Friday 15 March 2024

पांच दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन

ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण हम सभी का नैतिक कर्तव्य : डॉ. कायनात काजी

  आमजन से जुड़ी कला रहती है जीवित - अनिरूद्ध पांडे 

प्रतिभागियों  ने ऐतिहासिक स्थलों की फोटोग्राफी को सीखा


कल्चरल क्लब एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हुआ। शाही किले  में ऐतिहासिक स्थलों की फोटोग्राफी विषय पर प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रख्यात यात्रा लेखिका एवं फोटोग्राफर डॉ. कायनात काजी ने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों के चित्र सभी को आकर्षित करते हैं इसलिए ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां से सबसे सुंदर  दिखाई देता हो। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करना समाज के हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है। उस स्थान को गंदा कर हम अपनी विरासत को क्षतिग्रस्त और धूमिल करते हैं जिससे आने वाली पीढ़ी उसको उस रूप में नहीं देख पाएगी जिसे हमारे पूर्वजों ने दिया है।

वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार एवं फोटोग्राफर अनिरूद्ध पांडे ने उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने विडियो और फोटो के माध्यम से लोक कलाओं के संरक्षण एवं दस्तावेजीकरण को विस्तार से बताया। उन्होंने चुनार, गोरखपुर एवं आजमगढ़ की लोक कलाओं पर कहा कि वह कला जीवित रहती है जिसका जुड़ाव आमजन से होता है। उन्होंने बांसुरी पर बनाई गयी वृत्तचित्र नरकट की रानी को दिखाया।
प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटकर प्रख्यात फोटोग्राफर डॉ. कायनात काजी, प्रेस फोटोग्राफर आशीष श्रीवास्तव एवं हसन आरिफ जाफरी द्वारा फोटोग्राफी की तकनीक बताई गयी। प्रतिभागियों ने शाही किले की शानदार फोटो अपने मोबाइल और कैमरा में कैद की।विशेषज्ञों को कार्यक्रम समन्वयक प्रो. मनोज मिश्र द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।
समापन सत्र संकाय भवन के कांफ्रेंस हाल में आयोजित हुआ।अतिथियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. अनु त्यागी, सुधाकर शुक्ल, सोनम विश्वकर्मा समेत राज कॉलेज, मोहम्मद हसन पीजी कॉलेज एवं परिसर के विद्यार्थी 
उपस्थित रहें।



Thursday 14 March 2024

यायावरों ने भारतीय संस्कृति को करीब से समझा- डॉ. कायनात काज़ी

अपने पूर्वजों की विरासत को सहेजना होगा- एस  एम मासूम

विशेषज्ञों ने कल्चरल मैपिंग के टिप्स  दिए

पूविवि में संस्कृति संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला का चौथा दिन

देश की  प्रख्यात यात्रा लेखिका एवं ब्लॉगर डॉ. कायनात काज़ी ने कहा कि यात्रा मन से नकारात्मकता को निकालती है. यायावरों ने  संस्कृति को इतिहासकारों की तुलना में ज्यादा ईमानदारी से लिखा है. देश की  लोक संस्कृति और धरोहरों को जानने के लिए मैंने यात्राएं की. यायावरों ने भारतीय संस्कृति को करीब से समझा. भारतीय संस्कृति की विविधता ही  इसकी खूबसूरती है. डॉ. कायनात ने ये बातें वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में कल्चरल क्लब एवं जनसंचार विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला में कहीं.  विश्वविद्यालय में संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन एवं दस्तावेजीकरण विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है. उन्होंने प्रतिभागियों को देश के विभिन्न भागों की लोक संस्कृति से परिचित कराया. कल्चरल मैपिंग के लिए टिप्स भी दिए. कायनात काज़ी भारत की पहली एकल महिला यात्री हैं जिन्होंने केवल चार वर्षों में दो लाख किलोमीटर की यात्रा की है. उन्होंने अपनी रोचल यात्राओं से भी परिचित कराया.

इतिहासकार एवं ब्लॉगर एस एम मासूम ने जौनपुर की सांस्कृतिक विरासत पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि अपने सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करना और सांस्कृतिक पहचान को कायम रखने की जिम्मेदारी युवाओं की है. उन्होंने कहा कि जौनपुर जनपद की सांस्कृतिक विरासत बहुत ही समृद्ध रही है इसे सहेजना बहुत मुश्किल नहीं है. अपने पूर्वजों की विरासत को बस सहेजना होगा.  उन्होंने जौनपुर जनपद के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में विस्तार से बताया. प्रो. बी डी शर्मा ने कहा कि हमें अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए. संस्कार और संस्कृति जीने की चीज है. उन्होंने ग्रामीण संस्कृति पर विस्तार से चर्चा की. डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने कहा कि जिज्ञासा ही पथ प्रदर्शक होती है. जितना देश में भ्रमण करेंगे संस्कृति वो वास्तव में समझ पाएंगे. जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने अतिथियों का स्वागत  एवं संचालन कार्यक्रम संयोजक डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, धन्यवाद् ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ सुनील कुमार ने किया. इस अवसर पर इस अवसर पर  डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. चन्दन सिंह, डॉ. सुरेन्द्र यादव,  सोनम विश्वकर्मा, अमित मिश्रा समेत तमाम लोग उपस्थित रहे.


Wednesday 13 March 2024

पीयू परिसर के पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन शुरू

                                                   पीयू परिसर के पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन शुरू


वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय  ने परिसर में चलने वाले समस्त पाठ्यक्रमों के लिए पूर्वांचल विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (पीयूकैट)  सत्र 2024-25 के लिए ऑनलाइन आवेदन विश्वविद्यालय ने जारी कर दिया है। पूर्वांचल विश्वविद्यालय एमबीए सहित विभिन्न स्नातक (यूजी)डिप्लोमा और स्नातकोत्तर (पीजी) कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए टेस्ट का आयोजन करता है। इच्छुक अभ्यर्थी वीबीएसपीयू पीयूसीएटी 2024 परीक्षा के लिए आधिकारिक वेबसाइट- vbspu.ac.in के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन एक मार्च से शुरू हो गया है। इसकी अंतिम तिथि 15 अप्रैल 2024 निर्धारित की गई है। विश्वविद्यालय परिसर में बीएससी, बीए, बीकाम, बीए एलएलबी आनर्स (फाइव इयर इनटीग्रेटेड कोर्स), बीए (जनसंचार, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र), बीसीए, बीबीए, बीटेक, एमएससी, एमए, एमबीए, एमसीए, एमए जनसंचार, एमटेक, डिप्लोमा इन फार्मेसी, मेकिनिकल इंजीनियरिंग, पीजी डिप्लोमा इन जेंडर वूमेन स्टडी, ट्रासलेशन के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं।   

 

लोक कलाकारों को सोशल मीडिया से मिली नई पहचान - बृजेश सिंह

 

  • पूविवि में संस्कृति संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला का तीसरा दिन 
  • रिकॉर्डिंग एवं फोटोग्राफी तकनीक से परिचित हुए प्रतिभागी 
जौनपुर।  कल्चरल क्लब एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला के तीसरे  दिन बुधवार को  विशेषज्ञों ने रिकॉर्डिंग एवं फोटोग्राफी तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। संस्कृति विभाग उ.प्र. के सहयोग से आयोजित  की जा रही कार्यशाला संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन, दस्तावेजीकरण पर आधारित है।  
प्रशिक्षण सत्र में बतौर मुख्य वक्ता लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश सिंह ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया का जमाना है विजुअल कंटेंट तैयार करने के लिए रिकॉर्डिंग की तकनीक से परिचित होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि युवा लोक संस्कृति से जुड़ी सामग्री को सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से संरक्षित और प्रसारित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे ऐसे लोक कलाकार हैं जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक पहचान बनाई है।
इसी क्रम में लखनऊ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वीडियो जर्नलिस्ट तीर्थांकर गुहा ने लोकगीतों की रिकॉर्डिंग के विविध पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कैमरा, लाइट, फ्रेमिंग, मोबाइल फोन से रिकॉर्डिंग आज के बारे में विस्तार से बताया।जौनपुर जनपद के पत्रकार जावेद अहमद एवं सिनेमैटोग्राफर चंदन सैनी ने भी रिकॉर्डिंग और लेखन की तकनीक से विद्यार्थियों को परिचित कराया।
कार्यशाला के संयोजक डॉक्टर दिग्विजय सिंह राठौर ने कहा कि आज आप अपने मोबाइल के माध्यम से लोक संस्कृति से जुड़े  कंटेंट बना सकते है. अतिथियों का स्वागत जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र एवं धन्यवाद् ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ सुनील कुमार ने किया. इस अवसर पर इस अवसर पर  डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. चन्दन सिंह, डॉ. सुरेन्द्र यादव,  सोनम विश्वकर्मा, अमित मिश्रा समेत तमाम लोग उपस्थित रहे.