Wednesday 10 September 2014

विकास असमानता का सबसे बड़ा कारण: प्रो. ओमप्रकाश




जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन में व्यवहारिक मनोविज्ञान द्वारा विकास और असमानता के आयाम विषयक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता प्रख्यात इतिहासकार एवं रूहेलखंड बरेली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ओमप्रकाश ने कहा कि आज के युग में असमानता का सबसे बड़ा कारण विकास है। मनुष्य जितना विकास कर रहा है वह दूसरे को पीछे धकेलता जा रहा है। ऐसे में आपसी सामंजस्य का ख्याल रख विकास के पथ पर चलने से असमानता को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज भूमंडलीयकरण के इस युग में आतंकवाद की उपस्थिति के कारण चारों तरफ किरकिरी हो रही है। इस आतंकवाद को दूर करने के लिए हिंसात्मक, कुटनीतिक कदम उठाये गये लेकिन यह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है जो बड़ा दुखद है।
उन्होंने कहा कि असमानता को दूर करने के लिए हमें नये सिरे से सोचना होगा। हमारी भारतीय संस्कृति में इसका राज छुपा हुआ है। समाज के कल्याण का व्रत लेकर बुद्ध और विवेकानंद के बताये गये रास्तों पर चलने से कल्याण संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा चिडि़या की आंख देखने वाली हो गयी है लेकिन किसी का निशाना नहीं लग रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में मिशनरी भाव का लोप हो गया है। प्रो. ओमप्रकाश ने विकास के राजनीतिक व आर्थिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आयामों पर बड़े विस्तार से अपनी बात रखी। 

इसी क्रम में मडि़याहूं पीजी कालेज के प्राचार्य डा. लालजी त्रिपाठी ने कहा कि असमानता प्राकृतिक जन्य हो सकती है लेकिन मानव होने के कारण हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम उसको दूर करने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। अध्यक्षीय सम्बोधन में विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि चेतनात्मक समाज का विकास होने से ही हम असमानता को दूर कर सकते है। भारतीय समाज में त्याग को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। आज इस परम्परा को जीवित कर बड़े बदलाव की ओर अग्रसर हो सकते है। कार्यक्रम संयोजक संकायाध्यक्ष अनुप्रयुक्त सामाजिक विज्ञान संकाय प्रो. रामजी लाल ने विषय प्रवर्तन किया एवं मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डा. दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर डा. मनोज मिश्र, डा. सुनील कुमार, पंकज सिंह समेत विभिन्न संकायों के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।



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