Monday 30 November 2015

शोध पत्र लेखन विषय पर कार्यशिविर

 वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कान्फ्रेंस हाल में शोध पत्र लेखन विषय पर कार्यशिविर का आयोजन विवेकानंद केन्द्रीय पुस्तकालय एवं सेज पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय सोनीपत हरियाणा के प्रबंध शास्त्र के आचार्य प्रो. संकेत विज ने कहा कि एक शोधार्थी को पुस्तकालय ही सबकुछ दे सकता है। पुस्तकों से दोस्ती करना सीखिए जब विचारों का आवागमन तेज होगा तभी आप बेहतर शोध पत्र लेखन कर सकेंगे। हाल के वर्षों में पुस्तकालयों में बैठने वालों लोगों की कमी हो रही है। इसी कारण उत्कृष्ट शोध पत्र नहीं आ पा रहे है। उन्होंने यूजीसी समेत कई वेबसाइटों का उद्धरण देते हुए कहा कि आॅनलाइन रहते हुए आप पुस्तक एवं जर्नल्स को मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है। वैश्विक स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते हमारा ज्ञान सदैव समतुल्य होना आवश्यक है। किसी भी शिक्षक एवं विद्यार्थी के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सदैव अपने ज्ञान को अपडेट करते रहे। प्रो. विज ने इण्डेक्स जर्नल्स, रैफ्रीड जर्नल्स, साइटेशन, वीबिलियोग्राफी, रेफेरेंसेज आदि बिंदुओं पर  उदाहरण सहित विस्तार से प्रकाश डाला।
डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रिपुसूदन सिंह ने कहा कि हमारे परम्परागत ज्ञान हमारे आदर्श है। उन्हीं को केन्द्रीकृत करके हम शोध शुरू करते है। शोध में समस्या को जानने के लिए हम सिद्धान्त का सहारा लेते है। जब हम सामान्य सिद्धान्त में आते है तो हमें व्याख्या, भविष्यवाणी एवं सुझाव तीनों को शामिल करना होता है। उन्होंने कहा कि शोध में रस्म अदायगी बंद होनी चाहिए। दुर्भाग्य का विषय है कि आज बहुत सारे शोध केवल एपीआई स्कोर बनाने के लिए हो रहे है। ज्ञान एवं समाज के विकास के लिए शोध बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि शोध के समय परिकल्पना बहुत प्रमुख होती है, हम क्या सोचते है, अन्य लोग क्या सोचते है और फिर इसी बुनियाद पर शोध प्रारम्भ होता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में सेज पब्लिकेशन इण्डिया के निकेत शर्मा ने देश व दुनिया में शोध पब्लिकेशन हाउस द्वारा चलाये जा रहे शोधग्रंथ व शोध पत्रिकाओं के पब्लिकेशन से जुड़ी बारिकियों के बारे में लोगों को परिचित कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रबंध अध्ययन संकाय के अध्यक्ष डा. एचसी पुरोहित ने कहा कि शोध पत्र लिखना एक महत्वपूर्ण कला है जिसमें शब्दों का चयन विषयवस्तु को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। शोध विषय का चयन सम्बन्धित विषय पर पूर्व में किये गये सभी शोधों के अध्ययन व संदर्भों के आधार पर तैयार किया जाता है और उसकी अभिव्यक्ति आम जनमानस को समझने वाली होनी चाहिए। तभी शोध पत्र अधिक सारगर्भित और सामाजिक प्रभाव डाल पाएंगे। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं शोध छात्रों के लिए लाभकारी है।


इसके पूर्व विषय विशेषज्ञ एवं अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यशिविर का शुभारम्भ हुआ। डा. अजय द्विवेदी,डा. अजय प्रताप सिंह, डा. प्रदीप कुमार, डा. बीडी शर्मा, डा. सुशील कुमार, डा. आलोक गुप्ता ने मंचासीन अतिथियों, विषय विशेषज्ञों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
कार्यशिविर में आये हुए विषय विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का स्वागत मानद पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो. मानस पाण्डेय ने एवं संचालन डा. विद्युत मल्ल ने किया। आभार प्रदर्शन डा. अविनाश पाथर्डीकर नें  किया।
इस अवसर पर प्रो. एके श्रीवास्तव, डा. रामनारायण, डा. वंदना राय, डा. मनोज मिश्र, डा. आशुतोष सिंह, डा. सुरजीत यादव, डा. एसपी तिवारी, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. आलोक सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. विवेक पाण्डेय, डा. रूश्दा आजमी, सत्यम उपाध्याय, ़ऋषि श्रीवास्तव, आलोक दास समेत विभिन्न संकायों के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

30.11.2015


‘भारतीय संविधान: लोकतंत्र और सफलता’ विषयक संगोष्ठी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मा. अरूण टण्डन ने कहा कि जो शिक्षा हमें अभिमानी बना दें, वैसी शिक्षा मत लीजिए। देष तभी समृद्ध और विकास करेगा, जब इस देश  की शिक्षा सभी वर्गों तक बराबर पहुंचे। इसे सभी तक बांटना होगा। न्यायमूर्ति श्री टण्डन रविवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विष्वविद्यालय में आयोजित ‘भारतीय संविधान: लोकतंत्र और सफलता’ विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। यह समारोह भारत रत्न डा. भीम राव अम्बेडकर की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर विश्वविद्यालय  द्वारा मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पं. मदन मोहन मालवीय जी का मानना था कि शिक्षा इंसान बनाने वाली होनी चाहिए। आज यह दुर्भाग्य से पैसा कमाने वाली बन गयी है। विद्यार्थियों से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के आदर्शों  को आज अपनाने की जरूरत है। देश  में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। इसके लिए हमें कलाम साहब के सिद्धांतों पर पहल करते हुए इसकी शु रूआत अपने घर से करनी होगी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने घरों में अपने अभिभावकों से यह सवाल करना होगा कि घर में जो कीमती सामान और वाहन आ रहे है वह अपनी कमाई के है या गलत ढ़ग से की गयी कमाई के। इस पारदर्शिता से समाज में सुधार परिलक्षित होगा। उन्होंने कहा कि जब संविधान बना तभी षिक्षा को भी मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाना चाहिए था।
विशि ष्ट अतिथि मा. कुलाधिपति/श्री राज्यपाल के विधिक सलाहकार श्री एसएस उपाध्याय ने कहा कि भारत का संविधान दुनिया में लोकप्रिय है। जिसे विष्व के अन्य देशों  ने भी माना है। उन्होंने कहा कि यह हमारे संविधान की खूबी है कि तमाम विविधताओं, भाषा, मजहब, पंथ होने के बाद भी इसमें सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है। यही सफल लोकतंत्र की पहचान है। उन्होंने कहा कि देष के तीन स्तम्भ न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका हैं। नियम बनाने का अधिकार विधायिका के पास है फिर भी अंतिम रूप से सर्वोच्च न्यायालय के पास इसे उचित या अनुचित ठहराने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में हमारी स्मृतियों ने कानून का पालन कराया था। अत्रि स्मृति का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा कि समाज में करणीय कार्य को धर्म कहा गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है। हमारे यहां सहिष्णुता शु रू से रही है। आज हमारेे यहां अधिकारों की बात बहुत हो रही है लेकिन अपने कर्तव्यों की बात लोग भूल गये है। जबकि पहले हमारा समाज अधिकार नहीं, अपने कर्तव्य पर जोर देता था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 51 को समझने की जरूरत है तभी संविधान की मूल भावना का पालन हो पाएगा। हमारा लोकतंत्र परिपक्व है। इसका उदाहरण एनजेसी (राष्ट्रीय न्यायालय आयोग) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देष की जनता से भी सुझाव मांगे थे। ऐसी प्रक्रिया हमारी लोकतांत्रिक मूल्यों को बल देती है।
विशि ष्ट  अतिथि वाराणसी मण्डल के आयुक्त एवं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री नितिन रमेष गोकर्ण ने कहा कि विष्व के समस्त धर्म भारत में है, हमारी सभ्यता एवं संस्कृति में भी प्राचीनता की बुनियाद है। 21 वर्ष से कम उम्र के लोगों की आबादी इस देष में 65 प्रतिषत है। ऐसे में आज हमें इन युवाओं के लिए रोल माॅडल तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक अरब 30 करोड़ की आबादी वाले इस महान देष में संविधान का शा सन अपने आप में ही एक बड़ी उपलब्धि है। दुनिया में यही एक ऐसा देश  है जो अपनी आजादी के बाद से लेकर अब तक कभी भी शा सन सत्ता में सैनिक हस्तक्षेप से वंचित है। भारत के संविधान ने लोकतंत्र को सफलतम स्तर पर पहुंचाने का कार्य किया है। ग्राम पंचायतों में चल रहे चुनाव इस लोकतंत्र की सफलता को दर्षाते है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि अभी हमें भ्रष्टाचार के खात्मे, महिला सषक्तिकरण तथा कमजोर लोगों के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि देश  को एकसूत्र में पिरोये रखने का कारण हमारा संविधान है। उन्होंने कहा कि संविधान में तीन स्तम्भ के बाद लोगों ने मीडिया को चौथे  स्तम्भ के रूप में स्थापित करने की जरूरत बतायी। आज सबकी निगरानी के लिए पांचवें स्तम्भ के रूप में सोश ल मीडिया आ गया है। सिविल सोसायटी ने आजादी की लड़ाई को आंदोलन में बदला था। आज सोश ल  मीडिया के माध्यम से इसी की पुनर्वापसी हो रही है। उन्होंने कहा कि आज देश  के नागरिकों की इच्छा बढ़ी है। इन अपेक्षाओं एवं मूल स्वरूप में समानता के लिए प्रयास करने की जरूरत है। इसके पूर्व मुख्य अतिथि, विषिष्ट अतिथिगण एवं विष्वविद्यालय के कुलपति ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शु रूआत की।

कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव डा. बीके पाण्डेय एवं डा. एचसी पुरोहित ने किया। स्वागत प्रो. डीडी दूबे द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर बी बी तिवारी , वित्त अधिकारी एमके सिंह, डा. लालजी त्रिपाठी, डा. राजीव प्रकाष सिंह, डा. यूपी सिंह, डा. सर्वानंद पाण्डेय, डा. विजय प्रताप तिवारी, डा. आलोक सिंह, डा. सूर्यप्रकाष सिंह मुन्ना, डा. विवेक पाण्डेय, डा. एके श्रीवास्तव, डा. रामनारायण, डा. मानस पाण्डेय, डा. अविनाष पाथर्डिकर, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. वंदना राय, डा. अजय द्विवेदी, डा. बीडी श र्मा, डा. सुरजीत यादव, डा. एसपी तिवारी, डा. आषुतोष सिंह, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, सुषील कुमार, डा. आलोक सिंह, डा. अवध बिहारी सिंह, डा. सुनील कुमार, डा. रूष्दा आजमी, डा. केएस तोमर, रामजी सिंह, ष्याम त्रिपाठी, अशोक  सिंह, रजनीश  सिंह, डा. राजेश  जैन समेत विभिन्न संकायों के शि क्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे। अंत में कार्यक्रम के संयोजक डा. रामनारायण ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

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 सगोष्ठी के पश्चात मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री अरूण टण्डन, मंडलायुक्त वाराणसी श्री नितिन रमेश  गोकर्ण, श्री राज्यपाल के विधिक सलाहकार एसएस उपाध्याय एवं कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने विश्वविद्यालय  के एकलव्य स्टेडियम में चल रही पूर्वी क्षेत्र अन्तरविश्वविद्यालयीय क्रिकेट (महिला) प्रतियोगिता के खिलाडि़यों का परिचय प्राप्त किया एवं उनका उत्साहवर्धन किया। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के विवेकानन्द केन्द्रीय पुस्तकालय में भारत सरकार द्वारा प्रदत्त मूल संविधान की छाया प्रति का अवलोकन किया एवं पुस्तकालय के बारे में जानकारी प्राप्त की। अंत में माननीय अतिथिगण द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में आंवले के पौध का रोपण किया गया।

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संगोष्ठी में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति श्री अरूण टण्डन, मंडलायुक्त वाराणसी श्री नितिन रमेश  गोकर्ण, श्री राज्यपाल के विधिक सलाहकार एसएस उपाध्याय एवं कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने 26 नवम्बर को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित ‘भारतीय संविधान: लोकतंत्र और सफलता’ विषयक निबंध प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों प्रथम प्रीती मिश्रा, द्वितीय राहुल सोनी और तृतीय पूजा कुमारी तथा सांत्वना पुरस्कार प्राप्त विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।







समाचार पत्रों से






Friday 27 November 2015

पांच दिवसीय न्यूमेरिकल कम्प्यूटेशन यूजिंग मैटलैब का हुआ आयोजन

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन के कान्फ्रेंस हाल में गुरूवार को इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संकाय के गणित एवं कम्प्यूटर साइंस विभाग में न्यूमेरिकल कम्प्यूटेशन यूजिंग मैटलैब विषयक पांच दिवसीय कार्यशाला 26 से 30 नवम्बर का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रबंध संकायाध्यक्ष डा. एचसी पुरोहित ने कहा कि मैटलैब साफ्टवेयर अनेक क्षेत्रों की मैथमेटिकल माॅडलिंग में बहुत उपयोगी है, तथा इसे हर इंजीनियरिंग एवं वैज्ञानिक को जानना चाहिए।

कार्यशाला में संकायाध्यक्ष प्रो. बीबी तिवारी ने कहा कि आज के भावी इंजीनियरों के लिए मैटलैब एक आवश्यक टूल है इसका विज्ञान और इंजीनियरिंग के विविध क्षेत्रों में अनेक प्रयोग है। इसकी मदद से गणितीय प्रश्नों को सरलता से हल किया जा सकता है। उद्घाटन सत्र में बतौर स्रोत विद्वान सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूरत के सहायक प्रोफेसर डा. सुनील कुमार ने कहा कि इस साफ्टवेयर की मदद से कम्प्यूटर ग्राफिक जैसे कठिन विषयों को सरल तरीके से समझा जा सकता है। इस साफ्टवेयर की मदद से कम्प्यूटर साइंस, वैद्युत एवं यांत्रिकी अभियंत्रिकी, सूचना प्रौद्योगिकी आदि में ग्राफिक एवं न्यूमेरिकल साल्यूशन निकाले जा सकते है। कार्यशाला के संयोजक डा. राजकुमार ने विषय प्रवर्तन किया एवं डा. संजीव गंगवार ने कार्यशाला की रूपरेखा को प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. रविप्रकाश ने किया।
कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव डा. संतोष कुमार ने किया। इस अवसर पर डा. अजय प्रताप सिंह, डा. वंदना राय, डा. अजय द्विवेदी, डा. प्रदीप कुमार, डा. अशोक यादव, डा. वीडी शर्मा, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. ज्ञानेंद्र पाल, डा. संतोष यादव, अर्पणा गौर, अंकिता श्रीवास्तव समेत विभिन्न संकायों के शिक्षक विद्यार्थी मौजूद रहे।

निबंध प्रतियोगिता का हुआ आयोजन


विश्वविद्यालय के संकाय भवन में गुरूवार को संविधान दिवस के अवसर पर ‘‘भारत का संविधान: प्रजातंत्र एवं सफलता’’ विषयक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों से कुल 52 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर भारत रत्न डा. भीम राव अम्बेडकर की 125वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है। परीक्षा में निरीक्षक के रूप में प्रबंध अध्ययन संकाय के प्रवक्ता सुशील कुमार, वित्तीय अध्ययन के मंजीत वर्मा, राजेश कुमार और मास कम्यूनिकेशन के डा. सुनील कुमार रहे। निबंध परीक्षा का निरीक्षण विश्वविद्यालय के कुलसचिव बी.के. पाण्डेय और प्रबंध अध्ययन संकाय के अध्यक्ष डा. एचसी पुरोहित ने किया। परीक्षा के मूल्यांकन के बाद प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। विजेताओं को 29 नवम्बर की संगोष्ठी में संगोष्ठी भवन में मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। इस प्रतियोगिता के संयोजक डा. राम नारायण ने बताया कि प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों को संविधान के प्रति जागरूक करना है।

Monday 23 November 2015

स्वयं को जानना सबसे महत्वपूर्ण : एम.एम. खान


एच.आर.डी. विभाग में दो दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन

विश्वविद्यालय के एच.आर.डी. विभाग के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला ’स्वयं को जानो और बदलाव के लिए तैयार रहो’ विषय पर आयोजित की गई। इस अवसर पर हिन्डाल्को इंडस्ट्रीज के पूर्व महाप्रबंधक श्री एम.एम. खान मुख्य वक्ता थे। श्री खान ने जोर देकर कहा कि बदलते परिवेश में किसी भी प्रबंधक को सबसे पहले आपने आप को जानना अति आवश्यक है क्य़ुकि जब तक हम अपने आपको नही जानेंगे तब तक हम किसी भी संस्था को अपनी खूबियों के बारे मे नही बता पाएंगे। किसी भी साक्षात्कार के समय यह बात सबसे महत्वपूर्ण होती है कि आप अपनी खूबियों को किसी संस्था के लिए कितना उपयोगी सिद्ध कर सकते हैं। 
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रबंध अध्ययन संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ.एच.सी. पुरोहित ने कहा कि ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ छात्रों के व्यक्तित्व विकास हेतु समय समय पर आयोजित करता रहता है जो कि छात्रों को कर्पोरेट जगत में अच्छी नौकरी पाने में सहायक होतें है। एच.आर.डी. विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.संगीता साहू ने कहा कि आज के दौर में छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु नियमित पठन-पाठन के अतिरिक्त ऐसे  कार्यक्रम छात्रों के करियर निर्माण मे अत्यंत महत्वपूर्ण है और एच.आर.डी. विभाग इस ओर अपने प्रयास करता रहता है। 
एच.आर.डी. विभाग के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट कोऑर्डिनेटर डॉ अविनाश पाथर्डीकर ने बताया कि आने वाले समय मे प्रबंध अध्यय्यन के छात्रों को कॉर्पोरेट जगत के टॉप मेनेजमेंट एक्जीक्यूटिव के अनुभवों से छात्रों को लाभान्वित करवाता रहेगा। कार्यशाला के प्रथम दिवस के अंतिम सत्र में इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ रसिकेश ने आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में श्री अनुपम कुमार, श्री अभिनव श्रीवास्तव सहित प्रबंध अध्यय्न संकाय के छात्र उपस्थित थे।


पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालयीय क्रिकेट महिला प्रतियोगिता



विश्वविद्यालय के एकलव्य स्टेडियम में शनिवार को पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालयीय क्रिकेट महिला प्रतियोगिता 2015-16 का उद्घाटन पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने किया। यह प्रतियोगिता 30 नवम्बर तक चलेगी। प्रतियोगिता में पूर्वी क्षेत्र के कुल 20 टीमें भाग लेंगी।
प्रतियोगिता के शुभारम्भ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि खेल से विश्वविद्यालय भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। विश्वविद्यालय की गतिविधियों में खेल का बहुत बड़ा हिस्सा है। जौनपुर से पूरब की ओर राज्यों में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में है। पूर्वी क्षेत्र के विद्यार्थियों का विकास संस्कृति से जुड़कर हुआ है। पूर्वी क्षेत्र के राज्य खेल व संस्कृति में बहुत आगे है। उन्होंने कहा कि खिलाडि़यों को सिर्फ खेल के मैदान में ही अव्वल नहीं होना है बल्कि जिस संस्थान से आये है वहां पढ़ाई में भी आगे बढ़ना है। इस दोहरी चुनौती में सफल होने वालों को जीवन में दोहरा लाभ मिलता है। 
उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता एक और अवसर प्रदान करती है जिसमें विभिन्न प्रदेशों से आये अलग-अलग सामाजिक परिवेश और संस्कृति के खिलाडि़यों से एक दूसरी टीम परिचित होगी और बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा। 
खेलकूद परिषद के अध्यक्ष डा. हरिशंकर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार सफल खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करता चला आ रहा है। इसीलिए पूर्वी क्षेत्र की इस प्रतियोगिता को सम्पन्न कराने के लिए विश्वविद्यालय को यह जिम्मेदारी मिली है। खेलकूद परिषद के पूर्व सचिव डा. देवेंद्र सिंह ने अपने स्वागत भाषण में भाग लेने आये खिलाडि़यों से टीम भावना से मिल जुलकर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की अपील की। 
पूर्वांचल विश्वविद्यालय और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ की टीमों के मैच से प्रतियोगिता की शुरूआत हुई। उत्कल विश्वविद्यालय उड़ीसा, विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग झारखण्ड, बरहमपुर विश्वविद्यालय उड़ीसा, सरगुजा विश्वविद्यालय अम्बिकापुर छत्तीसगढ़, गुरूघासीदास विश्वविद्यालय विलासपुर छत्तीसगढ़, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी, मणिपुर विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, पं. दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, टीएम भागलपुर विश्वविद्यालय, सम्बलपुर विश्वविद्यालय उड़ीसा, एलएनएम विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार, बिलासपुर विश्वविद्यालय बिलासपुर, पटना विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय, बीएचयू, कलकत्ता विश्वविद्यालय की टीमें भाग लेंगी। टीमों के साथ टीम प्रबंधक व कोच भी आ रहे है।
उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन अशोक सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन खेल सचिव विपिन चंद्र अस्थाना ने किया। इस अवसर पर प्रो. बीबी तिवारी, वित्त अधिकारी एमके सिंह, डा. एचसी पुरोहित, डा. अविनाश पाथर्डीकर, डा. बीडी शर्मा, डा. रामआसरे शर्मा, डा. हरेंद्र सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अर्पिता मिश्रा, डा. रजनीश भास्कर, डा. केएस तोमर, भूपेंद्र वीर सिंह, रजनीश सिंह समेत तमाम लोग मौजूद रहे।