इसरो के वैज्ञानिकों ने पूर्वांचल विश्वविद्यालय में की चर्चा
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के उमानाथ सिंह इंजीनियरिंग संस्थान के विश्वेश्वरैया सभागार में फैकल्टी डेवलपमेंट कार्यक्रम के दूसरे दिन इसरो के वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट के विभिन्न आयामों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। उन्होंने सैटलाइट के क्षेत्र में भारत की मजबूती को भी बताया। कार्यक्रम में बतौर वक्ता इस्ट्रैक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर एस के पांडे में उपग्रह संचार के अनोखे अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका के जीपीएस तंत्र के समानांतर हमारे वैज्ञानिकों ने गगन सिस्टम विकसित किया है। आज इसके माध्यम से हवाई यातायात, नेविगेशन, खोज, बचाव, आपदा प्रबंधन एवं टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।आने वाले समय में इसके और भी लाभ होंगे।
इसी क्रम में इसरो लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एस एन साहू ने आपदा प्रबंधन और सैटेलाइट एवं अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए एंटीना विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में सैटेलाइट काफी मददगार सिद्ध हो रहे हैं आज उपग्रह के माध्यम से ग्लेशियर का पिघलना, ग्लोबल तापमान का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है। इससे उपलब्ध हो रही सूचना से बड़े स्तर पर बचाव व पूर्व तैयारी संभव हो पाई है।उन्होंने कहा कि आने वाले समय में अलग किस्म के एंटीने के लिए काम चल रहा है।इन एन्टीनों के माध्यम से मंगल और चन्द्रमा से बेहतर सिग्नल प्राप्त किये जा सकेंगें। शिक्षकों ने इसरो के वैज्ञानिकों से उपग्रह संचार से जुड़े तमाम सवाल भी किये।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------
------------------------------------------------------------------------------------------------------------
उपग्रह संचार से हुई डिजिटल सेवाएं
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के उमानाथ सिंह इंजीनियर संस्थान के विश्वेश्वरैया सभागार में शुक्रवार को तकनीक शिक्षा उन्न्ययन कार्यक्रम तृतीय के अंतर्गत दो दिवसीय उपग्रह संचार पर फैकल्टी विकास कार्यक्रम का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में बतौर विशेषज्ञ इसरो लखनऊ के वैज्ञानिक डॉ डी के मिश्रा ने सैटेलाइट संचार के विविध आयामों का विस्तार से अपनी बात रखी ।उन्होंने कहा कि भारत ने उपग्रह संचार में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। प्रारंभ के दिनों भारतीयों ने एक ही उपग्रह से संचार, प्रसारण व मौसम की जानकारी प्राप्त की है। सैटेलाइट के कई क्षेत्रों में भारत अमेरिका से आगे है।उपग्रह संचार के कारण आज आसानी से डिजिटल सेवाएं उपलब्ध है। उन्होंने मून एवं मार्स मिशन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कार्यक्रम में समन्वयक प्रोफेसर बीबी तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर शैलेश प्रजापति, ज्योतिष सिंह, मनीषा यादव, प्रशांत सिंह, तुषार श्रीवास्तव ,प्रीति शर्मा समस्त शिक्षक विद्यार्थी मौजूद रहे।
No comments:
Post a Comment