Sunday 29 September 2013

21वां बापू बाजार रविवार को कूबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में लगा


आजमगढ़ : वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण गरीबों के लिए प्रारंभ की गई बापू बाजार श्रृंखला के अंतर्गत 21वां बापू बाजार रविवार को कूबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में लगाया गया। इस बाबू बाजार में अभावग्रस्तों ने दो से 10 रुपये के प्रतीकात्मक मूल्य पर जमकर खरीदारी की।
संबोधित करते कुलपति प्रो सुंदर लाल 
बापू बाजार की शुरुआत पूर्वाचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुंदर लाल व कई कृषि वि. विद्यालयों के कुलपति रहे प्रो. कीर्ति सिंह ने संयुक्त रूप से फीता काटकर की। मुख्य अतिथि पूविवि के कुलपति प्रो. सुंदर लाल ने कहा कि शिक्षा का सही अर्थ है कि हमारे विद्यार्थी समाज से वास्तविक रूप में कितने जुड़े हैं। इस बापू बाजार के माध्यम से महाविद्यालयों व समाज के बीच की दूरी कम हुई है। उन्होंने कहा कि बापू बाजार के कई आयाम है। यह विद्यार्थियों के लिए एक व्यक्तित्व विकास की कार्यशाला है। इसके माध्यम से जो समाज के चित्र विद्यार्थियों के मन में बनेंगे, वह जीवन पर्यत उनके साथ रहेंगे। 
विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. कीर्ति सिंह ने कहा कि ग्रामीण सुंदर अंचल में स्थित यह महाविद्यालय शिक्षा की जो अलख जगाए हुए हैं वह बहुत ही सराहनीय है। संयुत ग्रामीण बैंक पूर्वाचल एसोसिएशन व शिवपूजन सिंह ट्रस्ट द्वारा बापू बाजार के लिए बड़ी मात्रा में वस्तुएं उपलब्ध कराई गई। 
कपड़े, कंबल, साड़ी, पैंट-शर्ट, कुर्ता-सलवार, जूते-चप्पल, खिलौने आदि वस्तुए इस बाजार में दो से 10 रुपये के प्रतीकात्मक मूल्य पर खरीदी गई। बापू बाजार की पूर्व संध्या पर पेंटिंग व रंगोली प्रतियोगिताओं में छात्र-छात्राओं द्वारा बनाई गई कृतियों का निरीक्षण अतिथियों ने किया। सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में 175 छात्रों ने भाग लिया। राकेश यादव को प्रथम, कविता चौहान को द्वितीय व रुबी सिंह व चंद्रशेखर यादव को तृतीय स्थान मिला। इन विजेताओं को कुलपति द्वारा प्रमाण पत्र व उपहार भेंट किया गया। 
संचालन डा. देवेंद्र प्रताप सिंह ने किया। बापू बाजार में कुलपति प्रो. सुंदर लाल व पूर्व कुलपति प्रो. कीर्ति सिंह ने डा. वरुण द्विवेदी व डा. पंकज कुमार सिंह के संपादकत्व में प्रकाशित इंटरनेशनल जर्नल आफ सोशल साइंस व लिग्यूस्टिक का विमोचन किया गया।
इस दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डा. एम हसीन खां, डा. उमाशंकर सिंह, प्राचार्य अनिल कुमार सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. योगेन्द्र कुमार सिंह, डा. सत्यनारायण सिंह, डा. विमलेश यादव, डा. राधेश्याम मधुकर, डा. आकांक्षा तिवारी, डा. रंजना उपाध्याय, रामआसरे राय आदि उपस्थित थे।(jagran)








विशिष्ट अतिथि प्रो कीर्ति सिंह 

राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ हसीन खां 















Saturday 21 September 2013

प्रबंधन और चुनौतियां विषयक संगोष्ठी


 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रबंध संकाय के पूर्व निदेशक प्रा. केएम शर्मा ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपनी विशिष्टता को बनाए रखना नए प्रबंधकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। अपने ज्ञान का प्रदर्शन अलग रूप से दिखा कर अपनी पहचान बनाए रखने की जरूरत है। हर दिन नई चुनौतियों का सामना करने के लिए ज्ञान की गहराई तक पहुंचना होगा। वह गुरुवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के एमबीई (मास्टर आफ बिजनेस इकोनामिक्स) विभाग में आयोजित प्रबंधन और चुनौतियां विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रबंध शास्त्र के प्रो. एचपी माथुर ने कहा कि तकनीकी विकास का सही उपयोग एवं समाज हित में उसकी उपयोगिता सिद्ध करने की जिम्मेदारी प्रबंधकों की है। साइबर के दौर में हर ज्ञान हासिल किया जा सकता है परंतु उस ज्ञान को सामाजिक निर्माण में लगाना चुनौती रहता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारतीय प्रबंध संस्थान रुड़की के प्रबंध विभाग के अध्यक्ष प्रो. संतोष रागडेकर ने कहा कि संस्था के विकास के लिए प्रबंधन की कार्य संस्कृति,कार्यरत कर्मियों की संस्था के प्रति समर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका है। द्रोणाचार्य और आचार्य चाणक्य की भूमिका शिक्षकों को स्वयं निभानी होगी। पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला के प्रो. मंजीत सिंह ने तकनीकी पहलू पर प्रकाश डाला। संकायाध्यक्ष डा. मानस पांडेय ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर डा. एसके सिन्हा, डा. अविनाश, डा. अजय द्विवेदी, डा. आलोक गुप्त, डा. अमित वत्स, डा. आशुतोष, डा. बीडी शर्मा, डा. ऋषिकेष आदि मौजूद रहे। संकायाध्यक्ष ने अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संचालन डा. एचसी पुरोहित ने किया।
(साभार -अमर उजाला वाराणसी संस्करण 20-21 सितम्बर 2013) 
                                                                                  











Friday 20 September 2013

वैश्वीकरण ,लोक संस्कृति एवं सामाजिक मीडिया विषयक गोष्ठी का आयोजन




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Thursday 5 September 2013

शिक्षक दिवस

शिक्षक का मूल कर्तव्य उपलब्ध ज्ञान को बांटना नहीं बल्कि नए ज्ञान के सृजन  के लिए नई पीढ़ी को तैयार करना है. 
प्रो एस पी गौतम, मुख्य अतिथि
पूर्व कुलपति रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली 

शिक्षा अर्थ के लेन देन से जुड़ गई ऐसे में शिक्षक और विद्यार्थी की भावना में भी परिवर्तन हुए हैं इस परिस्थिति में शिक्षक दिवस और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.
- प्रो सुंदर लाल 
कुलपति