बापू बाज़ार के माध्यम से विद्यार्थियों का अलग तरीके से विकास को रहा हैं जो कक्षा में नहीं हो सकता.इस माध्यम से वह समाज की वस्तुस्थिति को समझ पा रहे हैं.इसके साथ ही उनके व्यक्तिव में विकृतियाँ उत्पन्न नहीं होंगी जो हमें समाज में आज दिखती हैं. यह विचार वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुन्दर लाल जी के हैं जो डीसीएसके स्नातकोत्तर महाविद्यालय मऊ में २७ नवम्बर को लगे सातवें बापू बाज़ार में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे..
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय का काम बस इतना नहीं होना चाहिए कि परीक्षा ले और डिग्री देकर छात्रों को समाज में ढ़केल दी.आज महाविद्यालय व समाज के बीच की दूरी को पाटने का समय हैं.आज जो लोग इस परिसर में लगे बापू बाज़ार में खरीददारी करने आये हैं वो कभी सोच भी नहीं सकते थे कि इस महाविद्यालय में आयेगे उनके बेंच,कुर्सिया और दीवारों को स्पर्श करेगे.
उन्होंने आगे कहाकि आज समाज में एक तरफ बहुत सारे ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास ढेर सारी सामग्रियां अनुपयोगी पड़ी हैं। वहीं दूसरी तरफ बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जिनका जीवन उन वस्तुओं के अभाव में चल पाना कठिन है। इसी बिंदु को ध्यान में रख करके उन सामग्रियों को एकत्रित कर गरीबों को उपलब्ध कराने का निश्चय किया है। उनका प्रतीकात्मक मूल्य इसलिए रखा गया है ताकि गरीबों का मान सम्मान किसी प्रकार से आहत न हो और उनकी सहायता भी हो जाये.यहाँ से सामानों को खरीदने वाले गर्व से कह सकते हैं कि वो भीख मांग के नहीं लाये हैं बल्कि खरीदकर लाये हैं.
मानव और प्रकृति के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान तीनों की पूर्ति हमें प्रकृति से होती हैं.गाँधी जी ने कहा था प्रकृति से अपनी आवश्यकता भर ले और उसका तब तक प्रयोग करे जब तक उसका उपयोग हो सकता हैं.प्राकृतिक संसाधनों का पूरा प्रयोग हो इसलिए इस बाज़ार में इस्तेमालशुदा सामानों को लाया गया हैं.बापू बाजार के माध्यम से प्रकृति का सम्मान किया जा रहा .
नए ज़माने के माहौल पर उन्होंने कहा कि बहुत दुखद हैं कहाँ - कहाँ बम हैं हमें नहीं पता हैं असुरक्षा का भाव सबके मन में रहता हैं. बापू ने अहिंसा का शस्त्र दिया था. बापू की ये सोच हमारे बच्चों के विचार- व्यवहार में आये ये जरुरी हैं
शिक्षक संघ के डा. देवेंद्रनाथ सिंह ने कहा कि यह बाजार आज भी बापू की प्रासंगिकता को प्रमाणित करता हैं.इसके माध्यम से दरिद्रनारायण की सही मायने में सेवा हो रही हैं.प्राचार्य डा. शिवशंकर सिंह ने कहाकि बापू मेले का आयोजन गांधी दर्शन एवं सिद्घांत को साकार करने का एक उपक्रम है।प्रबंध समिति के सचिव गौरी शंकर खंडेलवाल ने कहा कि हम हर गरीब को तो इस बाजार के माध्यम से वस्तुएं तो मुहैया नहीं करा सकते लेकिन जो सन्देश इसमें हैं वो लोगों की सोच बदलने में बहुत कारगर हैं. एन एस एस समन्यवयक हितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अब तक बापू बाज़ार ने २५००० गरीबों को सामान उपलब्ध हो चुका हैं.यह पुनीत कार्य बिना एन एस एस की टीम के संभव नहीं हो पाता.कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि ने सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत के बाद डा. कमलेश राय ने गीत प्रस्तुत किया। इस बापू बाजार में मऊ के महाविद्यालयों की तरफ से स्टाल लगाए गए। |