Saturday 19 June 2021

कोरोना से खतरे में आई सामाजिक सुरक्षा- प्रो० राघवेन्द्र


वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में चल रही सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के छठें  दिन शनिवार को  कोविड के दौर में विकास संचार एवं सोशल मीडिया मार्केटिंग विषयक सत्रों का आयोजन किया गया।

इंदिरा गाँधी जनजातीय विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के पत्रकारिता विभाग के आचार्य डॉ० राघवेन्द्र मिश्र ने कोविड के दौर में विकास संचार विषय पर कहा कि आज कोरोना ने कई गंभीर समस्याओं को जन्म दिया है, बढतें अविश्वास  ने लोगों को अपुष्ट सूचनाओं पर भरोसा करने पर विवश  कर दिया है. आज विकास संचार की भूमिका इसी अविश्वास  को दूर करने की है.

उन्होंने कहा कि विकास के मानकों में खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा  पर और भी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. कोविड के आफ्टर इफेक्टस में  कई लोगों की सामाजिक सुरक्षा खतरे में आ गई है । नई मानसिक समस्याएं जन्म ले रही हैं । विकास संचार की अवधारणा में हमें इस बात का ध्यान रखना है कि महामारी के इस दौर में गलत और भ्रामक सूचनाएं प्रसारित न हो.

इसी क्रम में दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार सुरजीत दास गुप्ता ने सोशल मीडिया मार्केटिंग के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आज के दौर में डिजिटल मीडिया का पाठक ज्यादातर युवा वर्ग है, प्रोफेशनल है जिसके पास उतना धैर्य और समय नहीं है. ऐसे में ख़बरों की प्रस्तुति में बहुत ध्यान देना होगा.  उन्होंने डिजिटल मीडिया पर खबरों के प्रभावी प्रस्तुतीकरण की तकनीकों, एसईओ सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन को विस्तार से समझाया .

कार्यक्रम का संचालन डॉ अवध बिहारी सिंह, स्वागत संयोजक डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद् ज्ञापन डॉ० धर्मेन्द्र सिंह ने किया. तकनीकी सहयोग वीर बहादुर सिंह एवं राना सिंह ने किया.  इस अवसर पर प्रो मानस पाण्डेय, प्रो लता चौहान, डॉ राखी तिवारी, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ सुनील कुमार, डॉ अखिलेश चन्द्र, डॉ गीता सिंह, अभिषेक कटियार,डॉ पवन सिंह, डॉ बुशरा जाफरी समेत विभिन्न प्रदेशों के प्रतिभागी शामिल हुए .  

                                          सात दिवसीय कार्यशाला का रविवार को होगा समापन

सात दिवसीय कार्यशाला का समापन रविवार को होगा. संयोजक डॉ मनोज मिश्र ने बताया कि समापन सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय जनसंचार संस्थान,नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो० संजय द्विवेदी एवं विशिष्ठ अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा की जनसंचार विभाग की अध्यक्ष प्रो० बन्दना पाण्डेय है. अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० निर्मला एस० मौर्य करेंगीं.


Friday 18 June 2021

तकनीकी ने सबको डिजिटल प्लेटफार्म पर खड़ा किया : डॉ राजीव पंडा

    गीत के बिना जीवन का कोई मतलब नहीं: डॉ.उमेश पाठक  

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में चल रही कार्यशाला के पांचवें दिन सिनेमा के मूल आधार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवम् डिजिटल तकनीक विषय पर सत्रों का आयोजन किया गया।

महाराजा अग्रसेन प्रबंध अध्ययन संस्थान दिल्ली के जनसंचार विभाग के  एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उमेश पाठक ने कहा कि संगीत इंसान के लिए जरूरी है, इसके बिना जीवन का कोई मतलब नहीं है, इसलिए सिनेमा में संगीत को महत्व दिया जाता है। उन्होंने सिनेमा में कैमरा, लाइट, साउंड और एक्शन के विभिन्न पहलुओं पर बारिकी से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दक्षिण की फिल्मों में साउंड्स पर ज्यादा फोकस किया जाता है। शोले और दीवार फिल्म के शाट और डायलॉग दिखाकर उन्होंने साउंड और डायलॉग को स्पष्ट किया।

इसी क्रम में नयी दिल्ली एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार पंडा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल तकनीक विषय पर बात की।

कहा कि कोविड-19 ने टेक्नोलॉजी में बहुत बदलाव लाया है, सबको डिजिटल प्लेटफार्म पर लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है। इसका ज्ञान जरूरी है‌। उन्होंने डिजिटल तकनीक के विविध आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि मोबाइल ने नागरिकों की आवाज को सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक स्तर तक पहुंचाया है. तथ्यों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में सोशल मीडिया के यूजर्स तेजी से बढ़ रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.दिग्विजय सिंह राठौर,स्वागत संयोजक डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर , प्रो मानस पांडेय,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ राखी तिवारी, डॉ कौशल पांडेय, डॉ हिमानी सिंह, डॉ सुनील गुप्त,डॉ रश्मि गौतम समेत विभिन्न प्रदेशों के प्रतिभागी मौजूद रहे।




Thursday 17 June 2021

महात्मा गांधी ने जनसंपर्क से सभी वर्गों को जोड़ा- डॉ स्मिति

डिजिटल युग में वेब पोर्टल पर निरंतर खबरों को देने का है दबाव - कुमार श्रीकांत

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में चल रही कार्यशाला के चौथे दिन जनसंपर्क के बदलते आयाम एवं डिजिटल दौर की पत्रकारिता, आवश्यकता एवं सावधानियां विषयक सत्रों का आयोजन किया गया। 
फकीर मोहन विश्वविद्यालय उड़ीसा के पत्रकारिता विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर स्मिति पाढ़ी ने जनसंपर्क के बदलते आयाम विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि जन संपर्क क्षेत्र में झूठ का स्थान नहीं है। सकारात्मक पहलुओं के साथ जनता से जुड़े और संस्थान की छवि के निर्माण में अपनी भूमिका अदा करें।
उन्होंने कहा कि देश में सांस्कृतिक विविधता  होने के बावजूद महात्मा गांधी ने अपनी तत्कालीन जनसंपर्क तकनीकी से सभी वर्गों को एक साथ जोड़ा। उनकी तकनीकी को आज विश्व के तमाम देश अपना कर जनमानस से जुड़ रहे है।
 उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया जनसंपर्क के उपकरण के रूप में तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है जनसंपर्क अधिकारियों को सोशल मीडिया पर आने वाली टिप्पणियों को विश्लेषित कर सुधार करना चाहिए। उन्होंने जनसंपर्क की आधुनिक तकनीकों पर भी विस्तार से चर्चा की।
इसी क्रम में दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार कुमार श्रीकांत ने डिजिटल दौर की पत्रकारिता पर कहा कि वेब पत्रकारों को पत्रकारिता की नीति, नियम और मापदंडों का पालन करना चाहिए. डिजिटल युग में वेब पोर्टल पर निरंतर खबरों देने का दबाव है ऐसे में और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे प्रिंट मीडिया के संस्थान 24 घंटे डिजिटल मीडिया पर सक्रिय हैं।
उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यम पर संदेशों को लिखते समय विशेष ध्यान देने की जरूरत है यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि वह जो लिख रहे हैं वह लोगों को कितना पसंद आएगा।
कार्यक्रम का संचालन डॉ सुनील कुमार,  स्वागत संयोजक डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ दिग्विजय सिंह राठौर  ने किया। इस अवसर पर प्रो संजीव भानावत, प्रो मानस पांडेय,डॉ विजय तिवारी, डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ हिमानी सिंह, डॉ सुनील गुप्त,डॉ रश्मि गुप्ता समेत विभिन्न प्रदेशों के प्रतिभागी मौजूद रहे।

Wednesday 16 June 2021

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही हारेगा कोरोना - डॉ निमिष

 डॉ० वीएस उपाध्याय ने कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी दी  

तीसरे दिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं स्वास्थ्य संचार पर हुई चर्चा

जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में चल रही कार्यशाला के तीसरे दिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं समाचार व स्वास्थ्य संचार विषय पर वक्ताओं ने संबोधित किया।
तृतीय सत्र में साइंस फिल्म फेस्टिवल एवं पब्लिकेशन डिविजन, विज्ञान प्रसार भारत सरकार के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ निमिष कपूर ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं समाचार विषय पर अपनी बात रखी। कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 ए एच में वर्णित है कि हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वह मानवतावाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा ज्ञानार्जन एवं सुधार की भावना का विकास करें। कोरोना महामारी के इस दौर में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बिना जीवन सहज नहीं हो पायेगा।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 में समाचार लेखन के लिए पत्रकारों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का आम जनमानस पर बहुत  प्रभाव पड़ता है। उन्होंने प्रगतिशील किसान पद्मश्री रामशरण वर्मा समेत अन्य लोगों पर पड़े अखबार के समाचारों के प्रभाव की विस्तार से चर्चा की। कहा कि एक खबर का शीर्षक लोगों के  जीवन को  बदल   सकता है।

कोविड और स्वास्थ्य संचार विषय पर आयोजित चतुर्थ सत्र में जनपद के चिकित्सक डॉ वीएस उपाध्याय ने कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाएं। वैक्सीन से एंटीबॉडी विकसित हो रही है और कोरोनावायरस से बचाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिरोधक क्षमता को हम विकसित करेंगे को तमाम रोगों से बच सकेंगे। प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए प्राणायाम के साथ ही साथ आयुर्वेदिक दवाओं को लेने की सलाह दी।  कहा कि चीनी, नमक और मैदे के स्थान पर गुड़, सेंधा नमक और मल्टीग्रेन आटे का प्रयोग करें।

अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक डॉ मनोज मिश्र  एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया। संचालन आयोजन सचिव डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। कार्यक्रम में प्रो मानस पांडेय, प्रो विक्रम देव, डॉक्टर सुभाष सिंह, डॉक्टर एनके सिंह, डॉ अजीत कपूर, डॉक्टर कमर अब्बास, डॉ जाफरी सैयद, मोहम्मद मुस्तफा, प्रो लता प्रोफेसर प्रवीण कुमार, डॉ उदय भगत, डॉ मधु वर्मा, डॉ दयानंद उपाध्याय, डॉ मनोहर लाल, शशि कांत यादव,  डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ चंदन सिंह समेत 21 राज्यों से प्रतिभागी शामिल हुए।

Tuesday 15 June 2021

फेक न्यूज के दुष्चक्र में फंसा है भारतः प्रो. मुकुल श्रीवास्तव

कोरोना काल में कॉरपोरेट घरानों ने रखा कर्मचारियों का ख्याल- डॉ आशिमा

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि में कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने किया फेक न्यूज से सावधान


जनसंचार विभाग एवं आइक्यूएसी सेल की ओर से आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने दो सत्रों में सोशल मीडिया के समाचारों का तथ्य सत्यापन एवं कोविड-19 में कारपोरेट कम्युनिकेशन विषय पर अपनी बात रखी। विशेषज्ञों ने इस दौरान फेक न्यूज पर चर्चा करते हुए इससे बचने के उपाय बताए।
बतौर विशेषज्ञ लखनऊ विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर मुकुल श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया के समाचारों का तथ्य सत्यापन विषय पर कहा कि सूचना के क्षेत्र में तकनीक ने जीवन को आसान किया है तो अराजकता की चुनौती भी खड़ी की है। सूचनाओं के संजाल के बीच फेक न्यूज की सबसे बड़ी चुनौती से देश और समाज को जूझना पड़ रहा है। भारत मिसइंफार्मेशन के दुष्चक्र में फंसा है। चूंकि अभी भारत के लोग इंटरनेट का प्रयोग करना सीख रहे हैं, इसलिए सही और गलत सूचनाओं की समझ विकसित करने की चुनौती कहीं ज्यादा बड़ी है।
प्रोफेसर  श्रीवास्तव ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से सबसे ज्यादा फेक न्यूज फैलती है। उन्होंने फेक न्यूज के कई उदाहरण बताते हुए कुछ हस्तियों के निधन की झूठी खबरों का जिक्र किया। तूफान के नाम पर टीवी चैनलों में दूसरे देशों की तस्वीरें भी प्रसारित करने का उन्होंने उदाहरण दिया। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने कहा कि आज फैक्ट चेकर्स के कारण सोशल मीडिया पर वायरल सही और गलत सूचनाओं की सत्यता पता चल जाती है।
प्रोफेसर मुकुल  ने वाट्सअप या अन्य किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिली सूचना की सत्यता जांचकर ही दूसरों को फारवर्ड करने की अपील की।
इसी क्रम में एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा पत्रकारिता विभाग की शिक्षिका डॉ आशिमा सिंह गुरेजा ने कोविड-19 और में कारपोरेट कम्युनिकेशन पर संवाद किया। कहा कि कोरोना काल में बहुत सारे कारपोरेट घरानों ने अपने कर्मचारियों का ध्यान रखा एवं  सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है। संस्था के विकास में कर्मचारियों एवं स्टेकहोल्डर की संतुष्टि का बड़ा योगदान होता है।
अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के संयोजक डॉ मनोज मिश्र ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया। आयोजन सचिव डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यशाला में  प्रोफ़ेसर मानस पांडेय, प्रो लता चौहान, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ चंदन सिंह, डॉ धर्मेंद्र सिंह, डॉ रश्मि गौतम, डॉ मधु वर्मा, डॉ रजनीश चतुर्वेदी, शिफाली आहूजा, डॉ अमित मिश्रा, वीर बहादुर सिंह, राना सिंह समेत तमाम लोगों ने प्रतिभाग किया।

Monday 14 June 2021

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि में सात दिवसीय कार्यशाला की हुई शुरुआत

 डिजिटल दौर में मीडिया के स्वरूप में दिखा क्रांतिकारी परिवर्तनः प्रो. केजी सुरेश


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चित प्रकोष्ठ की ओर से 'डिजिटल दौर में मीडिया का बहुआयामी स्वरूप' विषयक सात दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत  सोमवार को हुई। ऑनलाइन आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल, मध्य प्रदेश  के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने कहा कि डिजिटल की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिला है। आज चार साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग ऑनलाइन कनेक्ट हो रहे हैं। कल तक जिन बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाता था, उन्हें आज मोबाइल से सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

प्रोफेसर केजी सुरेश ने कोरोना काल से पत्रकारों को निराश न होने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि फिक्की ने मीडिया सेक्टर में 25 प्रतिशत का उछाल आने की संभावना जताई है। प्रोफेसर केजी सुरेश ने वर्तमान दौर में डिजिटल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता का हवाला देते हुए कहा कि आज 28 प्रतिशत विज्ञापन डिजिटल की तरफ जा रहे हैं, जबकि प्रिंट को सिर्फ 25 प्रतिशत विज्ञापन मिल रहा है।

बतौर विशिष्ट अतिथि जनसंचार केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर संजीव भानावत ने कहा कि आज छापाखानों से निकलकर पत्रकारिता मोबाइल में कैद हो चुकी है। कंटेंट का डिस्ट्रिब्यूशन तेजी से हो रहा है। डिजिटल दौर में पत्रकारिता मल्टीटास्किंग हो चुकी है। डिजिटल मीडिया में न स्पेस का संकट है न समय का। प्रोफेसर संजीव भानावत ने प्राचीन काल से लेकर वर्तमान दौर में मीडिया के विभिन्न माध्यमों पर चर्चा करते हुए महाभारत के संजय को पहला युद्ध संवाददाता बताया। उन्होंने कहा कि पहले नारद व संजय के पास जो ताकत थी, उसे आज डिजिटल माध्यम ने आम जनता को दी है। हर नई तकनीक कुछ नए खतरे को लेकर आती है, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। आज प्रिंट, इलेक्ट्रानिक सभी माध्यम मोबाइल में समा गए हैं।
कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि समय के साथ समाज की सोच बदलती है। बदलते युग के साथ जनसंचार में भी बदलाव आता है। कभी एक पन्ने से शुरू हुई पत्रकारिता आज डिजिटल माध्यम तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि समय की मांग के अनुरूप मीडिया का स्वरूप भी तेजी से बदल रहा है। आज इंटरनेट मीडिया के कारण अब मिनटों में पूरी दुनिया का हाल जान लेते हैं। कुलपति ने प्रिंट मीडिया की प्रासंगिकता हमेशा बरकरार रहने की भी बात कही।

अतिथियों का स्वागत आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चित प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रो मानस पांडेय एवं कार्यशाला की रूपरेखा एवं संचालन संयोजक डॉ मनोज मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया। सात दिवसीय कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यशाला में सह संयोजक डॉ धर्मेंद्र सिंह, प्रो राजेश शर्मा, प्रो राघवेंद्र मिश्र, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ चंदन सिंह, डॉ कौशल पांडेय, डॉ बुशरा जाफरी, डॉ प्रभा शर्मा, डॉ छोटेलाल, लता चौहान,डॉ सतीश जैसल, डॉ राधा ओझा, डॉ दयानंद उपाध्याय, डॉ विजय तिवारी,डॉ शशि कला यादव, वीर बहादुर सिंह  समेत देश के 21 राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग लिया।

Thursday 3 June 2021

पर्यावरण संरक्षण में जनभागीदारी महत्वपूर्ण : प्रो. रविशंकर

मुफ्त ऑक्सीजन के लिये पर्यावरण संरक्षण आवश्यक: प्रो. रविशंकर

विश्व पर्यावरण दिवस की  पूर्व संध्या पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग, रज्जू भइया संस्थान के तत्वावधान में "पर्यावरण संरक्षण : विश्लेषण एवं भविष्य की रणनीतियां" विषय पर वेबिनार  का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोo निर्मला एस मौर्य ने पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाओं को
आगे आने की अपील की। प्रो. मौर्य ने कहा कि  आज जब देश कोरोना  संकट से गुजर रहा है तब पर्यावरण संरक्षण व संतुलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रोo मौर्य ने विश्वविद्यालय के द्वारा इस दिशा में किये जा रहे कार्यों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आगामी 05 जून को विश्वविद्यालय परिसर में वृहद वृक्षारोपण किया जाएगा।

वेबिनार के मुख्य अतिथि के रूप में राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति प्रोo रविशंकर सिंह ने पर्यावरण व पारिस्थितिकी के विभिन्न आयामों पर चर्चा   की। प्रो सिंह के कहा कि इक्कीसवीं सदी में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर रहा है जिसके लिए हमारी सरकार तमाम प्रयास कर रही हैं । उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये जनमानस को आगे आना होगा और इसे अभियान बनाकर अपनी दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता है । जनजागरण व जनभागीदारी से ही पर्यावरण संरक्षण व  संवर्द्धन सुनिश्चित किया जा सकेगा एवं हम भावी पीढ़ीयों को बेहतर भविष्य दे पाएंगे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ कमलेश कुमार सिंह, अपर महानिदेशक, भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली ने पर्यावरण की वर्तमान चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ सिंह ने पर्यावरण असंतुलन के कारण उत्पन्न विभिन्न प्राकृतिक प्रभावों एवं आपदा पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु परिवर्तन तथा मौसम विज्ञान के अध्ययन का कृषि एवं दैनिक जीवन मे उपयोग की महत्ता बताया।  डॉ सिंह ने ग्रीनहाउस गैस के बढ़ते विपरीत प्रभाव के बारे में चर्चा की । उन्होंने बढ़ती जनसंख्या के कारण अत्यधिक अन्न उत्पादन हेतु अंधाधुंध खाद व कीटनाशकों को भी पारिस्थितिकीय असंतुलन के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि हम अपने मुनाफे के लिए प्रकृति व पर्यावरण को नजरअंदाज कर रहे हैं जो बेहद चिंता की बात है। उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय व भारत सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन व मानसून के  क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों व विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

वेबिनार का संचालन डॉ. नीरज अवस्थी ने किया व अथितियों का स्वागत संस्थान के निदेशक प्रो. देवराज सिंह ने किया। भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. श्याम कन्हैया सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। तकनीकी सहयोग डा. शशिकांत यादव व अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डा. श्रवण कुमार ने किया। इस अवसर पर रज्जू भैया संस्थान के समस्त शिक्षक सहित विश्वविद्यालय के सभी आचार्यगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर भारी संख्या में शोधार्थी व छात्र छात्राओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराईं।