Tuesday 26 November 2013

गाज़ीपुर में २४ मई को लगा २३वां बापू बाजार



-कुलपति प्रो सुंदरलाल ने गरीबों को अपने हाथों से दिया सामान 
-अभावग्रस्तों ने की जमकर की खरीददारी 

जखनियां (गाजीपुर) : इंसान मरते हैं लेकिन उनके विचार नहीं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सोचा था कि हिंसा से दूर होकर अहिंसा के साथ प्रेम पूर्ण समाज की स्थापना की जाए। उनके विचार को सार्थक बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षकों के ऊपर है। यह बातें पूर्वाचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुंदरलाल ने कही। वह बतौर मुख्य अतिथि फूलपुर स्थित सुखदेव किसान महाविद्यालय में रविवार को 23 वें बापू बाजार में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत किया गया। कुलपति ने कहा कि बापू बाजार का उद्देश्य अमीरी-गरीबी का भेदभाव मिटाकर सभी को एक सूत्र में बांधना है। बापू बाजार में शामिल 19 महाविद्यालयों के शिक्षकों व छात्र-छात्राओं ने बापू के विचारों को पूरा करने का संकल्प लिया। प्रबंधक भुल्लन सिंह ने कुलपति को खादी का वस्त्र प्रदान किया। छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वंदना, स्वागत गीत, कौव्वाली, प्रहसन, एकांकी, देशभक्ति गीत, दहेज गीत आदि प्रस्तुत किया। बहरियाबाद स्थित सुभाष महाविद्यालय की छात्राओं ने 'वतन को लूट रहे हो जरा सी नहीं डरे' कौव्वाली के जरिये समाज के वर्तमान स्थिति को बताया। सादात स्थित समता पीजी कालेज की छात्रा महिला सोनकर ने 'पावन सुहावन मेरा देशवा' गाकर अपने देश के गौरव का बखान किया। हथियाराम स्थित पीजी कालेज की छात्राओं ने देशभक्ति गीत पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय विधायक सुब्बा राम, डा. रत्‍‌नाकर त्रिपाठी, डा. धीरेंद्र प्रताप सिंह, अंकुर सिंह, संतोष मिश्र, कमलेश यादव, डा. हितेंद्र प्रताप सिंह, डा. एम हसीन खां आदि मौजूद थे। अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य रामवृक्ष पांडेय, संचालन डा. आशा मिश्र व गोविंद तिवारी ने किया।
छात्र-छात्राओं ने लगाया स्टाल
जखनियां : बापू बाजार में अमारी (दुल्लहपुर) स्थित संत बूला पीजी कालेज, सुखदेव किसान पीजी कालेज, नेवादा स्थितचौधरी चरण सिंह पीजी कालेज, मदरा स्थित राजीव गांधी पीजी कालेज मदरा, कौला जखनियां स्थित हरिश्चंद्र महाविद्यालय कौला जखनियां के छात्र-छात्राओं ने स्वनिर्मित सामान का स्टाल लगाया। लोगों ने कंबल, झोला, तौलिया, खिलौने आदि की खरीदारी की। स्टाल के माध्यम से बच्चों ने बापू के सपनों को सार्थक बनाने का विचार समाज को दिया।

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