उन्होंने कहा कि अनुशासन किसी किताब से नहीं पढ़ा जाता, इसे तो एक शिक्षक को खुद के अंदर विकसित करना होगा।छात्र भी अपनेशिक्षक से काफी उम्मीद करता है। शिक्षक का नैतिक कर्तव्य हैकि वह छात्र का सही दिशा निर्देशन करके उसे योग्य बनाए। छात्र कीयोग्यता से ही शिक्षक की पहचान होती है। उन्होंने कहा कि हमसभी की शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके लिएसभी शिक्षकों को अपने सुझाव रखने का हक है। उस पर अमलकिया जाएगा। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में अनुदान के लिएप्रस्ताव भेज दिया गया है। परिसर में आदर्श शैक्षिक वातावरण की नींव पड़े यही हमारी प्राथमिकता होगी। अनुशासन को पढ़ने की नहीं बल्कि सीखने की जरूरत होती है। इसे शिक्षक के साथ हर छात्र को अपने भीतर विकसित करना होगा।
Friday, 20 July 2012
शिक्षकों को समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए ...
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