Thursday, 28 March 2013
Thursday, 14 March 2013
'प्रो. वीरभद्र मिश्र का देहांत विश्वविद्यालय के लिए दुखद ''
भारतीय संस्कृति के सजग प्रहरी प्रख्यात पर्यावरणविद् प्रो. वीरभद्र मिश्र के निधन पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुंदर लाल ने गहरा दुख व्यक्त किया है।विश्वविद्यालय परिसर में श्रधांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रो. वीरभद्र मिश्र का देहांत विश्वविद्यालय के लिए एक दुखद समाचार हैं।मिश्र जी के पर्यावरण एवं गंगा के निर्मलीकरण के लिए किये गए संघर्षों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने लिए विश्वविद्यालय ने उन्हें ११ वे दीक्षांत समारोह में डीएससी की उपाधि से नवाजा था और इस तरीके से वह विश्वविद्यालय परिवार से जुड़ गए थे।ऐसे लोकप्रिय समाज के प्रति समर्पित व्यक्ति का अवसान अत्यत दुखद है।उन्होंने समूचे विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवार के लिए गहरी संवेदना व्यक्त की।
Sunday, 10 March 2013
महिला दिवस पर समय की दहलीज पर औरत विषयक विमर्श का आयोजन
औरत अपने स्त्रित्व को पहचाने:डॉ वंदना
औरतों को खुद अपने विकास के लिए आगे आना होगा:तमन्ना फरीदी
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा विश्व महिला दिवस के अवसर पर समय की दहलीज पर औरत विषयक विमर्श का आयोजन संकाय भवन के कांफ्रेंस हाल में किया गया।विमर्श मे वक्ताओं ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर जम कर चर्चा की।
बतौर विशिष्ट अतिथि लखनऊ की पत्रकार तमन्ना फरीदी ने कहा की हरदम पुरुषों का दोष दिया जाता है यह गलत है।भारतीय परंपरा मे महिलाओं को सदैव देवी के रूप मे पूजा जाता रहा हैं।औरतों को खुद अपने विकास के लिए आगे आना होगा किसी के साथ का इंतजार ना करें और संघर्ष करे।
अध्यक्षीय संबोधन मे कुलपति प्रो सुंदर लाल ने कहा कि हम महिलाओं का नाम पुरुषों के पहले लेते हैं राधे कृष्ण,उमा शंकर, सीता राम इसके उदहारण ने लेकिन कितना पग पग पर महिलाओं की उपेक्षा करते है यह सोचने वाली बात है।अगर कुछ करने का मन मे जज्बा हो तो आयु,धर्म, और पृष्ठभूमि आड़े नहीं आती।
संकायाध्यक्ष डॉ अजय प्रताप सिंह ने कहा कि महिलाओं का कौशल विकास कर उसकी मानसिक स्थिति को बढ़ा सकते है।आत्म निर्भरता उसको आगे ले जायेगी।टी डी कॉलेज की डॉ वंदना दुबे ने कहा कि आज की महिला जिस दहलीज पर है वहा तक पहुचने पर उसे बहुत संघर्ष करना पड़ा है।
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