दो दिवसीय राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का हुआ समापन
विशेषज्ञों के व्याख्यान का भी हुआ आयोजन
हाइड्रो पाॅवर प्लांट, हाइड्रोलिक क्रेन, आब्जेक्ट काउन्टर, सर्विलांस रोबोट, वैक्यूम क्लीनर, होम लाॅक, सेलफोन कंट्रोल रोबोट, डोर एलार्म, रूम हीटर, एयर कूलर, स्टीम पाॅवर प्लांट, मोबाइल पाॅवर बैंक आदि विषयों पर बड़े रोचक तरीके से माॅडलों को विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित किया गया।
विश्वसरैया सभागार में जेपी विश्वविद्यालय आॅफ इन्फार्मेशन टेक्नोलाॅजी के प्रोफेसर घनश्याम सिंह ने नेक्स्ट जेनरेशन कम्यूनिकेशन सिस्टम पर व्ख्यायान दिया। उन्होंने 4जी एवं 5जी संचार से प्रारम्भ करते हुए साॅफ्टवेयर आधारित रेडियो सिस्टम तथा उसके उन्नति स्वरूप के बारे में भी बताया। दूसरे सत्र में आईआईआईटी इलाहाबाद के प्रोफेसर उमाशंकर तिवारी ने दिव्यांगों हेेतु सुविधा प्रदायी आईटी के योगदान पर बृहद चर्चा की। ‘मूव डाटा नाॅट बाॅडी’ के अहम आईटी नारे की चर्चा करते हुए टेलीमेडिसीन, संचार नेटवर्किंग इत्यादि के क्षेत्र में आईटी के योगदान को बताया। उन्होंने कहा कि शरीर या मस्तिष्क से प्रादुर्भावित संसूचकों को मशीन ग्रहण कर दिव्यांगों को जीने के लिए नये आयाम प्रदान कर सकती है।
कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. बीबी तिवारी ने दो दिवसीय कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की और कहा कि 28 फरवरी 1928 को सर सीवी रमन ने 3 सौ रूपये के उपकरणों द्वारा नोबेल पुरस्कार योग्य रमन प्रभाव की खोज की जिस पर उन्हें 1930 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया जो यह सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
विश्वसरैया सभागार में विज्ञान दिवस के समारोह के दूसरे दिन का विधिवत उद्घाटन हुआ जिसमें वित्त अधिकारी एम.के. सिंह, कुलसचिव डाॅ. देवराज, समन्वयक प्रो. बीबी तिवारी, सह समन्वयक डाॅ. एके श्रीवास्तव, डाॅ. संतोष एवं डाॅ. राजकुमार ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका डाॅ. ज्योति सिंह ने किया।


इस अवसर पर डाॅ. अमरेन्द्र सिंह, डाॅ. दिग्विजय सिंह राठौर, डाॅ. सिद्धार्थ सिंह, शैलेश प्रजापति, प्रवीण सिंह, प्रशांत सिंह, प्रीति, वर्तिका, तुषार समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।
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