सामाजिक सरोकार निभाने में गत वर्षों में विश्वविद्यालय का सक्रिय योगदान रहा है। अपने रजत जयंती वर्ष में विश्वविद्यालय जनपद और पूर्वांचल के ऐसे लोक संगीत कलाकारों को सम्मानित करेगा जो कि लोकसंगीत में महारत हासिल करने के बाद भी गुमनामी के दौर में हैं। जौनपुर का सांस्कृतिक अतीत बहुत स्वर्णिम रहा है, जिसकी विरासत को सहेजने के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से यह एक विनम्र प्रयास है। ऐसे गुमनाम लोक कलाकारों को सम्मानित कर विश्वविद्यालय अपनी पहचान देगा। जौनपुर क्षेत्र के आंचलिक लोकगीत जैसे-फगुआ,चैता,चहका,चैताल,उलारा,बेलवईया,कहरवा आदि संकलन तथा प्रसार के अभाव में लुप्तप्राय हो चले हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय इसी रजत जयंती वर्ष में स्थापित होने वाले अपने सामुदायिक रेडियो के जरिये लोकप्रिय बनाएगा और उनसे जुड़े कलाकारों को सम्मानित भी करेगा।
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