Friday 24 June 2016

शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला


 विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान स्थित डा. राजनारायण गुप्त कांफ्रेस हाल में  शिक्षा संकाय तथा सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुये विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं मण्डलायुक्त वाराणसी नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि शोध एक खोज है। खोज का रास्ता ज्ञान से भरा है। इस दौर में आप जीवन के कई आयामों से रूबरू होंगे। यह जीवन की एक अद्भुत एवं महत्वपूर्ण यात्रा है।  
श्री गोकर्ण शोध प्राविधि एवं कम्प्यूटर अनुप्रयोग विषयक कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में शुक्रवार को बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सामाजिक विषयों में शोध के दौरान आमजन से जुड़ना पड़ता है, तब जाकर सही तथ्यों का संकलन हो पाता है। उन्होंने कहा कि यह शोध कार्य आपके व्यक्तित्व को भविष्य में परिभाषित करेगा। सूचना एवं तकनीकी के दौर में शोध एक चुनौती है। साहित्यिक चोरी से बचते हुये ईमानदारी से शोध कार्य पूर्ण करें। 
पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. कीर्ति सिंह ने कहा कि शोध में क्रोध का कोई स्थान नहीं है। आपकी सोच में गम्भीरता एवं कर्तव्यनिष्ठा परिलक्षित होनी चाहिये। उद्देश्य की प्राप्ति के लिये सही प्राविधि होना आवश्यक है। 
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि अच्छा शोध प्रबन्ध लेखन एक कला है। आपके कितने वैज्ञानिक ढंग से उसे सुनियोजित करते हैं, उस दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा यह कार्यशाला आयोजित कर एक प्रयास किया गया है। उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि आप अपने विषय को अपनी आत्मा से जोड़ें।कार्यशाला के समानान्तर तकनीकी सत्रो में डा0 यू0 पी0 सिंह एवं संकाय भवन स्थित कांफ्रेंस  हाल में विद्वान विषय विशेषज्ञो द्वारा शोधार्थियों को शोध पत्र लेखन पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के संस्कृत विभाग के प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय, मनोविज्ञान विभाग के प्रो. तुषार सिंह, दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. के.एस. ओझा, भूगोल विभाग के प्रो. रामबिलास, आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रो. ज्ञानप्रकाश सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. एच.एस. उपाध्याय ने सांख्यिकी, डाटा एनालिसिस, डाटा प्रजेंटेशन सहित शोध के विभिन्न आयामों एवं तरीकों पर प्रकाश डाला। लखनऊ विश्वविद्यालय की डिप्टी लाईब्रेरियन डा0 ज्योति मिश्रा एवं मानद पुस्तकालयाध्यक्ष डा0 मानस पाण्डेय ने जर्नल, टेक्स्ट बुक्स, रिफरेंसबुक्स तथा इडिटेड किताबो पर चर्चा करते हुये शोध हेतु विद्यार्थियों को पुस्तकों की उपयोगिता पर व्याख्यान दिया। पुस्तकालय में आये हुए सभी शोधार्थियों को डा0 विद्युत कुमार मल ने शोध गंगा के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इस अवसर पर वित्तअधिकारी एम.के. सिंह, पूर्व प्राचार्य डा. लालजी त्रिपाठी, डा. यू.पी. सिंह, डा. ए.के. मिश्र, डा. अशोक कुमार सिंह, उपकुलसचिव संजीव सिंह, डा. टी.बी. सिंह, डा. रामनारायण, डा. प्रदीप कुमार, डा. आशुतोष सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. नुपूर तिवारी, डा. रशिकेश, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, डा. अवध बिहारी सिंह, ऋषि श्रीवास्तव, डा. आलोक दास, डा. सुशील सिंह, डा. आलोक सिंह, डा. परमेन्द्र सिंह, डा. के.एस. तोमर, अनिल श्रीवास्तव, श्याम श्रीवास्तव, आनन्द सिंह, पंकज सिंह, रजनीश सिंह,अशोक सिंह सहित विश्वविद्यालय के शोधार्थी एंव प्रतिभागी मौजूद रहे। संचालन संकायाध्यक्ष डा. एच.सी. पुरोहित, स्वागत आयोजन सचिव  डा. वन्दना राय द्वारा एवं आभार समन्वयक डा. राकेश सिंह द्वारा किया गया।
 

 













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