Thursday 29 May 2014

संगोष्ठी -13 मई


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ द्वारा 13 मई को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रिपोर्ट सक्षम  को दृष्टिगत रखते हुए महिला जागरूकता हेतु संगोष्ठी भवन मेँ  विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में लिंग भेद एवं लैगिक प्रताङना विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में महिला की अस्मिता से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा हुई. 
बतौर मुख्य अतिथि बीकानेर विश्वविद्यालय की कुलपति चन्द्रकला पाडिया ने कहा की नारीवाद में  कहीँ से पुरूषों क विरोध नही है बल्कि स्त्री के हक़ की बात है. स्त्री  और पुरुष दोनों ईश्वर की कृति है जिनकी अपनी विशेषतायें है. स्त्री होने के कारण उससे किसी प्रकार विभेद नहीं होना चाहियें। हमारे समाज ने ऐसे नियम बनाए जिसमे पुरुष को श्रेष्ठ और महिला को निम्न समझ लिया गया। जबकि महिला किसी मामले ने पुरुष से कम नही है. 
उन्होंने कहा कि  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग लैंगिक संवेदनशीलता के लिये कई कदम उठायें है जिस क्रम में  सक्षम  रिपोर्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है महाविद्यालयो और विश्वविद्यालओं को इस को ध्यान मे रखकर काम  करना होगा। महिलाओं  को अपने हक़ के लिये जागरूक होने की जरुरत है.

प्रो ड़ी ड़ी  दुबे ने कहा कि महिला अपने मे सक्षम है फ़िर भी बदलते परिवेश में बहुत सारे मुद्दों पर उसे सुरक्षा और मज़बूत करने की जरूरत है.आज  महिला   के प्रति समाज को  संवेदनशील होने की जरूरत है. 

महिला प्रकोष्ठ की डॉ वंदना राय ने विषय प्रवर्तन करते हुये कहा कि विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में लिंग भेद एवं लैगिक प्रताङना  प्रति महिलाऐं सचेत हो. निडर और निर्भय होकर  समाज मे जीने की अपील की.इसके साथ ही  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रिपोर्ट सक्षम के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षीय सम्बोधन मे कुलपति प्रो पीयूष रंजन अग्रवाल कहा कि आज इंटरनेट का युग मे महिला के समक्ष बहुत सारी चुनौतियां है. पारिवारिक,सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से सामना करने के लिये उसे खुद अपने को समझ कर सक्षम होने की जरूरत है. विश्वविद्याल हर स्तर पर महिलाओं के प्रति संवेदनशील तरीके से उनके हितों को ध्यान में  रखेगा। शैक्षिक संस्थाओं की जो जिम्मेदारी है उसे निभाया जाएगा।
जनसंचार की शिक्षिका डॉ रुश्दा आज़मी ने भी अप्नी बात रखी. कार्यक्रम का संचालन डॉ नुपूर तिवारी ने किया धन्यावाद ज्ञापन करुणा ने किया। इस अवसर पर प्रो राम जी लाल , डॉ मानस पाण्डे, डॉ वंदना दुबे, डॉ चन्द्रकला, डॉ संगीता साहू , डॉ माया सिंह, डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ एच सी पुरोहित समेत तमाम शिक्षक , विद्यार्थीगण मौज़ूद रहे.

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