Thursday 26 March 2015

बाल श्रम के मामलों में परिवार की काउन्सिलिन्ग आवश्यक



विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास विभाग एवं यूनीसेफ, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में जौनपुर के पांच विकासखंडों जिनमें मुफ़्तीगन्ज, महाराजगंज, सिरकोनी, सिकरारा और रामनगर के बाल अधिकार समिति सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जौनपुर कलेक्ट्रेट के प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में इन विकासखंडों के पुलिस अधिकारी, खन्ड विकास अधिकारी, बाल संरक्ष्ण समिति के सदस्यों ने मुख्य रूप से सहभागिता की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जौनपुर के जिलाधिकारी श्री भानुप्रसाद गोस्वामी ने की। इस अवसर पर उन्हौने बालश्रम के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बालश्रम के मामलों में बच्चे के परिवार की काउंसिलिन्ग  का अत्यधिक महत्व होता है। उन्होंने  कहा प्रत्येक जिम्मेदार अधिकारी को ऐसे मामलों में कार्यवाही करते वक्त ये जरूर याद रखना चाहिए कि हम भी कभी बच्चे थे ।
इन बच्चों को वे सभी अधिकार प्राप्त है जो हम सभी को हैं, हमारा संविधान हमें किसी भी बच्चे से काम लेने का अधिकार नहीं देता। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि जनपद के पुलिस अधीक्षक श्री बी.पी. श्रीवस्तव ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आज के दौर में अत्यधिक प्रासंगिकता हो गई है। उन्होंने  जोर देकर कहा कि अच्छे बचपन से ही एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण संभव है उन्होंने  आशा व्यक्त की इस प्रकल्प में पुलिस विभाग अपनी सक्रिय और सकारात्मक भूमिका  अवश्य निभाएगा अन्यथा पुलिस विभाग पर इसका सामाजिक दोष लगेगा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की निदेशिका और एच.आर.डी. विभाग की अध्यक्षा डॉ. संगीता साहू ने इस प्रक्ल्प की विगत दो माह से चल रही गतिविधियों की प्रगति आख्या प्रस्तुत की और बताया कि पांच विकास खंडों मे कुल 9338 लोगों को 338 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के द्वारा प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने  जोर दिया कि समस्त कार्यक्रमों में पुरुष की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण है क्यूकि भारतीय परिवारों में बालश्रम या बाल विवाह के निर्णय मे परिवार का मुखिया जो कि सामान्यत: पुरुष होता है, निर्णय लेता है
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनीसेफ, लखनऊ से श्री सुधीर राय, राज्य आई.सी.पी.एस. समन्वयक श्री साबिर इकबाल, राज्य प्रोग्राम कम्यूनिकेशन कन्सल्टेंट सुश्री अपूर्वा, और शिवा, आली संस्था, लखनऊ एवं श्री जावेद अंसारी, जिला समन्वयक ने मुख्य प्रशिक्षकों की भुमिका निभाई। इस अवसर पर एच.आर.डी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाश पाथर्डीकर ने समस्त अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर जौनपुर जनपद के जिला विकास अधिकारी श्री तेज प्रताप मिश्र, जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री अनिल सोनकर, श्री संजय उपाध्याय, अध्यक्ष, जिला बाल कल्याण समिति, डॉ.एच.सी. पुरोहित, समेत कई गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अविनाश पाथर्डीकर ने किया। 

Sunday 22 March 2015

जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन


विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलोजी विभाग के तत्वावधान में दिनांक 21 मार्च से चल रहे जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन देश के विभिन्न भागों से आए हुए प्रतिभागियों ने कुल 55 शोध पत्र प्रस्तुत किए। संगोष्ठी भवन तथा संकाय भवन के कान्फं्रेस हाल में समानान्तर सत्रों के बीच आज प्रतिभागी वैज्ञानिकों ने पर्यावरणीय प्र्रदूषकों, उत्परिवर्तन, वाह्य आनुवंशिकीय कारकों के वंशानुगत प्रभावों पर अपने शोध पत्र पढे़। प्रो. वी. के सिंह एवं भारतीय विज्ञान कथा लेखन समिति के सचिव डा. अरविंद मिश्र की संयुक्त अध्यक्षता में कान्फं्रेस हाल की मुख्य प्रस्तुतियों में सी. एस. आई. आर लखनऊ के प्रोफेसर डी कर चौधरी , गोवा विश्वविद्यालय के  प्रोफेसर संतोष दुबे एवं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की डा. कविता शाह के मुख्य संबोधनों में पर्यावरणीय प्रदूषकों और उनके नियंत्रण की जैव प्रौद्योगिकीय रणनीतियांे पर विशेष बल दिया गया। प्रोफेसर चौधरी नेे ड्रासोफिला मक्खी के माडल के जरिये यह प्रदर्शित किया कि कैसे लक्षित वंशाणु (जीन) मंे उत्परिवर्तन से उन्हें कतिपय बीमारियांे के प्रभाव से मुक्त किया जा सकता है। और इन परिणामों से मनुष्य के पार्किन्सन एवं एल्जाइमर जैसे स्नायुतन्त्रीय बीमारियों के इलाज की नई संभावनाएं जगी है। डा. संतोष दुबे ने अपने शोध के माध्यम से यह इंगित किया है कि कैसे समुद्री वातावरण में कई सूक्ष्मजीव स्वयं को हानिकारक प्रदूषणों से बचाते हैं और प्रतिरोधी क्षमता विकसित करते है। इस प्रक्रिया को मनुष्य के संदर्भ में अंगीकार करने के लिए संभावनाये हैं। डा. कविता शाह ने ऐसे जैव सूक्ष्म तरीेकों का जिक्र किया जिनसे फसल सुरक्षा एवं उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। अन्य शोध पत्रों में तैलीय प्रदूषणों सूक्ष्मजीवी निवारण, औद्योगिक प्रदूषण विभिन्न पौधों से औषधीय रसायनों के जैव प्रौद्योगिकीय उत्पादन, जैव प्लास्टिक, गंगा घाटों पर ठोस अपशिष्टों के जमाव प्रंबध और निस्तारण के विविध पहलुओं पर चर्चा की गई। 
सी.सी.एम.बी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राकेश मिश्र, प्रो. डी.डी दूबे एवं आई.जी. आई बी नई दिल्ली के वैज्ञानिक डा. द्वैपायन भारद्वाज की संयुक्त अध्यक्षता में संगोष्ठी भवन में आयोजित समानान्तर सत्रों की मुख्य प्रस्तुतियों में बी एच यू के प्रो. राजीव रमन, आई.जी. आई. बी. नई दिल्ली के वैज्ञानिक डा. शान्तनु सेन गुप्ता, बी.एच.यू. के प्रो. जी नारायण, सी.डी.आर.आई के वैज्ञानिक डा. बीएन सिंह, पी.जी.आई लखनऊ की प्रो. शुभ राव फडके, जालमा आगरा के डा. यूडी गुप्ता एवं बी एच यू के प्रो. गोपाल नाथ ने अपने उत्कृष्ट शोध पत्र से सबको प्रभावित किया। 

 इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुल आठ सत्र संचालित किये गये जिसमें आणविक जैव प्रौद्योगिकी, जैव शुद्धिकरण, जैव प्रसंस्करण एवं सूक्ष्म जीव जैव प्रौद्योगिकी, बायोइनफारमेटिक्स एवं नैनो टेक्नोलाॅजी, चिकित्सकीय जैव प्रौद्योगिकी, जैव एवं पादप प्रौद्योगिकी, क्लीनिक बायोटेक्नोलाॅजी तथा पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी आदि शामिल है। 
इन सत्रांे मंे 18 राज्यों, विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों से आए हुए  वैज्ञानिक एवं शिक्षाविदों द्वारा कुल 200 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी की आयोजन सचिव डा. वंदना राय एवं डा. प्रदीप कुमार द्वारा आए समस्त प्रतिभागियांे एवं वैज्ञानिकांे का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। आए हुए प्रतिभागियों ने इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय एवं आयोजकांे की जमकर तारीफ की एवं बायोटेक्नालाजी के क्षेत्र में इस आयोजन को मील का पत्थर बताया। विभिन्न समानान्तर तकनीकी सत्रों का संचालन डा. एच. सी. पुरोहित, डा. राजेश शर्मा एवं डा. एस. पी तिवारी ने किया। इस अवसर पर डा. अविनाश पाथर्डिकर, डा. मनोज मिश्र, डा. अवध बिहारी सिह, डा. कार्तिकेय शुक्ला, डा. सुधीर उपाध्याय, डा. विवेक पाण्डेय, ऋषि श्रीवास्तव, चंद्रशेखर सिंह मौजूद रहे। 
उत्कृष्ट शोधपत्र प्रस्तुत करने वालों में अनीता सिंह , विष्णु त्रिपाठी को   संयुक्त रूप से प्रथम व पोस्टर में शोध छात्र उपेंद्र यादव को प्रथम पुरस्कार दिया गया।





Saturday 21 March 2015

जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी


 विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में बायो टेक्नोलाॅजी विभाग द्वारा आयोजित जैव प्रौद्योगिकी एवं मानव कल्याण विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ बी.एच.यू. के पूर्व कुलपति पद्यश्री डा. लालजी सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव अफ्रीकी महाद्वीप से अण्डमान-निकोबार भारत होते हुए दक्षिण पूर्व एशिया की ओर गया था। अफ्रीकी महाद्वीप के मलाई झील के पानी का 95 प्रतिशत जल सूख जाने के कारण सम्भावना है कि उनका पलायन हुआ हो। यह पलायन 135 से 75 हजार वर्ष पूर्व हुआ। डा. सिंह ने कहा कि भारत में 4635 परिभाषित जनसंख्या के प्रकार हैं। 532 जनजातियां हैं जो कि हमारी कुल जनसंख्या की 7.76 प्रतिशत हैं। काश्मीरी पण्डित, पाकिस्तानी पठान और यूरोपियन में काफी आनुवांशिक समानताएं पायी गयी हैं। इस तरह भारत में पश्चिम बंगाल और केरल, चीन तथा पूर्वोत्तर भारत के लोगों में भी काफी आनुवंशिक समानताएं हैं।

यूरोप की जिप्सी जनजाति की आनुवांशिक समानता भारत के आंध्र प्रदेश की जनजाति से मेल खाती है। इससे यह सिद्ध होता है कि यहां के मूल निवासी यूरोप तक गये। इस जनजाति के केवल 12 लोग की बचे हैं। इसके मूल कारणों में से एक प्रमुख का इण्डोगामी है। इस जनजाति के लोग आपस में ही वैवाहिक सम्बन्ध बनाते हैं। इनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होते रहने के कारण आज इनका अस्तित्व ही संकट में है। उन्होंने कहा कि अध्ययनों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि आर्य एवं द्रविड़ जैसी कोई प्रजाति नही थी। आर्य स्थानीय थे।
अपने अध्यक्षीय उद़बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि
हमारे वैज्ञानिकों ने देश की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दिया है। आज आवश्यकता है कि जैव विविधता के जरिये हम फल और सब्जियों के उत्पादन तथा संरक्षण में और व्यापक विस्तार दें। आवश्यकता अन्वेषण की जननी है। हम सभी उत्तम प्राप्त करना चाहते हैं। सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक बदलाव के चलते आवश्यकता बदलती रहती है। इसी के चलते नये-नये अन्वेषण जन्म लेते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन प्रकृति का खूबसूरत तोहफा है। आज हमारी प्रगति हरित क्रांति, श्वेत क्रांति एवं आई.टी. के चलते ही वैश्विक स्तर पर हो पायी है। जिस तरह आई.टी. के फैलाव को आज जीवन के हर क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है। उसी तरह वैज्ञानिक शोधों को भी आम जन तक ले जाने की जरूरत है।

कार्यक्रम के पूर्व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत एवं सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गयी। स्वागत प्रो. डी.डी. दूबे ने किया। डा. प्रदीप कुमार ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया। संगाष्ठी के विषय वस्तु एवं तकनीकी सत्रों पर आयोजन सचिव डा. वन्दना राय ने प्रकाश डाला। संचालन डा. एच.सी. पुरोहित द्वारा एवं आभार प्रो. वी.के. सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. रामजी लाल, डा. अविनाश पाथर्डिकर, डा. रामनारायन, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. संगीता साहू, डा. मनोज मिश्र, डा. राजेश शर्मा, डा. एस.पी. तिवारी, डा. प्रवीण प्रकाश, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. विनय वर्मा सहित प्रतिभागीगण एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।



Friday 13 March 2015

मीडिया भी मानव जीवन का अभिन्न अंग: प्रो. पाठक


              जनसंचार विभाग में संचारः विज्ञान और तकनीकी विषयक विशेष आमंत्रण व्याख्यान
                        
वरिष्ठ पत्रकार और मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान वाराणसी के पूर्व निदेशक प्रो. राममोहन पाठक ने कहा कि आज रोटी, कपड़ा और मकान की तरह मीडिया (संचार) भी मानव जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। आज हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में विज्ञान और तकनीकी से जुड़ा है। आज की मीडिया इससे अलग नही हैं।
प्रोफेसर पाठक वृहस्पतिवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में विद्यार्थियों को संचारः विज्ञान और तकनीकी विषयक विशेष आमंत्रण व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने  कहा कि विज्ञान सिद्धांत और मीडिया तकनीक है। विज्ञान वो अमूर्त विद्या है जो टेक्नालाजी को जन्म देती है। आज की मीडिया टेक्नालाजी से पूरी तरह बंध गयी है। मीडिया के माध्यम से मनुष्य अपने कैरियर को संवारता और संभालता है। उन्होंने मीडिया के विभिन्न आयामो पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण के सिद्धांत में ही मनुष्य के जीवन के कई रहस्य छिपे हैं। उन्होंने सफल पत्रकार बनने के गुणों को बताते हुए कहा कि इसके लिए भी लेखनी और वाणी के साथ-साथ आधुनिक तकनीकी का ज्ञान जरूरी है।
स्वागत डा. अजय प्रताप सिंह, धन्यवाद ज्ञापन डा. सुनील कुमार एवं संचालन प्राध्यापक डा. मनोज मिश्र द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा. दिग्विजय सिंह राठौर डा. रूश्दा आजमी सहित विभाग के समस्त विद्यार्थी मौजूद रहें।

बाल श्रम समस्या एवं उनके अधिकार हम सभी की जिम्मेदारी : जोचिम थीस



प्रबंध अध्ययन संकाय के मानव संसाधन विकास विभाग में आयोजित एक दिवसीय इंटरएक्शन कार्यक्रम में श्री जोकिम थीस, मुख्यअधिकारी, बाल संरक्षण, यूनीसेफ, ईडिया कन्ट्री कार्यालय, नई दिल्ली, सुश्री मिहो योशिकावा, यू.एन.वी. बाल संरक्षण अधिकारी एवं श्री आफताब अहमद, राज्य बाल संरक्षण विशेषज्ञ, लखनऊ ने आज अपने विचार प्रस्तुत किए।विश्वविद्यालय आगमन पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीयूष रंजन अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया। इस कार्यक्रम में एच.आर.डी. विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता साहू ने बताया कि यूनीसेफ एवं एच.आर.डी विभाग संयुक्त रूप से बाल-श्रम एवं उनके अधिकारों की जागरूकता के लिए जौनपुर जनपद के पांच विकासखंडो में बाल संरक्षण एवं बालाधिकार पर प्रशिक्षण आयोजित किया जिसमें 338 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में 9229 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है ।
 इस परिचर्चा के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश की बाल अधिकार एवं उनकी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि आने वाले समय में भी विश्विद्यालय इस प्रकार के आयोजन करता रहेगा और इस दिशा में अपनी सहभागिता देगा। उक्त कार्यक्रम के पश्चात प्रबंध अध्ययन संकाय में शिक्षकों, प्रशिक्षकों एवं छात्रों के साथ औपचारिक वार्ता के कार्यक्रम में विभिन्न बिंन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की गई एवं प्रशिक्षण के दौरान आइ समस्याओं और उनके निराकरण पर बारी-बारी से सभी ने अपने विचार प्रस्तुत किए। अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री जोकिम थीस ने कहा कि बाल-श्रम एवं उनके अधिकार एक गंभीर समस्या है और इसका निराकरण हम सभी की जिम्मेवारी है। यूनीसेफ इस ओर अपनी सहभागिता पूरी तरह से निभा रहा है। 
उन्होंने  कहा कि इसके सकारात्मक परिणाम आने मे कुछ समय जरूर लगेगा परन्तु स्थिति में सुधार अवश्य आएगा। यूनीसेफ आने वाले समय में इस प्रकार के कार्यक्रम विश्विद्यालय के साथ करने के लिए उत्सुक है। इस अवसर पर  प्रोफेसर रामजीलाल, डॉ रसिकेश, श्री मोअज्जम, कु.निवेदिता, श्री अबु तुराब, श्री लाल प्रकाश राही ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर श्री योगेश कुमार, उत्तर प्रदेश राज्य सलाहकार, यूनीसेफ, श्री जावेद अंसारी, जिला सम्न्वयक, यूनीसेफ, श्री चन्दन राय, जिला बाल संरक्षण अधिकारी डॉ. आशुतोष सिंह, श्री अभिनव श्रीवास्तव, श्री अनुपम कुमार सहित संकाय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन  डॉ. अविनाश पाथर्डीकर ने दिया।



Monday 2 March 2015

अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय महिला हॉकी प्रतियोगिता


जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर ने शनिवार को अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय महिला हॉकी प्रतियोगिता के फाइनल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को 3-1 से हरा कर खिताब जीता