Saturday 28 February 2015

विज्ञान दिवस समारोह सम्पन्न, पुरस्कृत हुए विद्यार्थी



प्रो. जीएन पाण्डेय
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में विज्ञान दिवस समारोह के दूसरे दिन शनिवार को अरूणांचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति डा. जीएन पाण्डेय एवं प्रख्यात विज्ञान लेखक डा. अरविंद मिश्र का विशेष व्याख्यान हुआ। इसके साथ ही बेहतरीन वैज्ञानिक माॅडल प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया।



डा. अरविंद मिश्रा
संगोष्ठी भवन में अरूणांचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति डा. जीएन पाण्डेय ने कहा कि विज्ञान एक ऐसा क्षेत्र हैं जो आज रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, परिवहन, भूगर्भ सहित विविध क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है। विज्ञान नेे जन्म से लेकर पूरे जीवन का खाका खीच दिया है। जीनोम एनालिसिस के जरिये पूरे जीवन काल की बीमारियों को दो माह की उम्र से ही जाना जा सकता है। विज्ञान दिवस के अवसर पर विद्यार्थियों को सर सीवी रमन का परिचय कराते हुए उनसे प्रेरणा लेने की बात की। उन्हांेने कहा कि विज्ञान ने ज्ञान को इण्टरनेट के माध्यम से हर घर के दरवाजे पर खड़ा कर दिया है। शिक्षा के माध्यम से अपने ज्ञान-कौशल को विकसित कर हम एक स्थान पर ही रहकर ही सम्मान एवं धनोपार्जन दोनों कर सकते हैं। विद्यार्थियों को अपने अनुभवों से साझा करते हुए उन्होंने बताया कि किस तरह इण्टरनेट के जरिए हम रोजगार प्राप्त कर आय के स्रोत बढ़ा सकते हैं। आज विज्ञान ने जीवन यापन की सम्भावना, पेयजल की समस्या, भविष्यगत आपदा के बारे मेें पूर्व सूचना की तकनीकी भी विकसित करली है। प्रख्यात विज्ञान लेखक डा. अरविंद मिश्र ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक नजरिये पर बल दिया था। दैनिक जीवन मे होने वाली समस्याओं का निजात वैज्ञानिक नजरिये से पाया जा सकता है। भारतीय समाज में बहुत से अंधविश्वास है जिनके कारण हम पिछड़ते जा रहे हैं। अगर हमें विकास करना है तो जीवन के हर क्षण में वैज्ञानिक सोच अपनाना होगा।


उन्हांेने कहा कि भारत में कई ज्ञान विज्ञान के संचारक रहे हैं। आदि शंकराचार्य ने पूरे भारत का भ्रमण कर चारों पीठों की स्थापना की थी। विद्वानों से शास्त्रार्थ किया और कहा कि जो दृश्यमान है वहीं प्रमाण है। इसी वैज्ञानिक नजरिये से परिवर्तन सम्भव है। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. बीबी तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया एवं प्रो. वीके सिंह ने स्मृति चिन्ह प्रदान किया। संचालन डा. संतोष कुमार, काशिका उपाध्याय एवं वलेंद्र वीर सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. अशोक कुमार श्रीवास्तव एवं डा. रवि प्रकाश द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में बेहतरीन वैज्ञानिक माॅडल बनाने वाले विद्यार्थियो की टीम को पुरस्कृत किया गया। बीटेक छात्र पीयूष एवं उत्कर्ष द्वारा बनाये गये माॅडल इलेक्ट्रानिक एवरीवन को प्रथम, दानिश एवं प्रशान्त के हाइड्रोलिक क्रेन माॅडल को द्वितीय स्थान एवं अंकिता ग्रुप द्वारा निर्मित साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट माॅडल को तृतीय पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त पांच अन्य टीमों को सान्त्वना पुरस्कार दिया गया। महात्मा गांधी समग्र पर सम्पन्न हुई निबंध प्रतियोगिता में विभिन्न संकायों में प्रथम स्थान पाने वाले विद्यार्थी प्रीती, सतीश, अब्दुल अहद आजमी, राजबीर एवं रागिनी को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर संदीप सिंह, रजनीश भाष्कर, डा. संजीव गंगवार, डा. सौरभ पाल, राजकुमार सोनी, डा. वीडी शर्मा, डा. प्रदीप कुमार, डा. मनोज मिश्रा, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, श्याम त्रिपाठी समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे। 



पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विज्ञान दिवस समारोह में देवकली गांव में कोचिंग पढ़ने वाले बच्चों और उनके शिक्षकों ने शिरकत की। इन बच्चों को इंजीनियरिंग एवं फार्मेसी संस्थान के राष्ट्रीय सेवा योजना के कैडेटों द्वारा कोचिंग दी जाती है। विश्वविद्यालय परिसर में पहले दिन इन बच्चों ने वैज्ञानिक माॅडलों को देखा और मन में उठने वाले सवालों को भी पूछा। दूसरे दिन संगोष्ठी भवन में आयोजित कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विद्यार्थी इन छात्रों को अपने बीच पाकर काफी खुश दिखे।

Friday 27 February 2015

विज्ञान दिवस समारोह

इंजीनियरिंग संस्थान में वैज्ञानिक माॅडलों की प्रदर्शनी
विद्यार्थियों में सृजनात्मकता की जरूरत: डा. नाग


डा. पृथ्वीश नाग
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का उद्घाटन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने किया। उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि हमारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आज मानव जीवन में हर रूप में शामिल है। अंतरिक्ष तकनीकी ने आज हमें भूतल एवं पर्यावरण, प्राकृतिक आपदाओं, कृषि तकनीकी, सीमा सुरक्षा, सैन्य रणनीति और ग्लोबल पोजिसिंनिग सिस्टम (जीपीएस) तकनीकी को बहुत बड़ा विस्तार दिया है। इस तकनीकी की मदद लेकर आज हम भविष्यगत योजनाओं को बना रहे है। अंतरिक्ष तकनीकी ने शोध के विभिन्न क्षेत्रों में नये आयामों को जन्म दिया है। भारत में बढ़ रहे जनसंख्या घनत्व को मद्देनजर रखते हुए हमारी अंतरिक्ष तकनीकी के बहुत सारे उपयोग अभी भविष्य में होने वाले है। 
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को संदर्भित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को जीवन में रटकर कुछ नहीं मिलने वाला बल्कि सृजनात्मकता की जरूरत है। इसी सृजनात्मकता से जीवन में बहुत कुछ किया जा सकता है। 
अध्यक्षता करते हुए प्रो. डीडी दूबे ने कहा कि विज्ञान आज मानव कल्याण के लिए कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज के समय में तकनीकी का जो विस्तार हुआ है उसका श्रेय वैज्ञानिक सीवी रमन को जाता है। सीमित संसाधनों के बावजूद उनके द्वारा की गयी खोज शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत है। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बीबी तिवारी ने अपने स्वागत भाषण में नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक सीवी रमन के रमन प्रभाव पर चर्चा की और कहा कि रमन इफेक्ट का उपयोग इंटरनेट के साधनों में भी होता है। जिसकी स्वयं कभी रमन ने भी कल्पना नहीं की होगी कि उनका यह अविष्कार इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलाॅजी में कितनी व्यापकता प्राप्त करेगा। डा. प्रदीप कुमार एवं डा. संतोष कुमार ने वक्ताओं का विस्तार से परिचय प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. अशोक कुमार श्रीवास्तव ने किया। संचालन इंजीनियरिंग संस्थान की बीटेक छात्रा अनामिका सिंह और कासिमा उपाध्याय ने संयुक्त रूप से किया।
उद्घाटन समारोह के पश्चात इंजीनियरिंग संस्थान में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने वैज्ञानिक माॅडलों की प्रदर्शनी लगायी। इन माॅडलों के माध्यम से विद्यार्थियों ने अपनी सृजन क्षमता को प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट, विंड इलेक्ट्रानिक हाउस, सोशल साइट चैट आॅन पूर्वांचल, इलेक्ट्रानिक हाउस, डेवलपमेंट आॅफ साइंस, मोबाइल इनकमिंग काॅल इंडिकेटर, बंद कमरे में अंगीठी से होने वाली मौत, मिसाइल सहित कुल 57 माॅडल विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित किये गये। माॅडल प्रदर्शनी का संयोजन इंजीनियरिंग संस्थान के विद्यार्थी पीयूष, साकिया, स्वाति, वैभव, गौरव, शीलनिधि ने किया।
समारोह की विभिन्न गतिविधियों में प्रो. वीके सिंह, प्रो. रामजी लाल, संदीप सिंह, रजनीश भाष्कर, रवि प्रकाश, डा. संजीव गंगवार, डा. सौरभ पाल, राजकुमार सोनी, डा. वंदना राय, डा. मनोज मिश्रा, डा. राजेश शर्मा, डा. एसपी तिवारी, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

Thursday 26 February 2015

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में पूर्वांचल को तीन प्रतियोगिता में मिला स्थान



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों ने वाराणसी के काशी विद्यापीठ में सम्पन्न हुये दो दिवसीय उत्तर प्रदेश राज्य अन्तर्विश्वविद्यालयी युवा महोत्सव उमंग 2015 में अपनी प्रस्तुति दी। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने एकल शास्त्रीय नृत्य में द्वितीय, समूह नृत्य में तृतीय एवं काव्य पाठ प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को प्रख्यात सरोज वादक पं. विकास महाराज एवं काशी विद्यापीठ के कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने मेडल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। 

विश्वविद्यालय के परिसर एवं  महाविद्यालयों   के 25 प्रतिभागियों ने इस युवा महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन किया। युवा महोत्सव में डा. दिग्विजय सिंह राठौर एवं डा. हुमा परवेज दल के टीम प्रबंधक के रूप में अपना योगदान दिया। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा की गयी प्रस्तुतियों की लोगों ने सराहना की। एकल शास्त्रीय नृत्य में राजीव गांधी महिला पीजी कालेज मऊ की छात्रा राखी पटेल को द्वितीय स्थान, काव्य पाठ में निशात बानो को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। समूह नृत्य में राखी पटेल, प्रिया गुप्ता, गरिमा उपाध्याय एवं अनुराधा सिंह ने प्रस्तुति दी। संगतकार के रूप में मृदुला, नम्रता, स्नेहलता ने अपना सहयोग दिया। विश्वविद्यालय परिसर के छात्रों ने मूक अभिनय के माध्यम से हेलमेट प्रयोग का संदेश दिया। इसका प्रदर्शन सचिन तिवारी, अमित कुमार भारती, विनय राजभर, पंकज कुमार, कौशल, अरूणेंद्र द्विवदी, मुकेश तिवारी एवं संगतकार के रूप में गिरीश ने अपना योगदान दिया। प्रहसन में गिरिश, धर्मेंद्र, सचिन, नम्रता, स्नेहलता एवं मुकेश ने अपनी प्रस्तुति दी। काटूर्निंग में प्रीति पाठक ने कोयले से कार्टून बनाया। संगतकार प्रबंधन का कार्य डा. अजय सिंह ने किया। विश्वविद्यालय के प्रतिभागियों ने कुल 12 प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।

Wednesday 25 February 2015

उत्तर प्रदेश सरकार के बजट पर जनसंचार विभाग में परिचर्चा



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में उत्तर प्रदेश के अखिलेश सरकार के बजट 2015-16 पर बुधवार को परिचर्चा हुई। परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ किसानों को सब्जबाग दिखाये गये है वहीं दूसरी ओर उद्योग जगत को कोई राहत न देकर उससे अप्रत्यक्ष रूप से और कर लेने की ओर इशारा किया गया है। परिचर्चा में जनसंचार विभाग के चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थी कुलदीपक पाठक एवं द्वितीय सेमेस्टर के विद्यार्थी अंकित जायसवाल को चर्चा में बेहतरीन प्रस्तुति के लिए विभागाध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह, प्राध्यापक डा. मनोज मिश्र एवं डा. सुनील कुमार ने पुस्तक प्रदान कर पुरस्कृत किया।
परिचर्चा में भाग लेते हुए विभाग के विद्यार्थी कुलदीपक पाठक ने कहा कि सरकार ने किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए कुछ लुभावने वादे तो किये है मगर विकास, बिजली, सड़क, सिंचाई जैसे मुद्दे को हासिये पर रख दिया है जो कि ठीक नहीं है। विद्यार्थी अंकित जायसवाल ने कहा कि उक्त बजट में शहर और गांव के बीच विकास के मामले में पक्षपात किया गया है। प्रदेश सरकार इस बजट में अपने वोटबैंक को बढ़ाने के लिए गांवों की ओर रूख किया है, उसे शहर और उद्योग को भी बढ़ावा देना चाहिए, तभी यह बेहतर बजट होता। श्रीवेश यादव ने कहा कि यह शुद्ध रूप से मिड बजट है। इसमें सबके लिए कुछ न कुछ है। प्रमोद सोनकर ने कहा कि लैपटाॅप योजना फिर से शुरू करने से सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मदद मिलेगी। रिजवान अहमद ने कहा कि इस बजट में ऊर्जा के क्षेत्र में कोई ठोस काम नहीं दिखाई दे रहा है जबकि विकास से जुड़े सभी घटक इसी पर निर्भर है। नरेंद्र गौतम ने कहा कि प्रदेश की सड़कों की हालत बहुत खराब है। समयबद्ध तरीके से इसको दुरूस्त करने के लिए कोई प्रावधान नहीं दिखाई देता। सत्यम श्रीवास्तव ने कहा कि महंगी होती चिकित्सा के लिए मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए इस बजट में कुछ विशेष प्रावधान किये जाने चाहिए थे। सामान्य से पैथोलाॅजी जांच कराने में गरीब परेशान हो जाता है। मूलचन्द्र विश्वकर्मा ने कहा कि मेट्रो के साथ-साथ जो दूसरे और तीसरे नम्बर के शहर है वहां की यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। दिग्विजय मिश्र ने कहा कि राज्य में लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योगों के विस्तार पर बहुत ध्यान देने की जरूरत थी, मगर सरकार ने कोई पहल नहीं की, इससे बेरोजगारी और महंगाई दोनों बढ़ेगी। परिचर्चा में निर्णायक के रूप में विभाग के प्राध्यापक डा. मनोज मिश्र, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी शामिल थी।

Tuesday 24 February 2015

कमजोर रोग प्रतिरोधी क्षमता वाले लोग स्वाइन फ्लू से होते है जल्द प्रभावित : डा. प्रतीक मिश्र

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा संकाय भवन में ‘‘स्वाइन फ्लू जागरूकता एवं बचाव’’ विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के मुख्य वक्ता जनपद के होमियोपैथिक चिकित्सक डा. प्रतीक मिश्र ने कहा कि कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग स्वाइन फ्लू के एच1एन1 वायरस से जल्द प्रभावित होते है। स्वाइन फ्लू के भय से अत्यधिक सतर्कता के नाम पर बिना किसी विशेषज्ञ चिकित्सक के सलाह पर ली जाने वाली एंटी बायोटिक दवाएं एवं स्टेराॅयड दवाओं से रोगी को और नुकसान पहुंचता है। जनपद में अभी तक स्वाइन फ्लू का कोई भी मरीज प्रकाश में नहीं आया है। मौसम में बदलाव के चलते ऐसे अफवाहों पर ध्यान न देते हुए सामान्य फ्लू को स्वाइन फ्लू न समझें।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां कुपोषण, नशा लेने की प्रवृत्ति के चलते लोगों में रोग प्रतिरोधी क्षमता कम है। इस कारण ऐसे लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सामान्य फ्लू में जहां सर्दी, जुकाम के साथ बुखार होता है वहीं स्वाइन फ्लू में तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ,  किसी किसी को उल्टी एवं पेट दर्द, दस्त की भी शिकायत होती है। इसके बचाव के बारे में उन्होंने बताया कि दिनचर्या सही रखें, कोई नशा मत करें, प्रतिदिन व्यायाम करें, हरी सब्जियां लें, खान-पान पर ध्यान दें, साफ सफाई पर ध्यान दें। बीमार पड़ने पर चिकित्सक की सलाह अवश्य लें, सीधे मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने की प्रवृत्ति से बचे।
जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डा. मनोज मिश्र ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों के हवाले से बताया कि इस वर्ष ठंड के मौसम का विस्तार लेना भी इस वायरस के प्रसार में मददगार साबित हुआ है। जैसे ही मौसम में गर्मी बढ़ेगी यह स्वतः समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सावधानी के लिए अभी सुबह शाम ठंड के कपड़े पहनना जरूरी है। भीड़ भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर सतर्कता के अलावा दिन में सफाई के साथ कम से कम चार बार साबुन से हाथ मुंह धोना बचाव के लिए कारगर उपाय है। व्याख्यान के अंत में उपस्थित विद्यार्थियों द्वारा स्वाइन फ्लू को लेकर तरह-तरह के प्रश्न पूछे गये जिसका जवाब डा. प्रतीक मिश्र द्वारा दिया गया।
प्रो. रामजी लाल ने मुख्य वक्ता का स्वागत किया। विभागाध्यक्ष डा. अजय प्रताप सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस अवसर पर डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, पंकज सिंह सहित विभाग के विद्यार्थी मौजूद रहे।


Friday 20 February 2015

अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालयीय हॉकी प्रतियोगिता











एचआर कान्क्लेव-15 का आयोजन



जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में विष्वविद्यालय के इण्डस्ट्री इन्स्टीच्यूट इंटरफेस एवं एचआरडी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को एचआर काॅन्क्लेव-15 का आयोजन किया गया। इसका विषय ट्रांसफार्मेषनल एचआर फार सस्टेनबिलिटी रहा। काॅन्क्लेव में मानव संसाधन विकास के दिग्गजों ने नये दौर में आ रही चुनौतियों एवं रणनीतियों पर चर्चा की। काॅन्क्लेव में विष्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने विषेषज्ञों से सीधा संवाद स्थापित किया।
उद्घाटन सत्र में इंडोरामा प्रोजेक्ट एण्ड सर्विस लिमिटेड के एचआर डायरेक्टर हेमंत कुमार ने कहा कि समाज और संस्कृति की वैष्विक स्तर पर विविधता का प्रत्येक व्यक्ति से सम्बन्ध आवष्यक है। हर व्यक्ति के मूल्यों एवं परम्पराओं को पहचान कर उसका सम्मान कार्यस्थल पर आवष्यक है। हमारे समूह द्वारा नवनियुक्त कर्मियों को भारतीय मूल्यों के साथ प्रषिक्षित किया जाता है। प्रत्येक कर्मियों को समान अवसर एवं सम्मान के साथ व्यवहार करना आवष्यक है। उन्होंने कहा कि इंडारेमा उद्योग समूह में हम व्यक्ति को पहले उसके नाम से पुकारते है ताकि निकटता का रिष्ता कायम हो सके। उनका मानना है कि परिवर्तन के लिए हर व्यक्ति को तैयार रहना चाहिए क्योंकि यह संस्था और व्यक्ति दोनों के हित में है।

हिण्डालको के पूर्व महाप्रबंधक एमएन खान ने स्वयं को विकसित करने का माॅडल सुझाया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को यह जानना चाहिए कि मैं कौन हूं, कहां जा रहा हूं, मुझे क्या होना चाहिए, मैं जीवन में क्या बनना चाहता हूं, इसका आत्म निरीक्षण करना आवष्यक है। जिस व्यक्ति को अपने लक्ष्य और क्षमताओं की परख नहीं होती। वह व्यक्ति सही दिषा में नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि बिना लक्ष्य पहचाने इंसान का कोई वजूद नहीं है। उन्होंने साक्षात्कार में सफल होने के गुर सिखाये।

आईआईटी रूड़की के प्रबंध अध्ययन के प्रो. संतोष रागनेकर ने नेतृत्व विकास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाष डाला। उन्होंने कहा कि सृजन भक्ति, मानवता, नेटवर्किंग, मानवीय मूल्य तथा अंतरंगता किसी भी नेतृत्व विकास के लिए आवष्यक है। इसके लिए अभिप्रेरक, संवादकला, अनुषासन, ज्ञान, कौषल की आवष्यकता है। यह तभी संभव है जब लोग प्रषिक्षण कार्यक्रम में भाग ले। बदलते परिवेष में तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ कौषल विकास के प्रबंधन के गुणों को विकसित किया जाना आवष्यक है, तभी आप उपाधि प्राप्त करने के बाद भी अपने को दूसरों से अलग सिद्ध कर सकते है। 
कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि विश्व  बाजार में लगातार समय समय पर बदलाव हो रहे है। जिसका अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। आज भारत के उद्योग एवं व्यवसाय को जिन्हें देष के संदर्भ में नहीं देखा जा सकता हमें विष्व के संदर्भ में इसे देखना होगा। आज तकनीकी के प्रयोग के कारण उपभोक्ताओं में कई प्रकार की समानताएं हो रही है परन्तु उनकी अपने समाज और संस्कृति के साथ तकनीकी का समावेष कैसे करें, यह एचआर मैनेजर के लिए प्रमुख चुनौती है। भारत के संदर्भ में मानव संसाधन प्रबंधन की जिम्मेदारी काफी बड़ी है और उनको समाज की विविधता के मद्देनजर अपने आप को एक उत्तम संस्थान के रूप में विकसित करना भी होता है।
एचआरडी विभाग की अध्यक्ष डा. संगीता साहू ने काॅन्क्लेव में आये अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि मानव संसाधन की आज के दौर में क्या आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ-साथ सोच में भी बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योग प्रबंधन और षिक्षण में सामंजस्य की आवष्यकता है।

 
प्रबंध संकाय के अध्यक्ष एचसी पुरोहित ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस काॅन्क्लेव से विष्वविद्यालय के विद्यार्थी ही नहीं पूरा विष्वविद्यालय समुदाय लाभान्वित होगा। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन की भूमिका मात्र संस्था प्रबंधन तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए उपभोक्ता संतुष्टि, उत्पादकता एवं राजस्व बढ़ोत्तरी का काम भी महत्वपूर्ण है। कर्मचारियों की सकारात्मक धारणा इसमें मददगार होती है। 
स्टील अथारिटी आॅफ इण्डिया के पूर्व कार्यकारी निदेषक वीके धवन ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मानव संसाधन प्रबंधक है, चाहे हम किसी भी रूप में हो कोई न कार्य अवष्य करते है। कार्य के प्रति तनमन्यता से हम सफल और असफल प्रबंधक बनते है। उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन के इतिहास पर प्रकाष डाला। 
दिल्ली स्कूल आफ इकोनामिक्स दिल्ली विष्वविद्यालय डा. अजय सिंह ने कहा कि संस्थान को मन, कर्म और वचन से ही संचालित किया जा सकता है। परिवर्तन के दौर में विज्ञान तकनीकी के अविष्कार ने नये तरह की कार्य संस्कृति और कार्य प्रक्रिया को जन्म दिया है जिसकी हम कभी कल्पना नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि हमें कार्य क्षेत्र पर स्ट्रेस फ्री होकर कार्य करना चाहिए। अगर काम को बोझ समझेंगे थोड़े ही देर में तनावग्रसित हो जाएंगे।

भारतीय प्रशिक्षण  एवं विकास संस्था के चेयरमैन प्रमोद चतुर्वेदी ने कार्पोरेट जगत में प्रषिक्षण के फायदे और आईएसटीडी द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की विस्तार से प्रस्तुति दी। विष्वविद्यालय इण्डस्ट्री इंटरफेस के समन्वयक डा. संदीप कुमार सिंह ने कहा कि छात्रों को प्रबंधन की कला और कौषल को विकसित करना होगा। ताकि व्यवसाय प्रबंधन में मददगार हो सके।
काॅन्क्लेव में कुलसचिव डा. वीके पाण्डेय, वित्त अधिकारी अमरचंद्र, प्रो. डीडी दूबे ने अतिथियों को अंगवस्त्रम्, स्मृति चिन्ह एवं बुके भेंट कर सम्मानित किया। इसके पूर्व जनसंचार विभाग द्वारा मानव संसाधन विकास विभाग पर डा. दिग्विजय सिंह राठौर द्वारा निर्मित डाक्यूमेंट्री प्रदर्षित की गयी। समारोह का संचालन आयोजन सचिव डा. अविनाष डी. पाथर्डिकर ने किया।
इस अवसर पर प्रो. आरएस सिंह, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. रामजी लाल, प्रो. वीके सिंह, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. मानस पाण्डेय, डा. रामनारायण, डा. एके श्रीवास्तव, डा. वीडी शर्मा, डा. वंदना राय, डा. एसपी तिवारी, डा. प्रदीप कुमार, डा. सुनील कुमार, डा. राजकुमार, डा. आषुतोष सिंह, डा. अमरेंद्र सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. रूष्दा आजमी, अंषुमान, डा. सुषील सिंह समेत विष्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के षिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।  

Wednesday 18 February 2015

पूर्व मुख्य मंत्री स्व वीर बहादुर सिंह के जन्म दिवस पर कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल नमन किया



 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री स्व वीर बहादुर सिंह के जन्म दिवस पर कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने उन्हें नमन किया। विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य द्वार के समक्ष स्थापित उनकी प्रतिमा पर कुलपति समेत विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पुष्प अर्पित किया। इस अवसर पर उपकुलसचिव संजय कुमार,नारायण प्रसाद, डॉ के एस तोमर, आर के जैन,पंकज सिंह समेत तमाम लोग मौजूद रहे. 

उच्च शिक्षा की समस्याएं, शैक्षिक प्रबंधन एवं शिक्षक संघों की भूमिका विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन(16-17 फ़रवरी ) )




वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सोमवार को जनपद महाविद्यालय शिक्षक संघ जौनपुर द्वारा उच्च शिक्षा की समस्याएं, शैक्षिक प्रबंधन एवं शिक्षक संघों की भूमिका विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
संगोष्ठी भवन में आयोजित उद्घाटन सत्र में देश के विभिन्न भागों से आये शिक्षाविद्ों ने उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। वर्तमान समय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आ रही समस्याओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात समाज विज्ञानी एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रो. रामशरण जोशी ने कहा कि देश की उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने की जरूरत है। इसके साथ ही शिक्षा नीति का लाभ हासिये पर बैठे लोगों को मिले इस दिशा में बड़े प्रयास की जरूरत है। आज देश में मुद्दा यह है कि शिक्षा एक्सक्लूसिव हो या इनक्लूसिव। इस पर बहस हो रही है। मेरा मानना है कि शिक्षा और शोध की गुणवत्ता पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा स्वयं में एक स्वतंत्र प्रक्रिया नहीं होती। इसमें निरन्तर बदलाव हो रहे है। मगर यह राजनीतिक परिदृश्य पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल शिक्षित करने का माध्यम न बने यह वैश्वीकरण में बाजार से जोड़ने वाली होनी चाहिए। उन्होंने शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा उद्देश्यपरक, धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर गिरने का प्रमुख कारण शिक्षा का व्यवसायीकरण नहीं व्यापारीकरण है। 
विशिष्ट अतिथि भारतीय दलित अध्ययन संस्थान की अध्यक्षा एवं इग्नू की प्रोफेसर विमल थोराट ने कहा कि आदिवासियों तक उच्च शिक्षा नहीं पहुंची है। उन्हें मुख्य धारा में जोड़ने के लिए जाति, धर्म और लिंग के आधार पर समावेशित शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि शिक्षा के नाम पर मतभेद के कारण बहुत सी विसंगतियां पैदा हुई। जो कि हमारे लोकतांत्रिक देश के लिए ठीक नहीं है। इसके लिए सरकार शिक्षक समुदाय को बच्चों के साथ संवेदनशील बनना पड़ेगा। एआईफुक्टो के महासचिव प्रो. अशोक बर्मन ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता की कमी के कई कारण है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में शिक्षकों के कई खाली पद है। जिन्हें भरने की कोशिश नहीं हो रही है। बल्कि उनका काम संविदा के शिक्षकों द्वारा चलाया जा रहा है। दूसरा कारण शिक्षा के व्यवसाय में गैर शिक्षा के लोगों की भागादारी हमारे के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग दोनों शिक्षा के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सुस्ती बनाये हुए है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अली जावेद ने शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण पर आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा कि सरकार समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है। आरक्षण नीति का पालन भी प्रवेश में हो रहा है मगर नौकरियों में नहीं। प्रख्यात समीक्षक प्रो. चैथीराम यादव ने कहा कि शिक्षा की दोहरी नीति है। जिसके कारण यह आम जन तक नहीं पहुंच पा रही है। हासिये पर बैठे लोगों तक जब तक शिक्षा नहीं पहुंची तब तक कोई समाज और देश तरक्की नहीं कर सकता।
 अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि आज हमारे पास उच्च शिक्षा के क्षेत्र में समस्या नहीं चुनौतियां है। आज शिक्षा के प्रति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, शिक्षण संस्थान और विद्यार्थियों के अभिभावक की बराबर आकांक्षाएं है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षण संस्थान और शिक्षक को विद्यार्थियों के समग्र विकास के बारे में सोचना होगा। हमें हर शिक्षण संस्थान में एकेडिमक स्टाफ कालेज खोलने चाहिए। आज शिक्षण संस्थाओं की सोशल आॅडिट कराने की जरूरत है। विश्वविद्यालयों में सुधार के लिए जब तक बेंच मार्किंग नहीं होगी तब तक इसे ठीक नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि शिक्षा की नीति लघु स्तर, मध्यम स्तर और विस्तृत स्तर तीनों को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए। इसके पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत प्रस्तुत किया। स्वागत भाषण आयोजन सचिव के अध्यक्ष डा. राजीव प्रकाश सिंह ने किया। उन्होंने मंचासीन अतिथियों का विस्तृत परिचय भी कराया। 
कार्यक्रम के संगोष्ठी के संयोजक डा. राकेश सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इसके बाद प्रो. कीर्ति सिंह, एमएलसी डा. चेतनारायण सिंह एवं मंचासीन अतिथियों को अंगवस्त्रम् एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. एचसी पुरोहित ने और धन्यवाद ज्ञापन डा. अनिल प्रताप सिंह ने किया। इसके बाद प्रथम तकनीकी सत्र शुरू हुआ। जिसकी अध्यक्षता प्रो. कीर्ति सिंह और संचालन डा. राजीव कुमार झा ने किया। सेमिनार में प्रो. डीडी दूबे, प्रो. बीबी तिवारी, डा. घनश्याम सिंह, डा. काशी नाथ सिंह, डा. हरिश्चंद्र सिंह, प्रो. रामजी लाल, डा. यूपी सिंह, डा. संजय श्रीवास्तव, डा. अमरेश, रमेश सिंह, प्रमोद श्रीवास्तव, डा. मानस पाण्डेय,डा. लालजी त्रिपाठी, डा. वंदना दूबे, डा. आरएन त्रिपाठी, डा. प्रदीप कुमार, डा. पंकज सिंह, डा. वंदना राय, संदीप सिंह, अविनाश पाथर्डिकर, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. केएस तोमर, डा. इंद्रेश कुमार, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी समेत तमाम शिक्षक, विद्यार्थी मौजूद रहे।  
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दूसरा दिन 

दिनांक 17.02.2015

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
जौनपुरआयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘उच्च शिक्षा की समस्याएं शैक्षिक प्रबंधन एवं शिक्षक संघों की भूमिका’ का संगोष्ठी भवन में मंगलवार को समापन हुआ।
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से आए शिक्षाविदों  ने उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति से लेकर समस्याएं एवं भविष्य की चुनौतियों पर गंभीर चर्चा की गयी।
संगोष्ठी के अंतिम दिन आयोजित द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो. अली जावेद, चंचल सिंह, प्रो. राजकुमार, जयप्रकाश धूमकेतु, प्रो. आनन्द दीपायन, डा. विवेक निगम एवं वंदना चैबे ने विषयक के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। तकनीकी सत्र का संचालन डा. एचसी पुरोहित एवं मोहम्मद आरिफ ने किया।
अंतिम सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. अनिल सद्गोपाल ने कहा कि आने वाले समय में उच्च शिक्षा प्राइवेट कम्पनियों के कब्जे में होगी। उत्पादों के नाम पर सेमिनार और व्याख्यान होंगे। हमारी सरकारें आज विदेशी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित कर रही है। उच्च शिक्षा पर सरकारें लगातार खर्च घटा रही है। आज शिक्षा बीमार नहीं बल्कि मर चुकी है। पूर्व केंद्र सरकार द्वारा गठित उद्योगपतियों की एक समिति के  रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च शिक्षा को बाजार को सौंप देना चाहिए क्योंकि बाजार यह तय करे कि उच्च शिक्षा में क्या पढ़ाया जाय या नहीं। यह बहुत ही विचार का विषय है। यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय को न सौंपकर प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार को सौंपी गयी है जिससे इसकी मंशा साफ जाहिर हो रही है। 
प्रख्यात पत्रकार एवं अन्वेषक अभय कुमार दूबे ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में धन हावी होने से विषमताएं बढ़ रही है। धनवान विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए जाता है और मेधावी विद्यार्थियों को अपने देश में संसाधन नहीं मिल पाता। आज देश में शिक्षा के क्षेत्र में बाजार के अवसर उपलब्ध हो गये है। मगर अच्छे टेक्नीकल और प्रोफेसनल लोगों की संख्या 25 प्रतिशत ही है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की जरूरत है यह सुधार आर्थिक के साथ साथ प्रशासनिक और पुलिसिंग के क्षेत्र में भी होना चाहिए।
पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दूबे ने कहा कि आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उ.प्र. में लगातार शिक्षकों की कमी हो रही है। सरकार को इस दिशा में तेजी से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नियमित शिक्षक संविदा शिक्षकों का शोषण कर रहे है। यह दुखद है।
वल्र्ड टीचर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डा. घनश्याम सिंह ने कहा कि देश की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या है। जनसंख्या नियंत्रित किये बिना उच्च शिक्षा का विकास नहीं हो सकता। कहा कि अविरल गंगा प्राचीन समय से बह रही है और आज प्रदूषित हो चुकी है पीने लायक नहीं है उसी प्रकार शिक्षा भी प्रदूषित हो चुकी है। आज तमाम कम्पनियां गंगा जल को बोतलों में भरकर बेच रही है और उसे वहीं लोग पीते है जिसके जेब में पैसा होता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षा का भी हाल है। शिक्षा आज बड़ी बड़ी इंन्स्टीच्यूट में चल रही है उसमें वहीं पढ़ सकता है जिसके जेब में धन हो। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 50 प्रतिशत तक उच्च शिक्षा के शिक्षकों का पद रिक्त है लेकिन सरकार इस पर कोई कार्य नहीं कर रही है। समापन सत्र की अध्यक्षता पूर्व डीजीपी, पूर्व कुलपति महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र विभूति नारायण राय ने की। 
संगोष्ठी के संयोजक डा. राकेश सिंह ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की आख्या प्रस्तुत की एवं अतिथियों का स्वागत किया। उ.प्र. विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष डा. राजीव प्रकाश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी का संचालन प्रबंधक संकायाध्यक्ष डा. एचसी पुरोहित एवं डा. संजय श्रीवास्तव ने किया।
इस अवसर पर प्रो. रामशरण जोशी, डा. राममोहन सिंह, डा. अनिल प्रताप सिंह, डा. आरएन त्रिपाठी, डा. आशुतोष सिंह, डा. अमरेश पाठक, डा. रमेशमणि त्रिपाठी, डा. सरोज सिंह, डा. सतेंद्र त्रिपाठी, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. इंद्रेश, डा. रूश्दा आजमी सहित तमाम शिक्षक, विद्यार्थी मौजूद रहे।



Saturday 14 February 2015

पूर्वाचल विश्वविद्यालय बना चैंपियन



अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालयी क्रिकेट प्रतियोगिता

मंडलायुक्त वाराणसी मंडल एवं  कुलपति से मैं ऑफ मैच  
का पुरस्कार प्राप्त करते खिलाड़ी प्रवीण दुबे .
विजेता टीम
अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालयी क्रिकेट प्रतियोगिता में मेजबान पूर्वांचल विश्वविद्यालय चैंपियन रहा। ११ फरवरी  को खेले गए फाइनल मैच में दिल्ली विश्वविद्यालय को पराजित किया। पूविवि के प्रवीण दुबे को मैन आफ सीरीज पुरस्कार से नवाजा गया। मुख्य अतिथि मंडलायुक्त आरएम श्रीवास्तव एवं कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल  ने खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के एकलव्य स्टेडियम पर टास जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए पूविवि की टीम ने निर्धारित 50 ओवर में नौ विकेट पर 233 रन बनाया। ओपनर बल्लेबाज निशांत राय ने 65 गेंद पर नौ चौका एक छक्का की मदद से शानदार 66, प्रवीण दुबे ने 75 गेंद पर चार चौका लगाकर 50 और शुभम चौबे ने 40 गेंद पर 25 रन बनाए। दिल्ली की ओर से हितेष जेमिनी प्रत्युष सिंह ने दो-दो विकेट लिए। लक्ष्य का पीछा करने उतरी दिल्ली विश्वविद्यालय की टीम 44.4 ओवर में 188 रन पर ही आल आउट हो गई। प्रत्युष सिंह ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए 107 गेंद पर दस चौके मदद से 83 रन तथा मनीष तेल्हन ने 32 रन जोड़े। पूविवि की ओर से राम सरीख यादव नीरज मौर्य ने तीन-तीन गुलाब कुमार निषाद ने दो विकेट लिए। अंपायरिंग की जिम्मेदारी आरपी गुप्ता, हनुमान भारती और अनिल अस्थाना ने निभाई। स्कोरर नंद कुमार यादव रहे

Monday 9 February 2015

विश्वविद्यालय में हुआ एक्यूप्रेशर जागरूकता शिविर का आयोजन (6-7 फरवरी )


प्रथम दिन 


औषधिविहीन स्वस्थ समाज की स्थापना की जरूरत

 संगोष्ठी भवन में शुक्रवार को दो दिवसीय एक्यूप्रेशर जागरूकता एवं उपचार शिविर का शुभारंभ हुआ। जागरूकता एवं उपचार शिविर के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि आज हमें स्वास्थ्य के प्रति सजगता बरतनी होगी और जागरूक होकर अपनी समस्याओं का समाधान करना होगा। आज युवा पीढ़ी तमाम तरह के संघर्षों में अपना जीवन जी रही है। घंटों बैठकर, दौड़ धूप कर काम करने से तमाम तरह की शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है। दौड़ भाग की इस जिंदगी में एक्यूप्रेशर विधि से काफी लाभ मिल सकता है। इससे हमारे शिथिल होते तंत्र प्रणाली को कुछ मिनटों में ही चैतन्यता जाती है।
डाश्याम सुंदर सर्राफ 
मुख्य वक्ता एक्यूप्रेशर शोध, प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान इलाहाबाद के डा. श्याम सुंदर सर्राफ ने कहा कि आज औषधिविहीन स्वस्थ समाज की स्थापना की जरूरत है। एक्यूप्रेशर के माध्यम से पीडि़त और कराहती मानवता की सेवा कर बहुत से लोग अपना जीवन सार्थक कर रहे है। एक्यूप्रेशर का वर्णन वेदों में मिलता है। यह पुरातन चिकित्सा पद्धति है। जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। आज प्राचीन भारतीय चिकित्सा होते हुए भी इसके साहित्य की उपलब्धता होने पर प्रचार प्रसार धीमा रहा। जिसके लिए काफी प्रयास के बाद बड़े पैमाने पर स्वस्थ भारत निर्माण के लिए साहित्य उपलब्ध कराया गया।
उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने अंगों को दर्द होने पर अपने दूसरे अंग से उसे दबाकर अपना खुद इलाज करते आया है। अपनी पीड़ा को कम किया है। हजार वर्षों से भारत की महिलाएं कान में आभूषण पहनती है छोटे बच्चों की कलाई कमर में काला धागा बांधने की परम्परा चली रही है। इनके पीछे वैज्ञानिक कारण है, जो एक्यूप्रेशर विधि से जुड़ा हुआ है। डा. सर्राफ ने कई रोगों के इलाज के लिए एक्यूप्रेशर के छोटे-छोटे तरीकों को बताये। उन्होंने कहा कि मिर्गी के रोगी को जूते सुंघाना कितना अमानवीय है, जबकि नाक के नीचे बीचो बीच में, कान में नीचे की तरफ दबाने से रोगी को जल्द ही सामान्य किया जा सकता है।
एक्यूप्रेशर शोध, प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान के महासचिव बीपी शुक्ला ने कहा कि आज इस विद्या के जितने अधिक लोग प्रशिक्षित शिक्षित होंगे हमारा देश उतना ही निरोगी होगा। देश के कई विश्वविद्यालयों में इसे पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। जिससे बड़े पैमाने पर प्रशिक्षक समाज को उपलब्ध हो रहे है।
उद्घाटन सत्र के पश्चात एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ अर्चना त्रिवेदी ने लोगों का परीक्षण किया एवं एक्यूप्रेशर विधि से उनका इलाज किया। स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए कई गूढ़ बातें बतायी।
कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डा. बीडी शर्मा ने किया। इसके पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात परिसर की छात्राओं ने स्वागत गीत एवं वंदेमातरम् की प्रस्तुति की। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान हुआ।
इस अवसर पर प्रो. डीडी दूबे, कुलसचिव डा. बीके पाण्डेय, वित्त अधिकारी अमर चंद्र, प्रो. एमपी सिंह, प्रो. वीके सिंह, डा. एके श्रीवास्तव, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. मानस पाण्डेय, डा. एचसी पुरोहित, डा. अविनाश पाथर्डिकर, डा. राजकुमार, डा. प्रदीप कुमार, डा. वंदना राय, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. आशुतोष सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. संतोश कुमार, शैलेश प्रजापति, डा. इंद्रेश कुमार समेत तमाम शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
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दूसरा दिन 

स्वस्थ भारत का निर्माण 2020 तक: सर्राफ
  • दो दिवसीय एक्यूप्रेशर शिविर का विश्वविद्यालय में समापन
  • सौ से अधिक मरीजों का उपचार, जानकारियां दी गयी

 दो दिवसीय एक्यूप्रेशर जागरूकता एवं उपचार शिविर का समापन शनिवार को हुआ। दो दिवसीय शिविर में विशेषज्ञों ने लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक एवं एक्यूप्रेशर से संबंधित तमाम जानकारियां दी। करीब सौ से अधिक मरीजों ने अपना उपचार कराया।
                एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान की संकाय सदस्य अर्चना त्रिवेदी की टीम ने दो दिनों में शिविर में आये लोगों का इलाज किया एवं स्वस्थ जीवन-यापन के लिए जानकारियां दी। इसके साथ बीज चुम्बक से भी इलाज किया गया। इसके पूर्व महिला छात्रावास में छात्राओं का इलाज किया गया एवं प्रशिक्षण दिया गया। शिविर का समापन संगोष्ठी भवन में हुआ। इस मौके पर संस्था के संरक्षक एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ श्याम सुंदर सर्राफ ने कहा कि दो दिवसीय इस शिविर में आप लोगों का जो हमें प्यार मिला है उससे लगता है कि हमारी संस्था ने जो 2020 तक स्वस्थ भारत का सपना देखा है वह पूरा हो जाएगा। इस विधि को हमें जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। लोगों को बताना है कि औषधि के बिना भी हम स्वस्थ रह सकते है। स्वास्थ्य के प्रति समाज में फैली विकृतियों को दूर करने की भी आवश्यकता है। अंत में उन्होंने आयोजन कमेटी का आभार प्रकट किया। सीनियर फैकल्टी मेम्बर अर्चना त्रिवेदी ने कहा कि यह विधि बहुत ही सरल और सहज है। हमारी संस्था इस विधि को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आतुर है। हमें लोगों को बताना है कि आप अपना इलाज स्वयं कर सकते है क्योंकि ईश्वर ने हर रोग का इलाज आपकी हथेली में दे रखा है। उन्होंने कहा कि लोग बीमार होने के बाद लापरवाही करते है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। कुछ लोग रोजी रोटी के लिए दिन भर भागते दौड़ते है लेकिन जब भोजन सामने आता है तो जल्दी जल्दी खाकर फिर भाग जाते है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद कहता है कि शांत माहौल में आराम से और चबाकर भोजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साफ्टवेयर इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ जो केवल कार्यालयों में कार्य करते है उनमें विटामिन डी की कमी रहती है, ऐसे में उन्हें कम से कम 45 मिनट प्रतिदिन सूर्य का प्रकाश लेना चाहिए जिससे जोड़ों का दर्द, सर्वाइकल समस्या दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के लोग नमक, चीनी का प्रयोग अधिक करते है, ऐसे में उन्हें नमक चीनी कम खाना चाहिए ताकि वह हाइपरटेंशन के शिकार होने पाए। अंत में आयोजन सचिव वीडी शर्मा ने एपेक्स चेयरमैन श्याम सुंदर सर्राफ को अंगवस्त्रम् एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद मंचासीन अर्चना त्रिवेदी, देवमणि पाण्डेय, मुकेश गौतम को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. एचसी पुरोहित ने और संचालन डा. संतोष कुमार ने किया। इस अवसर पर डा. प्रदीप कुमार, डा. वंदना राय, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. इंद्रेश कुमार, डा. आलोक दास, पंकज सिंह, धीरज श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।