बादल - बादल मैं लिखता हूँ -पानी- पानी तू भी लिख
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास और स्वस्थ मनोरंजन के लिए ऐसे आयोजन होते रहेंगे। इस कवि सम्मेलन का उद्देश्य अयोध्या सिंह हरिऔध, मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रानंदन पंत एवं महादेवी वर्मा की साहित्यिकधर्मिता को विद्यार्थियों के जेहन में प्रतिस्थापित करना है। महोबा से आए श्रृंगार एवं वीर रस के कवि दरबारी लाल प्रेमी की रचना पुस्तक होगी ढाल तुम्हारी, कर्म तुम्हारी है तलवार, बुद्धि और विवेक के बल से करना होगा तुमको वार को विद्यार्थियों ने को विद्यार्थियों ने खूब पसंद किया।

गीतकार स्वामीनाथ पाठक मधुर की रचना राष्ट्रवादी बनो बंधु वादी बनो जातिवादी बने तो बिखर जाओगे सुनाया । कवि सम्मेलन में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ देवराज ने भी अपनी रचना प्रस्तुत की. आजमगढ़ के आशु कवि कमला सिंह, वाराणसी के गीतकार सत्यप्रकाश आजाद की रचनाओं ने श्रोताओं को खूब आनंदित किया। कवि सम्मेलन में कवियों का स्वागत एवं परिचय मीडिया प्रभारी डॉक्टर मनोज मिश्र द्वारा किया गया. संचालन सभाजीत द्विवेदी प्रखर एवं अशोक सिंह ने किया। कवि सम्मेलन के संयोजक सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष डॉक्टर अजय प्रताप सिंह ने धन्यवाद् ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ वी डी शर्मा, डॉ अजय द्विवेदी, डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ अविनाश पाथर्डीकर, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ राज कुमार सोनी, डॉ संतोष कुमार, डॉ सुरजीत यादव, डॉ सुनील कुमार, डॉ रुश्दा, अमलदार यादव, अनिल श्रीवास्तव, रजनीश सिंह, संजय श्रीवास्तव, सुशील प्रजापति, विद्युत् मल समेत विद्यार्थीगण मौजूद रहे.
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