उन्होंने विद्यार्थियों के पठन पाठन एवं कार्यकलापों के समुचित वर्गीकरण, सूचीकरण, प्रयोगशाला उपकरण, इ क्लास रूम आदि का उपयोग, शोध एवं विकास, दैनिक सुविधाओं आदि के उच्चीकरण पर अपनी बात रखी.
विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो डी डी दुबे ने प्रयोगशाला उपकरणों की अनुकूलता, देखभाल, स्थापना, रख रखाव से सम्बंधित पहलुओं पर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला के उपकरणों की तकनीकी जानकारी शिक्षकों को होना चाहिए।कार्यक्रम संयोजक प्रो बी बी तिवारी ने कहा कि शिक्षकों को कक्षाओं में जाने के पूर्व तैयारी करके जाना चाहिए।विषय को बेहतर तरीके से विद्याथिओं के समक्ष रखने के लिए संचार कौशल बहुत जरुरी है इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
द्वितीय सत्र में परिसर में संचालित पाठ्यक्रमों के विभागाध्यक्ष प्रो ए के श्रीवास्तव, डॉ मानस पांडेय, डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ अविनाश पाथर्डिकर, डॉ अजय द्विवेदी,डॉ मुराद अली, डॉ संतोष कुमार आदि ने अपने विभागों की कार्य विधि, चुनौतियों एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला का संचालन डॉ एच सी पुरोहित ने किया। इस अवसर पर वित्त अधिकारी एम के सिंह, उपकुलसचिव संजीव सिंह, डॉ ए के श्रीवास्तव,डॉ मनोज मिश्र,डॉ राम नारायण,डॉ रसिकेश, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ नुपूर तिवारी, डॉ आशुतोष सिंह,डॉ सुशील कुमार,डॉ सुरजीत यादव, डॉ अमरेंद्र सिंह, डॉ संजीव गंगवार, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ रूश्दा आज़मी, डॉ सुनील कुमार, डॉ के एस तोमर, डॉ परमेंद्र सिंह, अमित वत्स समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक उपस्थित रहे.
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