Saturday 21 September 2013

प्रबंधन और चुनौतियां विषयक संगोष्ठी


 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रबंध संकाय के पूर्व निदेशक प्रा. केएम शर्मा ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अपनी विशिष्टता को बनाए रखना नए प्रबंधकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। अपने ज्ञान का प्रदर्शन अलग रूप से दिखा कर अपनी पहचान बनाए रखने की जरूरत है। हर दिन नई चुनौतियों का सामना करने के लिए ज्ञान की गहराई तक पहुंचना होगा। वह गुरुवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के एमबीई (मास्टर आफ बिजनेस इकोनामिक्स) विभाग में आयोजित प्रबंधन और चुनौतियां विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रबंध शास्त्र के प्रो. एचपी माथुर ने कहा कि तकनीकी विकास का सही उपयोग एवं समाज हित में उसकी उपयोगिता सिद्ध करने की जिम्मेदारी प्रबंधकों की है। साइबर के दौर में हर ज्ञान हासिल किया जा सकता है परंतु उस ज्ञान को सामाजिक निर्माण में लगाना चुनौती रहता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारतीय प्रबंध संस्थान रुड़की के प्रबंध विभाग के अध्यक्ष प्रो. संतोष रागडेकर ने कहा कि संस्था के विकास के लिए प्रबंधन की कार्य संस्कृति,कार्यरत कर्मियों की संस्था के प्रति समर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका है। द्रोणाचार्य और आचार्य चाणक्य की भूमिका शिक्षकों को स्वयं निभानी होगी। पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला के प्रो. मंजीत सिंह ने तकनीकी पहलू पर प्रकाश डाला। संकायाध्यक्ष डा. मानस पांडेय ने अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर डा. एसके सिन्हा, डा. अविनाश, डा. अजय द्विवेदी, डा. आलोक गुप्त, डा. अमित वत्स, डा. आशुतोष, डा. बीडी शर्मा, डा. ऋषिकेष आदि मौजूद रहे। संकायाध्यक्ष ने अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संचालन डा. एचसी पुरोहित ने किया।
(साभार -अमर उजाला वाराणसी संस्करण 20-21 सितम्बर 2013) 
                                                                                  











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