Thursday 23 September 2021

दिनकर ने महाभारत को नए दृष्टिकोण से किया चित्रित - कुलपति प्रो निर्मला मौर्य

राष्ट्र कवि दिनकर की जयंती पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन 

जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में अनुवाद और उत्कृष्टता केंद्र जनसंचार विभाग, भारतीय भाषा संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ एवं सांस्कृतिक परिषद द्वारा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर नमन राष्ट्रकवि विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर  निर्मला एस मौर्य ने कहा कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्वतंत्रता के पूर्व क्रांतिकारी कवि थे और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि बने। उन्होंने कहा कि अपनी प्रतिष्ठित रचना रश्मिरथी में  दिनकर जी ने महाभारत की पूरी घटना को युगबोध के साथ जोड़ा और एक नए  दृष्टिकोण से चित्रित किया.
उन्होंने कहा कि कविता कवि की मानस पुत्री होती है। दिनकर जी ने अपनी कविता के माध्यम से बड़े सरल शब्दों में विविध संदेश दिए हैं जो कि आज भी प्रासंगिक हैं। जयंती के अवसर पर रामधारी सिंह दिनकर को नमन करते हुए उन्होंने उनकी कविताओं का भी पाठ किया। रश्मिरथी की कविता जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है,हरि ने भीषण हुँकार किया, अपना स्वरूप विस्तार किया............. को बड़े मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया।
कुलसचिव महेंद्र कुमार ने कहा कि जन-जन में राष्ट्र भावना को जागृत करने में दिनकर जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
कार्यक्रम का संचालन संयोजक एवं  जनसंचार विभाग के अध्यक्ष  डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ रसिकेश ने किया। इस अवसर पर प्रो मानस पांडे, प्रो अविनाश पाथर्डीकर, प्रो राजेश शर्मा, प्रो वंदना राय, प्रो देवराज, प्रो राम नारायण, डॉ राजकुमार, डॉ प्रमोद यादव, सहायक कुलसचिव बबीता, डॉ गिरधर मिश्र डॉ एसपी तिवारी, डॉ श्याम कन्हैया सिंह, डॉ के एस तोमर, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ चंदन सिंह, डॉ पुनीत धवन,लक्ष्मी प्रसाद मौर्य, डॉ पीके कौशिक,रजनीश सिंह,अशोक सिंह,धीरज श्रीवास्तव समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे।

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