Monday 23 January 2012

विद्या कला का सम्मान करे, यह विद्या का सम्मान है....

वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय में शनिवार की शाम दीक्षांत समारोह के बाद संगोष्ठी भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो.सुन्दरलाल ने कहा कि कला विद्या की मोहताज नहीं होती है।विद्या कला का सम्मान करे यह विद्या का सम्मान है. कला खेत-खलिहान से होकर आम आदमी से जुड़कर
निकलती है। बहुत से सिद्ध कलाकार हमारे आस-पास हैं, जो आज गुमनाम है। विवि अपने स्तर पर ऐसे कलाकारों के सम्मान की कड़ी में जनपद के ग्राम पंचायत अर्धपुर (बक्शा) निवासी चौताल सम्राट वंशराज सिंह को लोक संगीत के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित करेगा। उन्होंने कहा कि 1942 में जन्मे श्री सिंह ने 1966 में बीएचयू से अंग्रेजी से एमए करने के बाद भी नौकरी को प्राथमिकता न देते हुए लोक संगीत व समाज सेवा को ही सर्वोपरि  माना। आज वह गम्भीर बीमारी के चलते अस्वस्थ हैं। इसलिए मैं स्वयं उनके गांव जाकर सम्मान प्रदान करूंगा। इस अवसर पर देश की युवा शक्ति का आह्वान करते हुए उन्होंने समसामयिक चल रही चर्चा पर एक रचना के माध्यम से वहाँ उपस्थित युवा-शक्ति से एक सवाल पूछा -
अन्ना के अनछुए अन्न से अन्ना बीज बन गए अनंत.
भ्रष्टाचार की क्षुधा  वाहिनी क्या सब खा जाएगी?
और उत्तर दिया कि --
देश रहेगा, वेश रहेगा ,यू हीँ  पवन बहेगी.
लालू चारा नहीं चरेगा,धनिया ढूध दुहेगी. 
संगोष्ठी  भवन में उपस्थित सभी लोंगों नें  इस रचना पर खूब तालियाँ बजाई.
इस  सांस्कृतिक कार्यक्रम में परीक्षा नियंत्रक आरएस यादव, जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डा.मनोज मिश्र ने गीत सुनाकर तालियां बटोरी।
 विज्ञानं संकाय के छात्र-छात्राएं जिनमें अभिरुचि कान्त, दिव्या मालवीया, मनीष मिश्र, मृदुल राय एवं पूजा गुप्ता ने गीत प्रस्तुत किया। पंकज सिंह ने हास्य व्यंग्य सुनाकर सबको हंसाया।कर्मचारी मो.इकबाल की रचना सराही गयी। जौनपुर के फ्रेंड्स डांस क्लासेज के कलाकार प्रतिभा साहू ,स्नेहा,शिवांगी,ऋषिता नें मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया .माइकल जैक्सन का डांस जीतू मोनी नें प्रस्तुत कर दर्शकों को प्रसन्न कर दिया .इसके अतिरिक्त हेमंत सोनी ,स्नेहा ,विकास साहू नें भी अपनें कार्य क्रम प्रस्तुत किये. संयोजन डा.एसपी तिवारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डा.एचसी पुरोहित ने कहा कि विवि के रजत जयंती वर्ष में पूरे साल लोक संगीत पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम जारी रहेंगे। संचालन अभिरुचि कान्त एवं जंग बहादुर शुक्ल ने किया। इस अवसर पर प्रो.डीडी दूबे, कुलसचिव डा.बीएल आर्य, प्रो.एमपी सिंह, अमरेन्द्र सिंह, एसएन पाल, डा.अजय द्विवेदी, डा.अविनाश पाथर्डिकर, डॉ पंकज कुमार सिंह ,दिग्विजय सिंह राठौर, डा.अवध बिहारी सिंह, उदित नारायण, प्रमोद कुमार कौशिक, पंकज सिंह, जगदम्बा मिश्र, पंकज सिंह ,शकुन्तला शुक्ला, राजेश जैन, डीपी घिल्डियाल  आदि मौजूद रहे।






Sunday 22 January 2012

धनोपार्जन ही नहीं नैतिक मूल्यों पर ध्यान देने की जरूरत..



कुलाधिपति महामहिम श्री बी एल जोशी 


वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय के पंचदश  दीक्षांत समारोह में शनिवार को बतौर कुलाधिपति अध्यक्षता  करते हुए महामहिम  राज्यपाल  श्री बी .एल .जोशी ने कहा कि आजादी के बाद से हमने उच्च शिक्षा के विस्तार पर तो ध्यान दिया ताकि जनसंख्या के अनुरूप समाज का हर व्यक्ति इसका लाभ उठा सके लेकिन अब हमें शैक्षिक गुणवत्ता पर बल देना होगा। गुणवत्ता न सिर्फ पठन-पाठन व शोध बल्कि चारित्रिक निर्माण में भी होनी चाहिए।श्री राज्यपाल ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के दौर में बाजार की भूमिका
 निर्णायक होती जा रही है। ऐसे में विश्वविद्यालयों में शिक्षित-प्रशिक्षित प्रतिभाएं धनोपार्जन को ही अपना उद्देश्य मान कर नैतिक मूल्यों एवं उद्देश्यों से दूर होती जा रहीं हैं। लिहाजा शिक्षक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को और गति प्रदान करने की दिशा में सक्रिय योगदान दें। 
मुख्य अतिथि श्री चंडी प्रसाद भट्ट 
मुख्य अतिथि प्रख्यात पर्यावरणविद,मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त, पद्मभूषण  श्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने युवाओं का आह्वान किया कि वे न केवल शैक्षिक कार्यो में रत रहें बल्कि पर्यावरणीय चुनौतियों का भी डटकर मुकाबला करें। मौजूदा समय में पर्यावरण संबंधी अनेक समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। इसका कारण विकास व निर्माण कार्य में पर्यावरण की अनदेखी है। धरती के प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध शोषण से जीवों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। देश में इसके विनाशकारी प्रभाव दिखाई दे रहे हैं। उत्तराखण्ड व हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संव‌र्द्धन शिविरों के जरिये हमने व्यावहारिक संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया है।उन्होंने पर्यावरण और नदी बचाओ अभियान के तहत किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया। कहा कि गीता में श्रीकृष्ण ने कहा कि हे अर्जुन मै स्थिर हूं, हिमालय हूं। महाकवि कालिदास     ने जिस हिमालय को पृथ्वी का मेरुदंड  कहा है उसकी बिगड़ती दशा गंभीर चिंता का विषय होनी चाहिए।
 स्थानीय परिस्थितियों वैश्विक तापवृद्धि के कारण हमारे हिमनद खिसक रहे हैं। अध्ययनों से पता चला कि 1962 से 2004 के बीच भागीरथी के 126 हिमनदों में से 11 फीसदी समाप्त हो गए। बैजनाथ से निकली अलकनंदा के 187 में से 13 फीसदी, गौरी गंगा के 60 हिमनदों में से 16 फीसदी नष्ट हो चुके हैं। यह हमारी नदियों और पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। हमने बनारस से गाजीपुर तक दौरा किया। गाजीपुर में कैथी गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। युवा नवीनतम ज्ञान, कौशल तथा अनुसंधान का इस्तेमाल कर पर्यावरण संरक्षण में बेहतर योगदान दे सकते हैं। विवि के शिक्षकों पर अपने क्षेत्र की प्राकृतिक परिवेश के विविध आयामों को समझने और समझाने की जिम्मेदारी है। अधिक प्राप्त करो और अधिक उपभोग करो की परिपाटी हामारी सामाजिक और आर्थिक संरचना के लिए घातक साबित हो रही है। पर्यावरणविद श्री   भट्ट ने युवाओं को पर्यावरण और नदियों के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। कहा कि युवा कोशिश करें कि प्रतिभा, कौशल और ऊर्जा का लाभ देश को मिले। उन्होंने कहा कि हमें विश्वविद्यालय जाने का अवसर नहीं मिला लेकिन आज के युवा अपने अवसर का सही इस्तेमाल करें। 
कुलपति प्रो सुन्दर लाल 
कुलपति प्रो. सुंदर लाल जी ने महामहिम जी और मुख्य अतिथि जी का स्वागत करते हुए विवि की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विवि ने आन लाइन फार्म की व्यवस्था, मूल्यांकन सुधार, कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के साथ विश्वविद्यालय में लम्बे समय से एक ही पटल पर जमे कर्मचारियों का स्थानांतरण ,कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमीनार के साथ गरीबों  के लिए सम्मान सहित सहायता   बापू बाजार लगवाए हैं। स्वागत भाषण में कुलपति जी  ने विवि में सुधार को उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि मूल्यांकन में पारदर्शिता को सभी उत्तर पुस्तिकाओं की कोडिंग कराई गयी। नियमों के विपरीत आचरण करने पर 88 महाविद्यालयों, शिक्षकों व कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी। इससे पहले कार्य परिषद और विद्या परिषद के सदस्यों ने शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा की अगवानी कुलसचिव डा. बीएल आर्य ने की। इस दौरान परीक्षा नियंत्रक आरएस यादव समेत सभी सदस्य मौजूद थे.
 इससे पूर्व श्री राज्यपाल, मुख्य अतिथि  जी  व कुलपति जी   ने 31 मेधावियों को गोल्ड मेडल व 350 को पीएचडी की उपाधि प्रदान की। मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
बापू बाजार को सराहा 
कुलपति प्रो.सुंदरलाल जी  की पहल पर पूर्वाचल विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किये गये बापू बाजार कार्यक्रम की श्री राज्यपाल बीएल जोशी व मुख्य अतिथि श्री चंडी प्रसाद भट्ट ने जोरदार सराहना की। उन्होंने कहा कि इस अभिनव पहल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की जरूरत है। गौरतलब है कि बापू बाजार के तहत प्रत्येक माह के अन्तिम रविवार को सम्बद्ध कालेजों में कार्यक्रम का आयोजन कर गरीबों को 2 से 10 रुपये में वस्त्र व दैनिक उपयोगी मूल्यवान वस्तुएं प्रदान की जाती हैं।

Thursday 19 January 2012

सामाजिक सरोकार निभाने में गत वर्षों में विश्वविद्यालय का सक्रिय योगदान रहा है। अपने रजत जयंती वर्ष में विश्वविद्यालय जनपद और पूर्वांचल के ऐसे लोक संगीत कलाकारों को सम्मानित करेगा जो कि   लोकसंगीत में महारत हासिल करने के बाद भी गुमनामी के दौर में हैं। जौनपुर का सांस्कृतिक अतीत बहुत स्वर्णिम रहा है, जिसकी  विरासत को सहेजने के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से यह एक विनम्र प्रयास है। ऐसे गुमनाम लोक कलाकारों को सम्मानित कर विश्वविद्यालय अपनी पहचान देगा। जौनपुर क्षेत्र के आंचलिक लोकगीत जैसे-फगुआ,चैता,चहका,चैताल,उलारा,बेलवईया,कहरवा आदि संकलन तथा प्रसार के अभाव  में लुप्तप्राय हो चले हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय इसी रजत जयंती वर्ष में  स्थापित होने वाले अपने सामुदायिक रेडियो के जरिये लोकप्रिय बनाएगा और उनसे जुड़े कलाकारों को सम्मानित भी करेगा।