जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति सभागार में सोमवार को परंपरागत ज्ञान एवं औषधियां विषयक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान में जवाहरलाल नेहरु राजकीय महाविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर वाई पी कोहली ने कहा कि 90 के दशक से विदेशी कंपनियों ने हमारे परंपरागत ज्ञान को विलुप्त करने का प्रयास किया।शीतल पेय एवं जंक फूड की संस्कृति के चलते नई पीढ़ी आज विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित है। हमारे आसपास की वनस्पतियों के औषधीय गुणों से हमें वंचित रखा गया परिणामतः आज हम एलोपैथी दवाओं के सेवन के लिए विवश है। उन्होंने सत्तू, आंवला, मूली और मक्का के गुणों पर चर्चा करते हुए इस ज्ञान को आम लोगों तक ले जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि मक्के में विटामिन ई की प्रचुरता होती है जिसकी जानकारी अभी भी स्थानीय लोगों को कम है। यदि उन्हें इसकी जानकारी दे दी जाये तो हम जर्मनी से आयात की जाने वाली विटामिन की गोलियों से मुक्ति पा जाएंगें। स्थानीय वनस्पतियों में गिलोय के गुणों पर उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में गिलोय की अचूक भूमिका है, हर घर में गिलोय होना चाहिए। इस वर्षा ऋतु में घर के आसपास गिलोय अवश्य रोपित करें।यह सारी बीमारियों से मुक्त रखेगा। आज जानकारी के आभाव में बहुत सारे वृक्ष और वनस्पतियां विलुप्त हो गई है, समय आ गया है कि उनके गुणों से परिचित होते हुए इन्हें पुनर्जीवित किया जाए ।
कुलपति प्रो राजाराम यादव ने कहा कि फार्मेसी संस्थान द्वारा औषधीय गुणों से युक्त वनस्पतियों का संरक्षण एवं उनसे आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण कराया जायेगा।इसके साथ हीस्थानीय वनस्पतियों एवं गो दुग्ध, घी,गो मूत्र एवं गोबर में प्राप्त गुणों से आम लोगों को जागरूक किया जायेगा। फार्मेसी संस्थान द्वारा निर्माण की गई सामग्रियों का प्रबन्ध अध्ययन संस्थान मार्केटिंग करेगा।
व्याख्यान माला में आयोजित प्रश्न प्रहर में प्रो बी बी तिवारी, डॉ अजय द्विवेदी, डॉ मनोज मिश्रा, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर एवं डॉ नृपेंद्र सिंह ने सवाल किये। इस अवसर पर डॉ अजय प्रताप सिंह, डॉ मानस पांडेय, डॉ वंदना राय, डॉ राम नारायण, डॉ संतोष कुमार, डॉ रसिकेश, डॉ राजेश शर्मा, डॉ एस पी तिवारी, डॉ अवध बिहारी सिंह,डॉ संजीव गंगवार, डॉ राज कुमार सोनी समेत शिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहें।
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