वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में बुधवार को आयोजित संगोष्ठी 'वर्तमान संदर्भो में गांधी की प्रासंगिकता' की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो.सुन्दरलाल ने कहा कि
हर व्यक्ति गांधी बन सकता है। बशर्ते उनके बताए रास्ते पर चलते हुए अपनी जरूरतों को सीमित रखे। उन्होंने कहा कि गांधी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी दिलाई। गांधी के विचार आज और भी प्रासंगिक हो चले हैं . उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी के दर्शन,जीवन-मूल्य एवं कर्म की प्रेरणा लेकर इस देश में लाखों गांधी पैदा हुए जिन्होनें अपनें गांव-समाज के लिए कुछ न कुछ अवश्य किया.उन्होंने कहा कि गांधी बनना बहुत आसान है बस मनसा-वाचा-कर्मणा सत्यवादी होने की जरूरत है.
संगोष्ठी के वक्ता ,टीडी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा.अरुण कुमार सिंह ने कहा कि गांधी के विचार सत्य और अहिंसा के बीच घूम रहे थे। गांधी जी धार्मिक थे, मगर वे धर्म का अर्थ नैतिकता से लगाते थे। श्री सिंह ने कहा कि धर्म ग्रन्थ बुद्धि और नैतिकता से परे नहीं हो सकते। गांधी राजनीति में धर्म के समन्वय के पक्षधर थे।
गांधीवादी विचारक और संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो.प्रमोद पाण्डेय ने कहा कि गांधी के विचारों के बिना देश में कोई सिस्टम नहीं चल सकता। अफ्रीका में भारतीय होने के नाते अंग्रेजों से जो नफरत व घृणा मिली, जिस पर उन्होंने अपने देश में आकर आजादी का बिगुल फूंका। उन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाई। हालांकि रवीन्द्र नाथ ठाकुर जैसे कुछ सहयोगियों ने उनके विचारों से असहमति भी जताई। गांधी ने देश के गरीबों व दलितों के मनोविज्ञान को पहचाना था। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता आज भी है और कल भी रहेगी।
संगोष्ठी का सञ्चालन डा.पंकज सिंह द्वारा किया गया. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो.रामजी लाल नें उपस्थित सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया.इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक गण,प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारीगण सहित समस्त विद्यार्थी उपस्थित थे.
हर व्यक्ति गांधी बन सकता है। बशर्ते उनके बताए रास्ते पर चलते हुए अपनी जरूरतों को सीमित रखे। उन्होंने कहा कि गांधी ने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी दिलाई। गांधी के विचार आज और भी प्रासंगिक हो चले हैं . उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जी के दर्शन,जीवन-मूल्य एवं कर्म की प्रेरणा लेकर इस देश में लाखों गांधी पैदा हुए जिन्होनें अपनें गांव-समाज के लिए कुछ न कुछ अवश्य किया.उन्होंने कहा कि गांधी बनना बहुत आसान है बस मनसा-वाचा-कर्मणा सत्यवादी होने की जरूरत है.
संगोष्टी के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा.प्रेमचंद पातंजलि ने चिंता जताते हुए कहा कि मौजूदा समय में भ्रष्टाचार लोगों की जीवन शैली में शुमार हो गया है। बगैर इसके निवारण के देश और समाज का विकास बाधित है। गांधी जी के हर दर्शन में समस्याओं का समाधान छिपा है। उन्होंने कहा कि मुद्दे शाश्वत हैं। मगर समाधान बदल दिए गए हैं। महात्मा गांधी के बाद से देश में कोई रोल माडल नहीं है।
संगोष्ठी के वक्ता ,टीडी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा.अरुण कुमार सिंह ने कहा कि गांधी के विचार सत्य और अहिंसा के बीच घूम रहे थे। गांधी जी धार्मिक थे, मगर वे धर्म का अर्थ नैतिकता से लगाते थे। श्री सिंह ने कहा कि धर्म ग्रन्थ बुद्धि और नैतिकता से परे नहीं हो सकते। गांधी राजनीति में धर्म के समन्वय के पक्षधर थे।
गांधीवादी विचारक और संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रो.प्रमोद पाण्डेय ने कहा कि गांधी के विचारों के बिना देश में कोई सिस्टम नहीं चल सकता। अफ्रीका में भारतीय होने के नाते अंग्रेजों से जो नफरत व घृणा मिली, जिस पर उन्होंने अपने देश में आकर आजादी का बिगुल फूंका। उन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाई। हालांकि रवीन्द्र नाथ ठाकुर जैसे कुछ सहयोगियों ने उनके विचारों से असहमति भी जताई। गांधी ने देश के गरीबों व दलितों के मनोविज्ञान को पहचाना था। उन्होंने कहा कि गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता आज भी है और कल भी रहेगी।
संगोष्ठी का सञ्चालन डा.पंकज सिंह द्वारा किया गया. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो.रामजी लाल नें उपस्थित सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया.इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक गण,प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारीगण सहित समस्त विद्यार्थी उपस्थित थे.
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