स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर विश्वविद्यालय में आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विश्वेश्वरैया सभागार में पद्म भूषण पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने कहा कि पूज्य स्वामी जी ने अपना पञ्च भौतिक शरीर त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए। उनके ब्रह्मलीन होने से आज परम्परागत धर्म संवाहक के रूप में एक अलौकिक युग का अंत हो गया है। उन्होंने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव भारत माता के अनन्य उपासक और निवृत्त जगद्गुरु शंकराचार्य रहे हैं। स्वामी जी के साथ अपने संस्मरणों को ताज़ा करते हुए उन्होंने कहा कि संत विश्व का कल्याण करता है। संत के स्मरण, आशीर्वाद तथा उनके आदर्शों पर चलकर हम जीवन में आशानुरूप चमत्कारिक परिणाम हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी जी आध्यात्मिक गुरु थे। बहुत कम आयु में आप महामंडलेश्वर और शंकराचार्य बने थे। सत्य सनातन धर्म को वैश्विक छवि देने और भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए आप ने शंकराचार्य से निवृत्त होकर हरिद्धार में भारत माता मंदिर की स्थापना की। उन्होंने कहा कि आप अवतारी संत थे । ऐसे महामानव धरती पर कम अवतरित होते हैं। श्रद्धांजलि सभा को विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ राजीव कुमार एवं प्रोफेसर विक्रमदेव ने भी संबोधित किया। सभा का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल , प्रो अजय द्विवेदी, डॉ प्रमोद कुमार यादव, डॉ के एस तोमर, डॉ राजकुमार,डॉ संतोष कुमार, डॉ जगदेव, डॉ पुनीत धवन,डॉ सुधीर कुमार उपाध्याय,डॉ एसपी तिवारी , डॉ शैलेश प्रजापति, डॉ महेंद्र यादव ,डॉ नितेश जायसवाल, डॉ संजय श्रीवास्तव, एमएम भट्ट, अनिल मौर्य,अशोक सिंह ,डॉ राजेश सिंह ,अरुण आदर्श सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment