Sunday 28 February 2016

युवा महोत्सव में पूविवि की टीम को 5 पुरस्कार

 वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय की टीम ने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 24 व 25 फरवरी को सम्पन्न हुये दो दिवसीय उत्तर प्रदेश राज्य अन्तर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव ‘संवेग’ में बेहतरीन प्रस्तुतियों के साथ पांच पुरस्कार प्राप्त किये।
विश्वविद्यालय की टीम में कुल 40 विद्यार्थियों ने साहित्यिक, संगीत, मंच कला, फाइन आर्ट एवं नृत्य प्रतियोगिताओं में भाग लिया। मंचकला श्रेणी की मूक अभिव्यक्ति में विश्वविद्यालय की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। भारतीय सेना के जीवन को मुकेश, विनय, विरेन्द्र, आदर्श, विशाल एवं पंकज ने मूक अभिव्यक्ति के माध्यम से प्रस्तुत किया। 
ज्योति, गोविन्द, मुअज्जम, एहसान, अब्दुल अहद, सौम्या एवं राहुल शुक्ला की टीम को नाटक प्रस्तुति में तृतीय स्थान मिला, साहित्यिक प्रतियोगिता काव्य पाठ में कामिनी मिश्रा को तृतीय, एकल गायन में प्रियम मिश्रा को द्वितीय, रंगोली में प्रियांशू को तृतीय स्थान मिला। टीम प्रबन्धक में डा. पूजा सक्सेना, विनय वर्मा, डा. विवेक पाण्डेय, डा. पार्थ सारथी दीक्षित एवं डा. अभिषेक सिन्हा शामिल थे।
आइबीएम भवन में शुक्रवार को विजयी प्रतिभागियों का विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने हौसला आफजाई की। प्रबन्ध अध्ययन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का मान विद्यार्थियों की बेहतरीन प्रस्तुतियों के कारण राज्य स्तर पर बढ़ा है। विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक परिषद विद्यार्थियों के व्यक्त्वि विकास के लिए निरंतर प्रयासरत रहेगा।
इस अवसर पर डा. मानस पाण्डेय, डा. अविनाश पाथर्डीकर, डा. सुरजीत यादव, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. आलोक सिंह, परमेन्द्र सिंह, अंशुमान समेत अन्य शिक्षकों ने भी विजेताओं को बधाई दी।

Tuesday 23 February 2016

युवा महोत्सव 2016

 पं. दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 24-25 फरवरी को उत्तर प्रदेश अंतरविश्वविद्यालयीय युवा महोत्सव 2016 का आयोजन किया जा रहा है। इस युवा महोत्सव में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 40 प्रतिभागी भाग ले रहे है। विश्वविद्यालय परिसर के विभिन्न संकायों में अध्ययनरत ये विद्यार्थी युवा महोत्सव के सांस्कृतिक गतिविधियों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। मंगलवार की दोपहर युवा महोत्सव में शामिल होने जा रहे विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर से हरी झंडी दिखाकर बस से रवाना किया गया। इस अवसर पर प्रो. बीबी तिवारी, डा. एचसी पुरोहित, डा. वीडी शर्मा, डा. विनय वर्मा, श्याम त्रिपाठी, इंद्रेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

Saturday 13 February 2016

उन्नीसवां दीक्षान्त समारोह 13 फरवरी, 2016


विश्वविद्यालय का उन्नीसवां दीक्षान्त समारोह 13 फरवरी, 2016 को बसन्त पंचमी के शुभ अवसर पर आयोजित किया गया। समारोह के अध्यक्ष प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल एवं मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल जी, मानद अति विशिष्ट प्रोफेसर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बेंगलुरू रहे। समारोह में 58 मेधावियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल जी, मानद अति विशिष्ट प्रोफेसर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बेंगलुरू ने कहा कि हम प्रतिवर्ष 10 लाख नौकरी पाने वाले इंजीनियर पैदा करते है न की दक्ष इंजीनियर। हम विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करने हेतु तैयार करते है, न कि इंजीनियरिंग उत्पाद हेतु।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से लार्ड मैकाले की व्यवस्था का उद्देश्य ब्रिटिश भारत में सरकारी कार्य में अच्छे बाबू तैयार करना था, उसी प्रकार हमारी वर्तमान इंजीनियरिंग शिक्षा बहुराष्ट्रीय कर्मियों के लिए अच्छे श्रमिक तैयार करती है। भारतीय इंजीनियर विदेशों में जाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि हम विदेशों में जाकर अच्छा काम और नाम दोनों करते है मगर अपने देश में हम सिर्फ हाशिए पर ही दिखाई देते है। इसके लिए हमारे देश का वातावरण जिम्मेदार है या हमारी मनोवृत्ति। इस बात पर चिंतन करना होगा।
प्रो. गोयल का मानना हैं कि आज हम तेजी से बदलते हुए विश्व का हिस्सा हैं। दस सालों में होने वाले विकास ने पूर्व के 100 सालों के विकास को पीछे छोड़ दिया है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियरिंग अद्भुत बदलाव ला रही है। मोबाइल, जीपीएस, इंटरनेट, तकनीकी परिवर्तन के सूचक है। इंजीनियरिंग व्यक्ति, समाज और मानवता के उन्नयन के लिए सूक्ष्म और वृहद दोनों स्तर पर प्रयासरत है। हमारे जीवन का कोई भी क्षेत्र इंजीनियरिंग से अछूता नहीं है।
कुलाधिपति के रूप में समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि समाज के निर्धन वर्ग के बच्चों को धन की समस्या का सामना करना पड़ता है। हमें यह ध्यान देने की जरूरत है कि धन के अभाव में कोई भी विद्यार्थी शिक्षा से वंचित न हो, इससे राष्ट्र का नुकसान होगा। मेधावी युवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था तब तक अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का दावा नहीं कर सकती जब तक वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी नहीं करती। पाठ्यक्रमों में एक दूरवर्ती कार्यक्रम शामिल करना लाभकारी होगा। इसमें समाज के उपेक्षित वर्गों और पड़ोसी समुदाय के साथ विद्यार्थियों को आपसी संवाद द्वारा जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दायित्व है कि वे देश की उच्च परम्पराओं के अनुरूप कार्य करें। सूचना प्रौद्योगिकी ने विश्व भर के लोगों को एक साथ जोड़ दिया है। शिक्षा की पहुंच का विस्तार करने और इसकी गुणवत्ता सुधारने के लिए हमें ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए सूचना और संचार माध्यमों की शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने उपाधिधारकों के लिए कहा कि आज जीवन का एक नया अध्याय प्रारम्भ कर रहे है, वास्तविक दुनिया में कदम रखते हुए सपनों को हकीकत में बदलने की चेष्टा कर रहे है। आपने सतत प्रयास एवं अध्ययन से एक महत्वपूर्ण मंजिल प्राप्त की है। दृढ़ निश्चय के साथ अपने परिवार समाज देश और मानवता के लिए जीवन को सार्थक बनाने की एक नई पहल करने का प्रायोजन करें।
बतौर कुलपति प्रो. डीडी दूबे ने कहा कि किसी भी शैक्षिक व्यवस्था में विश्वविद्यालय के संचालन के लिये आवश्यक है कि bottom-up approach अर्थात् आधारयुक्त नीति को अपनाते हुए कार्य संपादन किया जाय। भारत की परम्परागत शिक्षण प्रणाली में मातृभाषा हिन्दी, संस्कृत, गणित के साथ अंग्रेजी एवं वर्तमान में कम्प्यूटर शिक्षा को भी सामान्यतः समाहित किया गया है। इस आधारभूत शिक्षा प्रणाली को जीवन्त रखते हुए शिक्षा प्रणाली को अधिक सकारात्मक बनाने की आवश्यकता है, ताकि हमारे विद्यार्थी भूमण्डलीकरण के युग में अपनी mŸkjthfork (Survival) बनाये रखने में सफल हो सकें। समस्त शिक्षकों एवं विश्वविद्यालय को इस सम्बन्ध में आत्ममंथन करना होगा। सुदृढ़,  top-down approach से शीर्ष नेतृत्व, समय-समय पर दिशा निर्देश देते हुए नये मार्ग को प्रशस्त कर सकता है, ताकि परिवर्तन के प्रवाह के साथ-साथ नवयुवकों को अग्रसर किया जा सके।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विष्वविद्यालय द्वारा सत्र 2015-16 में NAAC-मूल्यांकन के सम्बन्ध में LOI की स्वीकृति के बाद सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (SSR) प्रेषित की जा चुकी है। पीयर टीम के आगमन हेतु तैयारी प्रगति पर है। गुणवत्ता के लिए पारदर्षिता अनिवार्य तत्व है। इस हेतु सत्र 2014-15 में विष्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों का AISHE पर पंजीकरण पूर्ण हो चुका है। सत्र 2015-16 में पंजीकरण का कार्य प्रगति पर है। विष्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2015 में प्रदान की जाने वाली समस्त पी-एच0डी0 उपाधियों के शोध-प्रबन्धों को विष्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित ’षोधगंगा’ कार्यक्रम पर पंजीकृत कराया गया है। विष्वविद्यालय की वेबसाईट को पुनः रेखांकित किया जा रहा है। परीक्षा के सम्बन्ध में विष्वविद्यालय एवं समस्त सम्बद्ध महाविद्यालयों से आॅनलाईन आवेदन पत्र लेने के उपरान्त आॅनलाईन प्रवेषपत्र एवं इलेक्ट्रानिक मार्कषीट के वितरण की व्यवस्था पूर्ण कर ली गयी है। विगत परीक्षाओं एवं पंजीकरण के समस्त आँकड़ों के लिये एक डाटा-सेन्टर स्थापित करने की व्यवस्था की जा रही है। पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों को डिजिटल करने हेतु कार्य निरन्तर प्रगति पर है। ई-पुस्तकालय की स्थापना की गयी है। विष्वविद्यालय परिसर में वर्चुअल क्लासरूम स्थापित करने हेतु एवं कान्फ्रेसिंग की सुविधा की प्रक्रिया प्रगति पर है। विष्वविद्यालय में आप्टिकल फाइबर का लोकल नेटवर्क समस्त प्रयोगषालाओं, कार्यालयों, कक्षाओं तथा छात्रावास के कमरों तक स्थापित है।
दीक्षान्त समारोह में सत्र 2014-2015 में विभिन्न विषयों के 58 सर्वोच्च अंक धारक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। इसके साथ ही दस संकायो के 339 शोधार्थियों को पी-एचडी. उपाधि प्रदान की गयी। इसके पूर्व मुख्य अतिथि, कुलपति द्वारा महात्मा गांधी एवं वीर बहादुर सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में ओपेन थिएटर मुक्तांगन एवं महिला छात्रावास के विस्तार यमनोत्री तथा ट्रांजिट हाॅस्टल-2 गंगोत्री का लोकार्पण मुख्य अतिथि ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डा. देवराज, वित्त अधिकारी एमके सिंह, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद सहित समस्त विधायी समितियों के सम्मानित सदस्यगण, पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद, पूर्व सांसद कमला प्रसाद सिंह, प्रबंधक अशोक सिंह, पूर्व प्राचार्य डा. राधेश्याम सिंह, डा. देवेश उपाध्याय, डा. राजीव सिंह, डा. सर्वानंद पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य डॉ लाल साहब सिंह ,डा. दुर्गा प्रसाद अस्थाना, डा. दीदार सिंह यादव, डा. राकेश सिंह, डा. एसपी ओझा, डा. विजय तिवारी, डा. अनुराग मिश्र, डा. केडी सिंह, आनन्द मिश्र एडवोकेट, सुरेंद्र त्रिपाठी, संत लाल पाल, प्रो. वीके सिंह,प्रोफ़ेसर बी बी तिवारी , डा. मानस पाण्डेय, डा. अविनाश पाथर्डीकर,डॉ एच सी पुरोहित ,डॉ रजनीश भास्कर ,डॉ वी डी  शर्मा ,डॉ अजय द्धिवेदी ,डॉ आशुतोष सिंह ,अमित वत्स ,डॉ संगीता साहू ,डॉ प्रदीप कुमार ,डॉ वंदना राय , डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी,डॉ के एस  तोमर ,रामजी सिंह ,सुबोध पाण्डेय ,लक्ष्मी प्रसाद मौर्या ,रहमतुल्लाह ,श्याम त्रिपाठी ,जगदम्बा मिश्रा ,डॉ पी के कौशिक ,रामसूरत यादव ,राजेश सिंह ,रजनीश सिंह ,अशोक चौहान ,दिग्विजय सिंह ,पंकज सिंह ,  सहित महाविद्यालयों के प्रबन्धक, महाविद्यालयों के प्राचार्य, जनप्रतिनिधि, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थीगण एवं अभिभावक आदि उपस्थित रहे। 
इन्हें मिला गोल्ड मेडल
समारोह में 58 मेधावियों को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। जिसमें स्नातक में 16 और परास्नातक में 42 मेधावियों को स्वर्ण पदक दिया गया। इनमें कुल 24 छात्र और 34 छात्राएं शामिल है।
जिनमें (बी.टेक.) कम्प्यूटर सांइस एण्ड इन्जीनियरिंग से सायमा बानो, (बी.टेक.) इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इन्जीनियरिंग में पियूष कुमार मिश्रा, (बी.टेक.) इन्फारमेशन टेक्नोलॉजी में रिधीमा नन्द श्रीवास्तव, (बी.टेक.) इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरिंग में रिचा पाल, (बी.टेक.) मैकेनिकल इन्जीनियरिंग में बलवन्त साहनी, (बी.टेक.) इलेक्ट्रानिक्स एण्ड इन्स्ट्रूमेंटेशन इन्जीनियरिंग में युवराज सिंह, बी.फार्मा में अनम बेग, बी.सी.ए. में सौरभ सिंह, बी.बी.ए. में सोनाली राय, कला वर्ग में उत्तरा यादव, विज्ञान वर्ग में दिव्या सिंह, वाणिज्य वर्ग में रिचा सिंह, कृषि वर्ग में अंजली सिंह, बी.एस.सी. इन बी.पी.ई. में चेतना सिंह, एल.एल.बी. में प्रतिभा वर्मा, बी.एड. में निवेदिता सिंह है।
स्नातकोत्तर स्तर पर 1 एम.सी.ए. में तृप्ती उपाध्याय, 2 एम.एस.सी. (पर्यावरण विज्ञान) में आकांक्षा उपाध्याय, 3 एम.एस.सी. (बायोटेक्नोलाजी) में मेघा श्री, 4 एम.एस.सी (बायोकेमेस्ट्री) में पायल सिंह, 5 एम.एस.सी. (माइक्रोबायोलाजी) में नितीश कुमार सिंह, 6 एम.ए. (अप्लाइड साइकोलाजी) में सुशील कुमार, 7 एम.बी.ए. में शाहिद जमाल, 8 एम.बी.ए. (एग्री-बिजनेस) में जामवन्त गौड़, 9 एम.बी.ए. (ई-कामर्स) में बरकत अली, 10 एम.बी.ए. (बिजनेस इकोनॉमिक्स) में अभिषेक कुमार सिंह, 11 एम.बी.ए. (फाइनेन्स एण्ड कन्ट्रोल) में आशुतोष कुमार अग्रवाल, 12 एम.बी.ए. (एच.आर.डी.) में ऐमान रहमान, 13 एम.ए. (मास कम्युनिकेशन) में अंकुर सिंह, 14 एम.एच.आर.डी. में नेहा सिंह, 15 वाणिज्य संकाय में फराह अमजद, 16 विज्ञान संकाय (गणित) में गरिमा, 17 विज्ञान संकाय (प्राणी विज्ञान) में चारूल यादव, 18 विज्ञान संकाय (भौतिकी विज्ञान) में जया श्रीवास्तव, 19 विज्ञान संकाय (रसायन विज्ञान) में शिवानी सिंह, 20 विज्ञान संकाय (वनस्पति विज्ञान) में आकांक्षा सिंह, 21 विज्ञान संकाय (सैन्य विज्ञान) में फरहाना यास्मीन, 22 कृषि संकाय (प्लांट पैथोलॉजी) में धीरज कुमार त्रिपाठी, 23 कृषि संकाय (हार्टिकल्चर) में अनुपम राय, 24 कृषि संकाय (जेर्नेटिक्स एण्ड प्लांट व्रीडिंग) में दिव्यांशी यादव, 25 कृषि संकाय (एग्रोनॉमी) में विपिन सिंह, 26 कृषि संकाय (एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स) में सीतेन्द्र गौतम, 27 कृषि संकाय (एग्रीकल्चर केमेस्ट्री एण्ड स्वायल साईंस) में अमित कुमार चन्देल, 28 कृषि संकाय (एंटोमोलाॅजी) देवप्रकाश पटेल, 29 कला संकाय (प्राचीन इतिहास) में अरूनेन्द्र मौर्य, 30 कला संकाय (राजनीति शास्त्र) में प्रिया मिश्रा, 31 कला संकाय (हिन्दी) में शिखा तिवारी, 32 कला संकाय (अर्थशास्त्र) में ज्योति चैरसिया, 33 कला संकाय (अंग्रेजी) में नसेहा फिरदौस, 34 कला संकाय (संस्कृत) में अन्नू कुशवाहा, 35 कला संकाय (शिक्षाशास्त्र) में ज्योति तिवारी, 36 कला संकाय (गृह विज्ञान) में अन्जू यादव, 37 कला संकाय (म. कालीन और आधुनिक इतिहास) में पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, 38 कला संकाय (उर्दू) में मारिया बानो, 39 कला संकाय (मनोविज्ञान) में शालिनी श्रीवास्तव, 40 कला संकाय (दर्शन शास्त्र) में शुभम पाण्डेय, 41 कला संकाय (भूगोल) में पूजा सिंह, 42 कला संकाय (समाजशास्त्र) में शिवा सिंह। 

ओपन एयर थिएटर का हुआ उद्घाटन
ओपेन एयर थिएटर के उद्घाटन अवसर पर विद्यार्थियों की प्रस्तुति ने मनमोह लिया। शंखनाद के बीच उद्घाटन के पश्चात डेंटल कालेज आजमगढ़ की टीम की छात्र-छात्राओं ने रंगीला देश रंगीला पर मनमोहक नृत्य, जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने नाटक, इंजीनियरिंग संकाय के छात्रों ने मूकअभिव्यक्ति, मोहम्मद हसन पीजी कालेज के छात्रों ने राष्ट्र प्रेम की कौव्वाली प्रस्तुत की। पूरा वातावरण शंखनाद से गूंज उठा। सांस्कृतिक सचिव एचसी पुरोहित ने संचालन किया।

गतिमान 2016 नये कलेवर में
विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रतिवर्ष प्रकाशित होने वाली पत्रिका गतिमान इस बार नये कलेवर में है। कुल 48 पेजों में सुसज्जित यह पत्रिका पूरे विश्वविद्यालय के वर्षभर की झांकी प्रस्तुत करती है। इस पत्रिका में जौनपुर के इतिहास सहित वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा है। इसके सम्पादक मण्डल में प्रो. बीबी तिवारी, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. केएस तोमर शामिल है।


Friday 12 February 2016

परस्पर विचार विमर्श : सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल

विश्वविद्यालय के संकाय भवन स्थित कान्फ्रेंस हाल में विश्वविद्यालय के शिक्षकों से सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल, मानद अति विशिष्ट प्रोफेसर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बेंगलुरू ने शुक्रवार सायं परस्पर विचार विमर्श किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने विज्ञान के विविध रूप, उपग्रह संचार एवं अंतरिक्ष विज्ञान आदि पर अपने प्रश्न पूछे।

डा. प्रदीप कुमार प्रवक्ता ने जीपीएस के बारे में प्रयुक्त तकनीकी जानकारी हासिल की। डा.  अजय प्रताप सिंह ने वाह्य अंतरिक्ष में पिंडों, अन्य आब्जेक्ट्स के विषय में कैसे सटीक स्थिति का आकलन करें की जानकारी हासिल की। विद्यार्थियों ने ग्रैविटेशनल तरंगों की निष्पत्ति आइंस्टीन द्वारा किए जाने के विषय में जानकारी प्राप्त की। पृथ्वी के ध्रुवों की शिफ्टिंग के विषय में, शिफ्टिंग के परिणामों के विषय में प्रो. गोयल ने बताया कि मानवता के नैतिक जीवन पर इसका कोई असर नहीं होगा। छात्र सौरभ इलेक्ट्रानिक्स विभाग ने उल्का पिंडों से संचार विषय पर होने वाले प्रभाव की जानकारी ली। प्रो. गोयल ने बताया कि अति वेग से पृथ्वी पर आने वाले उल्का पिंड द्वारा पूरा वातावरण धूल से भर जाने के कारण वन जंगल नष्ट होने से डायनासोर्स नष्ट हुए उपग्रहों को वापस धरती पर लाने की टेक्नोलाॅजी उन्हें कक्षा में ध्वस्त किए जाने की तकनीक या आवश्यकता के विषय में मंगल पर जाने में कम से कम एक वर्ष तथा वापस एक वर्ष आने में लगे समय को देखते हुए वहां भारत द्वारा शटल छोड़े जाने की संभावनाओं पर विद्यार्थियों ने चर्चा की। सूर्य छह बिलियन वर्ष की उम्र का होकर अपनी मध्य उम्र में है। अगले छह बिलियन वर्ष और सूर्य की किरणें अभी उपलब्ध रहेंगी।
संचालन एवं स्वागत करते हुए प्रो. बीबी तिवारी ने बताया कि प्रो. प्रेमशंकर गोयल 1970 के उपरांत से लेकर अद्यतन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े रहे। प्रो. गोयल का अहम योगदान भारत सरकार में सचिव पद पर रहते हुए सरकार में एक नया महत्वपूर्ण मंत्रालय मिनिस्ट्री आॅफ अर्थ साइसेंस प्रारंभ कराने में रहा है।
इस अवसर पर प्रो. डीडी दूबे, प्रो. वीके सिंह, डा. एचसी पुरोहित, डा. अजय द्विवेदी, डा. मनोज मिश्र, डा. रामनारायण, डा. संगीता साहू, डा. बीडी शर्मा, डा. सुनील कुमार, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. आलोक गुप्ता, डा. एसपी तिवारी, डा. रशिकेष, डा. कार्तिकेय शुक्ला, डा. विवेक पाण्डेय सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Thursday 11 February 2016

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उन्नीसवाँ दीक्षान्त समारोह, 13 फरवरी 2016 प्रेस-विज्ञप्ति


वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का उन्नीसवां दीक्षांत समारोह आगामी 13 फरवरी 2016 को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आयोजित किया गया है। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता माननीय राज्यपाल उत्तर प्रदेश एवं कुलाधिपति श्री रामनाईक करेंगे। समारोह के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डा. प्रेमशंकर गोयल जी, मानद अति विशिष्ट प्रोफेसर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) बेंगलुरू हैं। दीक्षांत समारोह में कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद सहित समस्त विधायी समितियों के सम्मानित सदस्यगण भी उपस्थित रहेंगे। विश्वविद्यालय परिसर में ओपेन थिएटर का उद्घाटन 13 फरवरी 2016 को माननीय राज्यपाल उत्तर प्रदेश एवं कुलाधिपति श्री रामनाईक करेंगे।
  विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के 28 वर्षों में शोध एवं शिक्षा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये हंै। दीक्षांत समारोह में सत्र 2014-15 में विभिन्न विषयों के 58 सर्वोच्च अंक धारक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया जायेगा। इसके साथ ही 339 विद्यार्थियों को पी एच.डी. उपाधि प्रदान की जायेगी।
विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में कई प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा पोषित शोध परियोजनाओं का परिचालन किया है, जिसमें यू.जी.सी., आई.सी.एस.एस.आर. एवं डी.एस.टी. आदि प्रमुख हैं। विश्वविद्यालय ने वर्तमान सत्र में राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं कार्यक्रम (एच.आर. कान्क्लेव 2015,होराइजन 2015, जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण, भारतीय संविधानः लोकतंत्र एवं सफलता आदि) का आयोजन किया है। 
विश्वविद्यालय द्वारा सत्र 2015-16 में नैक-मूल्याकंन के सम्बन्ध में एल.ओ.आई. की स्वीकृति के बाद सेल्फ स्टडी रिपोर्ट प्रेषित की जा चुकी है। पीयर टीम के आगमन हेतु तैयारी प्रगति पर है। 2014-15 में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों का ।प्ैभ्म् पर पंजीकरण पूर्ण हो चुका है। सत्र 2015-16 में पंजीकरण का कार्य प्रगति पर है। विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2015 में प्रदान की जाने वाली समस्त पीएच.डी. उपाधियों के शोध-प्रबन्धों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित ‘शोधगंगा’ कार्यक्रम पर पंजीकृत कराया गया है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट को नया रूप दिया गया है और आगे इस पर कार्य जारी है। परीक्षा के संबंध में विश्वविद्यालय एवं समस्त सम्बद्ध महाविद्यालयों से आॅनलाइन आवेदन पत्र लेने के उपरांत आॅनलाइन प्रवेश-पत्र एवं इलेक्ट्राॅनिक मार्कशीट के वितरण की व्यवस्था पूर्ण कर ली गयी है। विगत परीक्षाओं एवं पंजीकरण के समस्त आंकड़ों के लिए एक डेटा सेंटर स्थापित करने की व्यवस्था की जा रही है। विश्वविद्यालय परिसर के विद्यार्थियांे को  समस्त विषयांे की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए बुकबैंक योजना की शुरूआत कर दी गयी है। ई लाइब्रेरी के तहत विद्यार्थियों को ईजर्नल, ईबुक की सुविधा उपलब्ध है। राज भवन लखनऊ में आयोजित खिलाड़ी सम्मान समारोह में अखिल भारतीय स्तर पर क्रीड़ा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 22 खिलाडि़यों को माननीय श्री राम नाईक, कुलाधिपति/श्री राज्यपाल द्वारा स्वर्ण पदक एवं रजत पदक देकर सम्मानित किया गया। इससे विश्वविद्यालय केे खिलाडि़यों का उत्साह वर्धन हुआ है। विश्वविद्यालय निरन्तर शैक्षणिक गुणवत्ता के उन्नयन के लिए प्रयासरत है।             

Wednesday 10 February 2016

‘‘गिरते मानवीय मूल्य: कारण एवं समाधान’’ विषयक व्याख्यान

 ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने रखे विचार
 विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में बुधवार को आयोजित 19वें दीक्षांत समारोह के पूर्व सामाजिक विज्ञान की ‘‘गिरते मानवीय मूल्य: कारण एवं समाधान’’ विषयक व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य अतिथि ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के महासचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने कहा कि आज हमारे समाज के प्रतिमान गलत हो गये है। टेलीविजन पर रिएल्टी शो में स्थान पाने वाले और फिल्मी दुनिया के कलाकारों को युवाओं के समक्ष प्रतिमान (आईकाॅन) के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। समाज के रीयल शो में गांव, देहात में छिपी प्रतिभाएं विपरीत परिस्थितियों में सफल हो रही है। इन्हें युवाओं के समक्ष प्रतिमान के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए इसके लिए पुरानी पीढ़ी को आगे आना होगा।
श्री सिंह ने कहा कि कहा कि भारत की मीडिया सबसे अधिक शक्तिशाली है यह बिकती नहीं। देश में 272 चैनल, लगभग पौने दो लाख समाचार पत्र हैं। जो देश के आम आदमी की आवाज को मंच दे रहे है। इस पर मुट्ठी भर लोग वर्चस्व जमाने की कोशिश करते है मगर वो आज नाकामयाब हैं। मीडिया से जुड़े लोगों का न बिकने का कारण उनका मानवीय मूल्य है। यह मानवीय मूल्य मां की गोद से शुरू होता है। इसे किसी कानून से नहीं रोका जा सकता। 
उन्होंने कहा आज देश की शिक्षा पद्धति में जबर्दस्त विरोधाभास है, इसके चलते शिक्षा के मूल्यों का ह्रास हो रहा है। आज पाठ्यक्रम से लेकर सेलेक्शन तक मानवीय मूल्यों की उपेक्षा हो रही है जो की देशहित में नहीं है। उन्होंने युवाओं से भ्रष्टाचार की मुखालफत करने की सलाह दी। उनका मानना हैं कि भारत में सबसे अधिक युवा वर्ग ही है किसी भी बदलाव में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया के उन नौ देशों में भारत भी एक है जिसकी जीडीपी बढ़ी है। मगर हमारा विकास का माॅडल ऐसा है जो भारतीय परिवेश के अनकूल नहीं है। देश में हमें पाश्चात्य माॅडल की नहीं, भारतीय परिवेश के मानवीय मूल्यों के माॅडल को अपनाना होगा।
उन्होंने कहा कि बाजार के दबाव में हमारे सोचने की ताकत को खत्म कर दिया है। आज हमारे देश के युवा इण्टरनेट, सोशल मीडिया, व्हाट्सएप के माध्यम से अपना मनोरंजन कर रहे है। उनके सोने से लेकर सुबह जागने तक बाजार ने अपने मनोरंजन का जाल बिछा रखा है ताकि युवा न उस मुद्दे पर सोचे और न उसका विरोध करें। इससे हमारे देश के आर्थिक स्थिति वास्तविक धरातल पर कमजोर होती जा रही है। गरीब और धनी के बीच दूरी बढ़ी है। आज एक प्रतिशत आदमी के पास देश की 70 प्रतिशत सम्पत्ति है यह हाल पूरे विश्व में भी है। दुनिया के 62 लोगों के पास जितनी सम्पत्ति है उतना 350 करोड़ लोगों के पास भी नहीं है। यह कौन सा विकास का माॅडल है? हमें अपने देश के आर्थिक माॅडल को बदलना होगा। समानता के आधार पर अपने विकास दर का वितरण करना होगा। 
उन्होंने महिला सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए कहा कि आज संस्कार बदल रहे है। महानगरों में लीव इन रिलेशन आम बात हो गयी है। पाश्चात्य संस्कृति को जो हम अपना रहे है वह हमारी तासीर में नहीं है। उनका मानना है कि आज मानवीय मूल्य को पाने के लिए लोभ, माया, मोह, क्रोध से बाहर निकलना होगा। 
इसके पूर्व सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथि का विस्तृत परिचय दिया। मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ देकर डा. एचसी पुरोहित, डा. दिग्विजय सिंह राठौर ने स्वागत किया। साथ ही डा. सुनील कुमार, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. रूश्दा आजमी समेत विभाग के शिक्षकों ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर प्रो. आरएस सिंह, प्रो. बी.बी. तिवारी, डा. बीडी शर्मा, डा. अविनाश पाथर्डीकर, डा. सुशील कुमार, डा. सुभाष वर्मा, डा. दयानंद उपाध्याय, सुधाकर शुक्ला, डा. अमरनाथ यादव, डा. रंजना यादव, डा. आलोक गुप्ता, पंकज सिंह, आलोक  आदि सहित सभी संकायों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डा. मनोज मिश्र ने किया। दीक्षांत पूर्व व्याख्यानमाला के संयोजक डा. अजय द्विवेदी ने संचालन किया।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
आॅप्टिकल फाइबर सेंसर्स पर व्याख्यान
विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में बुधवार को आयोजित 19वें दीक्षांत समारोह के पूर्व व्याख्यानमाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. जगदीश सिंह ने आॅप्टिकल फाइबर सेंसर्स पर व्याख्यान देते हुए विभिन्न सेंसर्स की तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अलग-अलग सेंसर अलग-अलग प्रभावों के अध्ययन में लगे है।
श्री सिंह ने कहा कि कैसे लिब्स टेक्नोलाॅजी का उपयोग मंगल पर भेजे गये क्यूरिआसिटी रोवर पर हो रहा है। आॅप्टिकल सोसाइटी आॅफ अमेरिका के फेलो प्रो. सिंह ने बताया कि कैसे हम फाइबर सेंसर का इस्तेमाल कर बड़ी-बड़ी इमारतों, पुलों, बांधों की सुरक्षा की जानकारी उसके जीवनकाल तक हासिल करते रहेंगे। भवन के मामले में जब उसकी ताकत कम होने लगती है और भार बढ़ने लगता है तो आॅप्टिकल फाइबर सेंसर हमें सचेत कर देता है और इसके बाद इसकी सुरक्षा के बारे में हम सचेत हो जाते है। आर्द्रता को भी सेंस किए जाने वाले सेंसर, रासायनिक सेंसर की चर्चा किया। यह भी बताया कि इन सेंसर्स का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों की जानकारी में किया जाता है। शरीर के किसी भी अंग में जब एसिड फार्मेशन होने लगता है तो उस समय आॅप्टिकल फाइबर सेंसर पता करके यह बताता हैं कि इस स्थान पर एसिड फार्मेशन हो रही है जिससे कि कैंसरस की दिक्कत भविष्य में हो सकती है और इसका निवारण हम इसके प्रथम चरण में ही कर सकते है।
इस अवसर पर डीन प्रो. बीबी तिवारी, संयोजक प्रो. एके द्विवेदी, सुशील कुमार, डा. आलोक गुप्त, प्रवीण सिंह, शैलेश, सुधीर, नितांत, सौभाग्य, तुषार, वर्तिका, पूनम, रितेश वर्नवाल, प्रभात शुक्ल, अजय मौर्य, विशाल यादव, बीपी तिवारी, आनंद सिंह, जय सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, बृजभूषण राय, अंकित सेठ, निधि, राहुल यादव, स्नेहलता, शिवांगी मिश्र, दीपिका, नेहा आदि उपस्थित रहे।

Tuesday 9 February 2016

घुटने का दर्द, मधुमेह और तनाव का इलाज देशज वनस्पतियों से सीडीआरआई के वैज्ञानिक ने अपने शोध का किया उल्लेख


 केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डा. राकेश मौर्या ने कहा कि तनाव, मधुमेह, हड्डी क्षीणता आदि रोगों का निदान प्राकृतिक वनस्पतियों से संभव है। आज समाज का हर तीसरा व्यक्ति इन बीमारियों से पीडि़त है।
वे आज वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में 19वें दीक्षांत समारोह के पूर्व व्याख्यानमाला के तहत संगोष्ठी भवन में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में आज बहुत से लोग हड्डी, मधुमेह और तनाव से पीडि़त है। बाजार में इसकी दवाएं विभिन्न कम्पनियों की आ रही है और लोग इस्तेमाल भी कर रहे है, इसका शरीर पर दुष्प्रभाव भी पड़ रहा है। जिसके कारण अन्य कई बीमारियां इजाद हो जा रही है। हम इन बीमारियों का निवारण प्राकृतिक पौधे और पदार्थ से मिली दवाओं से कर सकते है, जिसका दुष्प्रभाव शून्य है। इसे सीडीआरआई के वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में साबित किया है।
उन्होंने कहा कि हमारी टीम ने आयुर्वेदिक, चरक संहिता, यूनानी सिस्टम, सिद्धा एवं चाइनीज पद्धतियों का अध्ययन करने के बाद अपने देश के 93 वनस्पतिकीय पौधों पर अध्ययन किया। उसमें से नौ महत्वपूर्ण पौधे चयनित किये गये। इन पौधों में उक्त बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है। शीशम के पौधे से हड्डी के तमाम रोगों का इलाज तुलसी के पत्ती से तनाव का इलाज और विजयशाल के पौधे से मधुमेह को दूर करने की खोज मेरी टीम ने की है। देश के चार प्रमुख अस्पतालों के सहयोग से उक्त दवाओं की पुष्टि भी की गयी। इन अस्पतालों का भी मानना है इन दवाओं में इन रोगों के इलाज करने की क्षमता है।
डा. मौर्या ने कहा कि आज समाज फिर पुराने आयुर्वेदिक पद्धति की ओर लौट रहा है। उन्होंने कहा कि आज 30 वर्ष के बाद मनुष्य में आस्टोब्लास्ट की समस्या होती है। 30 से 50 की उम्र में हड्डी के क्षरण और बढ़ने की समस्या होती है। इस समस्या का निदान ढाक के पौधे से बनी दवा से किया जा रहा है। इससे मनुष्य शरीर में पैर, घुटने और अन्य दर्द में इस्तेमाल कर लाभ उठा सकता है। दूसरा महत्वपूर्ण रोग तनाव का है शरीर में किसी भी प्रकार का तनाव है वह तुलसी के पत्ते से दूर किया जा सकता है। ऐसे रोगी को प्रतिदिन 10 ग्राम हरी तुलसी के पत्ते का सेवन करना चाहिए। तीसरा सबसे प्रमुख रोग मधुमेह है, इसके लिए विजयशाल के पौधे से बनायी गयी गिलास में पानी रखकर पीने से इसे कम और दूर किया जा सकता है। यह प्रयोग हर आदमी आसानी से कर सकता है। हमारी टीम ने इन्हीं पौधों से इन तीनों प्रमुख रोगों के इलाज के लिए औषधि बनायी है। उनका मानना है कि रोग को ठीक करने के लिए इन पौधों की पहचान करके ही उपयोग करे, उन्होंने रामायण में घायल लक्ष्मण जी की मूच्र्छा को दूर करने के लिए हनुमान जी द्वारा लाये गये पहाड़ का जिक्र किया। कहा कि उस पर्वत में तमाम जड़ी बूटियां थी, मगर काम सिर्फ संजीवनी बूटी का ही था। इसलिए इसके प्रयोग में सावधानी की जरूरत है।
इसके पूर्व मुख्य अतिथि डा. राकेश मौर्या को पुष्पगुच्छ देकर प्रो. डीडी दूबे, डा. एके श्रीवास्तव ने स्वागत किया। परिचय, स्वागत एवं संचालन संयोजक डा. अजय द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर डा. एच.सी. पुरोहित, डा. मनोज मिश्र, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. आलोक गुप्ता, पंकज सिंह, सुशील कुमार, नृपेन्द्र सिंह, विनय वर्मा, झांसी मिश्रा, पूजा सक्सेना, डा. राजीव कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, आलोक दास आदि सहित सभी संकायों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन डा. बीडी शर्मा ने किया।



Saturday 6 February 2016

‘‘सफलता के मूल मंत्र’’ विषयक व्याख्यान


जौनपुर। प्रमुख उद्यमी और समाजसेवी दीनानाथ झुनझुनवाला ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए सकारात्मक सोच का होना जरूरी है। बिना इसके कोई भी इंसान सफलता के उस लक्ष्य को पार करना तो दूर उसके करीब भी नहीं पहुंच सकता। उन्होंने कहा कि ये बातें कोरे सिद्धांत नहीं, बल्कि मेरे आजमाए हुए सिद्धांत हैं। उन्होंने ये बातें वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में 19वें दीक्षांत समारोह के पूर्व व्याख्यानमाला के तहत इंडस्ट्री इंस्टीच्यूट इंटरफेस प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ‘‘सफलता के मूल मंत्र’’ विषय पर आयोजित व्याख्यान पर संगोष्ठी भवन में शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने चिंतामुक्त और स्वस्थ रहने का राज बताया। कहा कि हमेशा अपने आप को युवा अनुभव करना चाहिए। उदाहरण स्वरूप उन्होंने कहा, अगर कोई मुझसे पूछता है कि मैं कितने वर्ष का हूं तो मेरा उत्तर होता है कि मैं 83 साल का नौजवान हूं। इससे मेरे मन में एक अलग तरह का आत्मविश्वास झलकता है। उनका मानना है कि उपलब्धि क्रिया प्रधान होनी चाहिए, कृपा प्रधान नहीं।
उन्होंने कहा कि दिनचर्या का पालन ही आलस्य का दुश्मन होता है। आलस्य खत्म करने के लिए अपनी दिनचर्या तय करनी जरूरी होगी। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव होगा, जब आप कर्म प्रधान बनोगे। उन्होंने धर्मपिता, धर्ममाता व धर्मपत्नी की परिभाषा को तार्किक रूप से समझाया। उन्होंने कहा कि निराशा उसी व्यक्ति के पास आती है, जो लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास नहीं करना चाहता। समस्या समाधान की जननी है। समस्या जहां से शुरू होती है, समाधान भी वहीं से चलना शुरू होता है। आज मानव का सारा जीवन श्रम पर आधारित है। उसे श्रम का ही अनुसरण करना चाहिए। आज हिन्दू प्रथा में जितने भी आश्रम बने हैं। सभी में श्रम जुड़ा हुआ है। इससे यह पता चलता है कि हर सफलता की नींव में श्रम का विशेष महत्व है। भाग्य को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि यह भी कर्मफल है। इसलिए हर किसी को पुरूषार्थी बनना चाहिए। उनका मानना है कि पुरूषार्थी वही है जो समय, शक्ति और सम्पदा का पूरा उपयोग करता है।
उन्होंने कहा कि कोई भी काम करने से पहले हमें दृढ़ निश्चयी होना चाहिए। अनिश्चितता और भय की स्थिति हमें असफलता का मार्ग दिखाती है। इस बात को उन्होंने सड़क पार करते समय कार से दबकर मरते हुए खरगोश का उदाहरण देकर समझाया। उनका मानना है कि किसी भी काम को करने से पहले मनुष्य को संशय की स्थिति में नहीं रहना चाहिए। इस पर उन्होंने गांधी, रैदास, गीता, रामायण और विवेकानन्द के विचारों को विस्तृत रूप से समझाया। उन्होंने कहा कि किसी भी सफल व्यवसाय के लिए अनुशासन महत्वपूर्ण होता है। कभी-कभी इसे न अपनाने पर समस्याएं गम्भीर रूप ले लेती हैं। उन्होंने कहा कि क्षमता से कम काम करने वाला भी कामचोर होता है। शक्ति के बोध की व्याख्या उन्होंने रामायण के किष्कंधा पाठ में जामवंत के संवाद को सुनाकर की। उन्होंने कहा कि अगर आपको ऊंचाईयों को छुना है तो अपने जीवन की कमजोरियों को छिपाने के बजाय उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
प्रबंधन के छात्रों में रोजगार के अवसर के संबंध में उन्होंने कहा किताबी ज्ञान के साथ-साथ उन्हें अनुभव से भी जोड़ना जरूरी है। ज्ञान और कर्म के संयोग से ही आदमी सफल उद्यमी बन सकता है। यह बात हर क्षेत्र में शत-प्रतिशत लागू होती है। उन्होंने कहा कि प्रबन्धन एक ऐसी विद्या है जो 24 घण्टे आपको नियोजित ढंग से रहने की प्रेरणा देती है। यह सर्वव्यापी है, सर्वकालिक है, इसका उपयोग हर सफल व्यक्ति को करना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने कुमार मंगलम, बिड़ला और रतन टाटा के संदर्भ सुनाएं। उन्होंने कहा कि जीवन में समय प्रबंधन जरूरी है। जो व्यक्ति ज्यादा व्यस्त रहता है, उसी के पास काम करने का समय भी होता है।
इसके पूर्व मुख्य अतिथि दीनानाथ झुनझुनवाला को पुष्पगुच्छ देकर डा. एच.सी. पुरोहित व डा. मुराद अली ने सम्मानित किया। साथ ही डा. विक्रम देव शर्मा ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। इसके बाद मुख्य अतिथि का परिचय स्वागत व्याख्यान माला के संयोजक डा. अजय द्विवेदी ने किया। व्याख्यान माला का संचालन डा. एच.सी. पुरोहित ने किया। इस अवसर पर डा. अविनाश पार्थिडकर, आशुतोष सिंह, आलोक गुप्ता, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. राजीव कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, आलोक दास आदि सहित सभी संकायों के विद्यार्थी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन डा. मुराद अली ने किया। 

Thursday 4 February 2016

आॅपरेशन मैनेजमेंट एवं मेन्यूफैक्चरिंग विषयक व्याख्यान

विश्वविद्यालय में 13 फरवरी को आयोजित होने वाले 19वें दीक्षांत समारोह के पूर्व विश्वविद्यालय के समस्त संकायों में ख्यातिलब्ध विद्वानों के व्याख्यान आयोजित किये जायेंगे। इसी क्रम में गुरूवार को इंजीनियरिंग एवं तकनीकी संकाय द्वारा संगोष्ठी भवन में ‘‘आॅपरेशन मैनेजमेंट एवं मेन्यूफैक्चरिंग’’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता आई.आई.टी. बीएचयू के प्रो. एस.पी. तिवारी ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कार्य प्रणाली प्रबन्धन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

 उन्होंने प्रबन्ध के महत्व तथा विभिन्न क्षेत्रों में इसकी उपयोगिता विक्रय कला, वित्त, विपणन, मानव संसाधन प्रबन्धन, प्रबन्ध सूचना तंत्र आदि पर ध्यान आकर्षित करते हुए वर्तमान परिदृश्य में इनकी भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कार्य प्रणाली प्रबंधन के माध्यम से कास्टिंग, रोलिंग, फोल्डिंग, ड्राॅइंग, मशीनिंग इत्यादि को पावर प्वाइंट तकनीकी से उसके विविध रूप को विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया।


स्वागत एवं संचालन संयोजक डा. अजय द्विवेदी और धन्यवाद ज्ञापन डा. राजकुमार ने किया। इस अवसर पर प्रो. डी.डी. दूबे, प्रो. बीबी तिवारी, डा. एच.सी. पुरोहित, अविनाश पाथर्डीकर, डा. मनोज मिश्र, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. सुशील कुमार, डा. आलोक गुप्ता, डा. राजेश शर्मा, डा. एस.पी. तिवारी, पंकज कुमार सिंह सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे।