Monday 30 September 2019

राम कथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय का दूसरा दिन







विश्वविद्यालय के अवैद्यनाथ  संगोष्ठी भवन  में चल रही श्री राम कथा अमृत वर्षा के दूसरे दिन सोमवार को  कथावाचक आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि परिवार प्रेम, स्नेह, समझ, त्याग से चलता है। पत्नी को पति की मौन भाषा को समझना चाहिए। भगवान राम के हर भाव को माँ सीता समझ जाती थी। परिवार महिलाओं के सम्मान से आगे बढ़ता है. आचार्य शांतनु जी महाराज ने कहा कि राम,कथा,ब्रह्म,सगुन जिज्ञासा का विषय है,तर्क का नहीं।  ‌ उन्होंने कहा कि समाधि योग का विषय है और गोपियां समाधि का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि  सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा॥अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई॥ सगुण और निर्गुण में कुछ भी भेद नहीं है - मुनि, पुराण, पंडित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेम वश सगुण हो जाता है। उन्होंने कथा में शिव पार्वती के भी संवाद का बड़े रोचक ढंग से वर्णन किया।
व्यासपीठ का पूजन प्रो. ए.के. श्रीवास्तव, प्रो. बी बी तिवारी, डॉ. आलोक सिंह, डॉ. विजय प्रताप तिवारी, सत्येंद्र प्रताप सिंह, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर,डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ.सुनील कुमार, डॉ. मनोज पाण्डेय, डॉ. जान्हवी  श्रीवास्तव, अन्नू त्यागी, पी.के. कौशिक, श्याम त्रिपाठी, जगदंबा मिश्र, डॉ संजय श्रीवास्तव आदि ने किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव, कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल,  बी एन सिंह, परिक्षा नियंत्रक बी एन सिंह, दरबारी लाल यादव, प्रो अजय द्विवेदी, प्रो अजय प्रताप सिंह,प्रो मानस पांडेय, प्रो बी डी शर्मा, डॉ प्रमोद यादव, डॉ आशुतोष  राकेश यादव, डॉ उदय भान यादव, डॉ अनुराग मिश्र, रवि सिंह, आर के जैन समेत तमाम लोग मौजूद रहे। संचालन डॉ मनोज मिश्र ने किया।

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