Wednesday, 30 May 2018

पूर्वांचल विश्वविद्यालय में हिंदी पत्रकारिता और अंतरजाल विषयक परिचर्चा का आयोजन



जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।  हिंदी पत्रकारिता और अंतरजाल विषयक परिचर्चा में वक्ताओं ने  विभिन्न आयामों पर अपनी बात रखी।
जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर मनोज मिश्र ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता ने हमारे देश के आम आदमी को सदैव केंद्र बिंदु में रखा है। आज इंटरनेट ने हिंदी पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया है।  देश ही नहीं विदेशों में भी हिंदी के समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल ऑनलाइन सहज उपलब्ध है। उनकी प्रसार और पाठक  संख्या में  भी लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत में क्षेत्रीय वेब हिंदी पत्रकारिता का नया दौर चल रहा है। कम खर्च में बहुत सारे कर्मठ पत्रकार आम आदमी के मुद्दों को वैश्विक स्तर पर पहुंचा रहे हैं यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही आवश्यक और सुखद है।

जनसंचार विभाग के शिक्षक डॉ अवध बिहारी सिंह ने कहा कि 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ पहला हिंदी का समाचार पत्र उदंत मार्तंड आज भी हिंदी के पत्रकारों के लिए ऊर्जा का स्रोत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट ने हिंदी पत्रकारिता को मजबूती दी है वहीं रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध कराएं है।

प्रो राम नारायण ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता ने सदैव समाज की समस्याओं, जरूरतों को ध्यान में रखा है। आज लोगों के हाथों में मोबाइल है सोशल मीडिया है जिस पर नागरिक पत्रकारिता बड़े पैमाने पर की जा रही है। 

शिक्षक डॉ मनोज पांडेय 
ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता का ही असर है कि  आज देश ही नहीं दुनिया में भी हिंदी भाषा के प्रति लोगों का नज़रिया बदला है।  

शिक्षिका डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने कहा कि इंटरनेट के विस्तार ने आज के दौर में पाठक और दर्शकों को हिंदी के समाचार पत्रों से जोड़ें रखा है। हिंदी पत्रकारिता के माध्यम से लोगों की भावाभिव्यक्ति सरलता से व्यापक क्षेत्रों तक पहुंच रही  है। 

शिक्षिका अन्नू त्यागी ने कहा कि  तकनीकी के ज्ञान के बिना आज के समय में पत्रकारिता संभव नहीं है। खुशी की बात है कि  आज तकनीकी को सभी स्वीकार कर रहे हैं। बहुत सारे  पत्रकार ऐसे हैं जो दैनिक जीवन में भारी  दबाव में काम करते हैं। ऐसे में उन्हें बीच -बीच  में विश्राम  की जरूरतों पर भी संस्थान को सोचना चाहिए।  

शिक्षक डॉ ऋषि श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत बड़े अभाव के साथ हुई थी। बदलते वक्त के साथ  आज हिंदी समाचार पत्रों के पत्रकार हर तकनीकी से लैस है। 


परिचर्चा का संचालन शिक्षक डॉ अवध बिहारी सिंह ने किया। 
 

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