Wednesday 25 August 2021

संस्कृत जन -जन की भाषा : आचार्य सुरेशचंद्र द्विवेद्वी--भाषा नष्ट नहीं होती बल्कि उसका रूप बदलता है : कुलपति




                                                  पीयू में संस्कृत भाषा का महत्व पर हुई संगोष्ठी


  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर के कुलपति सभागार में बुधवार को संस्कृत सप्ताह महोत्सव के उपलक्ष्य में संस्कृत भाषा का महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। यह आयोजन भारतीय भाषा संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ जनसंचार विभाग तथा  महिला अध्ययन केंद्र और द्वारा किया गया।

इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि श्री कल्पेश्वर नाथ संस्कृत महाविद्यालय जनेवरा के प्राचार्य आचार्य सुरेश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज भारत के लिए गौरव का दिन है कि हम लोग संस्कृति और संस्कृत के लिए इकट्ठा हुए हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत जन जन की भाषा है। महर्षि पाणिनि, पातंजलि, कात्यायन ने कम शब्दों में ध्वनि से संस्कृत के शब्दों की संरचना की। उन्होंने कहा कि संस्कृत समृद्ध भाषा है सभी भाषाओं ‌ने संस्कृत भाषा से उधार लिया है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी मातृ से मदर और पितृ से फादर शब्द का‌ निर्माण संस्कृत  से ही किया गया। धारा‌नगरी में राजा भोज ने कहा कि मेरी नगरी में संस्कृत जानने वाले ही रहेंगे। उनकी नगरी में चांडाल और जुलाहे भी संस्कृत में बोलते थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत संस्कृति का पर्याय है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य‌ ने कहा कि संस्कृत देव भाषा है। हमारे जितने भी धार्मिक ग्रंथ वेद महापुराण उपनिषद हैं वह सभी संस्कृत में ही है। नई शिक्षा नीति में भी निज भाषा और पुरानी भाषा को महत्व दिया गया है ताकि इसे संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि भाषा का रूप बदलता है वह नष्ट नहीं होती।

इसके पूर्व मंचासीन अतिथियों का स्वागत और विषय प्रवर्तन प्रो. अजय द्विवेदी ने कहा कि सभी भाषाओं का मूल संस्कृत हैं।

मंगलाचरण छात्रा छाया त्रिपाठी गायत्री मंत्र का पाठ और गुरु वंदना शशिकांत त्रिपाठी और त्रिभुवन नाथ पांडेय, संचालन सहायक कुलसचिव बबीता जी  और‌ धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर मानस पांडेय ने किया।

इस अवसर  पर  वित्त अधिकारी संजय राय, परीक्षा नियंत्रक वी एन सिंह, उप सहायक कुलसचिव वीरेंद्र कुमार मौर्य, सहायक कुलसचिव अमृत लाल, प्रो. वंदना राय, प्रो. अविनाश पार्थीडेकर, प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. एके श्रीवास्तव, प्रो.रामनारायण, प्रो. देवराज सिंह, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, एन एस एस समन्वयक डॉ. राकेश यादव, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. मनीष गुप्ता, डॉ. आलोक सिंह, डॉ. मुराद अली, डॉ गिरधर मिश्र, डॉ. सुनील कुमार,‌ डा.संजीव गंगवार, डॉ. रजनीश भास्कर, डा. मनोज पांडेय, अमित वत्स आदि ने विचार व्यक्त किए।

Monday 16 August 2021

महिलाओं का आत्मनिर्भर होना समाज के लिए जरूरी: सीमा द्विवेद्वी

हिलाओं का सशक्तिकरण समय की मांग: प्रो निर्मला एस. मौर्य

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र के द्वारा पूर्वांचल सावन महोत्सव का आयोजन मुक्तांगन परिसर में सोमवार को किया गया । इस महोत्सव में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने अपने द्वारा बनाए विभिन्न उत्पाद जैसे राखी, आचार मिठाइयाँ, अगरबत्ती और कालीन का प्रदर्शन किया।
महोत्सव की मुख्य अतिथि राज्यसभा की सांसद श्रीमती सीमा द्विवेदी ने महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए  कहा कि इस तरह के कार्यक्रम महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। विश्वविद्यालय की कुलपति महोदय का यह प्रयास महिलाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।  इस अवसर पर महोत्सव को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय की  कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि महिला अध्ययन केंद्र के माध्यम से विश्वविद्यालय इस तरह कई कार्यक्रम करा चुका है जो महिलाओं को सशक्त बनाने तथा आत्मनिर्भर करने की दिशा में सार्थक प्रयास रहा है। उन्होंने कहा कि आधी आबादी की भागीदारी के बिना समाज का समुचित व सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव महेन्द्र कुमार वित्त अधिकारी श्री संजय कुमार राय परीक्षा नियंत्रक बीएन सिंह, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर अजय द्विवेदी, प्रो. देवराज सिंह, डॉक्टर प्रमोद कुमार यादव, डॉ प्रमोद कुमार, डॉक्टर मनोज मिश्रा, डॉक्टर मनीष कुमार, डॉक्टर संतोष कुमार, डॉ राजकुमार वह अन्य शिक्षक तथा आसपास की लोग महोत्सव में उपस्थित रहे। महिला केंद्र की प्रभारी डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ नितेश जायसवाल व वनीता सिंह ने किया । इस अवसर पर लोक गीत कजरी का भी गायन हुआ तथा छात्राओं के द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी प्रस्तुतीकरण हुआ l

Saturday 14 August 2021

एक शाम आज़ादी के नाम -आज़ादी का अमृत वर्ष समारोह



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता कार्यालय, भारतीय भाषा, कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ,जनसंचार विभाग  तथा राष्ट्रीय सेवा योजना के सहयोग से देश की आज़ादी के 75वीं वर्षगांठ पर आज़ादी का अमृत वर्ष समारोह का ऑनलाइन आयोजन रविवार की देर शाम किया गया। एक शाम आज़ादी के नाम विषयक इस सांस्कृतिक संध्या में लोक भावना में व्यक्त आज़ादी की भावना पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता करती हुई विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर डॉ निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत, स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत और नए विचारों- नए संकल्पो का अमृत है। आज हमें अपने अतीत के संघर्षों को याद कर नए सृजन का संकल्प लेना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र अपने ज्ञात -अज्ञात समस्त आदरणीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति सदा कृतज्ञ है जिनकी बदौलत आज हम स्वतंत्र भारत मे हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी बहु चर्चित रचना " जिंदगी धूप का एक टुकड़ा है" को भी सुनाया। समारोह के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य एवं गीतकार डॉ. दुर्गेश उपाध्याय के द्वारा राष्ट्रभक्ति आधारित गीत "जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा", बिदेसिया धुन पर आधारित "धरती कै सरग, सुघर भूमि भारत कै, देखि देखि मनवाँ लोभाय मोरे मितवा" एवं रचनाकार - पं. हरिराम द्विवेदी जी द्वारा रचित कजरी "श्याम जसुदा कै अंगने बकौवां चलैं, कभी पउवाँ पउवाँ चलैं ना" की प्रस्तुति दी गई। समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात लोकगायक एवं श्री चण्डी मन्दिर रामस्वरूप गुप्त आदर्श संस्कृत महाविद्यालय राजाबाजार जौनपुर के प्राध्यापक डॉ सत्यनाथ पाण्डेय ने इस अवसर पर आम लोकजीवन में व्यक्त आजादी के रंग पर महात्मा गांधी जी पर केंद्रित अपनी प्रसिद्ध कजरी "रंगरेजवा भइया छापि दे चुनरिया रे, अचरवा गाँधी बाबा जी रहे", शहीदों के नाम देशभक्ति गीत"देश भारत की शुचिता हैं कैसी, ये शहीदी कहानी से पूछो" और लोकधुन की मशहूर कजरी "गोरे रंग सोहे अंग पे भुजंग, तरंग गंग जटा जूट में" सुना कर प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज़ादी के नाम एक शाम को समर्पित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम के संयोजक एवं छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो अजय द्विवेदी और धन्यवाद ज्ञापन सह-समन्वयक डॉ मनोज मिश्र ने किया। समारोह का संचालन आयोजन सचिव डॉ मनोज कुमार पाण्डेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर एनएसएस समन्वयक डॉ राकेश यादव, प्रो वंदना राय, आचार्य विक्रमदेव,डॉ प्रमोद कुमार यादव, आयोजन सचिव अन्नू त्यागी, प्रो देवराज सिंह,डॉ संजीव गंगवार, डॉ पुनीत धवन,डॉ गिरिधर मिश्र, डॉ रजनीश भास्कर, डॉ सौरभ पाल, डॉ प्रवीण सिंह सहित शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Monday 2 August 2021

समग्र शिक्षा समय की मांग- प्रो राजेश

 

बहुआयामी और समग्र शिक्षा विषय पर हुई चर्चा

जौनपुर। नई शिक्षा नीति 2020 के एक  वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रस्तावित आठ दिवसीय वेबिनार श्रृंखला के अंतर्गत सोमवार को वीर  बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा बहुआयामी और समग्र शिक्षा विषय पर वेबिनार का आयोजन  किया गया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय देहरादून के स्कूल ऑफ बिजनेस  के मीडिया एवं जनसंपर्क  के संयोजक  डॉ. राजेश त्रिपाठी ने कहा कि समग्र शिक्षा  आज के समय की मांग है। आज के बाजारवाद और उपभोक्तावाद के समय में व्यक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि उसे सर्वविद्या का ज्ञान हो।जिस तरह से समय बदल रहा है और नई तकनीकी प्रभावी हो रही है उसके अनुसार आज के दौर में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां और  संस्थान अपने कर्मियों से समग्र कौशल यानि मल्टी टास्किंग की अपेक्षा रखती हैं। इसे देखकर कहा जा सकता है कि समग्र शिक्षा आज की आवश्यकता  है। आज इस बात की भी जरूरत है। शिक्षण संस्थानों में या  आप तकनीक क्षेत्र से हों तो भी आपको संचार कौशल एवं व्यवहारिक ज्ञान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी हम समग्र ज्ञान की बात करते हैं तो हम अपने पुरातन आदर्शों को देखते हैं । हम जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओं में महारथ रखते थे। श्रीमद्भागवत गीता से भी यह सिद्ध होता है कि भगवान कृष्ण को जीवन के सभी व्यावहारिक क्षेत्रों का ज्ञान था। हमारे प्राचीन विश्वविद्यालय तक्षशिला नालंदा कहीं न कहीं समग्र ज्ञान दक्षता पर ही ध्यान देते थे।इसलिए नई राष्टीय शिक्षा नीति में भी समग्र शिक्षा की बात की गई है। 

उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक ऐसे कम्यूनिटी कारीडोर की बात की गई है जिसमें छात्रों को भाषा पाठयक्रम आदि की बाध्यताओं से मुक्त होकर रूचि अनुसार विषय चुनने की आजादी दी गई है। पूर्ववर्ती शिक्षा प्रणाली पर डिग्री होल्डर्स के रूप में बेरोजगारों की फौज तैयार करने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसी बात को दूर करने का प्रयास किया गया है कि सिर्फ डिग्री होल्डर्स ही न तैयार हों बल्कि वे अपनी रूचि के अनुसार कौशल विकास कर रोजगार भी प्राप्त कर सकें। हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में ज्ञान व दक्षता कौशल की बात की गई है जिसके दूरगामी परिणाम बहुत अच्छे होने वाले हैं।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत एवं संचालन  जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने किया।धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार तथा तकनीकी संयोजन मनोज लीला भट्ट द्वारा किया गया।इस अवसर पर प्रो मानस पांडेय,प्रो देवराज,आचार्य विक्रमदेव, डॉ राकेश यादव,डॉ प्रदीप कुमार,डॉ प्रमोद यादव,डॉ गिरिधर मिश्र,डॉ पुनीत धवन,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ सुनील कुमार,डॉ चंदन सिंह,डॉ संजीव गंगवार,डॉ तरुणा गौड़,डॉ संतोष पांडेय सहित प्रतिभागी उपस्थित रहे।