विश्वविद्यालय के संकाय भवन में सोमवार को सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों के लिए शोध प्रविधियां विषयक 10 दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। उक्त कार्यशाला भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की गई है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक एवं प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण ने कहा कि शोधार्थी बहुत उत्साहित होता है शोध में उत्साह के साथ समर्पण का होना भी बहुत जरूरी है। शोधार्थी को विषय का समग्र अध्ययन करना चाहिए । शोध समाज को प्रभावित करें यह सबसे महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि इंटरनेट के युग में ऑनलाइन सामग्रियों का शोध में दुरुपयोग बढ़ा है।
अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने कहा कि शोधार्थी के लिए शोध कार्य एक साधना है। शोधार्थी अपने परिश्रम से ज्ञान के समुद्र में एक बूँद डालता है। उन्होंने कहा कि देश और सामजिक जरूरतों के मुताबिक शोध होने चाहिए। यह कार्यशाला शोधार्थियों को एक नया नजरिया देगी।
इसी क्रम में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद के पर्वेक्षक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निजामुद्दीन ने कहा कि किसी भी देश के प्रगति की पहचान शोध से होती है। रीवा विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो आर एस सिंह ने वैज्ञानिक शोध प्रविधियों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम संयोजक प्रो अजय द्विवेदी ने कार्यशाला की रूपरेखा पर प्रकाश डाला एवं अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद् ज्ञापन डॉ आशुतोष सिंह एवं संचालन अन्नू त्यागी ने किया।
इस अवसर पर वित्त अधिकारी एम के सिंह, प्रोफेसर बीडी शर्मा, प्रोफेसर वंदना राय, प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर, सह संयोजक डॉ मनोज पांडेय, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, सुधीर उपाध्याय, डॉ जान्हवी श्रीवास्तव समेत प्रतिभागी मौजूद रहे।
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