Tuesday, 30 January 2018

संत रविदास थे सामाजिक समरसता के अग्रदूत


 








विश्वविद्यालय में मंगलवार को संत रविदास जयंती की पूर्व संध्या पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने संत रविदास को सामाजिक समरसता का अग्रदूत बताया। जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि संत रविदास ज्ञानाश्रयी  शाखा के कर्मवादी  संत थे।  उन्होंने जाति न पूछो साधु की के अवधारणा पर अपने को समर्पित कर दिया।   उन्होंने भारतीय संस्कृति एवं समाज में पनप रहे कुरीतियों को समाप्त करने का हर स्तर पर प्रयास किया था।   इसी क्रम में डॉक्टर सुनील कुमार ने कहा कि संत रविदास अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को संदेश देते थे उनके विचारों से प्रभावित होकर हर वर्ग के लोग उनके भक्त थे। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता को बनाए रखने के लिए प्रभु कभी राम, श्याम और कभी रविदास बनकर धरती पर जन्म लेते हैं। डॉ एस पी तिवारी ने संत रविदास के कई संस्मरणों को सुनाया और कहा कि ऐसे महात्मा के आदर्शों से हमें सीख लेने की जरूरत है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अजय द्विवेदी ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि काशी में जन्मे संत रविदास के भक्त पूरे देश में फैले हुए हैं। आज के समय में संत रविदास के आदर्शों को आत्मसात कर हम समाज को एक सूत्र में रख सकते हैं।कार्यक्रम के संयोजक जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ अमरेंद्र सिंह, शुभांशु यादव, प्रभाकर,आशुतोष सिंह, संजय श्रीवास्तव  समेत विद्यार्थीगण मौजूद रहे। 

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