विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया भौतिकी विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान में बदलते परिवेश में उच्च की शिक्षा एवं चुनौतियां विषय पर मंगलवार को एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल हरियाणा के कुलपति डॉ श्रेयांश द्विवेदी ने कहा कि भारत अर्पण, समर्पण और तर्पण की भूमि है हम शिक्षा के क्षेत्र में अपने विद्यार्थियों को इससे दूर रख रहे हैं जिससे निराशाजनक परिणाम आ रहे हैं।आज रोजगार के पैकेज के चक्कर में उन्हें संस्कारविहीन शिक्षा की ओर धकेला जा रहा है जो समाज के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में हमें संस्कारयुक्त शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तकनीकी के क्षेत्र में हमें अपने परंपरागत विज्ञान को भी संजोए रखने की जरूरत है आज ऐसे शोध की आवश्यकता है जिससे विदेशों में हमारे देश के योगदान पर प्रकाश डाला जा सके।
कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय का मतलब विश्व के सभी विधाओं की एक जगह शिक्षा उपलब्ध कराने से है इन उद्देश्यों की पूर्ति भारत के नालंदा जैसे विश्वविद्यालय करते थे। बदलते दौर में विश्वविद्यालय को पूर्ण स्वायत्तता की आवश्यकता है जिससे वह शीघ्र पाठ्यक्रमों को मूर्त रूप दे सके।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अजय द्विवेदी ने कहा कि बेरोजगारी रोकने के लिए विद्यार्थियों में कौशल युक्त शिक्षा की जरूरत है।
संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद यादव ने अतिथियों का स्वागत किया। कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने डॉक्टर श्रेयांश द्विवेदी को कुलाधिपति राम नाईक की पुस्तक चरैवेति- चरैवेति एवं विश्वविद्यालय की पत्रिका गतिमान भेंट की।
इस अवसर पर प्रो के पी सिंह, प्रो ए के श्रीवास्तव, प्रो अजय प्रताप सिंह, डॉ राजकुमार, डॉ संतोष कुमार, डॉ सुनील कुमार, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अमरेंद्र सिंह, डॉ पुनीत धवन, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ गिरिधर मिश्र, डॉ नीरज अवस्थी समेत तमाम शिक्षक मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment