प्रथम दिन
औषधिविहीन स्वस्थ समाज की
स्थापना की जरूरत
संगोष्ठी भवन
में शुक्रवार को
दो दिवसीय एक्यूप्रेशर
जागरूकता एवं उपचार
शिविर का शुभारंभ
हुआ। जागरूकता एवं
उपचार शिविर के
उद्घाटन सत्र में
बतौर मुख्य अतिथि
विश्वविद्यालय के कुलपति
प्रो.
पीयूष रंजन
अग्रवाल ने कहा
कि आज हमें
स्वास्थ्य के प्रति
सजगता बरतनी होगी
और जागरूक होकर
अपनी समस्याओं का
समाधान करना होगा।
आज युवा पीढ़ी
तमाम तरह के
संघर्षों में अपना
जीवन जी रही
है। घंटों बैठकर,
दौड़ धूप कर
काम करने से
तमाम तरह की
शारीरिक कष्टों का सामना
करना पड़ता है।
दौड़ भाग की
इस जिंदगी में
एक्यूप्रेशर विधि से
काफी लाभ मिल
सकता है। इससे
हमारे शिथिल होते
तंत्र प्रणाली को
कुछ मिनटों में
ही चैतन्यता आ
जाती है।
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डा. श्याम सुंदर सर्राफ |
मुख्य वक्ता एक्यूप्रेशर शोध,
प्रशिक्षण एवं उपचार
संस्थान इलाहाबाद के डा.
श्याम सुंदर सर्राफ
ने कहा कि
आज औषधिविहीन स्वस्थ
समाज की स्थापना
की जरूरत है।
एक्यूप्रेशर के माध्यम
से पीडि़त और
कराहती मानवता की सेवा
कर बहुत से
लोग अपना जीवन
सार्थक कर रहे
है। एक्यूप्रेशर का
वर्णन वेदों में
मिलता है। यह
पुरातन चिकित्सा पद्धति है।
जिसका कोई साइड
इफेक्ट नहीं है।
आज प्राचीन भारतीय
चिकित्सा होते हुए
भी इसके साहित्य
की उपलब्धता न
होने पर प्रचार
प्रसार धीमा रहा।
जिसके लिए काफी
प्रयास के बाद
बड़े पैमाने पर
स्वस्थ भारत निर्माण
के लिए साहित्य
उपलब्ध कराया गया।
उन्होंने कहा कि
मनुष्य अपने अंगों
को दर्द होने
पर अपने दूसरे
अंग से उसे
दबाकर अपना खुद
इलाज करते आया
है। अपनी पीड़ा
को कम किया
है। हजार वर्षों
से भारत की
महिलाएं कान में
आभूषण पहनती है
व छोटे बच्चों
की कलाई व
कमर में काला
धागा बांधने की
परम्परा चली आ
रही है। इनके
पीछे वैज्ञानिक कारण
है, जो एक्यूप्रेशर
विधि से जुड़ा
हुआ है। डा.
सर्राफ ने कई
रोगों के इलाज
के लिए एक्यूप्रेशर
के छोटे-छोटे
तरीकों को बताये।
उन्होंने कहा कि
मिर्गी के रोगी
को जूते सुंघाना
कितना अमानवीय है,
जबकि नाक के
नीचे बीचो बीच
में, कान में
नीचे की तरफ
दबाने से रोगी
को जल्द ही
सामान्य किया जा
सकता है।
एक्यूप्रेशर
शोध, प्रशिक्षण एवं
उपचार संस्थान के
महासचिव बीपी शुक्ला
ने कहा कि
आज इस विद्या
के जितने अधिक
लोग प्रशिक्षित शिक्षित
होंगे हमारा देश
उतना ही निरोगी
होगा। देश के
कई विश्वविद्यालयों में
इसे पाठ्यक्रम में
सम्मिलित किया गया
है। जिससे बड़े
पैमाने पर प्रशिक्षक
समाज को उपलब्ध
हो रहे है।
उद्घाटन सत्र के
पश्चात एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ अर्चना
त्रिवेदी ने लोगों
का परीक्षण किया
एवं एक्यूप्रेशर विधि
से उनका इलाज
किया। स्वस्थ्य जीवन
जीने के लिए
कई गूढ़ बातें
बतायी।
कार्यक्रम का संचालन
आयोजन सचिव डा.
बीडी शर्मा ने
किया। इसके पूर्व
अतिथियों ने मां
सरस्वती के सम्मुख
दीप प्रज्जवलन कर
कार्यक्रम का शुभारम्भ
किया। तत्पश्चात परिसर
की छात्राओं ने
स्वागत गीत एवं
वंदेमातरम् की प्रस्तुति
की। कार्यक्रम के
अंत में राष्ट्रगान
हुआ।
इस अवसर पर
प्रो. डीडी दूबे,
कुलसचिव डा. बीके
पाण्डेय, वित्त अधिकारी अमर
चंद्र, प्रो. एमपी सिंह,
प्रो. वीके सिंह,
डा. एके श्रीवास्तव,
डा. अजय प्रताप
सिंह, डा. मानस
पाण्डेय, डा. एचसी
पुरोहित, डा. अविनाश
पाथर्डिकर, डा. राजकुमार,
डा. प्रदीप कुमार,
डा. वंदना राय,
डा. मनोज मिश्र,
डा. दिग्विजय सिंह
राठौर, डा. आशुतोष
सिंह, डा. अवध
बिहारी सिंह, डा. संतोश
कुमार, शैलेश प्रजापति, डा.
इंद्रेश कुमार समेत तमाम
शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी
मौजूद रहे।
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दूसरा दिन
स्वस्थ भारत का
निर्माण 2020 तक: सर्राफ
- दो दिवसीय एक्यूप्रेशर शिविर
का विश्वविद्यालय में
समापन
- सौ से अधिक
मरीजों का उपचार,
जानकारियां दी गयी
दो दिवसीय एक्यूप्रेशर
जागरूकता एवं उपचार
शिविर का समापन
शनिवार को हुआ।
दो दिवसीय शिविर
में विशेषज्ञों ने
लोगों को स्वास्थ्य
के प्रति जागरूक
एवं एक्यूप्रेशर से
संबंधित तमाम जानकारियां
दी। करीब सौ
से अधिक मरीजों
ने अपना उपचार
कराया।
एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण
एवं उपचार संस्थान
की संकाय सदस्य
अर्चना त्रिवेदी की टीम
ने दो दिनों
में शिविर में
आये लोगों का
इलाज किया एवं
स्वस्थ जीवन-यापन
के लिए जानकारियां
दी। इसके साथ
बीज व चुम्बक
से भी इलाज
किया गया। इसके
पूर्व महिला छात्रावास
में छात्राओं का
इलाज किया गया
एवं प्रशिक्षण दिया
गया। शिविर का
समापन संगोष्ठी भवन
में हुआ। इस
मौके पर संस्था
के संरक्षक एक्यूप्रेशर
विशेषज्ञ श्याम सुंदर सर्राफ
ने कहा कि
दो दिवसीय इस
शिविर में आप
लोगों का जो
हमें प्यार मिला
है उससे लगता
है कि हमारी
संस्था ने जो
2020 तक स्वस्थ भारत का
सपना देखा है
वह पूरा हो
जाएगा। इस विधि
को हमें जन-जन तक
पहुंचाने की आवश्यकता
है। लोगों को
बताना है कि
औषधि के बिना
भी हम स्वस्थ
रह सकते है।
स्वास्थ्य के प्रति
समाज में फैली
विकृतियों को दूर
करने की भी
आवश्यकता है। अंत
में उन्होंने आयोजन
कमेटी का आभार
प्रकट किया। सीनियर
फैकल्टी मेम्बर अर्चना त्रिवेदी
ने कहा कि
यह विधि बहुत
ही सरल और
सहज है। हमारी
संस्था इस विधि
को जन-जन
तक पहुंचाने के
लिए आतुर है।
हमें लोगों को
बताना है कि
आप अपना इलाज
स्वयं कर सकते
है क्योंकि ईश्वर
ने हर रोग
का इलाज आपकी
हथेली में दे
रखा है। उन्होंने
कहा कि लोग
बीमार होने के
बाद लापरवाही करते
है उन्हें ऐसा
नहीं करना चाहिए।
कुछ लोग रोजी
रोटी के लिए
दिन भर भागते
दौड़ते है लेकिन
जब भोजन सामने
आता है तो
जल्दी जल्दी खाकर
फिर भाग जाते
है उन्हें ऐसा
नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद कहता है
कि शांत माहौल
में आराम से
और चबाकर भोजन
करना चाहिए। उन्होंने
कहा कि साफ्टवेयर
इंजीनियर और तकनीकी
विशेषज्ञ जो केवल
कार्यालयों में कार्य
करते है उनमें
विटामिन डी की
कमी रहती है,
ऐसे में उन्हें
कम से कम
45 मिनट प्रतिदिन सूर्य का
प्रकाश लेना चाहिए
जिससे जोड़ों का
दर्द, सर्वाइकल समस्या
दूर हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि
पूर्वांचल के लोग
नमक, चीनी का
प्रयोग अधिक करते
है, ऐसे में
उन्हें नमक चीनी
कम खाना चाहिए
ताकि वह हाइपरटेंशन
के शिकार न
होने पाए। अंत
में आयोजन सचिव
वीडी शर्मा ने
एपेक्स चेयरमैन श्याम सुंदर
सर्राफ को अंगवस्त्रम्
एवं स्मृति चिन्ह
देकर सम्मानित किया
गया। इसके बाद
मंचासीन अर्चना त्रिवेदी, देवमणि
पाण्डेय, मुकेश गौतम को
स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम्
देकर सम्मानित किया
गया। कार्यक्रम की
अध्यक्षता डा. एचसी
पुरोहित ने और
संचालन डा. संतोष
कुमार ने किया।
इस अवसर पर
डा. प्रदीप कुमार,
डा. वंदना राय,
डा. सुनील कुमार,
डा. रूश्दा आजमी,
डा. अवध बिहारी
सिंह, डा. इंद्रेश
कुमार, डा. आलोक
दास, पंकज सिंह,
धीरज श्रीवास्तव आदि
लोग उपस्थित रहे।