Saturday 15 November 2014

यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के रजत जयंती सत्र का उदघाटन



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संगोष्ठी भवन में शनिवार को यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के रजत जयंती सत्र के उदघाटन   सत्र का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आठ प्रमुख इतिहासकारों प्रो. ओमप्रकाश यादव, प्रो. ओमप्रकाश श्रीवास्तव, प्रो. यूपी अरोरा, प्रो. एनआर फारूकी, प्रो. एसजेड जाफरी, प्रो. अतुल कुमार सिन्हा, प्रो. एसएनआर रिजवी एवं डा. महेंद्र प्रताप को अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। समारोह में मुमताज अहमद स्मृति पुरस्कार दो शोध छात्राओं डा. सना अजीज तथा डा. शबाना जफर को प्रमाण-पत्र एवं 2500 रुपये नगद धनराशि प्रदान की गयी।


उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनआर फारूकी ने कहा कि जौनपुर सूफी संतों


का केन्द्र रहा है। मध्यकालीन भारत में सूफी आंदोलन अपने उत्कर्ष पर था। उन्होंने मध्यकालीन भारतीय सूफी ग्रंथों में उधृत कहानियों के स्वरूप और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यकालीन सूफी संत प्रकांड विद्वान थे और इन संतों के द्वारा अनेक महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की गयी। सूफी संतों के उद्देश्यों के संकलन भी आज उपलब्ध है। इन कृतियों में सूफी संतों ने अपने शिष्यों तक समुचित रूप से अपनी बात पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रकार की कहानियों या घटनाओं का वर्णन किया। इन कथाओं में मुख्य रूप से नैतिक और सामाजिक मूल्यों को प्रकाशमान किया जाता था। इन कथाओं के माध्यम से सूफी संतों की अध्यात्म शक्ति एवं विद्वता का परिचय मिलता है। यह कथाएं इतनी रोचक और सुंदर है कि वह सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर लेती थी। इन कथाओं के माध्यम से उस समय की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक दशाओं पर प्रकाश डाला जाता है। इन कथाओं की रोचकता तथ उनके माध्यम से प्रस्तुत किये गये सामाजिक नैतिक मूल्यों के कारण मध्यकालीन सूफी साहित्य को काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई। 

मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि किसी भी नगर, कस्बे, देश अथवा विदेश में यात्रा के दौरान वहां के पुराने भवन एवं अवशेषों को देखकर कदाचित मन वर्तमान से पीछे जाकर अतीत की सभ्यता, वीरता एवं बलिदान को ढ़ूढ़ने लगता है। सर्वप्रथम द्वार पर लिखे गये विवरण अथवा उपलब्ध प्रालेखों को पढ़कर, चाहे ऐतिहासिक स्मारक हों अथवा पवित्र स्थान, वर्तमान सभ्यता के निर्माण का रास्ता वर्तमान स्वरूप में किस प्रकार प्रशस्त हो पाया, का आभास स्वमेव होने लगता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक दृष्टि से भारत जैसे देश को 24 वर्ष पूर्व अपनी अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए भूमण्डलीकरण की ओर बढ़ने का एक जोखिम, सफलतापूर्वक उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आज का यह ऐतिहासिक यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का रजत जयंती अधिवेशन नये परिवेश, नई भावनाओं एवं नयी तकनीकी के युग में कालान्तर को वर्तमान से जोड़ने की चेष्टा कर रहा है। मुझे आशा है कि समस्त इतिहासकार एवं बुद्धिजीवी वर्ग, अपनी उपस्थिति से इस अधिवेशन को सार्थक स्वरूप दे पाएंगे।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. आरएन मिश्र की अनुपस्थिति में उनके उद्बोधन को बरेली विश्वविद्यालय के प्रो. अतुल कुमार सिन्हा ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में स्थित भरहुत के अभिलेख एवं कला का निदर्शन जहां शुंगकालीन समाज की झांकी प्रस्तुत करता है वहीं उसकी कला ने तत्कालीन समाज की पृष्ठभूमि एवं पुरोगामिता को प्रस्तुत कर इतिहास को एक नई दिशा दी है। उन्होंने दान से संबंधित समस्त अभिलेखों के बारे में भी ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा. प्रवीण प्रकाश ने आये हुए अतिथियों का स्वागत किया। समारोह के पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि एवं कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित सोवनियर एवं यूपी हिस्ट्री कांग्रेस का आब्सट्रैक्ट (सारांश) का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन यूपी हिस्ट्री कांग्रेस के महासचिव प्रो. एसएनआर रिजवी एवं डा. एचसी पुरोहित ने किया। प्राचार्य डा. अब्दुल कादिर खां ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र के बाद समानान्तर चल रहे तीन तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये सौ से अधिक इतिहास के विद्वानों एवं प्रतिभागियों द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।
इस अवसर पर प्रो. एसजेडएच जाफरी, प्रो. डीडी दूबे, कुलसचिव बीके पाण्डेय, वित्त अधिकारी अमरचंद्र, प्रो. वीके सिंह, प्रो. रामजी लाल, प्रो. बीबी तिवारी, डा. एके श्रीवास्तव, डा. एचसी पुरोहित, डा. अजय प्रताप सिंह, डा. अविनाश पार्थडिकर, डा. संगीता साहू, डा. एसके सिन्हा, डा. सरिता सिंह, शुभ्रा मल्ल, डा. वंदना राय, डा. प्रदीप कुमार, डा. मनोज मिश्र, डा. सुनील कुमार, डा. रूश्दा आजमी, डा. संदीप सिंह, डा. संतोष कुमार, डा. अमरेन्द्र सिंह, डा. विवेक पाण्डेय, डा. केएस तोमर, श्याम त्रिपाठी सहित समस्त प्रतिभागी उपस्थित रहे।








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