विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में गुरूवार को महिला सेल द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में लैंगिक भेद एवं उत्पीड़न के रोकथाम व निषेध विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में वक्ताओं ने महिला मुद्दों के विभिन्न आयामों पर अपनी बात रखी। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि महिला मुद्दो के प्रति समर्पित श्री रामानन्द सरस्वती पुस्तकालय जोकहरा आजमगढ़ की निदेशिका हिना देसाई ने कहा कि पुरूषों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। पुरूषों के द्वारा किये जाने वाली एक छोटी सी हरकत एक महिला के जीवन को पिंजरे में कैद कर देती है। हमें एक ऐसे माहौल का निर्माण करना है जो महिलाओं को सशक्त बनाए। महिलाओें के साथ भेदभाव करने वाला समाज आज किसी को मंजूर नहीं है। हमें इसके दायरे के वजूद को खत्म करना होगा जिसके लिए हमें पुरूष सत्ता पर चोट करनी होगी। उन्होंने कहा कि हमें समानता नहीं वास्तविक बराबरी चाहिए।
महिला सेल के सलाहकार प्रो. डी.डी. दूबे ने कहा कि समता, व्यवहारिता तथा सम्यक आचरण से ही कोई परिवार, समाज व देश आगे बढ़ता है। स्त्री-पुरूष में विभेद करके हम आगे कभी नहीं बढ़ सकते। इस दौर में लिंग के आधार पर भेदभाव संभव नहीं हैं। विश्वविद्यालय विचारशील नागरिकों के लिए निर्माणशाला है। आईक्यूएसी के अध्यक्ष डा. मानस पाण्डेय ने कहाकि वीर बहादुर पूर्वांचल विश्वविद्यालय में गोल्ड मेडलिस्ट की सूची में लड़कियों ने हमेंशा बाजी मारी है। आकड़ें बताते हैं कि आज विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में, पठन-पाठन के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है और कई एक पाठ्यक्रमों में वह सबसे आगे हैं। आज हर पिता अपनी पुत्री को और हर भाई अपनी बहन की सफलता के लिए सक्रिय है। महिला से जुड़ी कुप्रथाओं को रोकने के लिए आज समाज जागृत है। संगोष्ठी की संयोजिका डा. वंदना राय ने विश्वविद्यालय के महिला सेल एवं संगोष्ठी के विषय एवं उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन सुमैला सिद्दीकी एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. रूश्दा आजमी ने किया।
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