Thursday, 21 December 2017

दो परिवारों को जोड़ती है बेटियां


विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान के शोध एवं नवाचार केंद्र में बाल विवाह की रोकथाम, लिंग आधारित भेदभाव एवं हिंसा विषयक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन यूनिसेफ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित  हुआ। कार्यशाला में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेविकाओं को समाज को  लिंग भेद एवं महिला हिंसा के प्रति जागरुक करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। 
 उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि समन्वयक एनएसएस राकेश यादव ने कहा कि बेटियां समाज की रीढ़ है और दो परिवारों को जोड़ने का काम करती हैं। स्वस्थ समाज तभी बन सकता है जब स्त्रियों को सम्मान मिले। उन्होंने कहा कि समाज में लिंग असमानता व हिंसा को रोकने के लिए सबसे पहले हमें स्वयं जागरूक होना पड़ेगा। 
विशिष्ट अतिथि अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ अजय द्विवेदी ने कहा कि आज मानसिक परिवर्तन लाने की जरूरत है। बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाज से हटाने में युवा बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। 
इसी क्रम में कार्यक्रम अधिकारी डॉ रियाज अहमद ने महिला हिंसा, बाल अधिकार व लिंग भेदभाव के विविध आयामों पर अपनी बात रखी। 
अध्यक्षीय संबोधन में इंजीनियरिंग संकाय के अध्यक्ष डॉ ए के श्रीवास्तव ने कहा कि अगर हमारे अंदर एक अच्छा चरित्र विकसित होगा तो लिंग असमानता स्वयं समाप्त हो जाएगी। फॉर्मेसी संस्थान की शिक्षिका झांसी मिश्रा ने बाल विवाह व महिला सशक्तिकरण पर  अनुभवों को साझा करते हुए महिला के जीवन की मार्मिक कहानी सुनाई। प्रशिक्षण कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा अधिकारों एवं कानूनों की जानकारी दी। संयोजक कार्यक्रम अधिकारी डॉ विनय वर्मा ने संचालन किया। प्रशिक्षण कार्यशाला में  डॉ सुरजीत यादव,डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अमरेंद्र सिंह, डॉ आशीष गुप्ता, डॉ अलोक दास  समेत राष्ट्रीय सेवा योजना के  सेवक सेविकाएं उपस्थित रहे। 

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