Saturday 26 September 2020

विज्ञान के सकारात्मक प्रचार प्रसार ने कोविड की भयावहता को कम किया

प्रो० राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय  द्वारा शनिवार को हिंदी में विज्ञान संचार: आवश्यकता एवं चुनौतियां विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया।संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रही विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० निर्मला एस० मौर्य ने कहा कि वैज्ञानिक खोज को जनसामान्य तक पहुंचाने में मिडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रो मौर्य ने कहा कि आग व पहिया की खोज ने मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण निभाई। उन्होंने हिंदी में विज्ञान के प्रचार प्रसार पर बल दिया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो० डॉ० राजाराम यादव ने कहा कि जर्मनी, चीन, जापान जैसे कई देशों ने अपने राष्ट्रभाषा में विज्ञान व तकनीकी का प्रचार प्रसार किया, जिससे इन देशों ने विश्व में अपनी विज्ञान के क्षेत्र में पहचान बनाई। हिंदी में प्रकाशित होने वाली पत्रिकाएं जैसे विज्ञान, विज्ञान प्रगित आदि ने हिंदी में विज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण निभाई।विशिष्ट अतिथि सलाहकार व प्रमुख, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद, भारत सरकार के डॉ मनोज पटैरिया ने कहा कि वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के प्रथम अध्यक्ष डॉ. डी. एस. कोठारी के नेतृत्व में आयोग हिंदी भाषा में विज्ञान तथा शब्दावली के प्रसार में महत्वपूर्ण निभाई फिर भी वर्तमान में इस दिशा में काफी काम करने की जरूरत है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के विज्ञान प्रसार संस्थान द्व्रारा विज्ञान को जनसाधारण के मध्य लोकप्रिय बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे है। विज्ञान प्रसार कोरोना व कोविड के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में किया गया है।नेशनल सेंटर फॉर इनोवेशन इन डिस्टेंस एजुकेशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के निदेशक डॉ० ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में हिंदी भाषा मे विज्ञान शिक्षा व शोध की दिशा में बहुत प्रभावी काम करने की जरूरत है।  ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों के लिए विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए शोध सन्दर्भ को हिंदी भाषा में विकसित करने की जरूरत है।आमंत्रित व्याख्यान में वैज्ञानिक व संपादक, भारतीय अभियांत्रिकी एवं पदार्थ विज्ञान पत्रिका राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्त्रोत संस्थान के डॉ मेहर वान ने कहा कि प्राचीन समय में लोग लोकोक्तियों के माध्यम से विज्ञान और उसकी मान्यताओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाते थे। वर्तामन में संचार के आधुनिकतम माध्यम से विज्ञान को मातृभाषा में जनसामान्य तक पहुंच रहा है। डॉ. मेहरबान ने कहा विज्ञान के सकारात्मक प्रचार प्रसार ने कोविड को समझने और बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।वेबिनार में अतिथियों का स्वागत निदेशक प्रो देवराज सिंह ने किया। विषय प्रवर्तन संयोजक डॉ धीरेंद्र कुमार चौधरी एवं संचालन व आभार सह संयोजक डॉ नीतेश जायसवाल ने किया। इस अवसर पर डॉ बी बी तिवारी, डॉ मनोज मिश्र, डॉ प्रमोद यादव, डॉ गिरिधर मिश्रा, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ पुनीत धवन, डॉ शशिकांत यादव व अन्य शिक्षक उपस्थित रहे।

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