Tuesday 31 January 2017

20th convocation live view


विज्ञान संकाय में मंगलवार को दीक्षांत पूर्व व्याख्यानमाला -- भारत में एड्स : समस्या एवं समाधान विषयक विशेष व्याख्यान

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय में मंगलवार को दीक्षांत पूर्व व्याख्यानमाला के अंतर्गत भारत में एड्स : समस्या एवं समाधान विषयक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
विषय पर प्रकाश डालते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जैव रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. बेचन शर्मा ने कहा कि यह गलत जीवनशैली की बीमारी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में एचआईवी की सक्रियता बढ़ती जा रही है। मूलत: 90 प्रतिशत लोग यह जान ही नहीं पाते कि वह एचआईवी पीड़ित हैं। भारत में आज दो लाख से भी अधिक लोग इससे पीड़ित हैं। श्री शर्मा ने बताया कि भारत में एड्स का सबसे आक्रामक एवं भयावह विषाणु का प्रकार पाया गया है जिससे सब टाइप सी कहते हैं। यह विषाणु कोशिका में प्रवेश करने के बाद जीन में स्थापित हो जाता है एवं आरएनए से डीएनए बनाने के बाद अपनी संख्या को बढ़ाता है। उन्होंने यह भी बताया कि डाक्टर की सलाह पर ही दवाएं लें एवं इससे सही समय तक चलाएं अन्यथा आप नये जीवाणु एवं विषाणु को जन्म दे सकते हैं। उन्होंने इसके ​उपचार के लिए दवाओं के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि  एड्स से बचाव की जंग जारी है एवं जागरूकता ही एड्स में सबसे बड़ा बचाव है। आप नैतिक रूप से सही जीवन शैली अपनाकर इससे सदैव के लिए बच सकते है। इस अवसर पर विज्ञान संकाय के डीन प्रो. डीडी दूबे, डा. वंदना राय, डा. राम नारायण, डा. एसपी तिवारी, ऋषि श्रीवास्तव, सुधांशू यादव सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे। स्वागत संयोजक डा. अजय द्विवेदी, संचालन डा. प्रदीप कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. राजेश शर्मा ने किया।

दीक्षांत पूर्व प्रेस-वार्ता





      वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का बीसवां दीक्षांत समारोह वसंत पंचमी के अवसर पर एक फरवरी 2017 को आयोजित होगा। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता माननीय श्री राम नाइक, कुलाधिपति एवं श्री राज्यपाल, उत्तर प्रदेश करेंगे एवं पद्मश्री एवं पदम भूषण डाॅ0 बी0एन0 सुरेश, पूर्व निदेशक, इण्डियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन, बंगलोर एवं अध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी अकादमी, नई दिल्ली समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।समारोह में कार्य परिषद, विद्या परिषद के समस्त सदस्य उपस्थित रहेंगे। समारोह में विभिन्न विषयों में सर्वोच्च अंक पाने वाले 59 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल, 324 विद्यार्थियों को पी-एच.डी. की उपाधि प्रदान की जाएगी। विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के 29 वे वर्ष में शोध एवं शिक्षा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इसी क्रम में विश्वविदयालय को राष्ट्रीय मूल्याकंन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ठ़ (बी प्लस) ग्रेड प्राप्त हुआ।  परीक्षा की पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए सत्र 2015-16 में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों का आल इंडिया सर्वे आन हायर एजुकेशन (।प्ैभ्म्) पर शत-प्रतिशत पंजीकरण हो चुका है। विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2015 से ही समस्त पी-एच0डी0 उपाधियों के शोध-प्रबन्धों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित ’शोधगंगा’ रिपोजटरी पर पंजीकृत कराया जा रहा है। अभी तक कुल 706 शोध प्रबन्ध शोध गंगा पर अपलोड किये जा चुके हैं। परीक्षा के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय एवं समस्त सम्बद्ध महाविद्यालयों से ऑनलाइन आवेदन पत्र लेने के उपरान्त ऑनलाइन प्रवेशपत्र एवं इलेक्ट्रानिक मार्कशीट के वितरण की व्यवस्था पूर्ण कर ली गयी है। आनलाइन माइग्रेशन एवं आनलाइन प्रोविजनल प्रमाण पत्र प्रदान किये जाने की कार्रवाई का कार्य प्रगति पर है। पुस्तकालय में ई- पुस्तकालय के तहत अधिकतर पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन कर दिया गया है। विश्वविद्यालय परिसर में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए वर्चुअल क्लासरूम एवं वीडियो कान्फ्रेसिंग की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को सेन्टर आफ एक्सीलेन्स घोषित किया गया है। विश्वविद्यालय में आप्टिकल फाइबर का लोकल नेटवर्क समस्त प्रयोगशालाओं, कार्यालयों, व्याख्यान कक्षों तथा छात्रावासों तक पहुंच गया है। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित समस्त संकायों-कला, वाणिज्य, विज्ञान, कृषि, विधि, शिक्षा, इन्जीनियरिंग, मैनेजमेन्ट, फार्मेसी एवं अप्लाइड सोशल साइन्स के यू0जी0 एवं पी0जी0 स्तर के समस्त पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम, सीट संख्या निर्धारण, फीस, आदि का विवरण वेबसाईट पर है।विश्वविद्यालय से सम्बद्ध पॉच जनपदों के कुल 765 महाविद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2016-17 के शैक्षिक कैलेण्डर के अनुसार समयबद्ध ढंग से प्रवेश, शिक्षण कार्य,  परीक्षा आवेदन पत्र, परीक्षा संचालन हेतु कार्यवाही की जा रही है।राज्य सरकार के सहयोग से राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियानय त्न्ै। (रूसा) के अन्तर्गत विश्वविद्यालय को प्राप्त हुए अनुदान से रिसर्च इनोवेशन सेन्टर  का निर्माण कराया जा रहा है साथ ही ए0पी0जे0अब्दुल कलाम छात्रावास एवं डा0 भोलेन्द्र सिंह इनडोर स्टेडियम का निर्माण कराया जा चुका हैं।  पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से एक छात्र एक पेड़ अभियान के अन्तर्गत परिसर में पौधों कोे विद्यार्थियों द्वारा रोपित किया गया है। विश्वविद्यालय में स्वच्छता अभियान बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है। योग के प्रति जागरूकता एवं शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन योग कक्षायें संचालित हो रही है, जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ ही साथ आम-जन भी लाभान्वित हो रहे हैं। वैश्विक परिदृश्य के दृष्टिगत विश्वविद्यालय में वित्तीय साक्षरता अभियान चलाया गया जिसमें नकद रहित अर्थव्यवस्था की चुनौतियों एवं संभावनाओं पर नई पीढ़ी को जागरूक किया जा रहा है। शैक्षणिक सत्र में परिसर के विभिन्न विभागों में कार्यशाला, राष्ट्रीय सेमिनार एवं  विशेष व्याख्यानों के आयोजन में देश के जाने-माने विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया। विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों को माननीय कुलाधिपति महोदय द्वारा विगत तीन वर्षों से लगातार राजभवन में सम्मानित किया जा रहा हैं। इससे विश्वविद्यालय का सम्मान बढ़ा है। विश्वविद्यालय के एन.एस.एस. और रोवर्स रेन्जरर्स ने भी राज्यस्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है।

पद्मश्री प्रो. बी.एन. सुरेश विश्वविद्यालय के शिक्षकों से रूबरू हुए



 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के शोध एवं नवाचार केन्द्र में मंगलवार को 20वें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री एवं पद्मभूषण प्रो. बी.एन. सुरेश विश्वविद्यालय के शिक्षकों से रूबरू हुए।उन्होंने आधुनिक सैटेलाइट तकनीकी पर विस्तार से अपनी बात रखी. कहा कि आज के समय में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहा सैटेलाइट का प्रभाव न पड़ रहा हो.कृषि, वानिकी, प्राकृतिक संसाधन, सूचना तकनीकी, टेली मेडिसिन के क्षेत्र में सैटेलाइट के कारण क्रन्तिकारी बदलाव आएं है. हमारे देश में सैटेलाइट के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है, नई तकनीकी और अभियांत्रिकी ने  सैटेलाइट के निर्माण में हमें मजबूती दी  है. 
उन्होंने कहा की आज जीपीएस का प्रयोग अमेरिकी सैटेलाइट से करते है अगर वह सिग्नल से देना बंद कर दे बहुत सारे क्षेत्र प्रभावित हो जायेंगे। भारत ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित  नाविक सैटेलाइट की मदद से आत्म निर्भरता पाने की तरफ  कदम बढ़ा दिया है.
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. बी.बी. तिवारी ने उपग्रह संचार के विषय में इसके जनक आर्थर क्लार्क के स्वपन की चर्चा की. 
इस अवसर पर प्रो. एच.सी. पुरोहित, डाॅ. अजय प्रताप सिंह, डाॅ. मानस पाण्डेय, डाॅ. एके श्रीवास्तव, डॉ बी डी शर्मा, डॉ संजीव गंगवार, डाॅ. अविनाश पाथर्डीकर, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ अमरेंद्र सिंह समेत विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के शिक्षक मौजूद रहे। 

Monday 30 January 2017

रेडिएशन से लोगों के जीवन में आ रहा उजाला -प्रोफ़ेसर वी.के.गर्ग




जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में दीक्षांत पूर्व व्याखानमाला के क्रम में विश्वविद्यालय के विश्वसरैया सभागार में सोमवार को इंजीनियरिंग संकाय द्वारा व्यख्यान आयोजित किया गया। जिसमें पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय भटिंडा के  प्रोफ़ेसर वी.के.गर्ग ने बतौर मुख्य वक्ता विकरण के पर्यावरणीय प्रभावो एवं उपयोग पर अपनी बात रखीं।  उन्होंने कहा कि शहरों से निकलने वाले कूड़े- कचरे आज बड़ी समस्या बन गए है. आने वाले समय में यह समस्या छोटे- छोटे शहरों में भी पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन जाएगी। ऐसे में यदि हम रेडिएशन का प्रयोग कर कूड़े में मौजूद बैक्टीरिया को ख़त्म कर दे तो यह सुरक्षित खाद के रूप में प्रयोग की जा सकती है. देश के कई शहरों में इस तकनिकी का प्रयोग हो रहा हैं. उन्होंने कहा कि रेडिएशन का आज न्यूक्लियर मेडीसिन ,कैंसर चिकित्सा,खाद्य पदार्थों के जीवन में बृद्धिम्युटेसन द्वारा फलों और सब्जियों की नई प्रजाति बनाने में बड़े स्तर प्रयोग हो रहा है. आज के समय में चिकित्सा के क्षेत्र में रेडिएशन के प्रयोग से लोगों के जीवन में उजाला आ रहा है. कैंसर रोगियों के आयु वृद्धि में रेडिएशन का बड़ा योगदान है. उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में रेडिएशन बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है. देश में किसानों की सब्जियां और फल को संरक्षण करने में रेडिएशन का प्रयोग शुरू हो गया है. इंजीनियरिंग संकाय के अध्यक्ष प्रो.बी.बी. तिवारी ने प्रोफ़ेसर वी.के.गर्ग  को स्मृति चिन्ह देकर अतिथि को सम्मानित किया।
व्याख्यानमाला के समन्वयक डॉ. अजय द्विवेदी  ने रूपरेखा प्रस्तुत की। इंजीनियरिंग संकाय प्रो.बी.बी. तिवारी ने  स्मृति चिन्ह देकर अतिथि को सम्मानित किया । धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अशोक श्रीवास्तव ने किया । इस अवसर पर,डॉ.संतोष कुमार,डॉ.राजकुमार,डॉ.सौरभ पाल,डॉ.सिद्धार्थ सिंह,डॉ.उदय राज,डॉ.आलोक गुप्ता आदि सहित विद्यार्थीगण उपस्थित रहे ।

प्रबंध अध्ययन संकाय में आयोजित हुआ कैम्पस प्लेसमेंट



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविधालय के प्रबंध अध्ययन संकाय में आयोजित कैम्पस प्लेसमेंट कार्यक्रम के तहत लखनऊ स्थित सिक्योर पी. सी. सोल्यूशन्स के निदेशक श्री दीपक सिंह, ऑपरेशन हेड मो० वसीम, टीम-लीडर श्री जितेन्द्र कुमार,  एच.आर. हेड हिमांशी और दीप्ती ने प्रबंध संकाय के एच.आर.डी., बिजिनेस इकॉनोमिक्स, वित्तीय अध्ययन, ई-कॉमर्स, एग्री-बिजिनेस एवं एम.बी.ए. पाठ्यक्रम के छात्रों का ग्रुप डिस्कशन एवं साक्षात्कार के माध्यम से विपणन, एच.आर., फायनेंस, ऑपरेशन्स एवं बिजनैस डेवलपमेंट पदों के लिए प्रतिभाओं का चयन किया। कैम्पस प्लेसमेंट कार्यक्रम के तहत कम्पनी के निदेशक श्री दीपक सिंह ने कम्पनी के कार्यक्रमों का विस्तृत विवरण छात्रों के समक्ष रखा। विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट कॉआर्डिनेटर एवं एच.आर.डी. विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाश पाथर्डीकर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए छात्रों का आह्वान किया कि वे आने वाले सत्र में और भी कैम्पस ड्राइव संचालित होंगे। छात्र अपने आपको कॉर्पोरेट जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप तैयार रखें और कहा कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय व्यक्तित्व विकास के साप्ताहिक कार्यक्रम संचालित करेगा। इस अवसर पर प्रबंध संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो.एच.सी.पुरोहित ने छात्रों को साक्षात्कार में सफलता प्राप्त करने के महत्वपूण गुर सिखाए और विश्वद्यालय को कैम्पस आयोजित करने पर बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशुतोष सिंह, कमलेश मौर्या व अभिनव श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर डॉ. वी.डी. शर्मा, डॉ. आलोक गुप्ता, डॉ राजनारायण सिंह सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। 

विवेकानन्द केंद्रीय पुस्तकालय में तीन दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के विवेकानन्द केंद्रीय पुस्तकालय में तीन दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन सोमवार को किया गया। पुस्तक प्रदर्शनी के उद्घाटन सत्र को  संबोधित करते हुए बीएचयू के लाइब्रेरी साइंस के विभागाध्यक्ष एवं मानद पुस्तकालयाध्यक्ष प्रोफ़ेसर एच एन प्रसाद नें कहा कि ज्ञान की प्राप्ति एवं अनवरत बहाव  के लिए पुस्तकें लाभकारी होती हैं। पुस्तकालय ज्ञानोपयोगी पुस्तकों के चयन का माध्यम है। आज के दौर में ऑनलाइन ज्ञान का विस्तार हो रहा है ऐसे में ठोस अध्ययन या सन्दर्भ  के लिए अच्छे पुस्तकालयों की तलाश हर ज्ञान पिपासु करता है। 
अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डी डी दूबे  नें कहा कि समृद्ध पुस्तकालयों का अपना एक अलग महत्व है जिसकी तुलना  हम ई-लाइब्रेरी से नही कर सकते। इस डिजिटल दौर में भी हमें उपयोगी किताबों की जरूरत दैनंदिन जीवन में पड़ती रहती है। उन्होंने कहा कि  शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें देव प्रतिमा सरीखी हैं। 
विशिष्ट अतिथि दून  विश्वविद्यालय के डीन  स्टूडेंट वेलफेयर एवं प्रबंध  अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर एच  सी पुरोहित ने कहा कि  पुस्तकों से अच्छा कोई मित्र नही है। उन्होंने सभी से इस प्रदर्शनी का अवलोकन एवं ज्ञान अर्जन की अपील की। 
इसके पूर्व प्रदर्शनी में आये सभी लोंगो का स्वागत मानद पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ मानस पांडेय ने किया। सञ्चालन डॉ विद्ययुत कुमार मल  द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय आइजोल के प्रोफ़ेसर एस एन  सिंह ,डॉ वीडी शर्मा , डॉ अविनाश पार्थिडकर,डॉ मनोज मिश्र,डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ,डॉ आशुतोष सिंह ,अमित वत्स ,डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ सुनील कुमार ,डॉ आलोक सिंह ,परमेन्द्र विक्रम सिंह ,रामजी सिंह ,स्वतंत्र कुमार ,श्याम त्रिपाठी ,अवधेश प्रसाद ,प्रियंका सिंह ,दीपक सिंह ,राकेश कुमार सहित आये हुए प्रकाशक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Saturday 28 January 2017

सामाजिक उत्थान के लिए इच्छाशक्ति जरूरी : प्रो. त्रिपाठी

‘लोकतंत्र का प्रबंध’ विषयक व्याख्यान आयोजित
 विश्वविद्यालय के प्रबन्ध संकाय में दीक्षान्त पूर्व व्याख्यानमाला कार्यक्रम में ‘लोकतंत्र का प्रबंध’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यानमाला में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने कहा लोकतंत्र का सुधार जनता ही कर सकती है। इसके लिए उसे जागरूक रहने की जरूरत है। देश में सामाजिक और राजनीति उत्थान के लिए लोगों में इच्छाशक्ति पैदा करनी पड़ेगी, तभी समाज और देश का विकास हो सकता है।
उन्होंने कहा कि आज देश में परिवर्तन के लिए लोगों में राजनीति के प्रति जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए आम जनता को अपने अधिकार और दायित्वों के प्रति सचेत रहना होगा।
दीक्षान्त पूर्व व्याख्यानमाला के संयोजक डॉ. अजय द्विवेदी ने स्वागत करते हुए कहा कि भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारा भारत विशेष विविधता वाला देश है। इसकी वजह से पूरे विश्व में हमारी पहचान है। इन सबके पीछे हमारा उत्तम प्रबंधन ही है।
प्रबंध संकाय प्रमुख डॉ. वीडी शर्मा ने प्राप्त ज्ञान के अनुपालन और प्रयोग पर जोर दिया। विभाग के प्राध्यापक डॉ. आलोक गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ. मुराद अली, डॉ. आशुतोष सिंह, डॉ. सुशील सिंह, अबु सालेह समेत विद्यार्थी उपस्थित थे।

नागरिकों को अधिकार के प्रति जागरूक करना मीडिया का जिम्मा : ओम प्रकाश सिंह

‘नागरिक अधिकारिता एवं मीडिया’ विषय पर व्याख्यान
 विश्वविद्यालय के सामाजिक अनुप्रयुक्त विज्ञान संकाय में दीक्षान्त पूर्व व्याख्यानमाला कार्यक्रम के अंतर्गत ‘नागरिक अधिकारिता एवं मीडिया’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान काशी विद्यापीठ के निदेशक ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि एक नागरिक दूसरे के अधिकारों की रक्षा करने की सोचेगा तभी नागरिक अधिकारिता की बात सार्थक होगी।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में आज भी उनकी परम्परागत व्यवस्था से न्याय मिल जाता है वहां दुराचार जैसी घटनाएं नहीं होती, लेकिन आज के सभ्य समाज में पुलिस एवं मीडिया के होते हुए दुराचार एवं अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को जागरूक करें तथा नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करें। इसके द्वारा परिवर्तन तभी लाया जा सकता है जब इसके संचालकों की दृष्टि समाज के प्रति समर्पित हो।
उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने जो नागरिक अधिकारों के नाम पर परोसा है उससे लोगों के अधिकारों का शोषण ही ज्यादा हुआ है। आधुनिक समय में निजीकरण के नाम पर केवल तकनीकी आयी है जो कि नागरिक अधिकारों को सीमित कर रही है।  आम आदमी सोशल मीडिया को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठा सकता है। आज नागरिक अधिकार समय की जरूरत है। इसके प्रति हमें सचेत भी रहना चाहिए।
वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मनोज मिश्र ने भी विषय पर अपने विचार रखे। संकायाध्यक्ष डॉ. अजय प्रताप सिंह ने स्वागत एवं डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संचालन डॉ. अवध बिहारी सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ. सुनील कुमार, डॉ. रूश्दा आजमी, डॉ. सुभाष वर्मा समेत विद्यार्थीगण मौजूद रहे।

Wednesday 25 January 2017

व्याख्यान-----भैषज्य विज्ञान में भविष्यगत संभावनाएं

 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान में बुधवार को  दीक्षांत पूर्व  व्याख्यान का आयोजन किया गया।वाराणसी फार्मेसी कालेज आफ फार्मेसी   के निदेशक प्रो0 ओ0पी0 तिवारी नें  भैषज्य विज्ञान  में भविष्यगत संभावनाएं  विषय पर  अपना व्याख्यान प्रस्तुत  किया। उन्होंने कहा कि फार्मेसी हर व्यक्ति के जीवन से जुड़ी  है ऐसे में फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। फर्मासिस्ट मरीजों के उपचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते  है।  
  उन्होंने कहा कि आज की सबसे बड़ी चुनौती एण्टीबायोटिक के दुरूपयोग को रोकने की  है। हमें इसके लिए सक्रिय  होना होगा।  विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि फार्मेसी लोंगों  की जिन्दगी को और कैसे खुशहाल बना सकती है इस पर जरूर चिंतन करें।  
स्वागत शिक्षक राजीव कुमार द्वारा , सञ्चालन  समन्वयक डा0 अजय द्विवेदी द्वारा  एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री सुरेन्द्र सिंह ने किया । 
इस अवसर पर शिक्षक आलोक गुप्ता, नृपेन्द्र सिंह, आशीष गुप्ता, विनय वर्मा , आलोक दास सहित  फार्मेसी के छात्र/छात्राए उपस्थित रहे।

Friday 13 January 2017

*विवेकानंद जयंती सप्ताह के अन्तर्गत विद्यार्थियों को स्वामी जी के विचारों पर आधारित पुस्तक व्यक्तित्व का विकास का वितरण


 विश्वविद्यालय में विवेकानंद जयंती सप्ताह के अन्तर्गत शुक्रवार को विद्यार्थियों को स्वामी जी के विचारों पर आधारित पुस्तक व्यक्तित्व का विकास वितरित किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के पास स्थापित विवेकानंद के शिकागो उदबोधन शिलालेख के समक्ष जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित किया गया।

इस अवसर पर जनसंचार विभाग के वरिष्ट शिक्षक डॉ मनोज मिश्र ने विद्यार्थियों से कहा कि आज के दौर में हताशा और निराशा से बचने का अचूक मंत्र स्वामी जी का जीवन दर्शन है।यह  असफलताओं के बाद भी सफल होने का सूत्र बताता है। व्यक्तित्व विकास के लिए हमें स्वामी विवेकानन्द के विचारों को आत्मसात करना होगा।स्वामी  विवेकानन्द जी ने जो सन्देश दिए हैं वे भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण  अध्याय के साथ ही आनुभविक भी हैं। पुरी दुनिया को विश्व-बन्धुत्व के सूत्र में बांधने  वाले ऐसे व्यक्तित्व इतिहास में दुर्लभ हैं। 
माइक्रोबायोलॉजी विभाग के शिक्षक डॉ एस पी तिवारी ने कहा कि सफलता में व्यक्तित्व की बहुत बड़ी भूमिका है।स्वामी जी का जीवन दर्शन हमें अपने व्यक्तित्व विकाश के लिए मजबूत आधारशिला देता है।उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में लगा यह शिकागो उदबोधन का  शिलालेख हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने कहा कि सकारात्मक सोच के बिना कभी सृजन नहीं किया जा सकता। स्वामी जी के आदर्शों  से हम सभी अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते है.उन के विचारों पर आधारित रामकृष्ण मठ द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक निश्चित तौर पर सभी के व्यक्तित्व विकास में सहायक होगी।
इस अवसर पर डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ कार्तिकेय शुक्ला, डॉ धर्मेंद्र सिंह,डॉ सुधांशु शेखर, डॉ विद्युत् मल्ल, श्याम त्रिपाठी, पंकज सिंह समेत विद्यार्थी मौजूद रहे।

Thursday 12 January 2017

स्वामी विवेकानन्द जयंती

विश्वविद्यालय के विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय में स्वामी विवेकानन्द जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर स्वामी जी के व्यक्तित्व पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय में आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि दिल्ली स्कूल ऑफ कॉमर्स दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बी पी सिंह ने कहा कि स्वामी जी ने मानवता को नई दिशा दी है। समाज इन मूल्यों पर चले तो विश्व में शांति आएगी और आईएस आईएस जैसे संगठन अस्तित्व में नहीं आएंगे।उन्होंने कहा कि बिना एकाग्रता के लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। हर महान व्यक्ति ने अपनी एकाग्रता से लक्ष्य की प्राप्ति की है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये पूर्व कुलपति एवं विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो0 डी डी दुबे ने स्वामी जी के व्यक्तित्व पर विस्तार पूर्वक अपनी बात रखी।विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी एम के सिंह ने कहा कि स्वामी जी ने सबसे पहले संत और सेवा को एक किया। जन सेवा से ही हम ईश्वर तक पहुँच सकते है।
कार्यक्रम में डॉ ए के श्रीवास्तव,डॉ अविनाश पार्थिडेकर,डॉ मनोज मिश्र,डॉ एस पी तिवारी ,डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ संतोष कुमार, डॉ प्रदीप कुमार , डॉ अवध बिहारी सिंह सहित परिसर के विद्यार्थी मौजूद रहे।सञ्चालन डॉ विधुत मल एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ आशुतोष सिंह द्वारा किया गया।

Wednesday 11 January 2017

नकदरहित अर्थव्यवस्थाः चुनौतियां एवं संभावनाएं विषयक कार्यशाला

 

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई  दिल्ली द्वारा निर्देशित तीन दिवसीय वित्तीय साक्षरता अभियान (विसाका) के तीसरे दिन इंजिनीयरिंग संस्थान के विश्वेसरैया  हाल में नकदरहित अर्थव्यवस्थाः चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय के विविध आयामों से विधायार्थियों को रूबरू कराने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला में कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल ने ई - रिटेल मार्केटिंग पर विस्तार पूर्वक  अपनी बात रखी.उन्होंने कहा कि आज ऑनलाइन बाजार ने उपभोक्ताओं को उत्पाद चयन के तमाम अवसर दिए है.  वैश्विक स्तर  पर ऑनलाइन खरीददारी में भारत तीसरे पायदान पर आ गया है। मनचाहे उत्पाद को ऑनलाइन पसंद कर ख़रीदा जा सकता है.सब कुछ इन्टरनेट के कारण संभव हो पाया है. उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए बताया कि भारतीय परिवेश में इ-बिजनेश की शुरुआत अस्सी के दशक से ही हो चुकी है। उन्होंने कहा कि  आज ऑनलाइन मार्केट  के प्रसार में बैंकिंग,हाइवे,ग्राम से नगर तक सड़कों का जाल  एवम त्वरित परिवहन का महत्त्वपूर्ण योगदान है।उन्होंने कहा कि  ऑनलाइन खरीददारी समय ,श्रम और अन्य परेशानियों से दूर रखती है इसलिए इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है। 


 दूसरे सत्र में ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स के एडीसी अभिनव वर्मा ने कहा कि ई  बैंकिंग के माध्यम से उपभोक्ता आसानी से सुविधाओं का लाभ उठा सकते है.इसके लिए आपको बैंक नहीं आता पड़ता बल्कि घर बैठे ही मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से अपने काम को कर सकते है. 
ओ बी सी के सीएमडी राजीव निरंजन ने कहा कि  अधिकांश बैंकों के ऍप्स भी आ गए है जिसे मोबाइल या कंप्यूटर में डाउनलोड किया जा सकता है. आने वाले समय में इन्टरनेट बैंकिंग का और भी विस्तार होगा।उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सुरक्षा का भी ध्यानरखा जा रहा है। 
ओबीसी के शाखा प्रबंधक अरविन्द सिंह नें नकद रहित ऑनलाइन पेमेंट की प्ले स्टोर पर उपलब्धता के बारे में प्रतिभागियों से चर्चा की। 
दूसरे  तकनीकी सत्र में अक्षय द्विवेदी,आशुतोष मौर्य ,एस एन  यादव और सुधाकर यादव ने बैंकिंग सिस्टम में ऑनलाइन सुविधाओं पर विद्यार्थियों का ध्यान आकृष्ट कराया। 

अभियान के अन्तर्गत आयोजित हुई प्रतियोगिताओं  का परिणाम घोषित किया गया.पोस्टर प्रतियोगिता में आशीष कुमार श्रीवास्तव, नीलेश गुप्ता, एवं श्याम श्रीवास्तव ग्रुप को प्रथम स्थान, विकास त्रिपाठी, आलोक सिंह एवं प्रतीक ग्रुप को द्वितीय एवं रत्ना जायसवाल को तृतीय स्थान मिला। वाद- विवाद प्रतियोगिता में शिखा दुबे ग्रुप को प्रथम, श्यामल श्रीवास्तव ग्रुप को द्वितीय एवं विशाल शर्मा ग्रुप को तृतीय स्थान मिला। निबंध प्रतियोगिता में धर्मपाल यादव को प्रथम,रत्ना जायसवाल को द्वितीय एवं पुष्कर प्रभात चतुर्वेदी को तृतीय स्थान मिला।
कार्यशाला का सञ्चालन संयोजक डॉ अजय द्विवेदी  और धन्यवाद ज्ञापन मीडिया प्रभारी डॉ मनोज मिश्र द्वारा किया गया। 
इस अवसर पर डॉ वीडी शर्मा , डॉ एके श्रीवास्तव ,डॉ अविनाश पार्थिडकर ,डॉ वंदना राय, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर,सुशील कुमार ,डॉ आशुतोष सिंह ,डॉ राजकुमार ,डॉ संजीव गंगवार ,डॉ एस पी तिवारी ,डॉ राजेश शर्मा डॉ सुनील कुमार ,डॉ अवध बिहारी सिंह ,डॉ रुश्दा  आज़मी,डॉ नुपूर तिवारी,डॉ अमरेंद्र सिंह,डॉ राजीव कुमार ,डॉ सुधीर उपाध्याय,डॉ विवेक पांडेय समेत विद्यार्थी उपस्थित रहे। 

Tuesday 10 January 2017

वित्तीय साक्षरता अभियान


विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नइ्र्र दिल्ली द्वारा निर्देशित तीन दिवसीय वित्तीय साक्षरता अभियान (विसाका) के दूसरे दिन नकदरहित अर्थव्यवस्थाः चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
 पोस्टर प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के कुल 41 प्रतिभागियों ने अपनी सृजन क्षमता प्रदर्शित की। इसमें विद्यार्थियों ने वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था एवं भविष्य का दृश्यात्मक प्रदर्शन बड़े रोचक तरीके से किया। एक तरफ जहां प्रतिभागियों ने विमुद्रीकरण के उपरांत उपजी सामाजिक कठिनाईयों को चित्रित किया वहीं दूसरी तरफ डिजिटल अर्थव्यवस्था एव ंनकदरहित लेन-देन की संभावनाओं को रंगों एवं चित्रों के माध्यम से उकेरा। 
प्रतिभागियों के पोस्टर में डिजिटल पेमेन्ट, भीम एप, पे-टीएम, कैशलेश भुगतान, आतंकवाद, भ्रष्टाचार पर अंकुश, साइबर चुनौतियां आदि विषयों पर प्रकाश डाला। विकासा अभियान के संयोजक डॉ. अजय द्विवेदी ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि नकदरहित अर्थव्यवस्था के लिए हम सबको सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बड़े स्तर पर लोगों को वित्तिय साक्षर बनाना होगा। इस दिशा में बड़े स्तर पर बदलाव के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों की बड़ी भूमिका है। 
अभियान की सदस्य डॉ. नुपूर तिवारी ने कहा कि डिजिटल भुगतान प्रणाली सरल और पारदर्शी है। इसके कारण समाज में भ्रष्टाचार में कमी आयेगी और कालेधन की समस्या से भी निजात मिलेगा। प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल में डॉ. वन्दना राय, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. एसपी तिवारी, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ. आलोक सिंह शामिल रहे।
इस अवसर पर डॉ. सुशील कुमार, डॉ. आलोक गुप्ता, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. अंशुमान, डॉ. परमेन्द्र विक्रम सिंह, मो. अबु सलेह समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के अंतर्गत तीन दिवसीय वित्तीय साक्षरता अभियान शुरू 



विश्विद्यालय में सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के अंतर्गत तीन दिवसीय दिनांक 09-11 जनवरी, 2017 तक वित्तीय साक्षरता अभियान " विसाका " की शुरूवात हुई जिसमे विभिन्न वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों का  आयोजन किया जाना है। जिसमे पहले दिन निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिता विषयक “नकद रहित अर्थव्यवस्था: चुनौतियां एवं संभावनाएं” का आयोजन किया गया।
इंजीनियरिंग संस्थान के विश्वशरैया सेमिनार हाल में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए  प्रबंध अध्ययन संकाय के संकायाध्यक्ष डा० वी० डी० शर्मा ने कहा कि आज के समय के मांग है कि भारत नकद रहित अर्थव्यवस्था को विकसित करे और भारत इसकी ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। अभियान के संयोजक डा० अजय द्विवेदी ने कहा कि नकद रहित अर्थव्यवस्था से अर्थव्यवस्था में विकास की अपार संभावनाएं मौजूद है मगर इसके लिए जरूरी है कि लोगो को वित्तीय साक्षर होना पड़ेगा अन्यथा परिणाम विपरीत हो सकता है जैसा कि हाल ही में कुछ एक देशों में देखने को मिला है। 
प्रथम सत्र में  निबंध प्रतियोगिता में विभिन्न संकायों से 100 से अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में डा० सौरभ पाल, डा० संतोष कुमार, डा० संजीव कुमार शामिल रहे।
द्वितीय सत्र में “नकद रहित अर्थव्यवस्था: चुनौतियां एवं संभावनाएं” पर वाद-विवाद प्रतयोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजक डा० अजय प्रताप सिंह, संकायाध्यक्ष, व्यवहारिक सामाजिक विज्ञानं संकाय ने छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि नकद रहित अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए भारत सरकार ने इससे पहले दो बार विमुद्रीकरण किया था मगर भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत न होने के कारण इसका सकारात्मक प्रभाव नहीं दिखाई पड़ा परन्तु आज के समय में जबकि हम तकनिक से काफी लैस हो चुके है तो इस दिशा में नकद रहित अर्थव्यवस्था को विकसित किया जो सकता है।
प्रतियोगिता में कुल चार टीमें बनाई गई थी जिसमे तीन टीमें विषय के पक्ष में कहा जबकि एक टीम ने विषय के विपक्ष में बोला और नकद रहित अर्थव्यवस्था को भारत जैसे विकाशील देश के लिए इस तरह की अर्थव्यवस्था को विकसित करना मात्र एक कल्पना है। बाकी तीन टीमों ने कहा के इसके अभी सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे है परन्तु दीर्घकालीन में इसके सकारात्मक परिणाम शर्तिया मिलेंगे। निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में डा० सुशील सिंह, डा० अवध बिहारी सिंह, डा० एस० पी० तिवारी, डा० मुराद अली, डा० अलोक सिंह शामिल रहे।
उक्त दोनों प्रतियोगिताओं के परिणाम निर्णायक मंडल ने संयोजक को सौंप दिए है जिसकी घोषणा दिनांक 11 जनवरी को “नकद रहित अर्थव्यवस्था: चुनौतियां एवं संभावनाएं”  विषयक कार्यशाला के दौरान किया जायेगा।
इसी क्रम में दिनांक 10 जनवरी को “नकद रहित अर्थव्यवस्था: चुनौतियां एवं संभावनाएं”  विषयक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन प्रबंध अध्ययन संकाय में पूर्वाहन 11 बजे से आयोजन किया जायेगा। छात्र-छात्राओं को निर्देशित किया गया है कि वो समय से अपनी  तयारी के साथ तय समय पर उपस्थित होकर प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर सकते है।

कार्यक्रम का सञ्चालन  सुशील कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा० अजय द्विवेदी ने किया। इस दौरान डॉ राम नारायण,श्री आलोक गुप्ता,  डा० नुपुर तिवारी, डा० रशिकेश, डा० दिग्विजय सिंह राठौर, अभिनय श्रीवास्तव, मो० अबू सलेह,श्री कमलेश मौर्या के साथ साथ छात्र-छात्राएं अनुराग उपाध्याय, शहबाज़, विजय शंकर यादव, लल्लन कुमार, अंकिता श्रीवास्तव, शिखा दुबे, अंकिता साहू आदि मौजूद रहे।