विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा संकाय भवन में आयोजित गोष्ठी "सामाजिक सरोकार एवं ब्लागिंग " को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. सुन्दरलाल जी ने कहा कि आज मानवीय मूल्य तिरोहित होते जा रहे हैं. एक ऐसा दौर चल पड़ा है जहा रिश्ते नाते टूटने के कगार पर हैं .परिवारी जनों से,पड़ोसी से,नात-रिश्तेदारों से,समाज से -हम अलग हो रहे हैं.हमें आज दर्द का एहसास नहीं होता.आज बड़ा-से बड़ा कोई हादसा हमें हादसा नही लगता.ऐसा लगता है हम यंत्रवत हो चले हैं.ऐसे में ब्लॉग के माध्यम से जो हम अपने भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं उनमें नैतिक मूल्यों को बनाये रखने वाले विषयों पर चर्चा की जानी चाहिए..हाल ही में समाचार पत्रों में एक गरीब लडकी द्वारा अपनेँ पारिवारिक हालात के चलते आत्महत्या करने वाले विषय को बहुत ही पीड़ा-दायक बताते हुए उन्होंने कहा कि उस लडकी नें अपनेँ सुसाइड नोट में अपनेँ पिता और भाई की खराब किडनी का हवाला देते हुए अपनी मृत्यु पश्चात अपनी किडनी पिता और भाई को देने की अपील की थी.उन्होंने कहा कि आज समाज में ऐसे हालात क्यों है,इसके लिए बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा.लेखनी के माध्यम से ही सही हमें अपनेँ मानवीय रिश्तों को पुनः जीवित करना होगा वर्ना आने वाली पीढी हमें कभी माफ़ नहीं कर पायेगी.साथ ही उन्होंने जनसंचार के विद्यार्थियों से अपील क़ी कि मीडिया संस्थान में काम करते समय बहुत से प्रलोभनों और दबाव का सामना करना होता हैं.ऐसी स्थिति में ईमानदारी का कभी साथ नहीं छोड़ना चाहिए. जो दिखे वही लिखें .लिखी गयी छोटी- छोटी बातें हमारे समाज को प्रभावित करती हैं ऐसे में जनभावनाओं के अनुरूप और जनभावना में नैतिक मूल्यों को स्थापित करनें के लिए कार्य करने की जरूरत है .उन्होंने गांधी जी विचारों का स्मरण दिलाते हुए कहा कि आज लेखन में उनकी सोच और दर्शन की बहुत आवश्यकता है.
गोष्ठी के मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश विधानसभा के संपादक अरुणेन्द्र चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि आज ब्लागिंग पत्रकारिता का लघु रूप लेता जा रहा हैं. ऐसे में ब्लॉग लेखन से जुड़े लोगों की और भी जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं. आज चिट्ठाकारों को नैतिक मूल्यों को प्ररित करने वाले विषयों पर लेखन करना चाहिए. विभिन्न सामाजिक मान्यताओं को समेटे हुए अपने इस देश में लेखन,नैतिक मूल्यों को बचाए रखने के लिए होना चाहिए.उन्होंने कहा आज ब्लॉग जगत का भी इस्तेमाल कतिपय लोग अपनेँ हित साधने के लिए कर रहे है.त्वरित पत्रकारिता के समय में हमें जन भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.
डीन छात्र कल्याण प्रो .राम जी लाल ने कहा कि सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वंहन करने के लिए अब ब्लॉग-जगत को सक्रिय योगदान देना होगा.उन्होंने कहा कि ब्लॉग पर कुछ चिट्ठाकारों की पोस्ट पढ़ कर जहाँ एक ओर ज्ञानार्जन होता है तो दूसरी ओर मन खुश हो जाता है कि लोग सामाजिक सरोकार की दिशा में सक्रिय हैं. डीन डॉ अजय प्रताप सिंह ने कहा कि ब्लॉग लेखन आज बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा हैं ऐसे में ये ध्यान देने वाली बात हैं कि हम क्या लिख रहे हैं.आज हमें ब्लॉग अपनी बात कहने के लिए शक्तिशाली माध्यम मिला हैं यदि हम इसका प्रयोग सामाजिक उत्थान के लिए करें तो इसका उद्देश्य सार्थक होगा.गोष्ठी में विभाग के प्राध्यापक डॉ मनोज मिश्र ,डॉ अवध बिहारी सिंह और दिग्विजय सिंह राठौर ने भी अपनेँ विचारों को प्रस्तुत किया.
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