Friday, 28 February 2014
23 फ़रवरी को लगा बापू बाजार
सम्मान, स्वाभिमान और सस्ता सामान

सम्मान, स्वाभिमान और सस्ता सामान
मऊ: विशाल परिसर में सजी दुकानें। उन पर रुपये, दो रुपये से लगायत अधिकतम 10 रुपये तक में बिकती जरूरत की हर सामान। ग्राहक क्षेत्र की गरीब जनता और विक्रेता महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं। लोगों के मनोरंजन के लिए प्रस्तुत किए जा रहे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम। विक्रेता छात्र-छात्राओं के मधुर व्यवहार और दिए जा रहे सम्मान से अभिभूत गरीब पुरुष-महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। यह दृश्य था क्षेत्र के टकटेउवा रामपुर में स्थित लालसर कृषक महाविद्यालय में रविवार को लगे बापू बाजार का।
वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय के तत्वावधान में हुए इस आयोजन में मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक एनएसएस डॉ. एम हसीन खान ने उद्घाटन के बाद कहा कि यह अपनी तरह का अनोखा बाजार है, जिसमें छात्र-छात्राएं अपने आसपास के लोगों से उनके घर में बेकार पड़ी जरूरत की सामानों को मांगकर उन्हें इस बाजार में लाते हैं और उन्हें एक रुपये, दो रुपये में जरूरतमंद गरीब लोगों को बेंच दिया जाता है। ऐसा इसलिए कि उन गरीबों का स्वाभिमान कायम रहे कि उन्होंने उस वस्तु को भीख में नहीं पाया है, बल्कि बापू-बाजार से खरीदा है। इन दुकानों पर विविध प्रकार के वस्त्र, दवा, कपड़ा, कापी-किताब, साड़ी, सब्जी आदि तक बिक रहे थे। बाजार के संयाजक डॉ. हितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय अब तक यह आयोजन 25 महाविद्यालयों में कर चुका है। इससे दो लाख रुपये से अधिक की धनराशि भी एकत्र हो चुकी है। उन्होंने इस आयोजन का श्रेय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीयूष रंजन अग्रवाल को दिया। महाविद्यालय के प्रबंधक सूर्यभान यादव ने आगंतुको के साथ ही आयोजन में लगे सभी लोगों का आभार जताया। बीनू सिंह, कंचन, निकेश, किरन, कविता, माधुरी, चांदनी आदि ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक संदेश दिया। इसमें करहा, खुरहट, बारहगांवा, मधुबन, इसरार, मिर्जा जमालपुर, घोसी, गजियापुर, चकविलायत दरगाह, पीवाताल, सूरजपुर आदि के महाविद्यालयों ने प्रतिभाग किया।(jagran)
Friday, 21 February 2014
Saturday, 15 February 2014
अखिल भारतीय महिला अंतर्विश्वविद्यालयीय क्रिकेट (महिला ) प्रतियोगिता का शुभारंभ

विश्वविद्यालय में प्रतियोगिता 14 से 25 फरवरी तक चलेगी। देश के दस राज्यों से दस टीम हिस्सा ले रही है। इसमें कोलकाता, बरकतुल्ला भोपाल, आंध्रा, पुणे, मुंबई, दिल्ली, पूर्वाचल, आरएमएल फैजाबाद, मध्य प्रदेश, कर्नाटक के वोमेन विश्वविद्यालय की टीम पहुंच गई है। शनिवार को दिल्ली व आंध्रा की टीमें खेलेंगी।
Tuesday, 11 February 2014
इमरजिंग ट्रेड इन एप्लायड साइकालाजी विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू
'आज जरूरत है कि सांस्कृतिक व आर्थिक मूल्यों के बीच समन्वय स्थापित किया जाय'
कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इमरजिंग ट्रेड इन एप्लायड साइकालाजी विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मंगलवार को संगोष्ठी भवन में हुआ। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग को उनके उत्कृष्ट शोध के लिए अमेरिका की काउंसिल फार एक्रिडिएशन एण्ड रिलेटेड एजुकेशनल प्रोग्राम की मुख्य कार्याधिकारी करोल एल बाबी द्वारा कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल को एप्लायड साइकालाजी विभाग की अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता का प्रमाणपत्र सौंपा गया।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए करोल एल बाबी ने कहा कि विश्वस्तर पर चलने वाले विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमो के मूल्यांकन का लाभ यह है कि इससे पाठ्यक्रम की वैधता विश्वस्तर पर होती है और एक विश्वविद्यालय के छात्र दूसरे विश्वविद्यालय में जाकर शिक्षा ग्रहण कर सकते है।
विशिष्ट अतिथि इंटरनेशनल रजिस्ट्री आफ द काउंसलर एजुकेशन के अध्यक्ष डा0 चाल्र्स रिक ग्रेसार्ड ने काउंसिंलिंग पाठ्यक्रम के मूल्यांकन की उपयोगिता के बारे मे बताते हुए कहा कि इससे छात्रों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।
विभाग के पूर्व छात्र व साउथ डकोटा विश्वविद्यालय अमेरिका के डा0 सचिन जैन ने कहा कि काउंसिलिंग के माध्यम से हम समाज के बंचित एवं मुख्य धारा से कटे लोगों को समाज के साथ जोड़ सकते है तथा उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकते है। डा जैन ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय मान्यताका यह प्रतिफल है कि अमेरिका के कई विश्वविद्यालय एप्लायड साइकालाजी विभाग के साथ संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम संचालित करना चाहते है।
सम्बोधित करते कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल |
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि धन का पलायन पूरब से पश्चिम की तरफ हो रहा है और संस्कृति पश्चिम से पूरब की तरफ आ रही है। जब भी व्यवस्था में असंतुलन होगा वह समाज के लिए कहीं से हितकारी नहीं होगा। आज जरूरत है कि सांस्कृतिक व आर्थिक मूल्यों के बीच समन्वय स्थापित किया जाय। निरोग समाज की स्थापना के लिए हमें सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक मूल्यों से जुड़ना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में जो परम्परा थी उनमें भावनाओं और संस्कृतियों के आदान प्रदान से व्यक्तियों की मनोदशा स्वस्थ्य बनी रहती थी जो हमें विकट परिस्थितियों से निपटने में मजबूती प्रदान करत़ी थी।
स्वागत भाषण देते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी के निदेशक एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो0 राम जी लाल ने सगोष्ठी पर प्रकाश डाला एवं विभाग की गतिविधियों को प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डाॅ0 अजय प्रताप सिंह एवं संचालन डा0 एच0सी पुरोहित ने किया।
उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित न्यूहारिजन्स इन काउंसलिंग,प्रमोटिंग हेल्थ एण्ड वेल विइंग,इमरजिंग टेन्ड्स इन साइको थिरेपी एण्ड काउंसिंलिंग विषयक तकनीकी सत्रों में प्रो0जान बेबी,प्रो0पी0सी0मिश्रा,प्रो0मुक्ता रानी रस्तोगी, प्रो0 एन0एस0तुंग ,प्रो0आर0एस0 सिंह, प्रो0 अजय तिवारी, प्रो0पी0एस0एन तिवारी, डा0उषा टिक्कू, डा0 कल्पना जैन, डा0 अंजलि गुप्ता डा0 अवनीश अग्रवाल आदि विषय विशेषज्ञो ने व्याख्यान दिया। चतुर्थ सत्र में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिभागियों ने सोलह शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसमें व्यवहारिक मनोविज्ञान के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर प्रो0बी0बी0तिवारी, प्रो0वी0के0सिंह, प्रो0 ए0के0 श्रीवास्तव डा0 अशोक श्रीवास्तव,डा0 वन्दना राय, डा0 रामनरायन, डा0 संदीप सिंह डा0 एस0पी0तिवारी, डा0 अविनाश पार्थिडेकर, डा0 संगीता साहू, डा0 मनोज मिश्र,डा0 अवध बिहारी सिंह,डा0 दिग्विजय सिंह राठौर समेत देश के विभिन्न प्रदेशों के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के प्रतिभागी गण मौजूद रहे।
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दूसरा दिन
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इमरजिंग ट्रेड इन एप्लायड साइकालाजी विषयक दो दिवसीय अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में समुदाय मनोविज्ञान की चुनौतिया,जम्मू से आईं डा उषा टिक्कू की अध्यक्ष्ता में संचालित हुआ इस सत्र में रीवा विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश के प्रो0आर0एस0 सिंह ने सामुदायिक परामर्श के सन्दर्भ में भारतीय चिन्तन में उपलब्ध ज्ञान के आधर पर परामर्श की विधा विकसित करने पर बल दिया। इसी सत्र में गाजीपुर से अये डाॅ0 अमरनाथ राय ने समुदाय के विकास हेतु स्कूलों में बच्चों के सम्यक विकास हेतु परामर्श प्रक्रिया की चर्चा करते हुए इस बात के महत्व को समझाने का प्रयास किया कि इस कार्य में शिक्षक अभिवावक तथा मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता तीनो का परस्पर सहयोग अपेक्षित है साथ ही देश में परामर्श दाताओं की कम संख्या को देखते हुए मनोवैज्ञानिक परामर्श दाताओंका एक दयित्व स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को प्रशिक्षित कर परामर्श देने में सक्षम बनाना भी है।
इस दिन के दूसरे सत्र में सत्र की अध्यक्षता उदयपुर से आयीं डा कल्पना जैन ने किया इस सत्र में संगठनात्मक व्यवहार ओर मानव संसाधन प्रबन्धन समबन्धित समकालीन मुद्दों को रेखांकित किया गया वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय की संगीता साहू ने वैश्वीकरण के सन्दर्भ में मानव संसाधन प्रबन्धन समबन्धित समस्याओं और चुनौतियों की ओर इंगित किया। इसी सत्र में मनोविज्ञान विभाग के डाॅ0 अजय प्रताप सिंह ने संगठनातमक व्यवहार के क्षेत्र में किये जा रहे शोध की समस्याओं और उनके समाधान पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अमेरिका क आई0आर0सी0पी0सी0 तथा सी0ए0सी0आर0ई0पी0 द्वारा व्यवहारिक मनोविज्ञान को परामर्शन प्रशिक्षण के क्षेत्र में मान्यता देने से समबन्धित पट्टिका का अनावरण सी0ए0सी0आर0ई0पी0 की अध्यक्ष डा करोल एल बाबी , आई0आर0सी0पी0सी0 डा चाल्र्स ग्रेसार्ड,डा गणेश हेगड़े तथा सचिन जैन द्वारा किया गया।
दूसरे दिन का अंतिम सत्र प्रतिभागियों द्वारा व्यवहारिक मनोविज्ञान के विविध पक्षों से सम्बन्धित शोध पत्रों के वाचन से सम्बन्धित था इस सत्र में कुल 20 शोधपत्र पढ़े गये जिन पर गम्भीर विचाार विमर्श भी किए गये।
संगोष्ठी के समापन की अध्यक्षता डा गणेश हेगड़े ने किय जबकि मुख्य अतिथि डा संजय गुप्ता अध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी थे। सत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका से आये डा करोल एल बाबी डा चाल्र्स ग्रेसार्ड तथा डा सचिन जैन ने परामर्श के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा इस बात पर बल दिया कि भावी परामर्श दाताओं के प्रशिक्षण के लिए जो भी कोर्स तैयार किया जाय उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए क्योंकि यह सम्भव है कि यू0एस0ए0से मान्यता प्राप्त करने के बाद प्रशिक्षण के लिए एशिया के अन्य देशों से भी छात्र यहाॅ आ सकते हैं। उन्होंने जो भी सत्कार प्राप्त किया उसके लिए धन्यवाद ज्ञापन किया और निरन्तर सहयोग देने का आश्वासन दिया।
मुख्य अतिथ डा संजय गुप्ता ने परामर्श से सम्बन्धित अपने खुशहाली माडल के स्वरूप् तथा उपयोगिता को विस्तार से बताया तथा इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पूर्वान्चल विश्व विद्यालय का व्यवहारिक मनोविज्ञान विभाग भी इस दिशा में उनका हमराही हो गया।
विभागाध्यक्ष प्रो0 राम जी लाल ने अतिथियों का स्वागत किया और उनके सहयोग के लिए आभार प्रकट किया अंत में डा0 अजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा0 मानस पाण्डेय,डा0 मनोज मिश्र डा0अविनाश पार्थिडेकर, डा0 एच0सी0पुरोहित,आशीष पाण्डेय,किशन सिंह,कपिल देव सहित सभी प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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दूसरा दिन
इस दिन के दूसरे सत्र में सत्र की अध्यक्षता उदयपुर से आयीं डा कल्पना जैन ने किया इस सत्र में संगठनात्मक व्यवहार ओर मानव संसाधन प्रबन्धन समबन्धित समकालीन मुद्दों को रेखांकित किया गया वीर बहादुर सिंह पूर्वान्चल विश्वविद्यालय की संगीता साहू ने वैश्वीकरण के सन्दर्भ में मानव संसाधन प्रबन्धन समबन्धित समस्याओं और चुनौतियों की ओर इंगित किया। इसी सत्र में मनोविज्ञान विभाग के डाॅ0 अजय प्रताप सिंह ने संगठनातमक व्यवहार के क्षेत्र में किये जा रहे शोध की समस्याओं और उनके समाधान पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर अमेरिका क आई0आर0सी0पी0सी0 तथा सी0ए0सी0आर0ई0पी0 द्वारा व्यवहारिक मनोविज्ञान को परामर्शन प्रशिक्षण के क्षेत्र में मान्यता देने से समबन्धित पट्टिका का अनावरण सी0ए0सी0आर0ई0पी0 की अध्यक्ष डा करोल एल बाबी , आई0आर0सी0पी0सी0 डा चाल्र्स ग्रेसार्ड,डा गणेश हेगड़े तथा सचिन जैन द्वारा किया गया।
संगोष्ठी के समापन की अध्यक्षता डा गणेश हेगड़े ने किय जबकि मुख्य अतिथि डा संजय गुप्ता अध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी थे। सत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका से आये डा करोल एल बाबी डा चाल्र्स ग्रेसार्ड तथा डा सचिन जैन ने परामर्श के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा इस बात पर बल दिया कि भावी परामर्श दाताओं के प्रशिक्षण के लिए जो भी कोर्स तैयार किया जाय उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए क्योंकि यह सम्भव है कि यू0एस0ए0से मान्यता प्राप्त करने के बाद प्रशिक्षण के लिए एशिया के अन्य देशों से भी छात्र यहाॅ आ सकते हैं। उन्होंने जो भी सत्कार प्राप्त किया उसके लिए धन्यवाद ज्ञापन किया और निरन्तर सहयोग देने का आश्वासन दिया।
मुख्य अतिथ डा संजय गुप्ता ने परामर्श से सम्बन्धित अपने खुशहाली माडल के स्वरूप् तथा उपयोगिता को विस्तार से बताया तथा इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पूर्वान्चल विश्व विद्यालय का व्यवहारिक मनोविज्ञान विभाग भी इस दिशा में उनका हमराही हो गया।
विभागाध्यक्ष प्रो0 राम जी लाल ने अतिथियों का स्वागत किया और उनके सहयोग के लिए आभार प्रकट किया अंत में डा0 अजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा0 मानस पाण्डेय,डा0 मनोज मिश्र डा0अविनाश पार्थिडेकर, डा0 एच0सी0पुरोहित,आशीष पाण्डेय,किशन सिंह,कपिल देव सहित सभी प्रतिभागी उपस्थित रहे।
Tuesday, 4 February 2014
17th convocation
Thirty four students were awarded Gold Medal for standing first in the
order of merit for the academic session 2012-13 of different courses running in
the ten faculties including Agriculture, Art, Commerce, Education, Law, Science,
Management Studies, Applied Social Sciences and Humanities, Engineering and
Technology, and Medicine, and 337 students were
awarded Ph.D. degree in their respective subjects.
Chief guest
Prof. Ashok Gulati said that the
purpose of education is not only to equip the younger generation with knowledge
and skills to earn a decent livelihood, but also empower them with a value
system so that they can contribute to the larger cause of humanity, and create
a world that is better than they inherited. In doing so, you will obviously
face several challenges in life, and that’s the time your real education will
be put to test. One of the big
challenges that India faces is how to feed a large and growing population of
1.2 billion,. The challenge is not only to produce ample and nutritious food,
but also making it available to people at affordable prices.
Quality of education, infrastructure facilities, up
gradation of syllabus, collaboration between researchers and industries,
collaboration with country’s reputed scientific research organizations, up
gradation of laboratories, use of modern technology equipments, availability of
standard journal and books in libraries and the use of information and
communication technology can help us in meeting the challenges of modern time.
Prof Dharni Dhar Dubey in his welcome speech said that
the invention of internet and expansion of mass media has integrated the local
community with the entire world. Today goods, services, information, money,
individuals and knowledge can be instantly exchanged across continents. An University
is recognized by its size and quality. As per the demand of time, University
will have to respond to the parameters of quality, for which all the bodies of
the University have to innovate higher standards of academic excellence.
In the Convocation function Registrar VK Sinha,
Finance officer Amar Chandra, the members of University Executive and Academic
Council, managers, principals, public representatives, teachers, officers,
employees, students and parents were present in large number.
Sunday, 2 February 2014
Press Release- Press Conference, Seventeenth Convocation 2014
Press
Release- Press Conference, Seventeenth Convocation 2014
The University has completed its 26 years of
excellence in the field of higher learning and research. Thirty four students will
be awarded Gold Medal for standing first in the order of merit for the academic
session 2012-13 of different courses running in the ten faculties including
Agriculture, Art, Commerce, Education, Law, Science, Management Studies,
Applied Social Sciences and Humanities, Engineering and Technology, and
Medicine, and 337 students will be awarded Ph.D.
degree in their respective subjects.
The faculty members of the University are engaged in advance
research in different academic areas, several teachers have been awarded advance
research grants from different funding agencies including UGC, ICSSR, DST etc.
The Department of Applied Psychology has been accredited by Council for
Accreditation of Counseling and Related Educational Programmes (CACREP) USA for their
high quality research and teaching. The University has organized national
seminars (Advances in Management Practices and; Corporate Social Responsibility),
workshops (International workshop on Counseling skills in Health profession and
schools; Multivariate analysis in Psychological and management research; and Science
Communication: Script writing, camera, editing and filmmaking) and Faculty
Development Program during the session.
The University has embarked in the sports also; students
of the University won five Gold medals in All India inter-University sports
competition under individual events category. University team secured first
position in East-Zone inter-University male Hockey and male cricket tournaments, and second position in East-Zone
inter-University male Kabaddi and female cricket tournaments. Rajendra Bind, a
student of Handia PG College, Handia, Allahabad participated
in World universities athletics tournament held in Kazan
Russia , our cricket team has
participated in All Inidia University Cricket Championship (UCC) organized by
NDTV - Toyota .
Our students Lalit Upadhaya and Pratibha Chaudhary have been the part of Junior
India Hockey team.
The University has identified several thrust areas for
further development such as revision of syllabus, automation of processes, up
gradation of laboratories, R&D activities, preparation of annual calendar
etc.
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