Wednesday 10 December 2014

बाल संरक्षण के लिए यूनिसेफ और विश्वविद्यालय ने की नई शुरुआत

                                       प्रशिक्षकों के लिए शुरू हुआ प्रशिक्षण शिविर 
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल  ने कहा कि एक जागरूक अभिभावक ही बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी अशिक्षा का माहौल है। ऐसे में बच्चों की बेहतर देखभाल कर पाना संभव नहीं है। बच्चों के साथ सहानुभूति रखने की जरूरत है। वह मंगलवार को एचआरडी विभाग और यूनीसेफ की ओर से आयोजित प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे।
पूर्व कुलपति प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि बचपन एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है। बच्चों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चों से उनका बचपन छीनना नहीं चाहिए। यदि उनका बचपन छिना तो बच्चों का विकास नहीं हो पाता है। बालश्रम और बाल विकास दोनों ही बहुत जरूरी है। 

यूनिसेफ की चीफ प्रोटेक्शन आफिसर नूपुर पांडेय ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में अभियान चलाकर बच्चों के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है। बाल संरक्षण एक संवेदनशील विषय है। इसे बाल संरक्षण समितियों के माध्यम से प्रभावशाली बना सकते हैं। जिम्मेदार लोगों को जोड़कर बाल संरक्षण को बढ़ावा देने की जरूरत है। प्रोजेक्ट निदेशक डा, संगीता साहू ने प्रशिक्षकों का स्वागत किया। कार्यक्रम पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर डा. ऋषिकेश. डा. एचसी पुरोहित, डा. आशुतोष सिंह, डा. मानस पांडेय, डा. एसके सिन्हा, डा. प्रदीप कुमार, डा. अमित वत्स आदि मौजूद थे। संचालन डा. अविनाश पार्थीडकर ने किया।अमर उजाला 


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         व्यक्तिगत एवं तकनीकी निपुणता का संवर्धन विषयक व्याख्यान (९ दिसंबर,संगोष्ठी भवन  )

भारत शुरूआत से ही अध्यात्म, विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में गुरु रहा है। बदलते दौर में आज पुन: युवाओं को जागृत होने की जरूरत है। भारत को विश्व गुरु के रूप में युवा ही खड़ा कर सकता है। 
                                                      
                                - पूर्व प्रो.आईसी अग्रवाल 
                                  मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान

                                     


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