विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा शनिवार को 21वीं सदी में मानव संसाधन प्रबंध के समक्ष
चुनौतियां विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव आवास एवं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि अर्थव्यवस्था में हो रहे परिवर्तन के कारण प्रबंध प्रक्रिया में भी बदलाव आया है। परिवर्तन के इस दौर में मानव संसाधन प्रबंधक चुनौतियां का सामना करते हुए बेहतर तरीके से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने सकल घरेलू उत्पादन, जनसंख्या लाभांश, भारत की युवा पीढ़ी एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव विकास प्रबंधन कौशल विकसित करने पर जोर दिया। श्री गोकर्ण ने उत्तर प्रदेश एवं देश में हो रहे आर्थिक बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश के आधारभूत ढांचे में तेजी से विकास हो रहा है उसका सकारात्मक असर उद्योगों एवं अन्य क्षेत्र पर भी पड़ा है।
विशिष्ठ अतिथि दून विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफेसर एस सी पुरोहित ने कहा कि 21वीं शताब्दी में चुनौतियों का सामना करने के लिए बुद्धिमता, संवेदना के साथ ही साथ आध्यात्मिक रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है। प्रबंधकों को कार्यस्थल पर साधारण कार्यों को भी प्रोफेशनल कौशल के साथ करना चाहिए। उन्होंने उद्योग जगत में वर्तमान में अपनाई जा रही मानव संसाधन नीतियों एवं योजनाओं को उदाहरण के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए छात्रों को सही दिशा में अपना योगदान देने का आह्वान किया।
विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर ने अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र का योगदान जीडीपी में 50% है जबकि उनकी भागीदारी 93% है असंगठित क्षेत्र के लोगों की क्षमता बढ़ाने के लिए शोध कार्य की आवश्यकता है। प्रोफेसर मानस पांडे ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ रसिकेश ने किया .इस अवसर पर प्रो अजय द्विवेदी, प्रो बीडी शर्मा, डॉ मुराद अली, डॉ मनोज मिश्र, डॉ सचिन अग्रवाल, डॉ आशुतोष सिंह,डॉ कमलेश पाल, अंजली मौर्या समेत विद्यार्थी गण मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment