Monday 30 October 2017

पीएचडी प्रवेश 2017 आवेदन पत्रों की जमा करने की तिथि बढ़ी


 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ राजाराम यादव ने पी-एचडी प्रवेश 2017 में  इच्छुक अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों की जमा करने की तिथि 10 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है।  जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजीव कुमार सिंह ने बताया कि अभ्यर्थी अपना आवेदन पत्र समस्त निर्धारित प्रपत्रों  की छाया प्रतियों के साथ संबंधित समस्त राजकीय एवं अनुदानित महाविद्यालय   के सम्बंधित विभागों एवं परिसर में संचालित पाठ्यक्रमों   में व्यक्तिगत रूप से या रजिस्टर्ड डाक द्वारा 10 नवंबर की शाम 4:30 बजे तक जमा कर सकते हैं। 10 नवंबर  के बाद प्राप्त आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक अर्हता प्राप्त अभ्यर्थी का आवेदन फार्म संबंधित संस्थानों के प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष स्वीकार करेंगे तथा संबंधित महाविद्यालयों द्वारा दिनांक 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक अपने स्तर पर साक्षात्कार की प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी। इसके बाद विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य अपने माध्यम से समस्त प्रपत्रों  सहित शोध प्रस्ताव विश्वविद्यालय को 23 दिसंबर तक उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने बताया कि यह निर्देश समस्त राजकीय एवं  अनुदानित महाविद्यालय के प्राचार्य एवं विश्वविद्यालय परिसर में संचालित पाठ्यक्रमों के विभागाध्यक्ष, शोध निर्देशक एवं पीएचडी प्रवेश  हेतु समस्त शोध निर्देशकों  एवं प्राचार्यों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा भेजा जा रहा है। 

पुरातन संस्कृति से विद्यार्थियों जोड़ना होगा - प्रो० गौतम


पूर्वांचल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सम्मलेन का हुआ समापन 

 विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य  में चल रही तीन दिवसीय सम्मेलन का सोमवार को इंजिनियरिंग संस्थान के विश्वेशरैया हॉल में  समापन हुआ।तीसरे दिन भारत में प्राचीन शिक्षा पद्धति व एकात्म मानववाद और भारतीय मूल्य विषयों पर  सत्र का आयोजन किया गया।
 विभिन्न सत्रों में मुख्य वक्ताओं के क्रम में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर नरेश चंद्र गौतम ने कहा कि आज के दौर में गुरु शिष्य के संबंधों की पुरातन संस्कृति समाप्त हो गई है.विलुप्त हुई संस्कृति को  नई पीढ़ी से पुनः जोड़ना होगा।उन्होंने कहा कि विदेशों की नकल कर शिक्षा का निजीकरण कर दिया गया.धनवान व्यक्तियों ने शिक्षा को उद्योग बना दिया है और आज यह लाभ के केंद्र तक सीमित हो गए हैं.उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता  मिली है लेकिन बहुत सारे ऐसे नियम है जिससे सहायता प्रभावित हो रही है.
अरुंधति वशिष्ठ अनुसन्धान पीठ के  निदेशक डॉ चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि भारत में पुरातन व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा ऐसी  थी जिससे  मोक्ष मिलता था। लेकिन आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य बदल गया है।आज शिक्षा के बिना सर्वांगीण विकास संभव नहीं है और इसके मूल को समझने की आवश्यकता है।
वाराणसी के उद्योगपति दीनानाथ झुनझुनवाला ने कहा कि छात्र राजनीति गलत दिशा में जा रही है.राजनीतिक पार्टियों के  छात्र संघ में हस्तक्षेप पर रोक लगनी चाहिए।
काशीि हिन्दू विश्वविद्यालय  के गणित के प्रोफेसर डॉक्टर एसके मिश्रा  ने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा के लिए बहुत कम बजट है.भारत में जहां कुल बजट का 1.5 5% है वही चाइना में 15.72 प्रतिशत बजट की व्यवस्था है.सरकारों को उच्च शिक्षा में सुधार के लिए इस बजट को बढ़ाना चाहिए।उन्होंने देश में उच्च शिक्षा की स्थिति पर विस्तार से अपनी बात रखी.

अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजाराम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए विद्यार्थी सबसे महत्वपूर्ण है उनके बिना कोई संस्थान सजीव नहीं हो सकता।ऐसे में ऐसी विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति निर्मित हो जो विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के में सहायक हो सके.उन्होंने राज्य विश्वविद्यालयों को अनुदान बढ़ाने पर भी जोर दिया।

सम्मेलन के संयोजक डॉ अविनाश पर्थिडेकर ने  तीन दिवसीय सम्मेलन की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ मुराद अली ने किया।
इस अवसर  पर डॉ विनोद सिंह, डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉक्टर बी डी शर्मा, डॉ आर एन ओझा, डॉक्टर ए के श्रीवास्तव, डॉ अजय द्विवेदी, डॉ मनोज मिश्र, डॉक्टर हिमांशु सिंह, डॉ राजेश शर्मा, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉक्टर सुनील कुमार, डॉक्टर अवध बिहारी सिंह, डॉक्टर अमरेंद्र  सिंह, डॉक्टर सुशील सिंह समेत तमाम  उपस्थित रहे. 

Sunday 29 October 2017

तीन दिवसीय सम्मेलन में दूसरे दिन वक्ताओं ने किया विचार मंथन



 विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति विषयक तीन दिवसीय सम्मेलन में रविवार को दूसरे दिन वक्ताओं ने विचार मंथन किया।

इंजीनियरिंग संस्थान के विश्वेसरैया हाल में उच्च शिक्षा पद्धति में बदलाव, उच्च शिक्षा के प्रति पंडित दीनदयाल उपाध्याय का दृष्टिकोण, एकात्म मानववाद और शिक्षा पद्धति विषयों पर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। हिमांचल  प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री ने कहा कि अगर हिंदुस्तान को विश्वगुरु बनाना है और 125 करोड़ लोगों के अंदर ताकत पैदा करनी है तो शिक्षा की पद्धति को भारतीय भाषाओं में करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमारी विश्वविद्यालय में शिक्षा पद्धति ऐसी बने जिससे छात्रों के मन में प्रश्न पैदा हो और विद्यार्थी उसके उत्तर ढूंढने के लिए व्याकुल हो जाए।


सामाजिक चिंतक -विचारक एवं वरिष्ठ संघ प्रचारक  रत्नाकर ने कहा कि भारतीय समाज का चिंतन, मूल्य, संस्कृति एवं अवधारणा भारतीय शिक्षा का आधार होगी तब जाकर हम दुनिया का मार्गदर्शन कर सकेंगे। आज के समय में हमें समीक्षा करने के साथ-साथ चिंतन करने की आवश्यकता है। कुछ मुट्ठी भर लोगों ने आर्य- अनार्य की गलत व्यख्या कर समाज में गलत सन्देश देने की कोशिश की। सबसे पहले इसका खंडन भारत रत्न बाबा साहब भीम राव  अम्बेडकर ने ही किया है। जब तक भारत का प्राचीन ज्ञान -विज्ञान पुनः प्रस्फुटित नहीं होगा तब तक विश्व का कल्याण संभव नहीं है। 



महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मदन मोहन हिंदी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक प्रो ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि  शिक्षा केवल रोजगार के लिए नहीं बल्कि आत्मचिंतन, मूल्य एवं आचरण पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को संदर्भित करते हुए कहा कि जो विद्यार्थी पैसे के बल पर डिग्री पाते हैं उनके अंदर राष्ट्रप्रेम नहीं हो सकता।



सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय  के प्रोफेसर पी एन सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में एकात्म मानववाद एक अनुपम प्रयोग है। एकात्म मानववाद पर आधारित शिक्षा व्यवस्था केवल पाठ्यक्रमों पर आधारित सूचनाओं का आदान प्रदान करने वाली शिक्षा व्यवस्था नहीं है बल्कि इसके कि केंद्र में विद्यार्थी का संपूर्ण व्यक्तित्व है।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की प्रोफेसर कल्पलता पांडेय ने कहा कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के समय शिक्षकों को विद्यार्थियों द्वारा पूरे वर्ष की गई मेहनत को ध्यान में रखना चाहिए बिना पढ़े मूल्यांकन करना एक बड़ा अपराध है।
सामाजिक कार्यकर्ता सुनील भराला ने कहा कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में संस्कार का अभाव है। शिक्षा व्यवस्था राष्ट्रीय सोच की होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था बने जिससे देश के अंतिम नागरिक शिक्षित हो सके।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिकी के पूर्व प्रोफेसर राम गोपाल ने कहा कि आज शिक्षा का निजीकरण हो गया है। अधिकांश महाविद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है।उन्होंने कहा कि जब प्राथमिक शिक्षा मजबूत होगी तब उच्च शिक्षा में अच्छे विद्यार्थी आएंगे। 
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ राजाराम यादव ने वक्ताओं को स्मृति चिन्ह  देकर सम्मानित किया। सत्र में संचालन डॉ. मुराद अली एवं धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ अविनाश पाथर्डीकर ने किया. दूसरे दिन आयोजित सत्र में शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
सम्मेलन में डॉक्टर बी डी शर्मा, डॉक्टर जगदीश सिंह दीक्षित, शतरुद्र प्रताप सिंह , डॉक्टर अजय द्विवेदी, डॉ राजेश शर्मा,  डॉ आशुतोष सिंह ,डॉक्टर ए के श्रीवास्तव, डॉक्टर एस पी तिवारी, डॉ आर एन ओझा, डॉक्टर मनोज मिश्रा ,डॉक्टर दिग्विजय सिंह राठौर, डॉक्टर सुनील कुमार, डॉ अमरेंद्र सिंह, डॉक्टर सुशील सिंह, डॉ आलोक सिंह, डॉक्टर विवेक पांडे, डॉक्टर सुधीर उपाध्याय, शैलेश प्रजापति, परमेन्द्र विक्रम सिंह  समेत तमाम लोग मौजूद रहे ।

नाद ही ब्रह्म - प्रो डॉ राजाराम यादव




विश्वविद्यालय में  सांस्कृतिक संध्या  सम्पन्न 

 विश्वविद्यालय में रविवार की रात सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। छतरपुर मध्यप्रदेश से पधारे मृदंग मार्तंड पंडित अवधेश कुमार द्विवेदी, संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायक पंडित सत्य  प्रकाश मिश्र एवं स्वामी शांति देव महाराज के शिष्य तथा ठुमरी एवं तराना  गायन में सिद्धहस्त कुलपति  प्रो डॉ   राजाराम यादव की युगलबंदी ने श्रोताओं  को अपने उत्कृष्ट गायन से मंत्रमुग्ध  कर दिया। इस अवसर पर मालकोश राग में रावण- मंदोदरी संवाद पर प्रो डॉ राजाराम यादव की प्रस्तुति- मैं कहां जाऊं कासे कहूं पर श्रोता  झूम उठे। उनके द्वारा  प्रस्तुत तराना एवं  ठुमरी बुद्धि न जागी,निकल  आयो  घमवा,जब जागी तब मूरत पायी,आगि लागे धंधा   वज्र परे कमवा पर   समूचा हाल तालियों की गूंज से अनुगुंजित होता  रहा।   शास्त्रीय गायक पंडित सत्यप्रकाश मिश्र द्वारा प्रस्तुत भजन एवं मृदंगाचार्य   पंडित अवधेश कुमार द्विवेदी  के शिव तांडव स्त्रोत पर मृदंग वादन ने लोगों का मन मोह लिया।  इस   अवसर पर  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरुंधति वशिष्ठ अनुसन्धान पीठ के  निदेशक डॉ चंद्र प्रकाश सिंह  ने कहा कि संगीत मानसिक तनाव से मुक्ति देता है।  अपने उदबोधन में कुलपति  प्रो  डॉ राजाराम यादव ने कहा  कि नाद ही ब्रह्म है। आहत नाद को ब्रह्म नहीं माना गया लेकिन अनाहत नाद को ब्रह्म की संज्ञा से अभिहित किया गया है।  धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ. अविनाश पाथर्डीकर एवं संचालन  मीडिया प्रभारी डॉ  मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर डॉ अजय द्विवेदी, डॉ राम नारायण, डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ अमरेंद्र सिंह , डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ रजनीश भास्कर, डॉक्टर संतोष कुमार, डॉ राजकुमार सोनी, डॉ सुशील सिंह, डॉ अलोक सिंह , डॉ विवेक पांडे, डॉ रजनीश भास्कर ,आलोक दास डॉ संजय श्रीवास्तव डॉक्टर विद्युत मल, डॉ पीके कौशिक, सुशील प्रजापति, धीरज श्रीवास्तव समेत विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। 

Saturday 28 October 2017

युवाओं का मार्गदर्शन करें शिक्षण संस्थान - राम नाईक

 विश्वविद्यालय में शिक्षा पद्धति विषयक तीन दिवसीय  सम्मलेन शुरु 
राज्यपाल ने किया सम्मलेन का उद्घाटन 


जौनपुर :वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में शनिवार को संगोष्ठी  भवन में भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति विषयक तीन दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत हुई।

सम्मेलन के उद्घाटन  सत्र में प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक  ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी देश की प्रगति में वहां की शिक्षा पद्धति का विशेष योगदान होता हैl यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे पास सबसे बड़ी पूंजी के रूप में युवा है, संख्या शास्त्र बताता है कि 2025 में भारत विश्व की सबसे बड़ा युवा शक्ति  वाला देश होगाl  इसका उपयोग शिक्षा के माध्यम से ही करना होगा l उन्होंने कहा कि देश का जिम्मा युवाओं के हाथ में है इन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है यह  काम शिक्षा संस्थान  ही कर सकते हैं l उन्होंने कहा कि संगोष्ठी का विषय प्रासंगिक और उपयोगी है l ऐसे में जो भी विचार आए उसके निष्कर्ष मुझे भी भेजे जाएं ताकि मैं उसे अमल मे ला सकूं। उन्होंने कहा  कि विश्वविद्यालय शोध कराने की फैक्ट्री ना बने इसके बजाय उसे शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर देना चाहिए l  इसी को ध्यान में रखकर मैंने कुलपति गण  की बैठक बुलाई। उन्होंने  महिला सशक्तिकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि पहले शिक्षा और नर्सिंग के क्षेत्र में महिलाएं नौकरी करती थी अब वह पुलिस -सेना से लेकर बड़े बड़े पदों पर कुशलता के साथ  सेवारत  हैं।  इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों को  ऐतरेय ब्राह्मण के सूत्र चरैवेति चरैवेति - चलते रहो  का  मंत्र दिया।  


विशिष्ट अतिथि  बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो रमेश चंद्रा ने कहा कि पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था बदलाव के राह पर हैl हम विश्व में टॉप फाइव पर आने के इच्छुक हैं lइसके लिए हमें कड़ी मेहनत की जरूरत है।  उन्होंने शिक्षा व्यवस्था और शासन की नीतियों का वर्णन करते हुए दोनों के बीच सामंजस्य पैदा करने की जरूरत पर बल दिया।  उन्होंने कहा  कि   मानदेय शिक्षकों से शिक्षा की गुणवत्ता को नहीं बढ़ाया जा सकता।  

विशिष्ट अतिथि कार्य परिषद के सदस्य डॉ दीनानाथ सिंह ने कहा कि शिक्षा मन का भाव हैl यह जब मन में सार्थक भाव आता है तो सृष्टि होती है।  lपंडित दीनदयाल उपाध्याय को उन्होंने मनीषी बताते हुए कहा कि  प्रतिभाशाली  छात्र होते हुए भी उन्होंने अपनी सारी डिग्रियों को ढिबरी में जला कर  देश के पुनर्निर्माण  में लग गए।   उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिबद्धता के लिए सुसंवाद का होना जरूरी है नहीं तो उसके मूल्य मर जाएंगेl

अतिथियों का स्वागत करते हुए  कुलपति प्रोफेसर डॉ  राजाराम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियों को अर्जित कर रहा है। देश का  यह पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जहां शोध की गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय ने अपने स्रोत से पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप की व्यवस्था की है। परिसर में सांस्कृतिक एवं नैतिक संचार हेतु श्री  राम कथा प्रवचन का आयोजन करने वाला यह देश का पहला विश्वविद्यालय हैं। उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास है कि  यहां के विद्यार्थियों को प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति के अनुरूप शिक्षा प्रदान की जाय। इसके लिए शीघ्र ही नए पाठ्क्रम प्रारम्भ किये जा रहे हैं। 

धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन के संयोजक डॉक्टर अविनाश पाथर्डीकर एवं संचालन मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर बी.बी. तिवारी,डालमिया कॉलेज मुंबई  प्राचार्य डॉ एन एन पांडेय,वित्त अधिकारी एम् के सिंह,कुलसचिव संजीव सिंह, प्रो आर एन त्रिपाठी, प्रो आर एन सिंह, डॉ यूपी सिंह , डॉ लालजी त्रिपाठी,डॉ जगदीश चंद्र दीक्षित,डॉ बी डी शर्मा, डॉ राजीव  प्रकाश सिंह, डॉ समर बहादुर सिंह,डॉ विजय कुमार सिंह, डॉ अजय दुबे, डॉ अखिलेश्वर शुक्ला ,डॉक्टर अजय द्विवेदी, डॉ सुनील कुमार, डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ वीरेंद्र विक्रम यादव, राकेश यादव, डॉ  दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ दिनेश सिंह, डॉ संतोष कुमार, डॉ आर.एन. सिंह , डॉ ए के सिंह,डॉक्टर अवध बिहारी सिंह समस्त विद्यार्थी कर्मचारी मौजूद रहे ।


सम्मेलन स्मारिका का  हुआ प्रकाशन
प्रधानमंत्री ने भेजा  सन्देश 

जौनपुर: पीयू में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के स्मारिका का प्रकाशन हुआ। स्मारिका में देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,राज्यपाल राम नाईक, उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, कुलपति प्रो डॉ राजा राम यादव के संदेश को भी प्रकाशित किया गया है।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन के लिए प्रेषित अपने संदेश में  देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि समय के साथ बदलती  चुनौतियों को देखते हुए विश्वविद्यालय की शिक्षण व्यवस्था में रचनात्मक बदलाव स्वभाविक है। विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है। अगले 5 सालों में 10 निजी और 10  सरकारी विश्वविद्यालयों को दस हजार करोड़ रुपए का फंड दिया जाएगा।
स्मारिका में शोध सरांशिका और कार्यक्रम विवरण प्रकाशित किया गया है। इसके संपादक मंडल में डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ राजेश शर्मा, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय  सिंह राठौर, डॉ सुधीर उपाध्याय, ,शैलेश प्रजापति ,मनीष सिन्हा  शामिल है।

उच्च शिक्षा के विविध आयामों पर हुई चर्चा 

सम्मेलन में पहले दिन उच्च शिक्षा की स्वायत्तता, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और उच्च शिक्षा का निजीकरण विषयों पर चर्चा हुई। जिसमें डालमिया कॉलेज मुंबई  प्राचार्य डॉ एन एन पांडेय,काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो आर एन  सिंह और डॉ जगदीश सिंह दीक्षित ने अपने विचार व्यक्त किये। 

कविता संग्रह का हुआ विमोचन 

सम्मेलन में कुलपति प्रो राजाराम यादव के  पिता आशु कवि दरबारी लाल यादव की रचनाओं का विमोचन राज्यपाल राम नाईक ने किया। इसके संपादक प्रो राजा राम यादव और डॉ पुनीत धवन है। 

Thursday 26 October 2017

पीयू में विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति पर मंथन को जुटेंगे शिक्षाविद


28 अक्टूबर को राज्यपाल करेंगे सम्मलेन का उद्घाटन 
विश्वविद्यालय तैयारियों को अंतिम रुप देने में जुटा 
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पंडित दीन दयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत 28 से 30 अक्टूबर तक तीन दिवसीय भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा पद्धति विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।संगोष्ठी का उद्घाटन 28 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर के संगोष्ठी भवन में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्री राम नाईक करेंगे। 

तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय विश्वविद्यालयों की वर्तमान स्थिति, प्रबंधन एवं संचालन, प्रवेश प्रक्रिया, अध्ययन एवं अध्यापन की प्रक्रिया, अध्यापक छात्र संबंध, परिषदों की भूमिका, छात्र संघ एवं उसका महत्व, अनुशासन एवं शिक्षण, परीक्षा एवं मूल्यांकन, प्रशासनिक एवं गैर शैक्षणिक व्यवस्था में आवश्यक सुधार, पाठ्यक्रम में आवश्यक संशोधन एवं परिष्कार, अंतर्विषयक अध्ययन की आवश्यकता एवं भारतीय विश्वविद्यालयों का सामाजिक सरोकार एवं उत्तरदायित्व आदि विषयों पर देश के विभिन्न भागों से आए विद्वतजन चर्चा करेंगे।इसके साथ ही शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने भी अपने शोध पत्र भेजे है।
संगोष्ठी में भाग लेने के लिए हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर नरेश चंद्र गौतम, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर रमेश चंद्रा, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर केपी पांडे, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रेम नारायण सिंह, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह, शिक्षाविद डॉ दीनानाथ सिंह, सामाजिक चिंतक एवं विचारक सुनील भराला समेत तमाम लोग मंथन करेंगे। 
सम्मेलन की तैयारी के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने समिति के समन्वयकों  को आवश्यक दिशा निर्देश दिए है। सम्मलेन के संयोजक डॉ अविनाश पाथर्डीकर ने बताया कि उद्घाटन सत्र में  को प्रवेश के लिए  विश्वविद्यालय द्वारा आमंत्रण पत्र प्रेषित किया गया है। आमंत्रण पत्र के साथ  अपना परिचय पत्र लाना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय परिसर में 27 अक्टूबर से सम्मेलन हेतु प्रतिभागी अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते है।  

Wednesday 25 October 2017

तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की हुई शुरुआत


शिक्षकों में उद्यमी की सोच होना जरुरी- डॉ विभा 
विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान के शोध एवं नवाचार केंद्र में उद्यमिता विकास के लिए तीन दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुई। इसका आयोजन उद्यमिता विकास संस्थान लखनऊ उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में किया गया है।इसमें इंजीनियरिंग संस्थान के शिक्षकों प्रतिभाग किया।

उद्धाटन सत्र में  उद्यमिता विकास संस्थान की  स्रोत विद्वान डॉ विभा  त्रिपाठी ने कहा कि विद्यार्थियों में उद्यमिता का विकास करने के लिए शिक्षकों की क्षमता में वृद्धि होना आवश्यक है। जब शिक्षकों की सोच में उद्यमिता होगी तो विद्यार्थी भी इसमें लाभांवित होंगे। उन्होंने शिक्षकों में उद्यमिता की सोच विकसित करने के लिए तमाम बातें की। उन्होंने कहा कि उद्यमिता विकास संस्थान राज्य स्तर पर उद्यमिता व मानव संसाधन विकास के लिए सेंटर ऑफ़ एमसीलेन्स के रूप में काम कर रहा है। हमने युवा वर्ग में उद्यमिता के विकास के लिए काफी सफलता पाई है।
इसी क्रम में लखनऊ से आई डॉ पद्मा अय्यर ने  संचार कौशल की बारीकियों पर  चर्चा की। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को  विद्यार्थियों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए सदैव प्रयासरत रहना चाहिए। इंजीनियरिंग संस्थान के शिक्षकों ने प्रतिभागी के तौर पर अपनी बात रखी।
संकायाध्यक्ष प्रो बीबी तिवारी ने कहा कि तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता वृद्धि कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार  के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 15 करोड़ का अनुदान मिला है जिसके अन्तर्गत विविध कार्यक्रम होंगे।इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए उन्होंने कुलपति प्रो डॉ राजा राम यादव के प्रति आभार व्यक्त किया।  धन्यवाद ज्ञापन संजीव गंगवार ने किया। इस अवसर पर डॉ प्रवीण सिंह, डॉ जे पी लाल, शैलेष प्रजापति, रितेश बरनवाल, ज्ञानेंद्र पाल, प्रशांत सिंह, ज्योति सिंह, मनीषा यादव, अपर्णा सिंह, सत्यम उपाध्याय समेत अन्य शिक्षक मौजूद रहे। 

Friday 13 October 2017

विश्वविद्यालय पहुचें बच्चों ने देखा लैब, लाइब्रेरी














रंजाकला के नदियापारा  प्राइमरी और पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्र- छात्राएं  शुक्रवार को  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में  शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत पंहुचें। विश्वविद्यालय के संकाय भवन के माइक्रोबायोलॉजी लैब ,क्लास रूम और विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय को करीब से देखा। पहली बार विश्वविद्यालय पहुचें बच्चों ने तमाम जानकारियां हासिल की। 
माइक्रोबायोलॉजी लैब में इन बच्चों को विभाग के शिक्षक डॉ एस पी तिवारी और ऋषि श्रीवास्तव ने जीवाणुओं के बारे में बताया। इसके साथ ही माइक्रोस्कोप के माध्यम से बैक्टीरियाँ को दिखाया भी। विभाग के विद्यार्थियों ने बच्चों को साफ़ सफाई के टिप्स भी दिए। खेलने के बाद और खाना खाने के पहले हाथ धोने की आदत को जीवन से जोड़ने की बात बताई।बच्चों ने तमाम सवाल भी किये। 
विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय में डॉ  विद्युत मल्ल ने बच्चों को भारतीय संविधान की मूल प्रति को दिखाते हुए उसके बारे में बताया। इसके साथ ही पुस्तकों, पत्रिकाओं और कंप्यूटर प्रयोग को भी बताया। उन्होंने बच्चों से कहा कि अगर जीवन में बड़ा बनाना है तो किताबें ही बड़ा आदमी बनाएगी। किताबों से दोस्ती करिये और अपनी किताबें रोज पढ़िए। 
शैक्षिक भ्रमण में बच्चों के साथ राजेश कुमार यादव, कमलेश सिंह, सुषमा पाल, सुभाष यादव, मुन्तशिर हुसैन, सीमा यादव, आशा सिंह, आराधना पाल, मीरा यादव, ज्योति जायसवाल शिक्षक मौजूद थे।  

Sunday 8 October 2017

राम कथा का समापन

 विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में 4 अक्टूबर से चल रही पांच दिवसीय श्री  राम कथा अमृत वर्षा का समापन शनिवार को हुआ। प्रख्यात कथा  वाचक श्री शांतनु जी महाराज ने कहा  कि   चमत्कार को नमस्कार मत करिए. पुरुषार्थ पर विश्वास करिए। भगवान राम ने कर्म किया और चमत्कार पर कभी विश्वास नहीं किया। परमात्मा होकर भी गंगा पार  होने के लिए कोई जुगत नहीं लगाया। उन्होंने इस हेतु केवट की सहायता मांगी। कथा में  उन्होंने गुरु महिमा कुसंग  दहेज की बढ़ती बिभीषिका  जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से अपनी बात रखी। राम जानकी विवाह, राज तिलक, वनवास का वर्णन किया।मां जानकी की विदाई का वर्णन सुन श्रोताओं के नयन सजल हो उठे ।   मां- बेटी, पिता- पुत्री के भावपूर्ण अनन्य संबंधों को विस्तार पूर्वक बताते हुए पारिवारिक पसंस्कार पर प्रकाश डाला । उन्होंने वनवास काल के अनुसुइया आश्रम के प्रसंग को बताते हुए कहा कि सती अनुसुइया ने जानकी  से कहा था कि तुम पतिव्रता  स्त्रियों के लिए आदर्श हो क्योंकि पति का साथ तुमने सुख व दुख दोनों में साथ दिया है।करवा चौथ के दिन महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि घर में शांति बनी रहे इसके लिए पति की बात माने।  कथा का समापन भगवान राम के वनवास प्रसंग से हुआ।
व्यासपीठ पूजन  प्रो आर एन त्रिपाठी, प्रो  दीनानाथ सिंह,प्रो बी एन सिंह, प्रोफेसर बी बी तिवारी, डॉ एस के सिंह, कुलसचिव संजीव सिंह, डॉ बृजेंद्र सिंह, अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ,डॉ एस पी सिंह, डॉ विजय कुमार सिंह, बिना सिंह ,डॉ माया सिंह ,आरएसएस  इलाहाबाद  के नितिन जी ने किया। 
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने कहा कि राम कथा विश्व विद्यालय के विद्यार्थियों में नैतिक और सांस्कृतिक संचार के  लिए आयोजित की गई थी।  विद्यार्थियों ने इसमें अपनी  सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर इस कार्यक्रम को पूर्ण रूपेण सफल बनाया है। डॉ  दिनेश कुमार सिंह ने पांच दिवसीय राम कथा कासार संक्षेपण किया।  राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज द्वारा श्री राम कथा समिति के सदस्यों को माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया । रामकथा के संयोजक शतरुद्र प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।कार्यक्रम का संचालन मीडिया प्रभारी डॉ. मनोज मिश्र ने किया।
इस अवसर पर डॉ अजय प्रताप सिंह ,राकेश कुमार यादव ,डॉ राम नारायण ,डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अमरेंद्र सिंह ,डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ सुनील कुमार,  डॉ के एस तोमर, डॉ  संजय श्रीवास्तव, एम एम भट्ट, राघवेंद्र सिंह, अमलदार यादव, अशोक सिंह, रजनीश सिंह,मोहन पांडेय ,अनिल श्रीवास्तव ,धीरज श्रीवास्तव  समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
Attachments area

Saturday 7 October 2017

पीयू में राम कथा का चौथा दिन



विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में शनिवार  को पांच दिवसीय राम कथा के चौथे दिन प्रवचन में देश के प्रख्यात राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज ने कहा कि सांसारिकता में  मानव  अहंकार के वशीभूत हो जाता है।  जब व्यक्ति बड़े पद पर आसीन होता है तो  उसका व्यक्तित्व असहज हो जाता है।व्यक्ति को सदैव सरल और सहज होना चाहिए।मानव  असहज है जबकि ईश्वर सहज है।
उन्होंने आज की शिक्षा पद्धति पर भी विस्तार से बात की। कहा कि आज शिक्षा के साथ - साथ  संस्कारों की आवश्यकता  है। संस्कारों को स्थापित करने के लिए हर घर में मर्यादापुर्षोत्तम राम के आदर्शों  को स्थापित करने की जरुरत है. विद्या मंदिर को शिक्षा के साथ -साथ अपने विद्यार्थियों को संस्कार देना समय की आवश्यकता है। भारत की पहचान यहां की संस्कृति से है।यहां के संस्कार युगों- युगों से चले आ रहे है।
उन्होंने कहा कि भगवान का धरती पर आने का उद्देश्य दुष्टों का नाश, सज्जनों की रक्षा और धर्म की स्थापना करना रहा।हमारे युग पुरुष भगवान कृष्ण और श्री राम ने यहीं किया।बाल काल का भाव पूर्ण वर्णन करते हुए श्री राम के गुरुकुल पर प्रकाश डाला। 
  व्यास पीठ का पूजन इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के माननीय न्यायमूर्ति श्री दिनेश कुमार सिंह, कुलपति प्रो डॉ राजा राम यादव, वित्त अधिकारी एम के सिंह, प्रो बी बी तिवारी, संयोजक डॉ अजय प्रताप सिंह, समन्वयक  शतरुद्र प्रताप सिंह, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, आर के जैन, सम्पूर्णानन्द पांडेय, डॉ रचना त्रिपाठी, डॉ अनामिका मिश्रा  ने किया।मिहरावां पीजी कॉलेज के प्रबंधक राजीव कुमार सिंह, प्राचार्य डॉ सत्येंद्र प्रताप सिंह , प्रधानाचार्य प्रमोद कुमार सिंह ने  कथा वाचक शांतनु जी को अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया।
राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज का  प्रो ए के श्रीवास्तव,  डॉ सुशील कुमार,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ सुधांशु शेखर यादव, डॉ के एस  तोमर, आशुतोष सिंह, आनंद सिंह, श्याम त्रिपाठी, अशोक सिंह, रजनीश सिंह, अरुण सिंह, मोहन पांडेय,राम जस मिश्रा ने माल्यार्पण कर स्वागत किया। संचालन विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव संजीव कुमार सिंह, डॉ वीरेंद्र विक्रम यादव, राकेश यादव, डॉ सुनील कुमार, डॉ सुरजीत यादव, संजय श्रीवास्तव समेत ग्रामीण क्षेत्र के लोग मौजूद रहे.

Friday 6 October 2017

राम कथा का तीसरा दिन



अपने घर को ही तीर्थ बनाएं
 
 विश्वविद्यालय  के संगोष्ठी भवन में शुक्रवार  को पांच दिवसीय राम कथा के तीसरे दिन प्रवचन में देश  के प्रख्यात राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज ने कहा कि तीर्थ अध्यात्म के वर्कशॉप होते है।जब जीवन मे कुछ अच्छा न लगे तो तीर्थ यात्रा पर जाना चाहिए। तीर्थों पर कभी स्थाई निवास नहीं बनाना चाहिए। अगर तीर्थ पर  नहीं जा सकते तो अपने घर पर ही भजन कीर्तन करके घर को ही तीर्थ बनाये। जिससे परमात्मा वही आ जाये। दर दर भटकने से ईश्वर नहीं मिलता है।
उन्होंने मनु महाराज के श्रेष्ठ दाम्पत्य जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि परिवार का वातावरण ठीक होगा तो संतान भी सदगुणी पैदा होते है।
मनु की तपस्या से प्रसन्न होकर ईश्वर प्रकट हुए तो मनु ने ईश्वर से उनके जैसा पुत्र मांगा ।प्रभु ने इस मांग को पूरा किया और कहा जब आप अयोध्या के नरेश होंगे तो मैं आपका पुत्र बन कर पैदा होऊंगा।

प्रवचन के पूर्व व्यास पीठ का पूजन  कुलपति प्रो डॉ  राजा राम यादव,वित्त अधिकारी एम के सिंह, डॉ के एस तोमर, पूर्व प्रचारक एवं राम कथा समिति के समन्वयक शतरुद्र प्रताप एवं गुलाबी देवी महाविद्यालय की एन एस एस की छात्राओं ने किया।
प्रो डी डी दुबे, प्रो बी बी तिवारी, डॉ आलोक सिंह,डॉ एस पी सिंह, डॉ बी डी शर्मा, डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ ज्ञान प्रकाश सिंह, डॉ दिनेश कुमार सिंह, डॉ सुशील कुमार, अमलदार यादव, रमेश पाल, ओम प्रकाश जायसवाल,सुशील प्रजापति, श्याम त्रिपाठी, सुमन सिंह, धर्मशीला गुप्ता, संजय श्रीवास्तव , ज्ञानेश पाराशरी, जगदम्बा मिश्र आदि ने कथा वाचक शांतनु जी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया। संचालन मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र ने किया।

इस अवसर पर डॉ प्रवीण प्रकाश  ,डॉ अजय द्विवेदी, डॉ अजय  प्रताप सिंह, डॉ राम नारायण , डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ सुनील कुमार, अशोक सिंह, रजनीश सिंह, राघवेंद्र सिंह, अरुण सिंह समेत आस पास के ग्रामीण सहित तमाम लोग उपस्थित रहे ।

Thursday 5 October 2017

पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय राम कथा का दूसरा दिन

                 राम किसी धर्म विशेष के नहीं सबके













विश्वविद्यालय  के संगोष्ठी भवन में गुरुवार को पांच दिवसीय राम कथा के दूसरे दिन  प्रवचन में देश  के प्रख्यात राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज ने कहा कि श्री राम किसी धर्म विशेष  के  नहीं हैं। वे स्वयं  धर्म हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम  हैं। वो सभी भावों  ,विचारों से बढ़ कर है। राम कथा देश की संस्कृति की कथा
है। राम कथा श्रवण से मानव पूर्णता प्राप्त करता है। शिव विवाह का भावपूर्ण सजीव वर्णन करते हुए शांतनु महराज ने कहा कि  काम क्रोध के समापन के लिए शिव भजन सर्वोत्तम है। इसी लिए मानस में गोस्वामी तुलसी दास ने शिव विवाह का आनंद मय  वर्णन किया है जिसमे वर और बाराती के मर्यादित बारात का वर्णन किया है। सदाशिव से पार्वती ने सवाल किया कि  प्रभुराम ब्रह्म क्यों है। शिव ने जनहित में पूछे गए पार्वती के प्रश्न पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सगुन और निर्गुण में अपने आप को मत बांधो। भक्त जिस रूप में श्री रामको चाहते हैं। श्री राम, उसी रूप में  सभी भक्त को प्राप्त होते हैं। प्रवचन के पूर्व व्यास पीठ का पूजन  कुलपति प्रो डॉ  राजा राम यादव , एनएसएस समन्वयक राकेश कुमार यादव,डॉ ए के श्रीवास्तव ,हिमांचल सिंह ,रामसूरत यादव तथा श्रीमती ममता भट्ट  ने किया। पूर्व प्रचारक एवं राम कथा समिति के समन्वयक शतरुद्र प्रताप ,  डॉ वीडी शर्मा ,डॉ अजय दिवेदी ,डॉ अविनाश पाथर्डीकर ,डॉ दिनेश कुमार सिंह,डॉ अवध बिहारी सिंह ,डॉ सुनील कुमार ,श्याम त्रिपाठी ,  ने कथा वाचक शांतनु जी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया। संचालन मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र ने किया।इस अवसर पर कशी प्रान्त के प्रान्त कार्यवाह बांकेलाल यादव ,डॉ राजीव प्रकाश सिंह ,डॉ समर बहादुर सिंह ,डॉ विजय कुमार सिंह ,प्रो बीबी तिवारी , डॉ अजय  प्रताप सिंह, डॉ राम नारायण ,वित्त अधिकारी एम् के सिंह , कार्यवाहक कुलसचिव संजीव सिंह, डॉ राजकुमार सोनी , डॉ संतोष कुमार ,डॉ राजेश शर्मा ,डॉ अमरेंद्र सिंह
,अमल दार यादव, डॉ संजय श्रीवास्तव एवं  आस पास के ग्रामीण सहित तमाम लोग उपस्थित रहे ।





Wednesday 4 October 2017

पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय राम कथा का शुभारंभ

राम कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता 

विश्वविद्यालय  के संगोष्ठी भवन में पांच दिवसीय राम कथा का शुभारंभ हुआ। पहले दिन राम कथा प्रवचन में देश  के प्रख्यात राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज ने कहा कि विद्या मंदिर में राम कथा का आयोजन अद्भुत  संयोग है।आज विज्ञान का युग है।विज्ञान ने  तन के मैल को धोने के लिए बहुत कुछ दिया है लेकिन मन के मैल के धोने के कोई विधि नहीं बताई। गोस्वामी जी ने मन के मैल को धोने के लिए राम का नमन करने को कहा है। आज का मनुष्य कुसंग में शामिल होने के लिए विचार नहीं करता लेकिन सत्संग में शामिल होने के लिए अपने से तमाम सवाल करता है।

उन्होंने कहा कि जब भक्त मन से प्रभु को याद करता है तो प्रभु चले आते है।भक्त और एकादशी के भोग पर एक लौकिक प्रसंग राजा राम आइये मेरे भोजन का भोग लगाइये सुना कर सभी को भाव विभोर कर दिया।कथानक में  भक्त के प्रेम पर प्रभु राम  ने भरत को भंडारी बना दिया, लखन को लकड़ी लाने को भेजा , हनुमान को सफाई का काम सौप दिया ,माँ जानकी को रसोई की जिम्मेदारी दे दी। भक्त के स्नेह पर प्रभु राम ने खुद उसे भोजन कराया। प्रभु राम ने  भक्त से कहा कि मेरा मेल सरल लोगों से है कठिन लोगों को मैं नहीं दिखता। 
प्रवचन के पूर्व व्यास पीठ का पूजन दरबारी लाल,कुलपति प्रो डॉ  राजा राम यादव , प्रो बी बी तिवारी,प्रबंधक अशोक सिंह,  वित्त अधिकारी एम के सिंह, कुलसचिव संजीव सिंह, संयोजक डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ के एस तोमर , डॉ बी डी शर्मा ने किया।
 कुलपति प्रो डॉ  राजा राम यादव ,प्राचार्य डॉ विनोद कुमार सिंह, डॉ एस पी सिंह, डॉ राधे श्याम सिंह, डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ दिनेश कुमार सिंह,सुमन सिंह, हिमांचल सिंह, एम एम भट्ट, संजय श्रीवास्तव, अशोक सिंह, रजनीश सिंह ने कथा वाचक शांतनु जी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रचारक एवं राम कथा समिति के समन्वयक  शतरुद्र प्रताप सिंह ने श्री राम कथा वाचक श्री शांतनु जी महाराज का जीवन वृत्त प्रस्तुत किया।संचालन मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र ने किया।कथा सुनने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी, आस पास के ग्रामीण सहित तमाम लोग उपस्थित रहे ।






Tuesday 3 October 2017

विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय श्री रामकथा की तैयारी पूरी


  सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी होगा आयोजन 


विश्वविद्यालय में   पांच दिवसीय श्री रामकथा प्रवचन  के आयोजन को अंतिम रूप देते हुए  कुलपति सभागार  में समन्वयकों की एक बैठक कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव की अध्यक्षता में  आहूत की गई  । बैठक में  कुलपति प्रो डॉ राजाराम यादव ने आयोजन को लेकर बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने बताया कि स्थापना दिवस सप्ताह के  अंतर्गत परिसर में नैतिक एवं सांस्कृतिक संचार हेतु 4 से 8 अक्टूबर तक प्रतिदिन शाम 4 से 7 बजे तक रामकथा का आयोजन विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में किया गया है। 

इस राम कथा को सुनने के लिए विश्वविद्यालय के आस पास के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। देश  के प्रसिद्ध  श्री राम  कथा वाचक आचार्य  शांतनु जी महाराज  राम कथा का वाचन करेंगे।इसके साथ ही लोक परंपरा को ध्यान में रखते हुए  स्थापना दिवस सप्ताह के  अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में 7:30 से 10:00 रात्रि बजे तक आयोजित किये गए हैं।  

6 अक्टूबर को भजन संध्या में अवनीश तिवारी की प्रस्तुति होगी। 7 अक्टूबर को डॉ रमाशंकर द्वारा शास्त्रीय गायन एवं विशाल कृष्णा द्वारा कथक की प्रस्तुति की जाएगी।  8 अक्टूबर को प्रख्यात सांस्कृतिक कलाकार रवीश सिंह भजन संध्या में अपनी सुर लहरी बिखेरेंगे। 8 अक्टूबर को ही  जौनपुर के प्रख्यात लोक गायक आल्हा सम्राट   फौजदार सिंह अपनी प्रस्तुति देंगे । सांस्कृतिक  कार्यक्रम तक चलेगा। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एमके सिंह ,कार्यवाहक कुलसचिव संजीव सिंह ,  प्रो बीबी तिवारी ,डॉ ए के श्रीवास्तव ,डॉ अजय प्रताप सिंह , डॉ वीडी शर्मा ,डॉ मनोज मिश्र ,डॉ रामनारायण ,डॉ आशुतोष सिंह ,डॉ सुरजीत यादव ,डॉ संतोष कुमार,डॉ के एस  तोमर, डॉ संजय श्रीवास्तव , अशोक सिंह ,रहमतुल्लाह,डॉ विद्युत् मल्ल सहित व्यवस्था समिति के लोग उपस्थित रहे।  

Monday 2 October 2017

विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय  में 2 अक्टूबर को विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर गांधी वाटिका में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ. राजाराम यादव  ने  महात्मा गांधी एवं स्व.वीर बहादुर सिंह की प्रतिमा पर   पुष्प अर्पित कर नमन किया। 2 अक्टूबर 1987 को  विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने 30  वर्षों की यात्रा पूरी कर ली है।  
इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.डॉ राजाराम यादव  ने कहा कि गाँधी जी का  मानवीय दृष्टिकोण सर्वोपरि था। गाँधी  ने देशवासियों  में राष्ट्रवाद,सत्याग्रह और अहिंसा  की भावना को मज़बूती दी । आज उनके आदर्श ही हमें शांति दे सकते है।  गाँधी जी ने स्वच्छता को जनांदोलन बनाया ।  शास्त्री जी को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि शास्त्री ने अपना  पूरा जीवन सादगी में बिताया। शास्त्री जी ने जय जवान और जय किसान का नारा  देकर देश  के अन्नदाता और वीर जवानों का मान बढ़ाया। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय दिनों दिन नए प्रतिमान स्थापित करें यही हम सब का सदा प्रयास होना चाहिए।  इस अवसर पर   विश्वविद्यालय परिवार द्वारा राम धुन का सस्वर पाठ किया गया। विश्वविद्यालय के जगदम्बा प्रसाद मिश्र,डॉ संजय श्रीवास्तव ,राजनारायण सिंह,रवींद्र तिवारी , रमेश पाल एवं साथियों द्वारा रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम  के गायन से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा।
  




इस अवसर पर प्रो.  बी बी तिवारी, डॉ अजय प्रताप सिंह ,डॉ मानस पांडेय ,डॉ वीडी शर्मा ,डॉ अविनाश पाथर्डीकर ,कार्यवाहक  कुलसचिव संजीव सिंह, सहित समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन वित्त अधिकारी एमके सिंह   एवं संचालन अशोक सिंह ने किया।