Sunday 21 December 2014

गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा एवं मूल्यांकन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


पहला दिन 
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन में शनिवार को आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा एवं मूल्यांकन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। 
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के पूर्व कुलपति प्रख्यात शिक्षाविद प्रो0 एस0पी0 गौतम ने कहा कि उच्चशिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता का मूल्यांकन समय-समय पर होता रहे इसके लिए संस्थानों को सक्रिय होना होगा। शिक्षकों को शोध कार्यो की मौलिकता एवं गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। विद्यार्थियों के कौशल विकास को निखारने की दिशा में अनवरत प्रयास करने की जरूरत है।प्रो0 गौतम ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं को समाज में अपना सर्वोच्च योगदान देने के लिए नित्यप्रति आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। कालेज उसके कर्मचारी समाज को जोड़ते जागरूक करते है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय सदैव नया कुछ करते एवं सोचते रहते हैं। हमें उनका क्रमवार अभिलेखी करण करने की जरूरत है। शिक्षा के क्षेत्र में जो भी हमारी उपलब्धियाॅ है उसकी प्रस्तुति महत्वपूर्ण ढंग से करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि छात्रों की संतुष्टि, रोजगार के अवसर, व्यक्तित्व विकास एवं कौशल उन्नयन के लिए के प्रयास हम सभी का पहला अंतिम उद्देश्य होना चाहिए। कुलपति ने विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में सतत् अकादमिक कार्यों के संचालन पर बल दिया।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन से की गयी। मुख्य अतिथि को कुलपति द्वारा स्मृति चिन्ह भेट किया गया। स्वागत कार्यक्रम संयोजक डा0 मानस पाण्डेय एवं आभार संकायाध्यक्ष प्रो0 बी0बी0 तिवारी किया गया। संचालन डा0 एच0सी0 पुरोहित ने किया।
कार्यशाला में उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम तकनीकी सत्र को डा0 अरूण कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए नैक मूल्यांकन के विभिन्न प्रपत्रों एवं प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो0 बी0बी0 तिवारी ने विश्वविद्यालय द्वारा नैक मूल्यांकन के बारें में किये गये कार्यों पर प्रकाश डाला।  इस अवसर पर प्रो0 डी0डी0 दूबे, प्रो0 वी.के. सिंह, डा0 लालजी त्रिपाठी, डा0 मनोज कुमार सिंह, डा0 प्रमोद तिवारी, डा0 कौशलेन्द्र मिश्र, डा0 ज्योतिष यादव, डा0 विजय प्रताप तिवारी, डा0 सुनीता गुप्ता, डा0 वन्दना राय, डा0 प्रदीप कुमार, डा0 0के0 श्रीवास्तव, डा0 अजय प्रताप सिंह, डा0 मनोज मिश्र, डा0 आशुतोष सिंह, डा0 दिग्विजय सिंह राठौर, डा0 अवध विहारी सिंह, सहित  महाविद्यालयों के प्रतिभागी मौजूद रहे।  
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(दूसरा दिन )
महाविद्यालयों  विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन करवाने के लिए कार्यविधि  औपचारिकताओं का भलिभांति ख्याल रखना चाहिए जिससे नैक कराने के बाद महाविद्यालय उच्च शिक्षा के मापदंड को पूरा कर सकें। यह बातें पूर्व कुलपति रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली प्रो.एसपी गौतम ने रविवार को पूर्वाचल विश्वविद्यालय में गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा एवं नैक मूल्यांकन विषयक दो दिवसीय कार्यशाला के समापन पर कही। उन्होंने नैक द्वारा प्रदत्त समस्त मापदंडों  उनके अंर्तगत आने वाले विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान शैक्षणिक कैलेंडरशिक्षण प्रविधिछात्र सहभागितासामाजिक सरोकारछात्र उन्नयनशोध आंतरिक गुणवत्ताप्रकोष्ठ की भूमिकाबिन्दुओं का उच्च शिक्षा गुणवत्ता संवर्धन में भूमिका पर प्रकाश डाला। इस मौके पर उपस्थित डा.रविशंकरडा.राजकुमार गुप्ताडा.बीके त्रिपाठीडा.अवधेश कुमार ने अपने महाविद्यालयों की विशेष परिस्थितियों  समस्याओं के संभावित निस्तारण की जानकारी दी। इस मौके पर वीके सिंहडा.एचसी पुरोहितडा.आशुतोष सिंहडा.मनोज मिश्रडा.अवध बिहारी सिंहडा.सुरजीत यादवनीरज कुमारविनोद तिवारीडीपी घिल्डियालअनुपम कुमारडा.मनोज मिश्र आदि मौजूद रहे। संचालन आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ सेल के प्रभारी डा.मानस पांडेय  आभार डा.अजय द्विवेदी ने व्यक्त किया।
(जागरण )

Wednesday 10 December 2014

विश्वविद्यालय में मानवाधिकार दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

                                                -एसपी ने मानवाधिकार दिवस पर दिलायी शपथ
- भाषण प्रतियोगिता में अनम बेग प्रथम
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में मानवाधिकार दिवस के अवसर पर बुधवार को संगोष्ठी भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने कहा कि पृथ्वी पर सभी मानवों को अधिकार मिला हुआ है। इसकी रक्षा करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य होना चाहिए। किसी मानव से जाति, धर्म, लिंग के कारण भेदभाव करना मानवाधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की सोच थी कि हमें ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो हमें नहीं पसंद है। अगर इस बात का अमल हम अपने जीवन में करें तो निश्चित तौर पर हर मानव के सम्मान की रक्षा होगी। उन्होंने मानवाधिकार दिवस पर छात्रों, शिक्षकों व कर्मचारियों को शपथ भी दिलाया।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता विधि विशेषज्ञ डा. पीसी विश्वकर्मा ने कहा कि किसी मानव की संवेदनाओं,
संचेतनाओं को ठेस पहुंचाना ही मानवाधिकारों का उलंघन है। रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से अगर आम आदमी वंचित होता है तो वह भी मानवाधिकार के उलंघन की श्रेणी में आता है। सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उनके मानवाधिकारों की रक्षा करें और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि संकायाध्यक्ष डा. इश्यिाक अहमद ने कहा कि आज एक तरफ हमारा देश प्रतिदिन विकास के नये पथ पर आगे बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ संवेदनशीलता में कमी आ रही है, यह चिंताजनक है। सड़क पर दुर्घटना के बाद तड़पते व्यक्ति से मुंह फेरना भी आज समाज का एक सच है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए 

पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि मानव के जीवन में हस्तक्षेप होने पर उसके जीवन का आनंद समाप्त हो जाता है। आज उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों को बनाने की आवश्यकता है। अगर हम किसी को किसी भी प्रकार से पीड़ा पहुंचाते है तो वह उसके मानवाधिकारों के हनन का मामला बनता है। इसके पूर्व परिसर के विद्यार्थियों के लिए मानवाधिकार  भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। प्रतिभागियों ने मानवाधिकार के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। 

भाषण प्रतियोगिता में प्रथम अनम बेग, द्वितीय नीतिश श्रीवास्तव एवं तृतीय मेधाश्री रही।
 धन्यवाद ज्ञापन डा. अजय प्रताप सिंह एवं संचालन डा. एचसी पुरोहित ने किया। इस अवसर पर डा. मानस पाण्डेय, डा. एसके सिन्हा, डा. अजय द्विवेदी, डा. प्रदीप कुमार, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. एसपी तिवारी, डा. सुशील कुमार, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. आशुतोष सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. सुशील सिंह, डा. आलोक सिंह, अंशुमान समेत परिसर के विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

बाल संरक्षण के लिए यूनिसेफ और विश्वविद्यालय ने की नई शुरुआत

                                       प्रशिक्षकों के लिए शुरू हुआ प्रशिक्षण शिविर 
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल  ने कहा कि एक जागरूक अभिभावक ही बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी अशिक्षा का माहौल है। ऐसे में बच्चों की बेहतर देखभाल कर पाना संभव नहीं है। बच्चों के साथ सहानुभूति रखने की जरूरत है। वह मंगलवार को एचआरडी विभाग और यूनीसेफ की ओर से आयोजित प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे।
पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि बचपन एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है। बच्चों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चों से उनका बचपन छीनना नहीं चाहिए। यदि उनका बचपन छिना तो बच्चों का विकास नहीं हो पाता है। बालश्रम और बाल विकास दोनों ही बहुत जरूरी है। 

यूनिसेफ की चीफ प्रोटेक्शन आफिसर नूपुर पांडेय ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में अभियान चलाकर बच्चों के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है। बाल संरक्षण एक संवेदनशील विषय है। इसे बाल संरक्षण समितियों के माध्यम से प्रभावशाली बना सकते हैं। जिम्मेदार लोगों को जोड़कर बाल संरक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है। प्रोजेक्ट निदेशक डा, संगीता साहू ने प्रशिक्षकों का स्वागत किया। कार्यक्रम पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर डा. ऋषिकेश. डा. एचसी पुरोहित, डा. आशुतोष सिंह, डा. मानस पांडेय, डा. एसके सिन्हा, डा. प्रदीप कुमार, डा. अमित वत्स आदि मौजूद थे। संचालन डा. अविनाश पार्थीडकर ने किया।अमर उजाला 


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         व्यक्तिगत एवं तकनीकी निपुणता का संवर्धन विषयक व्याख्यान (९ दिसंबर,संगोष्ठी भवन  )

भारत शुरूआत से ही अध्यात्म, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में गुरु रहा है। बदलते दौर में आज पुन: युवाओं को जागृत होने की जरूरत है। भारत को विश्व गुरु के रूप में युवा ही खड़ा कर सकता है। 
                                                      
                                - पूर्व प्रो.आईसी अग्रवाल 
                                  मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान