Monday 19 December 2011

रविवार की शाम रही कविता के नाम

 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा अपनें  रजत जयंती वर्ष  में रविवार की शाम दिनांक १८ दिसंबर को ,संगोष्ठी भवन में भव्य कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया.इस कवि सम्मलेन में जनपद के कवियों ने अपनी   रचनाओं  के माध्यम से जहाँ एक ओर वर्तमान सामाजिक परिदृश्य  को प्रस्तुत किया वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं नें  श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया.
कवि सम्मलेन  में बतौर अध्यक्ष  कुलपति प्रो सुंदर  लाल जी ने वर्तमान सामाजिक दौर में भ्रष्टाचार की अकथ कहानी पर अपनी रचना प्रस्तुत करते  हुए प्रश्न किया कि-- 
अन्ना के अनछुए अन्न से अन्ना बीज बन गए अनंत.
भ्रष्टाचार की क्षुधा  वाहिनी क्या सब खा जाएगी?
और उत्तर दिया कि --
देश रहेगा, वेश रहेगा ,यू हीँ  पवन बहेगी.
लालू चारा नहीं चरेगा,धनिया ढूध दुहेगी. 
इसी  क्रम में कवि सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने कहा कि -
देश के नन्ना -खडे हैं अन्ना,कहते लोग हजारे हैं.
-बच्चे बूढे नौजवान के होठों पर यह नारे हैं.
 डॉ पी सी विश्वकर्मा (प्रेम जौनपुरी ) ने अपनी बात को रचनाओं के माध्यम  से कुछ यूँ रखा-
गुफ्तगू करने से पहले कम से कम यह जान ले ,
गलती हो जाये अगर चुप चाप गलती मान ले .
डॉ पंकज सिंह ने बात करने की वकालत करते हुए कहा कि -
अँधेरा मिटाने  की बात करो, नशेमन बचाने  कि बात करो
बातों  ही बातों  में बातें बनेगी,किसी भी बहाने बात करो.
 डॉ प्रतीक मिश्र ने मुस्कराने की सीख  देते हुए कहा -
फूलों से मुस्कराना सीखो,अपनी जड़ जमाना सीखो.
 डॉ ब्रजेश यदुवंशी ने सांप्रदायिक सदभाव पर कहा कि-
ईद हमारी धरती हैं होली हैं आकाश , 
हिन्दू -मुस्लिम भाई भाई अपना हैं विश्वास. 
 सत्य प्रकाश अनाम ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि-
ढूढो तो कुछ मिल जायेगा सबकी आम कहानी में ,
सागर भी है आग छुपाये -अपने खारे पानी में. 
 कवि सम्मलेन में कविता के माध्यम से कवियों ने पूरे माहौल को गर्म जोशी से भर दिया  जिसका आनन्द देर रात तक श्रोता लेते रहे।

इस मंच से जनपद के यशस्वी  रचनाकार एवं कवि अजय कुमार ,शायर जौनपुरी ,अंशार साहब, कृष्ण कान्त एकलव्य, देवेन्द्र विमल , गिरीश श्रीवास्तव , आकिल जौनपुरी, राम राज गौतम , डॉ आर एस सिंह , ओम प्रकाश मिश्रा , फहमिद  जैदी और  डॉ संदीप सिंह ने भी काव्य पाठ किया.कवि सम्मलेन का प्रारंभ रचनाकार   देवेन्द्र विमल के सरस्वती वंदना से हुई . संचालन  सत्य प्रकाश अनाम ने किया. प्रो राम जी लाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, अधिकारी , कर्मचारी समेत छात्र छात्राएं उपस्थित रहे.



                                                              

Tuesday 6 December 2011

फ़्रन्टियर इन बायोलाजिकल साइंस विषयक राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ आयोजन

संबोधित करते कुलपति  प्रो सुन्दर लाल जी 
ऐसा प्रयास किया जाए कि गणित  का उपयोग जीव विज्ञान में किया जा सके उक्त विचार  कुलपति प्रो. सुंदर लाल जी के हैं जो   ४ दिसम्बर  को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में फ्रोंटियर  इन बायोलाजीकल साइंस विषयक राष्ट्रीय कांफ्रेंस  के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे उन्होंने  कहा  कि मूलत: बायोलाजी केमिस्ट्री है और केमिस्ट्री फिजिक्स है। फिजिक्स का मूल आधार गणित है। यदि बायोलाजी को गणित में शामिल किया जाए तो बायोलाजी को नई दिशा दी जा सकती है। मैथमेटिक्स मैन मेड यूनिवर्स है जबकि बायोलाजी नेचर मेड यूनिवर्स है। 
डॉ लाल जी सिंह को स्मृति चिन्ह प्रदान करते कुलपति जी   
बीएचयू के कुलपति  प्रो. लालजी सिंह ने कहा कि जाति विशेष में विवाह होने के कारण जीन म्यूटेशन से होने वाली बीमारियां केवल उसी जाति में देखने को मिलती हैं। जो एक स्थान तक सीमित होती हैं। जब कि अन्य स्थानों पर उस बीमारी के कोई लक्षण नहीं मिलते हैं।



व्याख्यान देते डॉ लाल जी सिंह 
आनुवंशिक विभिन्नता (जेनेटिक डायवर्सिटी) पर प्रकाश डालते हुए प्रो.  सिंह ने कहा कि मानव जाति की विविधता के लिए एसएनपी (सिंगल न्यूक्लियोटाइड पालीमार्फिजन) ही जिम्मेदार है। जेनेटिक डायवर्सिटी एनालिसिस द्वारा रोगों का उपचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीनोम फाउंडेशन जेनेटिक बीमारियों के उपचार का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है।

प्रो बी एस श्रीवास्तव को स्मृति चिन्ह देते कुलपति जी
इससे पूर्व मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्जवलित कर  कांफ्रेंस की शुरूआत की। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर एमपी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव प्रोफेसर वीके सिंह ने दो दिन तक चलने वाले संगोष्ठी की रूप रेखा पर प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राम नारायण ने कियाराष्ट्रीय कांफ्रेंस  के दूसरे दिन  समापन सत्र को संबोधित करते हुए  सीडीआरआई लखनऊ के प्रो. बीएस श्रीवास्तव ने कहा कि कांफ्रेंस से शोध को नई दिशा मिलती है। कई क्षेत्रों से आए लोग अपने अनुभव को बताते हैं। नए तथ्य उभर कर सामने आते हैं। हर नया तथ्य शोध की दिशा में सहायक साबित होता है। शोध छात्रों को सेमीनार में हिस्सा लेकर अपनी क्षमता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। शोध के लिए जितनी भी नई चीजें मिलती हैं वह गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में नई पहल होती है।
मुख्य अतिथि को पौध देते प्रो एम पी सिंह  
विश्वविद्यालय  के कुलपति प्रो. सुंदर लाल ने कहा कि कांफ्रेस से छात्रों के साथ   शिक्षक भी अपडेट होंगे। सभी विभागों में इस तरह  का आयोजन किया जाना जरूरी है। आयोजक प्रो. एमपी सिंह ने विज्ञान अनुसन्धान से जुड़ी तमाम जानकारी दी और  कहा कि घर में रखी तमाम बेकार सामानों के सहयोग से मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है। प्रोफेसर वी.के सिंह द्वारा संगोष्ठी में प्रस्तुत शोध पत्रों का सार-संक्षेप  प्रस्तुत किया गया.संगोष्ठी के दौरान  आईजीआईबी नई दिल्ली के डा. अशोक कुमार ने मानव में होने वाले  रोग जनित जीवाणुओं  के बारे में जानकारी दी। प्रो. एच कुमार ने स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम जानकारी दी। प्रो. नंदलाल ने टीशू कल्चर जैव प्रोद्योगिकी की जानकारी दी। प्रो. आरके मिश्र एवं प्रो राजीव शर्मा की अध्यक्षता में वैज्ञानिक पोस्टर का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रो. डीडी दुबे, प्रो. बी.बी तिवारी, प्रो.रामजी लाल,  डा. वंदना राय, डा. राजेश शर्मा, डा. एसपी तिवारी,  प्रदीप कुमार, डा. एचसी पुरोहित, डा. एसके सिन्हा, डा. अविनाश पार्थिडकर, संगीता साहू, डा. पंकज सिंह , डा. मनोज मिश्र,दिग्विजय सिंह राठौर ,डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार,उदित नारायण, विवेक पांडेय, डा. सुधीर उपाध्याय, कृष्ण कुमार,  आदि मौजूद थे।