Friday 20 July 2012

शिक्षकों को समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए ...


 शिक्षक समाज का आदर्श होता है।शिक्षकों को समाज की अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए। उसके आचरण, व्यवहार, मूल्य की छात्र ही नहीं बल्कि समाज का हर व्यक्ति नकल करता है।  विवि के सत्रारंभ  होने पर संकाय भवन में आयोजित पहली बैठक में परिसर शिक्षकों को संबोधित करते हुए    कुलपति प्रो.सुंदरलाल ने कहा कि  शिक्षकों से समाज को काफी उम्मीदें रहती है। लिहाजा सभी विभागों के शिक्षक सामूहिक प्रयास कर ऐसा उत्कृष्ट शैक्षणिक वातावरण सृजित करें कि इससे प्रभावित होकर देश के कोने-कोने से छात्र यहां उच्च शिक्षा ग्रहण करने आएं। कुलपति जी  ने आश्वासन दिया कि परिसर में प्रयोगशाला, शोध या शिक्षण संबंधित जो भी बुनियादी सुविधाएं हैं, उनके समाधान के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिया कि शिक्षक स्वयं अनुशासित होकर छात्रों की उपस्थिति पंजिका पर प्रतिदिन के व्याख्यान का ब्यौरा सुनिश्चित कराएं। 
उन्होंने कहा कि अनुशासन किसी किताब से नहीं पढ़ा जाता, इसे तो एक शिक्षक को खुद के अंदर विकसित करना होगा।छात्र भी अपनेशिक्षक से काफी उम्मीद करता है। शिक्षक का नैतिक कर्तव्य हैकि वह छात्र का सही दिशा निर्देशन करके उसे योग्य बनाए। छात्र कीयोग्यता से ही शिक्षक की पहचान होती है। उन्होंने कहा कि हमसभी की शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके लिएसभी शिक्षकों को अपने सुझाव रखने का हक है। उस पर अमलकिया जाएगा। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में अनुदान के लिएप्रस्ताव भेज दिया गया है। परिसर में आदर्श शैक्षिक वातावरण की नींव पड़े यही हमारी प्राथमिकता होगी। अनुशासन को पढ़ने की नहीं बल्कि सीखने की जरूरत होती है। इसे शिक्षक के साथ हर छात्र को अपने भीतर विकसित करना होगा।





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