Friday 25 February 2022

सभ्यता, संस्कृति और परंपरा का नाम है भाषाः प्रो. अविनाश पाथर्डीकर

माता और भाषा का कोई विकल्प नहीः दिलीप शुक्ला

मातृभाषा ज्ञान अर्जन और सेवा का सबसे सफल माध्यमः डा विपिन मिश्र

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर सात दिवसीय कार्यशाला का पांचवां दिन

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर एवं गुरु नानक कॉलेज स्वायत्तशासी चेन्नई के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को  सात दिवसीय ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के पांचवें दिन सातवें तकनीकी सत्र में प्रबंध अध्ययन में शिक्षण,  शोध एवं रोजगार सृजन में मातृभाषा की उपादेयता विषय पर व्याख्यान हुआ। इस अवसर पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रबंध अध्ययन संकाय के ‌संकायाध्यक्ष प्रो. अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि सभ्यता, संस्कृति और परंपरा का नाम ही भाषा है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देत हुए कहा कि हम जिस भाषा में सपने देखते है वहीं हमारी मातृभाषा है। वैश्वीकरण के दौर में कई बहुराष्ट्रीय कंपनिया जो भारत में व्यवसाय करतीं है वह कंपनियां भी अपने यहां की वैकेन्सी में हिन्दी को ही वरीयता दे रहे हैं। इसका कारण वह जानती है कि मातृभाषा में ही अपनत्व है। विशिष्ट अतिथि के रूप में आकाशवाणी समाचार के राज्य प्रमुख दिलीप शुक्ला ने कहा कि माता और भाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। शिक्षण संस्थाओं में भी भाषा की रूकावट दूर होनी चाहिए। अमेरिका जैसे देश विकसित इसलिए है कि वहां भाषा की विविधता है। प्रवासियों के योगदान से वह आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा के साथ सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए। भारतीय प्रशासनिक परीक्षाओं एवं सेवा में मातृभाषा की उपादेयता विषय पर अपर जिलाधिकारी लखनऊ वित्त एवं राजस्व ने डॉ विपिन कुमार मिश्र ने कहा कि मातृभाषा ज्ञान अर्जन और सेवा का सबसे सफल माध्यम है। हमारी प्रशासनिक सेवा में मातृभाषा की उपयोगिता है। एक प्रशासनिक अफसर जब सेवा में आता है तो उसे उन भाषाओं से रूबरू होना पड़ता है। परीक्षाओं में भी मातृभाषा की अनिवार्यता हो तभी राष्ट्र विकास कर सकता है। कार्यशाला डॉ. मनोज कुमार पांडेय और डॉ. डाली के संयोजकत्व में आयोजित है। संचालन मनोज पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ डॉली मौर्य ने किया।

इस अवसर पर  प्रो. वंदना राय,  प्रो. देवराज सिंह,  डॉ. मनोज मिश्र,  डॉ. रसिकेश, डॉ. सुनील कुमार,  चेतना सिंह चेतरी, श्याम सुंदर उपाध्याय, नीरू ठाकुर, सपन अस्थाना, गुड़िया चौधरी,   श्रीमती गुड़िया चौधरी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से रेखा वर्मा,  डॉ. विजय पाटिल संदीप कुमार, सुशील कुमार आदि ने प्रतिभाग किया।

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