औरत अपने स्त्रित्व को पहचाने:डॉ वंदना
औरतों को खुद अपने विकास के लिए आगे आना होगा:तमन्ना फरीदी
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा विश्व महिला दिवस के अवसर पर समय की दहलीज पर औरत विषयक विमर्श का आयोजन संकाय भवन के कांफ्रेंस हाल में किया गया।विमर्श मे वक्ताओं ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर जम कर चर्चा की।
विमर्श मे बतौर मुख्य वक्ता लेखिका डॉ वंदना चौबे ने कहा कि आज औरत को दहलीज की जरुरत नहीं बल्कि महिलाओं के प्रति सोच बदलने की है।उन्होंने आह्वाहन किया कि औरत अपने स्त्रित्व को पहचाने।आज समाज यहाँ तक की परिवार महिला मुद्दों को नजरंदाज करता हैं यह ठीक बात नहीं है।औरतों को पूरा जीने का हक़ हैं।पुरुषों को पहरेदार नहीं सह यात्री बनना होगा तब जाकर परिवर्तन होगा।उन्होंने कहा कि औरतों की संख्या भले ही राजनीति मे बढ़ रही हो लेकिन अधिकांश जगहों पर सञ्चालन पुरुषों के हाथ मे रहता हैं।इससे मजबूती नहीं आ सकती।
बतौर विशिष्ट अतिथि लखनऊ की पत्रकार तमन्ना फरीदी ने कहा की हरदम पुरुषों का दोष दिया जाता है यह गलत है।भारतीय परंपरा मे महिलाओं को सदैव देवी के रूप मे पूजा जाता रहा हैं।औरतों को खुद अपने विकास के लिए आगे आना होगा किसी के साथ का इंतजार ना करें और संघर्ष करे।
अध्यक्षीय संबोधन मे कुलपति प्रो सुंदर लाल ने कहा कि हम महिलाओं का नाम पुरुषों के पहले लेते हैं राधे कृष्ण,उमा शंकर, सीता राम इसके उदहारण ने लेकिन कितना पग पग पर महिलाओं की उपेक्षा करते है यह सोचने वाली बात है।अगर कुछ करने का मन मे जज्बा हो तो आयु,धर्म, और पृष्ठभूमि आड़े नहीं आती।
संकायाध्यक्ष डॉ अजय प्रताप सिंह ने कहा कि महिलाओं का कौशल विकास कर उसकी मानसिक स्थिति को बढ़ा सकते है।आत्म निर्भरता उसको आगे ले जायेगी।टी डी कॉलेज की डॉ वंदना दुबे ने कहा कि आज की महिला जिस दहलीज पर है वहा तक पहुचने पर उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा है।
विमर्श के आयोजक कार्यक्रम समन्वयक डॉ एम हसीन खान ने राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से महिलाओं को मजबूती देने का विश्वास दिलाया।इसके साथ ही अतिथियों को धन्यवाद् ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ मनोज मिश्र ने किया।इस अवसर पर डॉ दिग्विजय सिंह राठौर,डॉ अवध बिहारी सिंह ,डॉ सुनील कुमार ,डॉ रुस्दा आज़मी,डॉ विनय वर्मा,डॉ अवधेश मौर्या,डॉ परमिला,डॉ मृणाली सिंह समेत तमाम छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
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