मेटाथिसिस पर दिया गया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो० (डॉ०) राजा राम यादव जी ने रज्जू भैया संस्थान के द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रृंखला की सराहना की व छात्र/छात्राओं को लॉकडाउन के दौरान घर पर सुरक्षित रहते हुये अध्ययन करने का सलाह दी। प्रो० देवराज सिंह ने व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन कर रहे संस्थान के वैज्ञानिक डॉ० धीरेन्द्र चौधरी को शैक्षणिक गतिविधि को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर व्याख्यान देने वाले सभी आचार्यों, प्रतिभागियों व वैज्ञानिकों के साथ-साथ  डॉ० गिरिधर मिश्रा, डॉ० पुनीत धवन, डॉ० नीरज अवस्थी, संदीप वर्मा व संस्थान के अन्य सभी आचार्यों ने सहभागिता की। 

Saturday 2 May 2020

डॉ नृपेंद्र को शोध पत्र के लिए मिला प्रशस्ति पत्र

थाईलैंड में आयोजित सम्मेलन में ऑनलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किया
जौनपर । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान के शिक्षक डॉ नृपेन्द्र सिंह ने रंगसीट विश्वविद्यालय थाईलैंड द्वारा आयोजित एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ऑनलाइन शोध पत्र प्रस्तुत किया इसके लिए उन्हें सम्मान और प्रशस्ति पत्र दिया गया है।
रंगसीट विश्वविद्यालय द्वारा पांचवा अंतरराष्ट्रीय शोध सम्मेलन 1 मई को आयोजित किया गया था इसमें विश्व के विभिन्न देशों के शोधार्थी एवं वैज्ञानिकों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ नृपेन्द्र सिंह ने कंट्रोल रिलीज सिस्टम फॉर अस्थमा ट्रीटमेंट विषयक शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अस्थमा दुनिया भर के लोगों के लिए एक क्रॉनिक डिजीज है और लगभग 333 मिलियन लोग इससे पीड़ित हैं हर साल के लाख पचास हजार पीड़ितों की मृत्यु हो जाती है।
उन्होंने कहा कि अस्थमा की उपलब्ध दवाओं का बहुत  साइड इफेक्ट है अगर इस दवा को कंट्रोल रिलीज सिस्टम में बदल दिया जाए तो दिन में एक ही बार लेना पड़ेगा।यह अधिक प्रभावी होगा और साइड इफेक्ट भी कम होगा।