Tuesday 30 August 2011

बापू की सोच लिए, जन सेवा को एक और कदम..


  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा, प्रति माह ग्रामीण गरीबों के लिए  लगाये जाने वाला बापू बाज़ार पिछले रविवार को आज़मगढ़ जनपद के गंगा गौरी महाविद्यालय रामपुर में लगा.इस बापू बाज़ार में राष्ट्रीय सेवा योजना  की ४५ इकाइयों के छात्र- छात्राओं ने बाज़ार के लिए सामान जुटाए .बापू बाज़ार, महात्मा गाँधी जी की सोच को लेकर इस  विश्वविद्यालय के  कुलपति प्रो. सुन्दर लाल जी की प्रेरणा से  किसी ग्रामीण इलाके   में लगाया जाता हैं.
 इस बाज़ार की खासियत यह हैं कि इसमें बिकने वाला  सामान समाज के संभ्रात लोगों से मांग कर जुटाया जाता हैं  और गरीबों को मुफ्त देने के बजाय  प्रतीकात्मक मूल्य २ से १० रुपए रख कर उन्हें बेच दिया जाता हैं,जिससे   गरीबों की सहायता भी हो जाये और उनका आत्मसमान भी बना रहे. इस बार के बाज़ार में 
शिरकत करनें वाले लोंगों को   दूध और दही का भी स्वाद मिला  .      
बापू बाज़ार का शुभारम्भ  पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुन्दर लाल ने किया.बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के साथ ही साथ समाज के बारे में भी सोचना चाहियें. हमारे समाज में गरीब अमीर सभी तरह के लोग रहते हैं. पूरा समाज तभी सुखी रह सकता हैं जब सबकी जरूरतें पूरी हो.गरीबों का विकास करना हम सभी का नैतिक कर्त्तव्य बनता हैं. 

  इस अवसर पर पधारे प्रदेश के उच्च शिक्षा सचिव
श्री अवनीश अवस्थी ने कहा कि समाज के बारे में किसी विश्वविद्यालय द्वारा इस तरीके की सोच रख कर ,जन सेवा के लिए बाज़ार लगाना अद्भुत हैं.उन्होंने छात्र- छात्राओं से अपील की कि जन सेवा का यह अभियान जारी रहे.
 एन एस एस के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ एस बी सिंह ने कहा कि बापू बाज़ार के लिए स्वयं सेवकों ने जो लगन दिखाई हैं वह निश्चित रूप से समाज के लिए उपयोगी होगा.
     चर्चित भोजपुरी लोक गायिका  मालिनी अवस्थी ने भी अपने गीतों से उपस्थित  लोंगों को  भाव-विभोर कर दिया .इस के साथ ही सुर संग्राम के मोहन राठौर, राकेश तिवारी के साथ अन्य कलाकारों ने भी गीत प्रस्तुत किये.कॉलेज के प्रबंधक शैलेन्द्र सिंह एवं गजेन्द्र सिंह के धन्यवाद ज्ञापन किया.
 इस बापू बाज़ार में  कपड़े,जूते,टोपी आदि दैनिक उपयोग की वस्तुएं बिकी. बाज़ार में सामान खरीदने के लिए लोग-बाग खूब सक्रिय रहे..

                                                                      



       मंच पर उपस्थित माननीय कुलपति जी और अन्य गणमान्य अतिथिगण

 प्रमाण पत्र देते माननीय कुलपति जी और प्रदेश के उच्च शिक्षा सचिव श्री अवनीश अवस्थी 


          उपस्थित लोंगो को संबोधित करते  माननीय कुलपति जी 

Tuesday 16 August 2011

अपने अन्दर के लोकपाल को जागृत करें .....

स्वत्रन्त्रता दिवस के  पावन अवसर पर विश्वविद्यालय में ध्वजारोहण  के  पश्चात  विश्वविद्यालय के सम्मानित शिक्षक बन्धुओं ,अधिकारीगण और कर्मचारी भाइयों  को   स्वत्रन्त्रता दिवस की शुभकामना और बधाई   के साथ वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय   के  कुलपति प्रो.सुंदर लाल जी नें कहा कि हमारे देश ने स्वत्रन्त्रता पश्चात  प्रत्येक क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की  है .इस महान देश   को   सबके योगदान और  सहयोग से अभी बहुत आगे ले जाना है और यह तभी संभव है जब हम  अपने अन्दर के लोकपाल को जागृत करें .....
उन्होंने कहा कि  आज हम विज्ञान-तकनीक    ,सूचना तकनीक ,परिवहन ,कृषि,शिक्षा,न्याय ,अर्थ व्यवस्था, और सुशासन  में दुनिया के कई मुल्कों से बहुत आगे हैं.हम पर कभी राज करनें वाले लोग और देश आज स्वयं दंगों की आग में झुलस रहे हैं  लेकिन विश्व बंधुत्व -भाई चारा-अमन चैन में यकीन करने वाला हमारा देश हर चुनौतियों में  सदैव मजबूत होकर निकला है.आजादी के बाद हमनें लोंगों को रोटी और कपड़ा के लिए तरसते हुए देखा है लेकिन आज हमारे किसान भाई इतनी उपज पैदा कर रहे हैं कि हम दुनिया के अन्य मुल्कों तक इसे पहुंचा रहे हैं.
 स्वत्रन्त्रता आन्दोलन के अमर शहीदों को नमन करते हुए कुलपति जी नें कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ न जाय इस लिए हम सब    अपने अन्दर के लोकपाल को जागृत करें ...और देश के विकास में अपनी भूमिका का निर्वहन  करें...उन्होंने कहा कि यदि आपनें अपनें अन्दर के लोकपाल को जागृत नहीं किया तो हम सब के  ऊपर बैठा  लोकपाल हमे कभी माफ़ नहीं करेगा,वह सब देख और सुन रहा है,उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती आपके जीवन काल में ही वह आप को न्याय दे देगा....
आज स्वत्रन्त्रता दिवस के  पावन अवसर विश्वविद्यालय परिसर में  पर्यावरण को समृद्ध रखनें के दृष्टिकोण  से बृक्ष  भी रोपित किये गये   ----
                                                  पौध रोपित करते माननीय कुलपति जी


पौध रोपित करते कुलसचिव  डॉ .बी .एल .आर्य


पौध रोपित करते करते परीक्षा नियंत्रक डॉ आर .एस .यादव ,डीन विद्यार्थी कल्याण प्रो.राम जी लाल और डॉ .राजेश  सिंह  

 
 पौध रोपित करते करते कुलपति  जी  के निजी सचिव   डॉ  के.एस.तोमर  ,विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष श्री अमलदार यादव , विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष श्री सुशील प्रजापति और श्री रजनीश सिंह

Tuesday 2 August 2011

बापू बाज़ार : पुष्पित और पल्लवित होता एक विचार

एक विचार को पल्लवित और पुष्पित होते देख कितनी खुशी होती है इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है.अभी छ माह पूर्व तक बापू-बाज़ार क्या है,क्यों है ?इसके बारे में अपना समूचा पूर्वांचल अनजान था लेकिन आज ऐसा नहीं है .अब तक हमारे कुलपति प्रो सुन्दरलाल जी की प्रेरणा से  कुल तीन बापू-बाज़ार आयोजित किये जा चुके हैं जिसे समाज के लोंगों नें बहुत आशा और सम्मान के साथ आत्मसात किया है. बापू बाज़ार श्रृंखला के अंतर्गत रविवार को पब्लिक महिला सहर पीजी कालेज मुहम्मदाबाद मऊ में तीसरा बापू बाज़ार लगा.इस बाज़ार में बड़ी संख्या में गरीबों ने कपड़ों की खरीददारी की. गरीबों के लिए लगने वाला यह अनोखा बाज़ार हैं. इस बाज़ार की शुरुआत  जौनपुर से हुई थी. इसमें बिकने वाले सामानों को राष्ट्रीय सेवा योजना के कैडेटों द्वारा  समाज के लोगों से मांग कर जुटाया जाता हैं.गरीबों का आत्म सम्मान भी बना रहे और कपडे भी मिल जाये इसलिए  इनका प्रतीकात्मक मूल्य रख कर बापू बाज़ार में बेचा जाता हैं.इससे गरीबों की सम्मान सहित सहायता होती हैं.  
मऊ जनपद में आयोजित इस   बापू बाज़ार का शुभारम्भ  भी कुलपति प्रो सुन्दर लाल जी ने  ही किया.   इस अवसर पर आपनें   कहा कि बापू बाज़ार के लिए जिन विद्यार्थियों  ने सामानों को घर -घर जा कर  जुटाया हैं वह समाज और राष्ट्र के लिए  बहुत नेक काम कर रहे हैं  . बापू का सपना था कि  समाज का हर वर्ग कंधे से कन्धा मिला चले. जो गरीब हैं उनके उत्थान  के लिए भी हमें आगे आना चाहिए.बापू बाज़ार , एक बाज़ार नहीं हैं यह  एक विचार हैं जिसके कारण हमारे मन में समाज के निर्बल लोगों के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव आता हैं. हमें जीवन में वस्तुओं का मूल्य समझना चाहिए . बहुत सारी वस्तुएं जो हमारे लिए उपयोगी नहीं होती हैं. वह दूसरे  के लिए बहुमूल्य हो सकती हैं .इसलिए ये हमारी नैतिक रूप से जिम्मेदारी होती हैं कि हम इन वस्तुओं को जरूरतमंदों तक पहुचाएं. बापू बाज़ार के माध्यम से हम इसी काम को कर रहे हैं.छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन ही वह स्वर्णिम काल है जब अपनी पूरी ऊर्जा, त्याग-तपस्या के साथ देशसेवा में लगाई जा सकती है। इसके लिए कर्मपथ पर निरंतर अग्रसर रहना प्रथम आवश्यक शर्त है। हमें जीवन में वस्तुओं का मूल्य समझना चाहिए . बहुत सारी वस्तुएं जो हमारे लिए उपयोगी नहीं होती हैं. वो दूसरे के लिए बहुमूल्य हो सकती हैं .इसलिए ये हमारी नैतिक रूप से जिम्मेदारी होती हैं कि हम इन वस्तुओं  को जरूरतमंदों तक पहुचाएं. बापू बाज़ार के माध्यम से हम इसी काम को कर रहे हैं.    वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ हितेंद्र प्रताप सिंह की  सक्रिय पहल  और 33 राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों के सहयोग से आयोजित इस बाज़ार में बिकने वाले कपड़ो की कीमत  २ से १० रुपये रही. खास बात ये थी कि सिर्फ वो लोग इसमें खरीददार थे जो पहले से राष्ट्रीय सेवा योजना के कैडेटों द्वारा  चिन्हित किये गए थे.बाज़ार में जुटे हजारों लोगों नें  खूब खरीदारी की. इसमें साड़ी,पैंट,सलवार ,कमीज, आदि हर उम्र के लोगों के लिए कपडे , बर्तन आदि  थे.बाज़ार में मुफ्त में किताबें और खिलौनों को भी  दिया गया.बापू का चरखा भी इस बाज़ार में देखने को मिला .